Author Topic: Rudraprayag: Gateway Of Mahadev - रुद्रप्रयाग: रुद्र (शिव) क्षेत्र का द्वार  (Read 20891 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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Devbhoomi,Uttarakhand

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देवी-देवताओं के निशानों ने किया संगम पर स्नान


रुद्रप्रयाग। दरमोला गांव के देवी-देवताओं के निशानों ने मंदाकिनी-अलकनंदा के संगम पर स्नान किया।

भरदार क्षेत्र के ग्राम दरमोला के देवी-देवताओं के निशान गुरुवार को संगम स्थल पर गंगा स्नान को पहुंची। बुधवार रात से सुबह चार बजे तक समय-समय पर देवी-देवताओं को ढोल-दमाऊ की थाप पर नचाया गया और उसके बाद सुबह चार बजे स्नान कराया गया। इसमें शंकरनाथ, बद्रीविशाल, नागराजा, नरसिंह, हीत, देवी सहित कई निशान थे। इसके बाद ब्राहमणों ने देवी-देवताओं निशान व छत्रों की पूजा-पाठ, हवन व आरती की।

 देवताओं के छत्रों को तिलक करके उन्हें सजाया जाता है। इसके बाद ग्रामीण नंगे पांव देवी-देवताओं के निशान के साथ अपने गंतव्य की ओर निकले। तीन किमी का सफर तय करने के बाद गांव में जिस स्थान पर पांडव नृत्य होना है वहां इन देवी-देवताओं के निशान गाडे़ जाते हैं।

इसी दिन से पांडव नृत्य की शुरूआत की जाती है। ग्रामीण नत्थी सिंह कप्रवान, पुजारी गिरीश डिमरी, जसपाल सिंह पंवार, प्रधान जीत सिंह पंवार, राजेन्द्र सिंह कप्रवान सहित कई लोगों को कहना है कि यह परम्परा सदियों से चली आ रही है। उन्होंने कहा कि यदि इस दिन इन देवताओं के निशानों को स्नान के लिए बाहर नहीं निकालते हैं तो गांव में कोई भी अनहोनी हो सकती है।


हेम पन्त

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प्रसिद्ध शिकारी व वन्यजीव विशेषज्ञ जिम कार्बेट की पुस्तक " The Man Eating Leopard of Rudraprayag"


हेम पन्त

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Aarti at the Rudranath temple in Rudraprayag, seen from the GMVN guest house.



Courtesy - retrotexts.net

Rajen

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कुंडगज के साथ लक्ष यज्ञ शुरू (Amar Ujala 25.5.2010)


रुद्रप्रयाग। अगस्त्यमुनि में स्थित महर्षि अगस्त्य के मंदिर में करीब २६ वर्ष के पश्चात हो रहे लक्ष यज्ञ कुंडगज (यज्ञ कुंड खोलना) और अरण्य मंथन के साथ शुरू हो गया है। इस दौरान सैकड़ों की संख्या में पहुंचे श्रद्धालुओं ने महर्षि अगस्त्य के दर्शन कर मनौतियां मांगीं। यज्ञ संपन्न होने के पश्चात पिछले करीब एक वर्ष से दिवारा भ्रमण कर रहे मुनि महाराज मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करेंगे।
सोमवार को करीब ग्यारह बजे से यज्ञ कुंड को खोलने का कार्यक्रम शुरू हुआ। धार्मिक अनुष्ठान की परंपरा के अनुसार मुन्ना देवल गांव के कमल नयन ने महर्षि अगस्त्य की देखरेख में हवन कुंड का पहला पत्थर हटाया। इसके पश्चात मुनि महाराज के जयघोष के बीच संपूर्ण कुंड को खोला गया। यज्ञ कुंड में अग्नि के लिए अगस्त्य मैदान में स्थित क्षेत्रपाल मंदिर से अरण्य मंथन कर अग्नि प्रज्ज्वलित की गई। इसके पश्चात मंदिर में देव डोली ने अद्भुत नृत्य किया। इस मौके पर ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य जगतगुरु माधवाश्रम जी महाराज ने श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया। मंदिर के मठापति पंडित अनुसूया प्रसाद बेंजवाल ने बताया कि यज्ञ के दौरान ३१ मई को विशाल जलयात्रा का आयोजन किया जाएगा।
शिव प्रतिमा स्थापित की
रुद्रप्रयाग। विश्व कल्याण के लिए दुर्गाधार में स्थित प्राचीन राज राजेश्वरी मंदिर में पिछले तीन दिनों से चल रहा यज्ञ सोमवार को विधि-विधान के साथ संपन्न हुआ। इस दौरान वहां स्थित शिव मंदिर में शिव प्रतिमा की स्थापना की गई। इस मौके पर मंदिर समिति के संरक्षक दयाल सिंह रावत, आनंद सिंह रावत और लक्ष्मण सिंह रावत आदि ने सहयोग दिया।


पंकज सिंह महर

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Devbhoomi,Uttarakhand

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अगस्त्यमुनि मन्दिर, रुद्रप्रयाग
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अगस्त्यमुनि मन्दिर  उत्तराखण्ड राज्य के रुद्रप्रयाग जिले के अगस्त्यमुनि नामक शहर में स्थित है। पुराना मन्दिर दक्षिण भारतीय शैली में बना है जिसमें बाद में पुनरुद्धार हेतु परिवर्तन हुआ। मुख्य मन्दिर में अगस्त्यमुनि का कुण्ड एवं उनके शिष्य भोगाजीत की प्रतिमा है। साथ में महर्षि अगस्त्य के इष्टदेव अगस्त्येश्वर महादेव का मन्दिर है।

दक्षिण की ओर जाने से पहले (जहाँ से वे कभी वापस नहीं आये) महर्षि अगस्त्य उत्तर भारत में देवभूमि उत्तराखण्ड की यात्रा पर आये थे। यहाँ पर रुद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनि शहर में नागकोट नामक स्थान के पास महर्षि अगस्त्य ने सूर्य भगवान तथा श्रीविद्या की उपासना की थी।

कई स्थानीय राजा महर्षि के शिष्य बन गये जिनमें भोगाजीत, कर्माजीत, शील आदि शामिल थे। इन सभी के रुद्रप्रयाग जिले में विभिन्न स्थानों पर मन्दिर हैं।

Devbhoomi,Uttarakhand

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पौराणिक मठ मंदिरों की सुध नहीं
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रुद्रप्रयाग, : यूं तो प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने का दावा सरकार अक्सर करती है, लेकिन पौराणिक मंदिरों के प्रति सरकारी बेरुखी को देखकर ऐसा लगता नहीं। कई मठ मंदिरों के सौंदर्यीकरण के प्रस्ताव वर्षो से शासन में लटके पड़े हैं।

जिले में धार्मिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। कई पौराणिक मंदिर जिले में अवस्थित हैं। केदारनाथ के साथ ही पंचप्रयाग में से तीन प्रयास रुद्रप्रयाग जिले में हैं, इसके साथ ही अन्य कई सिद्धपीठ यहां स्थित हैं। इनमें से कई मंदिरो को जीर्णोद्धार की जरूरत है। सरकार तीर्थाटन को बढ़ाना देने के लिए भारी दावे भी करती रही है, लेकिन धरातल पर कहानी कुछ ओर ही बयां कर रही है। पौराणिक मठ-मंदिर जो कि लोगों की आस्था का भी केन्द्र है, उनके विकास के लिए अभी तक कोई विशेष पहल होती नहीं दिख रही है।

पर्यटन विभाग के आंकड़ों को देखें तो 15 मंदिरों के सौंदर्यीकरण योजना के लिए शासन को 70 लाख का आंगणन भेजा गया था, परंतु इसके सापेक्ष अभी तक विभाग को मात्र 35 लाख रुपए ही मिल पाए हैं जिनसे चार मंदिरों का सौंदर्यीकरण व अन्य कार्य किए गए। अभी तेरह मंदिरों का कार्य लटका पड़ा हुआ है। लगभग एक वर्ष बीत जाने के बाद भी शासन से पूरा धन न मिलने से मंदिरों का सौंदर्यीकरण कार्य संभव नहीं हो सका।

इन मंदिरों को सौंदर्यीकरण की दरकार

रुद्रनाथ मंदिर का सौंदर्यीकरण, हरियाली देवी मंदिर, दक्षिण काली मंदिर, कुमड़ी नागराजा मंदिर, सिंह भवानी मंदिर, तिवड़ी सेम लक्ष्मी मंदिर, सिद्धपीठ थाती देवी मंदिर, महाकाली मंदिर सतेराखाल, भैरवनाथ मंदिर, दुर्गा मंदिर केरास्तों का निर्माण, कार्तिकस्वामी व परकंडी में त्यूंग मंदिर सौंदर्यीकरण आदि।

क्या काम होगा सौन्दर्यीकरण में

-मंदिरों को जाने वाले रास्तों की मरम्मत

-मंदिर भवनों का जीर्णोद्धार

-मंदिर में पानी, बैठने आदि की व्यवस्थाएं

क्या कहते हैं अधिकारी

प्रभारी पर्यटन अधिकारी सीमा नौटियाल का कहना है कि मंदिरों के सौंदर्यीकरण के प्रस्ताव शासन को भेजे गए हैं, लेकिन अभी तक पर्याप्त धन नहीं मिल पाया है। जैसे धनराशि अवमुक्त होती है, कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6974060.html

Anil Arya / अनिल आर्य

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बारिश में खुले रुद्रनाथ के कपाट
गोपेश्वर। पंचकेदारों में एक भगवान रुद्रनाथ के कपाट विधिविधान और वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ शनिवार तड़के चार बजे श्रद्धालुओं के दर्शनाथ खोल दिए गए। इस दौरान क्षेत्र में रिमझिम बारिश चल रही थी। मंदिर में पहुंचे सैकड़ों भक्तों ने भगवान रुद्रनाथ के दर्शन कर मनौतियां मांगी।
समुद्र तल से 2286 मीटर की ऊंचाई पर खूबसूरत बुग्यालों के मध्य रुद्रनाथ मंदिर स्थित है, जहां शिव के मुख की पूजा की जाती है। शनिवार को रिमझिम बारिश के बीच सुबह चार बजे पूजा-अर्चना के बाद भगवान रुद्रनाथ के कपाट श्रद्धालुआें के दर्शनों के लिए खोल दिए गए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों के साथ ही बाहर से आए तीर्थ यात्रियों ने भगवान की पूजा-अर्चना कर मनौतियां मांगी। मंदिर के पुजारी जनार्दन ने बताया कि शीतकाल में छह माह भगवान रुद्रनाथ की पूजा-अर्चना गोपेश्वर स्थित गोपीनाथ मंदिर में की जाती है।
भक्तों ने दर्शन कर मांगी मनौती
http://epaper.amarujala.com/svww_index.php

 

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