बाबा मस्तराम गुफा
बाबा मस्तराम मुनी की रेती के सुविख्यात और जाने-माने नाम है। इन्होंने अपना जीवन निस्वार्थ सेवा में बिता दिया। वर्ष 1987 में इनका निधन हो गया। गंगा तट पर स्थित जिस गुफा में वे आजीवन रहे, वह अब शहर का ऐतिहासिक स्थान है। उनके शिष्य और दर्शनार्थी इसे देखने आते हैं।
यह कहा जाता है कि बाबा मस्तराम, जो गुफा में साधना करने में अपना समय बिताते थे, अपने मिलने वालों को समाज सेवा का पाठ पढ़ाया करते थे। वह गुफा से तभी बाहर निकलते थे जब नदी का पानी ऊपर चढ़ता था। तब, वे आश्रम में रहा करते थे।
बाबा ने सन् 1963 में आश्रम की स्थापना की थी। यह आश्रम अभी भी सत्कार्यों जैसे निर्धनों और जरुरतमंदों को खिलाना, गायों के लिए चारा देने में लगा हुआ है। यह अन्य प्रकार की सामाजिक सेवा में भी लगा हुआ है।