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Delicious Recepies Of Uttarakhand - उत्तराखंड के पकवान

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Bhishma Kukreti:
अचार कु इतिहास

सरोज शर्मा ( भोजन मूल शोधार्थी)

अचार सदियों भटिक हमर भोजन कु हिस्सा च, अचार कु चटपटी स्वाद सबयूं थैं पसंद आंद, ये क बिन थालि अधूरि लगद,
न्यूयार्क खाद्य संग्रहालयों म पिकल ( अचार) हिस्ट्री क अनुसार 2030 ईसा पूर्व मोसोपोटामिया क टाई गिर्स घा टि क लोग खीरा कु अचार कु उपयोग करदा छाई, समय क साथ साथ भोजन थैं ज्यादा समय तक संरक्षित और इनै उनै लिजांण म सौंगू हुणक खातिर प्रसिद्ध हूण लगी, धीरे धीरे ये क लाभों कि भि खोज हूण लगि, 350 ईसा पूर्व सुप्रसिद्ध दार्शनिक अरस्तू न भी तारीफ कार, रोमन सम्राट जुलियास-सीसर(100-44 ईसा पूर्व) भी अचार क बहुत शौकीन छाया,वै समय मनै जांद छाई अचार ल मानसिक और शारीरिक शक्ति बड़द
2400 B.c मा भि अचार बणयै जांद छाई, यखक मूल निवासी खाद्य पदार्थ सुरक्षित रखण वास्ते तेल और लूण म डुबैक रखदा छा जन यात्रा क दौरान खाद्य पदार्थ कि कमी न ह्वा
अचार शब्द फारसी भाषा से आई, फारसी म और सिरका से संरक्षित भोजन कु अचार बोले जांद, औपनिवेशिक काल म अचार क जिक्र एक किताब मा मिल द García da Orta नामक किताब म मिलद जै म काजुओं कु स्टोर कनकु उपाय लिखयूं च जै थैं उ अचार बोल्दा छा,
बोलदा छन उत्तर पंजाब म अचार गोश्त विकसित ह्वाई सिन्धु घाटी म अचार बणदू छौ
हैदराबाद लोगु क भी दावा च हैदराबाद बटिक अचार गोश्त बणाण कि शुरुआत ह्वाई इतिहासकार कन्निघम क भि यि मनण च हैदराबाद बटिक शुरुआत ह्वाई।
हरी सब्जी से लेकर फल आदि सबयू क अचार बणये जांद, ये म शामिल लूण तेल मसला भरपूर स्वाद दिंदिन, भोजन भी सवदि ह्वै जांद।

Bhishma Kukreti:
पानी पूरी क इतिहास
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सरोज शर्मा ( भोजन इतिहास शोधार्थी)
पाणि पुरी नाम सुणदा ही गिचची मा पाणि ऐ जंद नौनयूं खुण त पाणि पुरी खास हूंद, आपन कभि स्वाच ई आइ कख बटिक च ऐ कि खोज कैल काई ,
पाणि पुरी क इतिहास
ऐ थैं गोल गप्पा, पानि बतासे, फुचका, गुपचुप, पानी टिककी, फुल्की,भी बोल दन
पाणि पुरी कु जिक्र मेगास्थनीज चीनी यात्री, बौद्ध यात्री Fabian और xuanzang कि किताबों म पये जांद पानी पुरी सबसे पैल मगध साम्राज्य म बणये ग्या वै समय मा पानिपूरी मा भौत खाद्य पदार्थ मिलये जांद छाई जन पिठठो, चिवड़ा, तिलवा आपक बतै दयूं मगध साम्राज्य बिहार क नाम से भि जणै जांद, पानि पूरी कु आविष्कार बिहार मा ह्वाई
पानी पुरी की एक कहानी महाभारत से भि जुड़ी च
द्रोपदी पैलि बार पांच पतियो दगड़ ससुराल आई कुंती ल बवाल कुछ इन बणा कि पांचो पतियो कु पेट भरे जा वै क बाद द्रोपदी न पानी पूरि बणै कुंती बहुत खुश ह्वाई वीं थैं अमरता कु वरदान दयाई।

Bhishma Kukreti:
पनीर मसाला

उषा बिज्लवाण- देहरादून।
मन्खी- ४। समै- २० मिनट।
सामग्री- प्याज १ बड़ू, टमाटर,२ बड़ा, लसण ५ कली आदू १ बड़ू टुकड़ा हरीं मर्च ३ ,लोण स्वादानुसार, कश्मीरी लाल मर्च १/२ चम्मच,तेल ३चम्मच।
विधी- प्याज , लसण, हरी मर्च, टमाटर अर आदा कु पेस्ट बणै द्या कढै रखा तेल डाला जीरू अर हींग डाला थोड़ी देर बाद तैयार पेस्ट डाल द्या तेल छोडण तक खूब भुना अब १/२ गिलास पाणी डाल द्या ५ मिनट पकौणा का बाद पनीर डाल द्या तैयार छ पनीर मसाला

Bhishma Kukreti:
चिकन रैसिपी
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उषा बिज्लवाण- देहरादून
मन्खी-३।
समै - १/२ घन्टा .
 सामग्री-
प्याज४ बड़ा, चिकन १/२ किलो, टमाटर ४, लसण ८ कली, आदू १ईंच, लाल मर्च पौडर १ चम्मच, धणिया पौडर १चम्मच, कश्मीरी लाल मर्च १ चम्मच, लोण स्वादानुसार, चिकन मसाला २चम्मच, कसूरी मेथी १चम्मच, तेल १कटोरी, तेज पत्ता २ , बड़ी इलायची२, दालचीनी एक टुकड़ा
विधी-
प्याज, लसण, आदा,टमाटर कू पेस्ट बणै द्या ।गैस खोलीक कढै रखा तेल डाला खड़ा मसाला डाला थोड़ा भूनीक तैयार पेस्ट डाल द्या तेल छोडण तक भुना अब सब मसाला डाल द्या खूब भुना अब चिकन डालीक भुना इतना भुना की चिकन लगभग पक जौ अब १/२गिलास पाणी डालीक पका तैयार छ चिकन

Bhishma Kukreti:
माइक्रोवेव ओवन का इतिहास।

उषा बिज्लवाण देहरादून।

यूके मा कैविटी मैग्नेट्रॉन का विकासन एक छोटा तरंग दैधर्य की विधुत चुम्बकीय तरंगो कु उत्पादन सरल बणाई ।अमेरिकी इंजिनियर पर्सी स्पेंसर तै आमतौर पर युद्ध का दौरान विकसित रडार तकनीकी से द्वितीय विश्व युद्ध क का बाद आधुनिक माइक्रोवेव ओवन का अविष्कार कु श्रेय दिये गै । राडारेंज नाम दिये गै ये तै पैली बार १९४६ मा बेची गै थौ।बाद मा रेथियॉन न घरेलू माइक्रोवेव का खातिर अपणा पेटेंट कु लाइसेंस दिनी जैतैं टप्पन न १९५० मा पेश करी थौ लेकिन अभी भी यु घरेलू उपयोग का खातिर बड़ू और मैंगू थौ। शार्प कापरिशन न १९६४ और १९६६ का बीच टनटिबल का साथ पैलू माइक्रोवेव ओवन पेश करी। काउंटरटाप माइक्रोवेव ओवन १९६७ मा अमाना कापरिशन द्वारा पेश करै गै थौ।१९७० का दशक मा माइक्रोवेव सस्ता होणा का कारण दुनिया भर मा उंकू उपयोग वाणिज्य और आवासीय रस्वाड़ों म फैल गी थौ। खाणा पकौणा का अलावा माइक्रोवेव कू इस्तमाल औद्योगिक प्रक्रियाओं म भी होन्दू। माइक्रोवेव तैयार खाणा तै गरम करणक और कै प्रकार का खाणा बणौणक होन्दू। यू कै प्रकार का खाणा तै तेजी से गरम करदू जू आम भांडौं पर सम्भव नी। माइक्रोवेव खाणा तै भूरा या कैरामेलाइज नी करदू कीक क यू माइलर्ड प्रतिक्रियाओं तै उत्पन्न करना शायद ही आवश्यक तापमान प्राप्त करदन। यन मामलों म अपवाद छ जख माइक्रोवेव कु इस्तमाल तैलीय चीजौं तै गरम करना तै किये जांदू जू उब्लदा पाणी की तुलना मा बहुत जादा छ । खाणा बणोणा मा माइक्रोवेव की एक सीमित भूमिका होन्दी कीक कि माइक्रोवेव की क्वथनांक - सीमा का तापमान से स्वादपूर्ण रासायनिक प्रतिक्रिया उत्पन्न नी होन्दी जू उच्च तापमान पर तलना भुनणा या पकौणा से होन्दी वाणिज्य उपलब्धता । एन एस सवाना परमाणु संचालित मालवाहक जहाज पर सवार रेथियॉन "राडारेंज" १९६१ क आसपास स्थापित ह्वै।१९४७ मा रेथियॉन न राडारेंज कू निर्माण करी जू व्यावसायिक रूप से उपलब्ध पैलू माइक्रोवेव ओवन थौ।यू लगभग १.८ मीटर लंबू और वजन ३४० किलो थौ और कीमत ५००० अमेरिकी डालर थौ। यू तीन किलो वाट की खपत करदू थौ जू आज का माइक्रोवेव से तीन गुणा जादा थौ और वाटर कूल्ड थौ। परमाणु ऊर्जा से चलन वालू यात्री जहाज एन एस सवाना की गैली मा एक प्रारंभिक राडारेंज स्थापित करे गै थौ। १९५४मा पेश किये गै एक प्रारंभिक वाणिज्यिक माडल न १.६ किलोवाट की खपत की और यूएस $२,००० से यूएस $३,०००मा बेचे गै थौ। रेथियॉन न १९५२ मा ओहियो का मैन्सफील्ड की टप्पन स्टोव कंपनी तै अपणी तकनीकी कू लाइसेंस दिनी ।व्हर्लपूल, वेस्टिंगहाउस और अन्य प्रमुख उपकरण निर्माताओं का अनुबंध का तहत जू अपणा पारंपरिक ओवन लाइन मा मिलान माइक्रोवेव तै जोड़न चांदन, टप्पन न आपणा निर्मित का कइ उत्पादों कु निर्माण करी। रखरखाव का कारण (कुछ इकाइयों तै वाटर कूल्ड किये गये) इन- बिल्ट आवश्यकता और लागत (यूएस $ १, २९५ से १३,००० डालर) तक बिक्री सीमित थै। जापान के शार्प कार्पोरेशन न१९६१मा माइक्रोवेव कु निर्माण शुरू करी १९६४ और१९६६ का बिच शार्प न टर्नटेबल का साथ पैलू माइक्रोवेव ओवन पेश करी जू भोजन तै और जादा गरम करना तै बढावा देणा कु एक वैकल्पिक साधन छ।१९६५ मा रेथियॉन न घरेलू बाजार मा अपणी राडारेंज तकनीकी का विस्तार करना की खोज मा जादा विनिर्माण क्षमता देणा का खातिर अमाना का अधिग्रहण करी। १८६७ मा उन US$495(२०२०डालर मा $4,000) की कीमत पर पैलू लोकप्रिय घरेलू माडल , काउंटरटाप रैडारेंज पेश करी। तीव्र माडल का विपरीत , ओवन गुहा का शीर्ष मा एक मोटर चालित मोड स्टिरर घुमाये जान्दू जै पर खाणू स्थिर रन्दू। १९६० का दशक मा लिटन न स्टडबेकर की फ्रैंकलिन विनिर्माण संपती खरीदी जैन मैग्नेट्रोन कु निर्माण और बिक्री करी। लिटन न माइक्रवेव कु एक नयु विन्यास विकसित करी जू छोटू औरचौड़ू थौ जू आज आम छ। मैग्नेट्रोन फीड भी अद्वितीय थौ। येका परिणामस्वरूप एक ओवन यनू बणी जू बिना लोड कू भी जीवित रै सकदू। नयू ओवन शिकागो मा एक व्यापार शो मा दिखाई गई थौ। १९७० मा अमेरिकी उद्योगतै ४०, ०००इकाइयों की बिक्री की मात्रा १९७५ तक बढकर १० लाख ह्वै गी।कम खर्चीला इंजीनियर मैग्नेट्रोन का कारण जापान मा बजार मा पैठ और भी तेज थै। कै और कंपनी भी बजार मा शामिल ह्वै और एक समै.तै अधिकांश सिस्टम रक्षा ठेकेदारों द्वारा बणाए गये था जू मैग्नेट्रोन से सबसे अधिक परिचित था। लिटन रेस्तरां व्यवसाय मा विशेष रूप से प्रसिद्ध थौ।

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