Author Topic: लाखामंडल का चमत्कारी शिवलिंग, लाखामंडल उत्तराखंड -Lakhamandal Uttarakhand  (Read 24541 times)

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मंदिर प्रांगण में एक बडे चबूतरे पर वेदी के बीच एक विशालकाय शिवलिंगखुले आकाश के नीचे विराजमान है। गांव के बुजुर्गो का कहना है कि पहले यहां शिवलिंगके ऊपर एक बडा मंदिर खंडित अवस्था में था।




 बाद में यहां खुदाई की गई और मंदिर के शेषभाग को गिराकर उसके विशाल खंड सुरक्षित रख दिए गए। चबूतरे के पृष्ठ भाग में दो आदम कद श्याम प्रस्तर में निर्मित मानव मूर्तियां द्वारपालकी मुद्रा में हजार वर्ष से पहले से खडी हैं।

 पर्यटक यदि मंदिर के पृष्ठ भाग में जाकर खडे हों तो द्वारपालोंके मुंह उनकी ओर होंगे इससे अनुमान लगाया जाता है कि कभी मंदिर का प्रवेश द्वार इस ओर रहा होगा। दोनों द्वारपालोंके मध्य स्थान में पहले सीढियां थीं जो अब पाट दी गईं हैं।


इस शिव स्थल तथा द्वारपालमूर्तियों एवं मंदिर से जुडी एक अन्य कथा है कि गांव में किसी भी व्यक्ति की मौत हो जाने पर अंत्येष्टि क्रिया से पहले उसके शव को इस मंदिर में लाकर द्वारपालोंके मध्य रखा जाता था और पूजा की जाती थी।

 शिवजी की कृपा से मृत शरीर में थोडी देर के लिए प्राण संचार हो जाता था तब उसे चावल खिलाए जाते थे। चावल खाने के बाद शरीर पुन:निर्जीव हो जाता था तत्पश्चात् उसे यमुना तट पर अंत्येष्टि क्रिया के लिए ले जाया जाता था।

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मंदिर के प्रांगण में भी बजते है ये ढोल नगाड़े


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