Author Topic: Photographs Of Disaster in UK,उत्तराखंड में दैवीय आपदाओं के दौरान की तस्वीरें  (Read 29637 times)


Devbhoomi,Uttarakhand

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उत्तराखंड में  दैवीय आप की कुछ तस्वीरें जो की भिन्न-भिन्न जगह की है और  उत्तराखंड मैं जितनी भी तबाही हुयी है ये तस्वीरें देखती हैं की क्या येसा सपना देखा था उत्तराखंड का


उत्तराखंड में  दैवीय आपदा के कारण ,पर्यावरणविद और वैज्ञानिक लंबे समय से इस ओर सरकार और जनता का ध्यान आकृष्ट करते रहे हैं कि हिमालय की भूगर्भीय सरंचना के साथ खिलवाड़ बड़े संकट को जन्म दे सकता है।

हिमालय धरती की एक अत्यंत संवेदनशील भौगोलिक संरचना है। पिछले सौ बरसों में इसे बड़े पैमाने पर कभी विकास तो कभी विज्ञान के नाम पर लूटा-खसोटा गया है। बगैर इस ओर ध्यान दिए कि इस प्रकार की लूट-खसोट हिमालय की मूल संरचना को प्रभावित कर रही है,

जिससे उसके वन, नदी, हिमनद आदि का संतुलन बिगड़ने लगा है। इसके चलते वर्षा, वन, जल, मौसम सभी पर बुरा असर पड़ा है। वनों की अंधाधुंध कटाई ने भूमि के कटाव का खतरा पैदा किया। अगर पर्याप्त वन हों तो इस कटाव के होने का प्रश्न ही नहीं उठता।

नंगी जमीन भूस्खलन को जन्म देती है। आज उत्तराखंड के पहाड़ पेड़विहीन हैं। जगह-जगह पहले वनों को अंधाधुंध काटा जाता है, फिर ‘रीटेनिंग वॉल’ देकर दो-तीन मंजिला भवन खड़े कर दिए जाते हैं। बिल्डर उत्तराखंड के कोने-कोने में अपना जाल बिछा चुके हैं। महानगरों के अखबार नैनीताल, रानीखेत, मसूरी, श्रीनगर से लेकर जोशीमठ तक इन बिल्डरों द्वारा निर्मित भवनों का बखान करते विज्ञापनों से भरे रहते हैं।

टीवी चैनलों पर हरिद्वार-ऋषिकेश के जो आश्रम जलमग्न दिखाई दिए वे दरअसल इंसानी लोभ का परिणाम हैं। नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बाधित कर अपने लिए महलनुमा आश्रम बनाए गए। इसमें दो राय नहीं कि पहाड़ का जीवन सरल नहीं, लेकिन इससे भी तो इनकार नहीं किया जा सकता कि पहाड़ की भौगोलिक संरचना अपने बाशिंदों को पूरा संरक्षण देने के साथ-साथ मैदान को भी जीवन देती है।











 

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