Author Topic: Upcoming Festivals - आने वाले स्थानीय त्यौहार  (Read 68725 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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श्राद्ध

आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से अमावस्य-पर्यन्त क्षाद्ध पक्ष व पितृपक्ष कहलाता है। पिता की मृत्यु-तिथि को इस पक्ष में पार्वण श्राद्ध किया जाता है। मातृश्राद्ध केवल नवमी को होता है।

अमावस्या को पितृ-विसर्जन की तिथि मानते हैं। तपंण करते हैं। सनातनधर्मी शिल्पकार हरिजन लोग भी इसी दिन श्राद्ध करते हैं। ब्राह्मणों में भात (चावल) के पिंड देने की रीति है।

अन्य वर्ण जौ के आटे के पिंड बनाते हैं। ब्रह्मभोज के अतिरिक्त भाई-बांधव, अड़ोस-पड़ोस के लोगों को श्राद्ध में भोजन कराया जाता है। मृत पितरों की स्मृती का यह एक बड़ा पर्व माना जाता है।

Devbhoomi,Uttarakhand

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गोवर्धन प्रतिपदा

कार्तिक शुक्ल १ को भगवान कृष्णचंद्र ने गोवर्धन-पर्वत उठाकर इन्द्र के कोप से गोकुल की रक्षा की थी। इन्द्र-मख के बदले गोवर्धन और गोधन की पूजा जारी की, तब से यह गौ-पूजा उत्मव होता है।

 गाय-बच्छियों को पुष्प-माला पहनाकर तिलक लगाते हैं। गो-घास देकर पूजा आरती करते हैं। खीर, माखन, दही, दूध का नैवेध लगता है। भगनान श्रीकृष्ण की भी पूजा होती है। इस दिन कहीं-कहीं जैसे पाटिया में 'बगवाल' भी होती है

Meena Rawat

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ha ye festival hamare yaha bhi manaya jata hai...

iss festival k liye kal mummy ne ghar me ache ache pakvan banaye the

and mujhe ye bhi pata chala ki iss din hum Bel ko sajate hai unki pooja karte hai :)

Devbhoomi,Uttarakhand

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माघ मेला :
उत्तरकाशी नगर में प्रतिवर्ष माघ के महीने में माघ मेला बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। यह मेला एक सप्ताह तक चलता है। इस अवधि में ग्रामवासी अपने देवी-देवताओं की डोली उठाकर यहां लाते हैं तथा गंगा स्नान कराते हैं। सरकारी प्रयासों से मेले में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी किया जाता है।

पंकज सिंह महर

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आगामी 25 मार्च को एकादशी है, इस दिन से रंग प्रारम्भ हो जाता है। इस दिन शगुन के तौर पर घर के मंदिर में भगवान को रंग अर्पित करने के बाद घर के सभी सदस्यों को होली का पहला टीका लगाया जाता है और होली के कपड़ों पर रंग छिड़का जाता है।
पहाड़ों में इसी दिन गांव के मंदिर में चीर बांधी जाती है।

पंकज सिंह महर

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आगामी 17 जुलाई को हरेला त्यौहार मनाया जायेगा।
इस पर्व की जानकारी के लिये निम्न लिंक पर जांये।
http://www.merapahadforum.com/culture-of-uttarakhand/harela-festival-of-uttarakhand-()/

Devbhoomi,Uttarakhand

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                      गेंदी का खकोटी मेला :
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 इस मेले की परम्परा पाण्डवों से जुड़ी है।  मानना है कि महाभारत काल में राजा पाण्डु श्राद्ध तर्पण हेतु यज्ञ करवाता  था। विधान के अनुसार गेंदी (मादा गेंडा) की खकोटी (खाल) खीचने का प्रावधान  है। गेंदी को पाने के लिए पाण्डवों को कई दिन नागमल से युद्ध करना पड़ा था  । बाद में अर्जुन गेंदी पर अपने धनुष के प्रहार कर मारने में सफल हो जाता  है। इसी में पाण्डु के श्राद्ध तर्पण का विधिवत्‌ समापन होता है।

इसी  परम्परा को पौड़ी के समीप सते गांव के लोग आज भी बनाए रखे हैं। मेले में  पांच युवक पाण्डव बनते हैं, एक युवक नागमल और एक युवती नागमती की भूमिका  अदा करती है। मेले के आयोजन से 3 दिन पूर्व रात को देवी-देवताओं को  अवतारित कराया जाता है।

 ढोल दमाऊ की ताल पर लोग रात भर चौपुला व झुमैलो  नृत्य करते है। इस उत्सव के अन्तिम दिन वैशाखी को दिन भर घर-घर जाकर  पारम्परिक गीत गाए जाते हैं। पारम्परिक ढोल नगाड़ों के साथ नृत्य करते हुए  कलाकार गांव के देवी मन्दिर में जमा होते है। काफी देर तक नृत्य के माध्यम  से युद्ध की भंगिमाएँ अदा करते हैं।

नागमती बनी युवती के गोद में गेंदी का  प्रतीक होता है, जिसे कद्दू या लौकी से बनाया जाता है। नागमती गेंदी को  पांचों पाण्डवों से बचाने का प्रयास करती है और पाण्डव अस्त्रों से प्रहार  का अभिनय करते हैं। पाण्डवों के प्रहार के साथ ही नृत्योत्सव का समापन  होता है। यह उत्सव बसन्त पंचमी से वैशाखी तक चलता है।

पंकज सिंह महर

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आज सातूं का त्यौहार है, आज पिथौरागढ़ क्षेत्र में गौरा घर लाई जायेंगी। कल आठूं के दिन महेशर जी को लाया जायेगा और आज से ही गांवों में "खेल" की धूम मचने लगेगी, जिसका समापन हिलजात्रा के साथ होगा।

इस लोक पर्व की अधिक जानकारी के लिये निम्न लिंक पर जांये-
http://www.merapahad.com/aathon-a-folk-festival-of-uttarakhand/

Devbhoomi,Uttarakhand

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आज सातूं का त्यौहार है, आज पिथौरागढ़ क्षेत्र में गौरा घर लाई जायेंगी। कल आठूं के दिन महेशर जी को लाया जायेगा और आज से ही गांवों में "खेल" की धूम मचने लगेगी, जिसका समापन हिलजात्रा के साथ होगा।

इस लोक पर्व की अधिक जानकारी के लिये निम्न लिंक पर जांये-
http://www.merapahad.com/aathon-a-folk-festival-of-uttarakhand/

सभी उत्तराखंडियों  को इस त्यौहार की हार्दिकशुभकामनायें

हेम पन्त

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पहाड़ों में 17 सितम्बर को "खतड़ुआ" पर्व मनाया जायेगा.

"खतड़ुवा पर्व" की सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिये इस लिंक को देखें
http://www.merapahad.com/khatarua-animal-protection-festival-in-uttarakhand/

 

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