(काले धन और नेताओ पर एक कविता बिना मात्रा के प्रयोग कर लिखने की कोशिश की है कृपया अपने विचार दे)
शरण हर पल
पल-पल-पल, अधम-करम-रत,
जतन-जतन कर, गहन-जतन।
सरक-सरक कर, गमन-करत,
कनक-कनक सब, चरत-धरत।
बचत-बचत कर, बचत-बचत,
परत-परत-दर, परत चढ़त।
छल-बल-खल, गरल रग-रग,
नव-नग, रजत-पक्ष, पग–पग।
अतल-अधम, ठसक-जरठ-फण,
खग-खर-गज-जड़, करत पद-पण।
चहक-महक, यश-अपयश फहरत,
दर-दर भटक, जन-मन लत-पत।
धन-धन-धन, भरत-पथ-अक्ष-दल,
शत-शत नमन, शरण हर पल।