Author Topic: Religious Chants & Facts -धार्मिक तथ्य एव मंत्र आदि  (Read 45517 times)

Bhishma Kukreti

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संस्कृति कन  बदलदी पर एक छ्वटो आलेख                               


                    दिवळ छिल्लुं बगवाळ (दिवळि) से  चीनी लड्यु तक कि  बग्वाळ (दिवळि)

 

                                    भीष्म कुकरेती





            गढ़वाळम तीन दिनुं दिवळि होंदी - चौदस की छवटि बग्वाळ, औंसी बड़ी बग्वाळ अर गोधन . जु छवटि बग्वाळ नि  मनै सकदन वो इ गोधन मनौंदन जन कि मल्ला ढांगू का जसपुर-ग्वीलक कुकरेती अर जखमोला .

दिखे जावो त पुराण लिख्वार (इतियासकार ) यां पर चुप छन कि गढ़वाळम बग्वाळ की पवाण (शुरुवात ) कब बिटेन लग . म्यार दिखण से त बगवाळ (दिवळि) नौविं सदी या दसवीं सदि बिटे शुरू ह्वे होलि जब पंवार बंशी अर बामणु मा नौटियाल लोग गढवालम बसि होला। नौटियाल जात इ अपण दगुड़ संस्कृत लैन अर मौलिक गढ़वळि पर संस्कृतौ  छोप (असर ) लगण शुरू ह्वे होलु। इखम द्वी राय नि ह्वे सकुद बल नौटियाल अर पंवार बंशी इ  बगवाळ (दिवळि) लै होला निथर पैथरौ  समौ मा  बगवाळ (दिवळि) शुरू ह्वे होलि . शंकराचार्य, रावालुं , या नंबूर्युं  बगवाळ (दिवळि) से क्वी लीण दीण नि रै होलु किलै दक्षिण भारतम अबि   बि  बगवाळ (दिवळि) उथगा महत्व नी च जथगा उत्तर भारतम च .

            जख तलक ढांगू उदयपुर क्षेत्र कु सवाल च इख    कुकरेत्युं  बसण बादि (तेरवी सदि न्याड़ -ध्वार ) बगवाळ (दिवळि) शुरू ह्वे होलि (इना कुकरेती बामणु मा सबसे पुराणि  जात च )

  मै लगद कुकरेत्युं सबसे पुराणों गौं जसपुरम जब  बगवाळ (दिवळि) शुरू ह्वे होलि त झुपड़ा मा एक द्वू रै होलु अर बकै दिवळ छिल्लुं जळै बगवाळ (दिवळि) मनाये गे होलि . लोक कथा त या बुलद बल कुकरेत्युं दगड़ इ शिल्पकार ल्वार बसी गे छया त कढै गड़णै समस्या नि रै होलि बल्कणम समस्या लोखरै  रै होलि . त या बात बरोबर च बल तेरवीं सदि से भौत अग्वाडी तलक जसपुरम बगवाळ (दिवळि)म स्वाळ  पक्वड़ नि बणदा रै होला बल्कणम ढुंगळ इ बणदा रै होला . ठीक च कुकरेत्युंन ढांगू मा हथनूड़ कुठार गौं बसै आल छौ जख माटौ भांड बणदा  छया मतबल द्यु बि बणदा छया , लया -राई तेल बि  छौ पण  कपास की उपलब्धता सोना जन छे त दिवळ छिलुं से  हि  दिवळि मनाये जांदी रै होलि . असल मा अंग्रेजूं राज बादि रुपया, लोखर,  कपास मा बढ़ोतरी ह्वे त तबि द्वू ,स्वाळ -पक्वडुं प्रचलन बढ़ी ह्वे होलु .

   गढ़वाळम गुड़ मिलण आज बि सौंगु नी च त गढ़वाळम बग्वाळम मिठे प्रचलन नाको बरोबर इ राई .

   भैर एक से बिंडी द्यु जळाणो प्रचलन बि मातबरी बढ़णो दगड़ बढ़ .सन साठ कु बाद इ द्वू  जळाणो प्रचलन बढ़ .

              पठाखौं , फूलझड़ी जळाणो, मूमबती जळाणो प्रचलन बि सन साठो बाद इ जादा ह्वे।

  अब त द्यूं जगा चीनम बण्या लड़ी जळाणो,   पठाकों क प्रचलन खूब बढ़ी गे पण गढ़वाळम एक बात ज्वा नौटियालो -पंवारों दगड़ शुरू ह्वे होलि वा संस्कृति अबि बि उन्याकि ऊनि च अर वा च  गौड़ बछरो सींग पर तेल लगाण अर गोरुं तै पींडू खलाण।


 भौतिक चीजूं आण से हम नया नया चीज इस्तेमाल करदवां  पण खुसी , पुऴयाट का जो भाव मनुष्य का साथ इ ऐ  छया वो उन्याकि उन छन                   

     





Copyright@ Bhishma Kukreti 13/11/2012

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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13 नवंबर और मंगलवार के दिन दीपावली। ऐसा संयोग 391 वर्ष बाद आया है। 13 तारीख को दीपावली का आना, रंगोली सजाना, दीये जलाना, मंगल आरती गाना संकेत है- संदेश है कि हर अंक, हर पल शुभ है।
 
दीपावली पर देश भर के मंदिरों में भी खास रोशनी की गई है। डेढ़ हजार किलो सोने से बना वेल्‍लोर का महालक्ष्‍मी मंदिर 10 हजार दीयों से रोशन है। रतलाम में माणकचौक स्थित महालक्ष्‍मी के एक मंदिर में मां लक्ष्मी की सजावट नोटों की गड्डियों, सिक्कों और सोने, चांदी के हीरे व रत्न जडि़त आभूषणों से की गई है। परंपरा और आस्था की रोशनी से पूरा देश कुंदन की तरह दमक रहा है। उत्साह और उल्लास के उजाले में आज मां लक्ष्मी हर घर सुख-समृद्धि का आशीष लेकर आएंगी। आइए, मां महालक्ष्मी का अभिनंदन करें।
 
ऐसे करें मां लक्ष्‍मी की पूजा (उज्जैन के ज्योतिषी पं. श्यामनारायण व्यास के मुताबिक)
 
: पूर्व या पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके बैठें। लक्ष्मीजी की प्रतिमा या चित्र सामने रखें। साथ में विष्णु जी की प्रतिमा भी रखें।
 
: लाल, सफेद या पीले व को पाट पर बिछाकर हल्दी से स्वस्तिक बना दें। इस पर चावल व पुष्प दल बिछाकर लक्ष्मीजी की स्थापना करें।
 
: लक्ष्मीजी के आगे गणेशजी की प्रतिमा या सुपारी रखें। लक्ष्मीजी की दाहिनी ओर कुबेर व बायीं ओर सरस्वतीजी की स्थापना करें।
 
: आंवला, कमल गट्टा, सिंघाड़े, सीताफल, अनार, सेब, ईख अर्पण करते हुए मिष्ठान्न व विभिन्न व्यंजन बनाकर नेवैद्य लगाएं।
 
: घी की बत्ती से आरती करें। इसके बाद प्रार्थना करते हुए आतिशबाजी करें।
 
कब करें पूजा
 
व्यापारी:  दोपहर २.५६ से ४.१८ व शाम ७.१७ से ८.५२ के बीच पश्चिम दिशा की ओर मुंह कर
उद्योगपति: सायंकाल ७.१७ से ८.५२ व १०.३१ से १२.०८ तक पश्चिम दिशा की ओर मुंह कर
घरों में सायंकाल ७.१७ से ८.५२ तक पूर्व दिशा की ओर मुंह कर पूजा करें
विद्यार्थी:  अभिजीत मुहूर्त में ११.४७ से १२.३५ तक उत्तर दिशा की ओर मुंह कर
 
चौघडि़या के अनुसार पूजा के सर्वश्रेष्‍ठ मुहूर्त
चर: सुबह ९.२७ से १०.४९, रात १.४५ से ३.२२ तक
लाभ: सुबह १०.४९ से १२.१२, शाम ७.१७ से ८.५२ तक
अमृत: दोपहर १२.१२ से १.३४, रात १२.०८ से १.४५ तक
शुभ: दोपहर २.५६ से ४.१८, रात १०.३१ से १२.०८ तक

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अथ विध्येशवरी - जय माता दी !

निशुम्भ  शुम्भ गर्जनी प्रचंड मुंड खंडनी !
वने वने प्रकाशनी भजामि विन्ध्यवासिनी !
त्रिशूल मुंड धारिणी धरा  विघात हारिणी  !
गृहे गृहे निवासनी भजामि विन्ध्यवासिनी!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बाला सुंदरी माता महामाई को हमारा नमस्कार है
 । धैर्यलक्ष्मी।

 जयवरवर्णिनि वैष्णवि भार्गवि मन्त्रस्वरुपिणि

 मन्त्रमये ।

 सुरगणपूजित शीघ्रफ़लप्रद ज्ञानविकासिनि शास्त्रनुते ।।


 भवभयहारिणि पापमोचिनि साधुजनाश्रित पादयुते ।


 जयजय हे मधुसूदन कामिनि धैर्यलक्ष्मि सदा पालय माम् ।।


 Jaya vara varnani, vaishnavi, Bhargavi,

 manthra swaroopini, manthra maye,
 Suragana poojitha seegra phala pradha ,
 gnana vikasini, sasthranuthe,
 Bhava bhaya harini, papa vimochini, Sadu
 janarchitha pada yuthe
 Jaya jaya he madhusoodhana kamini
 Dhairyalakshmi sada palaya maam.
 Shree Dhairya Lakshmi (Lakshmi of Courage):-
 Victory and victory to Dhairya Lakshmi
 Oh, darling of the killer of Madhu,
 Who is described by victorious and blessed,
 Who is the shakti which came out of Vishnu,
 Who is the daughter of sage Bhargava,
 Whose form is that of sacred chants,
 Who is pervaded by sacred chants,
 Who is worshipped by all devas,
 Who gives results fast,
 Who improves knowledge,
 Who is worshipped by shastras,
 Who destroys fear ,
 Who gives redemption from sins,
 And whose feet is worshipped by holy people,
 Who lives on the lotus flower,
 Please protect me alway

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सोमवार मंगलम
 शिव मंगलम
 मन में रख लो शिव जी का
 एतबार मंगलम
 
शिव मंगलम शिवा मंगलम

 शुभ लाभ शम्भू शंकर मंगलम
 सोमवार मंगलम
 शिव ज्योति लिंग मंगलम
 हर हर महादेव मंगलम
 मा पार्वती मंगलम
 सदा शिव मंगलम
 मंगलम सम्पूर्ण मंगलम

 भोले नाथ मंगलम
 शिव लोक मंगलम
 देव आदि देव मंगलम
 बाबा भोले शम्भू महादेव मंगलम

 सोमनाथ मंगलम
 महा -कालेश्वर मंगलम
 बैधनाथ मंगलम
 पशुपति नाथ मंगलम
 काशी विश्वनाथ मंगलम
 अमर नाथ मंगलम
 बोलीए भक्त प्रतिपालक पार्वतीपतये श्री शंकर भगवान की जय।
 ♥ केवल शिव "
 ऊँ नमः शिवाय॥

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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 सुमुखश्चैकदंतश्च कपिलो गजकर्णक:।
 लम्बोदरश्च विकटो विघ्रनाशो विनायक:।।
 धूम्रकेतुर्गणाध्यक्षो भालचन्द्रो गजानन:।

[/size]यहां श्री गणेश के बताए 12 नाम उनके स्वरूप, शक्ति और गुणों की महिमा बताते हैं। जानिए इनका सरल अर्थ -
 सुमुख - मनोहर या सुंदर मुखमण्डल वाले
 एकदन्त - एक दांत वाले
 कपिल - कपिल रंग के, जो कपिला यानी गो से बना होकर छुपे अर्थों में गाय की तरह कल्याणकारी होने का संकेत है।
 गजकर्ण - हाथी की तरह कान वाले
 लम्बोदर - लंबे या बड़े पेट वाले
 विकट - इसका शाब्दिक अर्थ होता है भयानक किंतु यहां पर विघ्रनाश के अर्थ में श्री गणेश को विकट या भयंकर माना गया है।
 विघ्रनाशक - विघ्रनाश करने वाले।
 विनायक - विनायक शब्द में वि यानि विघ्र और नायक यानी स्वामी। शास्त्रों के मुताबिक जगत की मर्यादाहीनता पर नियंत्रण के लिए श्री गणेश को विघ्रकर्ता की शक्तियों का स्वामी यानी विनायक भी माना गया है। जिनकी पूजा से ही विघ्रनाश होता है और वह विघ्रहर्ता भी कहलाते हैं।
 धूम्रकेतु - धुएं के रंग की ध्वजाधारी देवता।
 गणाध्यक्ष - गणों के स्वामी। इसके अनेक अर्थ हैं, मसलन गण जैसे देवता, नर, असुर, नाग या धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष के स्वामी। दूसरा, गण यानी समूह रूपी जगत के पालनकर्ता। तीसरा संसार में गण यानी गिन सकने वाले हर पदार्थ के स्वामी। चौथा शिवगणों के स्वामी आदि।
 भालचन्द्र - मस्तक पर चन्द्रमा धारण करने वाले 
 गजानन - हाथी जैसे मुख वाले।
[/color]
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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यह नृसिंह मंत्र मुश्किलों का कर देता है सफाया

 भगवान नृसिंह सुबह व शाम के  बीच की घड़ी में प्रकट हुए। इसलिए प्रदोष काल यानी सुबह-शाम के मिलन के क्षणों में ही गंध, चंदन, फूल व नैवेद्य चढ़ाकर नीचे लिखा नृसिंह मंत्र मनोरथ सिद्धि की प्रार्थना के साथ बोलें व धूप, दीप से आरती कर प्रसाद ग्रहण करें

-ध्यायेन्नृसिंहं तरुणार्कनेत्रं सिताम्बुजातं ज्वलिताग्रिवक्त्रम्।
अनादिमध्यान्तमजं पुराणं परात्परेशं जगतां निधानम्।।


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मंगलवार या शनिवार को बोल, विचार और व्यवहार की पवित्रता के संकल्प के साथ सुबह स्नान करें।
 - घर या देवालय में श्री हनुमान को गंध, सुगंधित तेल व सिंदूर, लाल फूल, अक्षत चढ़ाएं।
 - गुग्गल अगरबत्ती या धूप बत्ती और घी के दीप जलाकर पूजा करें। केले, गुड़ या चने का भोग लगाएं।
 - इसके बाद सुन्दरकाण्ड की इस छोटी-सी स्तुति का श्रद्धा और आस्था से पाठ करें -
 अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
 दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्।
 सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
 रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
 श्रीहनुमान की इस स्तुति का नित्य पाठ दैनिक जीवन के कामों में आने वाली बाधा और परेशानियों को भी दूर कर व्यर्थ चिंता और तनाव से बचाती है या यूं कहें कि यह छोटी सी हनुमान स्तुति हर मुश्किलों और मुसीबतों से लडऩे का हौसला देती है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सुबह स्नान कर घर के देवालय में भगवान विष्णु इस मंत्र से ध्यान करें -
 संशखचक्र सकिरीट कुण्डल सपीत वस्त्र सरसी रुहेश्र्णम।
 सहार वक्षस्थल कौस्तुभस्त्रियं नमामि विष्णु शिरसा चतुर्भुजम।।
 - इसके बाद मन ही मन इन 16 पूजा मंत्रों से विष्णु की मानस पूजा करें -
 ऊँ पादयो: पाद्यं समर्पयामि नारायणाय नम:।
 ऊँ हस्तयो: अर्घ्य समर्पयामि नारायणाय नम:।
 ऊँ आचमनीयं समर्पयामि नारायणाय नम:।
 ऊँ गन्धं समर्पयामि नारायणाय नम:।
 ऊँ पुष्पं समर्पयामि नारायणाय नम:।
 ऊँ पुष्पमाला समर्पयामि नारायणाय नम:।
 ऊँ धूप समर्पयामि नारायणाय नम:।
 ऊँ दीपं दर्शयामि नारायणाय नम:।
 ऊँ नैवेद्यं निवेदयामि नारायणाय नम:।
 ऊँ आचमनीयं समर्पयामि नारायणाय नम:।
 ऊँ ऋतुफलम् समर्पयामि नारायणाय नम:।
 ऊँ पुनराचमनीय समर्पयामि नारायणाय नम:।
 ऊँ पूगीफलं समर्पयामि नारायणाय नम:।
 ऊँ आरार्तिक्यं समर्पयामि नारायणाय नम:।
 ऊँ पुष्पाञ्जलि समर्पयामि नारायणाय नम:।
 अंत में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय इस मंत्र का जप करें।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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व्यावहारिक जीवन में कई मौकों पर केवल पैसों की तंगी ही सुकून नहीं छीनती, बल्कि पास में ज्यादा धन होना भी अशांति लाने वाला होता है। यही वजह है कि हर इंसान सुखी होने के लिए पैसों के साथ सुख-शांति की भी चाहत रखता है।  हिन्दू धर्मशास्त्रों में इंसान की ऐसी ही इच्छाओं को पूरा करने के लिए भगवान गणेश की पूजा बहुत ही अचूक मानी गई है। भगवान गणेश की उपासना विघ्रों को शांत कर तन, मन और धन के सुख देने वाली मानी गई है।  शास्त्रों में खासतौर पर बुधवार या चतुर्थी के शुभ संयोग में भगवान श्रीगणेश की पूजा के लिए सवेरे इस मंत्र का जप धन, ऐश्वर्य देने के साथ सुख और शांति देने वाला माना गया है। जानिए यह विशेष श्रीगणेश मंत्र -  - सुबह स्नान के बाद पवित्र होकर देवालय में श्रीगणेश की पूजा करें।  - भगवान गणेश की पूजा में गंध, अक्षत, दूर्वा, पीले फूल, गुड़, धनिया व मोदक का भोग अर्पित करें।  - पूजा के बाद भगवान श्रीगणेश के इन मंत्रों का यथाशक्ति जप करें-  त्वमेव ब्रह्मा विष्णुश्र्च महेशो भानुरेव च।  त्वमेव पृथ्वी वायुरन्तरिक्षं दिशो द्रुमा:। पर्वतै: सहिता: सिद्धा गन्धर्वा यक्षराक्षसा:।। मुनयो मानवाश्चापि स्थावरं जङ्गम जगत्। त्वमेव सर्वं देवेश सचेतनमचेतनम्।।  जन्मान्तरीययपुण्येन दृष्टोसि कश्यपात्मज।
 

 

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