Author Topic: भक्ति की अनूठी छटा- कांवड़ यात्रा, हरिद्वार Kanwar Yatra, Haridwar  (Read 30727 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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                           क्या होता है कांवड़?
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कांवड़ का मूल शब्द कांवर है जिसका सीधा अर्थ कंधे से है। शिव भक्त अपने कंधे पर पवित्र जल का कलश लेकर पैदल यात्रा करते हुए ईष्ट शिवलिंगों तक पहुंचते हैं। धार्मिक मान्यताओं के लिए पूरे विश्व में अलग पहचान रखने वाले भारतवर्ष में कांवड़ यात्रा के दौरान भोले के भक्तों में अद्भुत आस्था, उत्साह और अगाध भक्ति के दर्शन होते हैं । कांवडिय़ों के सैलाब में रंग-बिरंगी कांवड़े देखते ही बनती हैं।

कुछ कांवड़े आकर्षक विद्युत प्रकाश से इस तरह सजी धजी होती है कि वह लोगों का बरबस ही अपनी ओर ध्यान आकर्षित करती हैं। प्राचीनकाल के कांवडिय़ों में श्री एकनाथजी का उल्लेख भी मिलता है।


स्रोत दैनिक भास्कर

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देहरादून: सावन के महीने में हरिद्वार और रिषिकेश से गंगा जल लेने के लिए आने वाले लाखों कांवरियों की भीड के मद्देनजर हरिद्वार दिल्ली सडक मार्ग पर यातायात परिवर्तित कर दिया गया है।

आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि हरिद्वार से दिल्ली जाने वाली बसें अब छुटमलपुर से रूडकी की ओर से जाने के बजाय सहारनपुर के रास्ते जाएंगी ।

सूत्रों के अनुसार देहरादून दिल्ली मार्ग पर रूडकी की ओर से इन दिनों हजारों की संख्या में कांवडियों का सैलाब आ रहा है । ऐसे में बसों का चलना मुश्किल हो गया है ।

सूत्रों ने बताया कि बसों को सहारनपुर ् शामली ् और बडौत के रास्ते चलाया जा रहा है ।

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आषाढ़ अमावस्या आज, कांवड़ मेले की तैयारियां शुरू
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आषाढ़ अमावस्या से श्रावण मास के कांवड़ मेले की तैयारियां प्रारंभ हो जाती हैं। अमावस्या से पूर्णिमा तक हरिद्वार का व्यापारी जगत कांवड़ सामग्री का भंडारण शुरू करता है। हरिद्वार के नजदीकी क्षेत्रों में कांवड़ सामग्री का निर्माण प्रारंभ हो चुका है। शुक्रवार को अमावस्या स्नान के बाद कांवड़ सामग्री का विधिवत भंडारण प्रारंभ हो जाएगा।

श्रावण मास 16 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है। गुरु पूर्णिमा से दो दिन पूर्व कांवड़ियों का आगमन शुरू होगा। फलस्वरूप हरिद्वार का व्यापार जगत कांवड़ बनाने में काम आने वाली सामग्री एकत्रित करने में जुटा हुआ है। जैसे-जैसे कांवड़ मेला नजदीक आता है, वैसे-वैसे यातायात की बाधाएं उत्पन्न होती हैं। फलस्वरूप जिन व्यापारियों के पास बड़े-बड़े गोदाम हैं वे कांवड़ सामग्री जमा करने में जुटे हुए हैं।

उपनगरी ज्वालापुर और उसके समीप के क्षेत्रों में इन दिनों कांवड़ सामग्री तैयार की जा रही है। विशेष रुप से कांवड़ की टोकरियां बनाने में क्षेत्रवासी जुटे हुए हैं। अब कांवड़ बनाकर जमा करने का काम शुरू हो जाएगा। बृहस्पतिवार को जून का आखिरी दिन था।

 शुक्रवार से चूंकि स्कूल-कालेज भी खुल जाएंगे, अत: अधिकांश यात्री वापस लौट गए हैं। जिन श्रद्धालुओं को अमावस्या का स्नान करना है, वे शुक्रवार को वापस लौटेंगे। उसके बाद श्रावण मास के कांवड़ मेले की तैयारियां व्यापार जगत में प्रारंभ हो जाएंगी।


http://www.amarujala.com/state/Uttrakhand/24871-2.html

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कांवड़ यात्रा को दो जोन चार सेक्टर में बांटा
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सावन के साथ ही कांवड़ यात्रा के शुरू होने में अब कुछ ही दिन शेष रह गए हैं। जिले में कांवड़ यात्रा को शांतिपूर्वक संपन्न कराने के लिए पुलिस-प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। इसके लिए जिले को चार सेक्टर व दो जोन में बांटा गया है, जबकि यात्रा के लिए सवा चार सौ पुलिस कर्मी तैनात किए गए हैं। यात्रा रूट में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।

टिहरी जिले में कांवड़ यात्रा मुनिकीरेती व भद्रकाली से शुरू होगी। भद्रकाली से कांवड़िए गंगोत्री-यमुनोत्री गौमुख के लिए निकलेंगे, जिसमें वह नरेन्द्रनगर, आगराखाल, खाड़ी, चम्बा से होते हुए कंडीसौड छाम व नुगण होते हुए निकलेंगे, जबकि तपोवन से व्यासी, कौडियाला, देवप्रयाग, बागवान व कीर्तिनगर कस्बे शामिल हैं। सर्वाधिक कांवड़ियों का आवागमन ऋषिकेश-गंगोत्री राजमार्ग पर होता है। इसमें कांवड़िए गौमुख तक जाते हैं।

चार सेक्टर व दो जोन बनाए

नई टिहरी: कांवड़ यात्रा के मद्देनजर टिहरी जनपद को पुलिस प्रशासन ने दो जोन व चार सेक्टर में बांटा है। दो जोन में कैलाश गेट व चन्द्रभागा, लक्ष्मणझूला शामिल है, जबकि सेक्टर में कैलाश गेट-ब्रहमानंद तिराहा, लोनिवि-रामझूला, आस्था पथ-शिवानंद, शिवानंद-तपोवन शामिल हैं।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_7977445.html


 

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