पौराणिक मठ मंदिरों की सुध नहीं
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रुद्रप्रयाग, : यूं तो प्रदेश में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने का दावा सरकार अक्सर करती है, लेकिन पौराणिक मंदिरों के प्रति सरकारी बेरुखी को देखकर ऐसा लगता नहीं। कई मठ मंदिरों के सौंदर्यीकरण के प्रस्ताव वर्षो से शासन में लटके पड़े हैं।
जिले में धार्मिक पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। कई पौराणिक मंदिर जिले में अवस्थित हैं। केदारनाथ के साथ ही पंचप्रयाग में से तीन प्रयास रुद्रप्रयाग जिले में हैं, इसके साथ ही अन्य कई सिद्धपीठ यहां स्थित हैं। इनमें से कई मंदिरो को जीर्णोद्धार की जरूरत है। सरकार तीर्थाटन को बढ़ाना देने के लिए भारी दावे भी करती रही है, लेकिन धरातल पर कहानी कुछ ओर ही बयां कर रही है। पौराणिक मठ-मंदिर जो कि लोगों की आस्था का भी केन्द्र है, उनके विकास के लिए अभी तक कोई विशेष पहल होती नहीं दिख रही है।
पर्यटन विभाग के आंकड़ों को देखें तो 15 मंदिरों के सौंदर्यीकरण योजना के लिए शासन को 70 लाख का आंगणन भेजा गया था, परंतु इसके सापेक्ष अभी तक विभाग को मात्र 35 लाख रुपए ही मिल पाए हैं जिनसे चार मंदिरों का सौंदर्यीकरण व अन्य कार्य किए गए। अभी तेरह मंदिरों का कार्य लटका पड़ा हुआ है। लगभग एक वर्ष बीत जाने के बाद भी शासन से पूरा धन न मिलने से मंदिरों का सौंदर्यीकरण कार्य संभव नहीं हो सका।
इन मंदिरों को सौंदर्यीकरण की दरकार
रुद्रनाथ मंदिर का सौंदर्यीकरण, हरियाली देवी मंदिर, दक्षिण काली मंदिर, कुमड़ी नागराजा मंदिर, सिंह भवानी मंदिर, तिवड़ी सेम लक्ष्मी मंदिर, सिद्धपीठ थाती देवी मंदिर, महाकाली मंदिर सतेराखाल, भैरवनाथ मंदिर, दुर्गा मंदिर केरास्तों का निर्माण, कार्तिकस्वामी व परकंडी में त्यूंग मंदिर सौंदर्यीकरण आदि।
क्या काम होगा सौन्दर्यीकरण में
-मंदिरों को जाने वाले रास्तों की मरम्मत
-मंदिर भवनों का जीर्णोद्धार
-मंदिर में पानी, बैठने आदि की व्यवस्थाएं
क्या कहते हैं अधिकारी
प्रभारी पर्यटन अधिकारी सीमा नौटियाल का कहना है कि मंदिरों के सौंदर्यीकरण के प्रस्ताव शासन को भेजे गए हैं, लेकिन अभी तक पर्याप्त धन नहीं मिल पाया है। जैसे धनराशि अवमुक्त होती है, कार्य शुरू कर दिया जाएगा।
http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6974060.html