ओंकारानंद आश्रम हिमालय
यह आश्रम मुख्य शहर से थोड़ा ऊपर पहाड़ी क्षेत्र में ऋषिकेश तथा गंगा के समीप मुनि की रेती में अवस्थित है। वर्ष 1967 में स्थापित इस आश्रम में विश्व के लोग जिसमें कुछ पश्चिमी यूरोप के तथा अधिकांशतः भारतीय लोग रहते हैं। उच्च शिक्षित तथा विभिन्न शैक्षणिक तथा इंजिनियरिंग विषयों में विशिष्टता प्राप्त ये आदी शंकराचार्य सरस्वती संप्रदाय के संन्यासी/मुनि हैं जो श्रृंगेरी के श्री शारदापीठ से जुड़े हैं।
यह आश्रम संन्यासियों के एक समूह द्वारा संचालित किया जाता है तथा इस आश्रम के प्रेसीडंट/अध्यक्ष स्वीट्जरलैंड में जन्मे स्वामी विश्वेश्वरानंद हैं जो भारत में होने वाले कार्यकलापों जिनमें साधुओं के आश्रम/मंदिरों, विद्यालयों तथा शैक्षणिक संस्थानों, गांवों के उत्थान एवं काम करने वाले आवासीय स्वामी, शिक्षकों तथा प्रोफेसरों के भवन की देखभाल, में शामिल हैं।
इस भवन में कांचीपूरम के जाने माने स्थापति श्री एस. रविचन्द्रन द्वारा दक्षिण भारतीय कलाकारों तथा राजमिस्त्रियों की सहायता एवं श्रम द्वारा दक्षिण भारतीय रीतियों एवं वास्तुशास्त्र के अनुसार बने ओंकारानंद कामाक्षी देवी मंदिर दर्शनीय है जो विशिष्ट एवं योजनाबद्ध ढ़ंग से डिजाईन की गई है।