तब लीक सज -बज सोल सो कैतुरो चले राजा जात्रा
चले राजा लीक मल्योऊ सी टोली सात दिन सात राती
दैव की रंचना रची ,तब कनो संजोग जुड़े
सुनपति शोंक रंद होलो सौक्याण देश ,
वो भी बाटा लग्यु छो जातरा का जणुक;
वे दगडी होली गांगुली सौक्याण कज्याण वैकी
वीन भी देवतों का नों दूँगा पूजीन
गदेरो का नों छुबडुली नहेणी,
बीती गै छै आदी उमर संतान नी जलमी
ओंदी जातरा सुमरदी नंदा देवी
ओंदे बागेश्वर,बागनाथ ,हरी हरिद्वार .
तब दुयो को एक दिन एकी डेरा पड़ी गए
रजा दुलाशाई सुनपति शोक हुवे मुखा मुखी भेट ,
धर्मावती तै मिले सौक्याण गांगुली
दुई बैखू को जोड़ मिले दुई राणी का हिया
हे प्रभु हम दुयो की जात्रा सुफल कराया
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