Author Topic: Famous Pahadi Used To Forget - प्रतिष्ठित उत्तराखंडी अक्सर भूल जाते है पहाड़  (Read 12331 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दोस्तो,

इसे हम पहाड़ का दुर्भाग्य समझे या कुछ और ! अक्सर यह देखा गया है की कोई भी उत्तराखंड के मूल और उत्तराखंड से  पैतृक सम्बन्ध रखने वाला पहाडी एक विशिस्थ पद पर पहुचने का बाद आपने पहाड़ को भूल जाता है ! ये लोग चाहे फ़िल्म इंडस्ट्री से सम्बन्ध रखने वाले हो और और अन्य वर्ग से.

हलाकि बहुत की कम लोग है जिन्होंने के पहाड़ के अपना नाता रखा हो.!

क्या आप इस बात से सहमत है. ??

एम् एस मेहता

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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There are several people from UK in film industry etc and even in Centre Politic. It has been seen that they hardly visit to thier native place.

Once i remember, i was in ranikhet. People were celebrating birth day of Bharat Ratana Shree Govind Ballab Pant. A few journalist on this occasions pointed out that Shree K C Pant should visit the pahad atleast once in year.

पंकज सिंह महर

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यह उत्तराखण्ड का दुर्भाग्य है कि यहां की पानी और जवानी ही नहीं, बल्कि यहीं की मिट्टी में पला-बढा़ और सफल व्यक्ति भी उत्तराखण्ड के काम नहीं आता। आज हमारे उत्तराखण्ड मूल के कई लोग ऎसे प्रतिष्ठित पदों पर बैठे हैं कि वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके बहुत कुछ इस प्रदेश के लिये कर सकते हैं।  लेकिन......जो जाता है वह आता नहीं, कहता है कि पहाड़ बहुत दूर है, बच्चे चल नहीं पाते, हम भी अब बूढ़े हो गये..इत्यादि।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Mahar Ji,

Bahut sahi baat hai.. Be it Dhoni, K C Pant, Muruli Manohar Joshi and other prominent people of various sectors. They hardly visit to their native / paternal place.

Part from this, we have heard there are many business tycoon in US of from UK.

Their support towards Uttarakhand can be big step towards it development.

यह उत्तराखण्ड का दुर्भाग्य है कि यहां की पानी और जवानी ही नहीं, बल्कि यहीं की मिट्टी में पला-बढा़ और सफल व्यक्ति भी उत्तराखण्ड के काम नहीं आता। आज हमारे उत्तराखण्ड मूल के कई लोग ऎसे प्रतिष्ठित पदों पर बैठे हैं कि वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके बहुत कुछ इस प्रदेश के लिये कर सकते हैं।  लेकिन......जो जाता है वह आता नहीं, कहता है कि पहाड़ बहुत दूर है, बच्चे चल नहीं पाते, हम भी अब बूढ़े हो गये..इत्यादि।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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i came accross a renowed person from UK in pahar prog held recently
but when I dared to ask the origin of this from his family members sitting besides me, he happened to be my nearby village. I never heard his name in that area. Might be the person not visiting his area regularly etc.

Risky Pathak

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अभी विगत समारोह मे शेखर पाठक जी ने कहा था कि १ ऊँचाई  पर पहुचने के पश्चात् व्यक्ति अपनी जड़ो की और बढता है| हालांकि ऐसा हमारे पहाड़ मे कम ही देखा गया है|

पंकज सिंह महर

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अभी विगत समारोह मे शेखर पाठक जी ने कहा था कि १ ऊँचाई  पर पहुचने के पश्चात् व्यक्ति अपनी जड़ो की और बढता है| हालांकि ऐसा हमारे पहाड़ मे कम ही देखा गया है|


हिमांशु एक बात मैं इसमें जोड़्ना चाहता हूं कि " जो पेड़ अपनी जड़ों से मजबूती से नहीं जुड़ा रहता, वह कभी भी धराशायी हो सकता है" यहीं बात आदमी पर भी लागू होती है, जो व्यक्ति अपनी जड़ों, सभ्यता और संस्कृति से नहीं जुड़ा रहता उसका पतन ही होता है और उसके पास पछतावे के सिवा और कुछ नहीं होता।

हेम पन्त

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भई हमने तो एक बात सुनी है. पेड पर जितने ज्यादा फल लगते हैं वो उतना ही अधिक झुकता है, अपने आधार की तरफ. ऊँचे पद पर काम करने वाले व्यक्ति अगर उत्तराखण्ड की बेहतरी के बारे में सोचें अपने अनुभवों को इस क्षेत्र में उपयोग करें तो उत्तराखण्ड का भला होगा और वो भी जन्मभूमि के ऋण से उऋण होंगे.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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But daju,

Here this adtage seems to be quite Contradictory. There are very pahdi who have shown some interest towards development of Pahad. Otherwise people do not have time to visit their mother land once in even 10 yrs or so.  This is really shocking. 


भई हमने तो एक बात सुनी है. पेड पर जितने ज्यादा फल लगते हैं वो उतना ही अधिक झुकता है, अपने आधार की तरफ. ऊँचे पद पर काम करने वाले व्यक्ति अगर उत्तराखण्ड की बेहतरी के बारे में सोचें अपने अनुभवों को इस क्षेत्र में उपयोग करें तो उत्तराखण्ड का भला होगा और वो भी जन्मभूमि के ऋण से उऋण होंगे.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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If all reputed pahadi in various field put little bit a effort from their side towards development of UK, i am sure there will be some fruitful result.

If everybody has thinking that there is no facility in pahad etc, who will take care of 

 

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