Author Topic: Kumaun Regiment & Garhwal Rifle - कुमाऊँ रेजिमेंट एवं गढ़वाल राइफल  (Read 101278 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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Ranikhett,the Regimental Centre for the Kumaon
Regiment,Located along an elevation of 1,800 m, Ranikhet is a
gorgeous densely forested cantonment town in the Almora district of
Uttarakhand in the Kumaon hills. Ranikhet is a picturesque getaway
faraway from the hurly-burly of regular life. Revealed and built by
the Brit...ish during 1869, the hill station

enchanted Lord Mayo the then Viceroy of India who was so enthralled
with this position and he sought to move the Summer Headquarters of
the army from Shimla to Ranikhet. Though it did not come about but
Ranikhet became and still is the Regimental Centre for the Kumaon
Regiment. Being a cantonment, Ranikhet strike a chord of the British
rule with its majestic buildings.


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उत्तराखंड में संयुक्त युद्धाभ्यास
                                                                                       उत्तराखंड में संयुक्त युद्धाभ्यास                                                                                                                                           भारत और रूसी सेना के बीच संयुक्त युद्धाभ्यास उत्तराखंड की सरजमीं पर होगा।
आधिकारिक  सैन्य सूत्रों के मुताबिक इसकी शुरुआत 15 अक्टूबर से होगी। रानीखेत से 10  किमी दूर चौबटिया क्षेत्र में दस दिन तक चलने वाले संयुक्त सैन्य अभ्यास  में भारत व रूस के सैकड़ों जवान शिरकत करेंगे। सैन्य संबंधों को प्रगाढ़  करने के उद्देश्य से भारतीय सेना अन्य मित्र राष्ट्रों की थल, जल व  वायुसेना से हर अंतराल पर संयुक्त युद्धाभ्यास करती हैं। अमेरिका,  ब्रिटेन, रूस, दक्षिण कोरिया आदि ऐसे देश हैं जिनके साथ भारतीय सेना पहले  भी अभ्यास कर चुकी है।

सैन्य सूत्रों के मुताबिक इससे पहले भारत  व रूस की थलसेना ने दो बार संयुक्त अभ्यास किया है। पहला युद्धाभ्यास वर्ष  2005 में भारत व दूसरा 2007 में रूस में हुआ था। तीसरी बार के संयुक्त  युद्धाभ्यास के लिए देवभूमि का चयन किया गया है। 15 से 24 अक्टूबर तक  चौबटिया (रानीखेत) में चलने वाले इस युद्धाभ्यास में दोनों सेनाएं न सिर्फ  एक दूसरे की क्षमता को परखेंगी बल्कि कुछ नया भी सीखेंगी।

सैन्य  सूत्रों के मुताबिक युद्धाभ्यास में रूस की ओर से 257 सैन्य अधिकारी और  जवान हिस्सा लेंगे जबकि भारतीय थलसेना की ओर से विभिन्न बटालियनों-यूनिटों  के करीब 300 अधिकारी और जवान होंगे। इस तरह के अभ्यास में अक्सर पैदल सेना  के जांबाज ही शिरकत करते हैं। दस दिन तक चलने वाले अभ्यास में दोनों देशों  के सैनिक सामरिक महत्व के अलावा काउंटर इंसरजेंसी, फायरिंग, पेट्रोलिंग,  मैप रीडिंग, फिजिकल फिटनेस आदि का प्रशिक्षण लेंगे। वारफेयर की मौजूदा  परिस्थितियों के अनुरूप सैन्य प्रशिक्षण व सैन्य ताकत का आदान-प्रदान करना  भी युद्धाभ्यास का उद्देश्य है। इसके लिए चौबटिया व आसपास के वन बहुल  क्षेत्र व छोटी पहाड़ियों को उचित अभ्यास स्थल माना जा रहा है। सूत्रों के  मुताबिक कुछ दिन पहले उत्तर भारत क्षेत्र के वरिष्ठ सैन्य अफसर अभ्यास  स्थल का निरीक्षण कर चुके हैं।

सैन्य ताकत को मिलेगी मजबूती

सैन्य विशेषज्ञों के मुताबिक  भारत-रूस सेना के मध्य संयुक्त अभ्यास का मतलब है कि दोनों देशों की  मित्रता अटूट है। सैन्य मामलों के विशेषज्ञ ले. जनरल (सेनि) एमसी भंडारी  कहते हैं कि इस अभ्यास से भारत व रूस के संबंध प्रगाढ़ तो होंगे ही सैन्य  ताकत भी मजूबत होगी। जाहिर है सरहद पर दोतरफा हलचल करने वाले पड़ोसी देश भी  दबाव महसूस करेंगे। वह कहते हैं कि वर्ष 1971 के भारत-पाक युद्ध के उपरांत  इस तरह के संयुक्त युद्धाभ्यास की शुरुआत हुई थी। दक्षिण एशिया में मजबूत  सैन्य ताकत का संदेश देने के लिए युद्धाभ्यास की परंपरा जरूरी है। इससे दो  मित्र राष्ट्र नजदीक से एक दूसरे की सैन्य ताकत से रूबरू होते हैं।


http://www.samaylive.com/regional-hindi/uttarakhand-hindi/101382.html

   

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रानीखेत में भारत-रूस संयुक्त युद्धाभ्यास की तैयारी
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रानीखेत: भारत-रूस सेना के यहां होने वाले संयुक्त युद्धाभ्यास के मद्देनजर सेना द्वारा कड़े प्रबंध किए गए हैं। छावनी के कुछ मार्गो को आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया है। सेना के अधिकारी इस मामले में टिप्पणी करने से बच रहे हैं।

जानकारी के अनुसार भारत और रूस की सेनाओं का संयुक्त युद्धाभ्यास 16 अक्टूबर से छावनी क्षेत्र में शुरू होगा। इसके लिए रूसी सेना की टीम कल आज बरेली छावनी में पहुंचेगी तथा 16 अक्टूबर को यहां पहुंचने के बाद अभ्यास शुरू होगा। अभ्यास 25 अक्टूबर तक चलेगा। इसके लिए सेना द्वारा लंबे समय से तैयारी की जा रही है। विदेशी सैनिकों के लिए रेजीडेंस तैयार किए गए हैं तथा अभ्यास के लिए छावनी क्षेत्र में बंकरों का निर्माण किया गया है। पर्वतीय बिग्रेड की एक पल्टन के साथ रूसी सैनिकों का संयुक्त युद्धाभ्यास होगा। इसके मद्देनजर सेना द्वारा चौबटिया छावनी को जाने वाला मुख्य मोटर मार्ग बुधवार से आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया है। जनता को परेशानी न हो इसके लिए संयुक्त मजिस्ट्रेट डा.ए कार्तिक की पहल पर गत दिनों जनहित में कुछ निर्णय लिए गए हैं। जिसके अनुसार सिर्फ आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति करने वाले वाहन प्रवेश कर रहे हैं। चौबटिया क्षेत्र के स्कूली बच्चे उद्यान विभाग की बस द्वारा झूलादेवी तक छोड़ने व ले जाने की व्यवस्था की गई है। जबकि चौबटिया क्षेत्र के ग्रामीणों को फायरिंग रेंज से चौबटिया तक सेना की बस छोड़ेगी। अन्य वाहन कुनेलाखेत मोटर का प्रयोग करेंगे। जानकारी के अनुसार चौकुनी, चिलियानौला व घिंघारीखाल में प्रशिक्षण के लिए स्थलों का चयन किया गया है। सेना के अधिकारियों ने इस विषय में टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6815072.html

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रानीखेत में भारत-रूस का युद्धाभ्यास जारी
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रानीखेत(अल्मोड़ा): भारत-रूस की सेनाओं का संयुक्त युद्धाभ्यास शुक्रवार को भी जारी रहा। दस दिनी इंद्रा-10 नामक इस युद्धाभ्यास की गतिविधियां छावनी क्षेत्र में चल रही हैं। इस दौरान आतंकवाद के खिलाफ चलने वाली कार्रवाई व आपरेशनों के तजुर्बो का आदान-प्रदान किया गया। युद्धाभ्यास को लेकर छावनी क्षेत्र में कड़ी सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं। किसी को भी क्षेत्र में नहीं जाने दिया जा रहा है। सूत्रों के मुताबिक शनिवार को यहां रूस के राजदूत के पहुंचने की उम्मीद है।

रानीखेत में दस दिनों तक चलने वाले इंद्रा-10 नामक इस युद्धाभ्यास में भारत व रूस के सैनिक दोनों देशों की युद्ध तकनीक का आदान प्रदान कर रहे हैं। कार्यशाला व व्याख्यान माला में अनुभवों को बांटा जा रहा है। इसके अलावा कई स्थलों पर प्रदर्शन किया जा रहा है। इस बीच सेना के वाहनों व जवानों की छावनी के अंतर्गत आवाजाही बढ़ी है। फुर्सत के क्षणों में रूसी सैनिक छावनी क्षेत्र व बाजार में भ्रमण कर रहे हैं। भाषाई दिक्कत के कारण कई जगह पर दोनों ओर से जवानों को दुभाषियों की मदद लेनी पड़ रही है। वह यहां के वातावरण व रहन-सहन की जानकारी लेने में भी रुचि ले रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक शनिवार को यहां रूस के राजदूत के पहुंचने की उम्मीद है।

jagran news

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अफगान फौज सीखेगी गढ़वाली
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    भारतीय सेना की गढ़वाल राइफल्स अफगानिस्तानी सेना के जवानों को प्रशिक्षण देगी.
 अफगान आर्मी के साथ होने वाले इस संयुक्त अभ्यास का शेड्यूल अभी जारी नहीं हुआ है, लेकिन गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंटल सेंटर में तैयारियां चल रही हैं. दोनों सेनाओं के बीच होने वाले संयुक्त अभ्यास का फायदा वैसे तो दोनों को मिलेगा, लेकिन अफगानिस्तान ने अमरीकी फौजों की वापसी के बाद यह भारत के लिए काफी हितकर होगा.
गढ़वाल राइफल्स रेजिमेंट सेंटर के जिम्मेदार अधिकारी अफगानिस्तान आर्मी के साथ होने वाले संयुक्त अभ्यास की आधिकारिक पुष्टि करने से बच रहे हैं. सूत्रों का कहना है कि सेंटर के किचनर लाइन में अफगान टुकड़ियों के ठहरने की व्यवस्था की जा रही है. पहले अफगान सैनिकों के नवम्बर में आने की संभावना थी, लेकिन बाद में इस कार्यक्रम में फेरबदल हुआ है. अभी नई तारीख नहीं मिली है. सेना मुख्यालय से ही निकट भविष्य में इसकी सूचना मिलेगी. गढ़वाल राइफल्स के साथ होने वाला यह संयुक्त सैन्य अभ्यास तीन से चार सप्ताह तक चलने की संभावना है.
बदले कार्यक्रम के अनुसार अब सर्दियों के बाद यानी फरवरी के बाद अफगान सेना के आने की संभावना बतायी जा रही है. आतंकवादियों से जूझ रही भारतीय सेना के साथ यह अभ्यास अफगानिस्तान के लिए काफी फायदेमंद होगा. पहली बार दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त अभ्यास करेंगी. भारतीय सेना को मिलने वाले उच्चकोटि का प्रशिक्षण व सैन्य क्षमताएं अफगानिस्तान के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं. उत्तराखंड की धरती पर कुछ महीने पहले रूसी सेना भी युद्धाभ्यास कर चुकी है.
लेफ्टिनेंट जनरल (रि.) मोहन चंद्र भंडारी का कहना है कि इसका असली लाभ तब दोनों देशों को मिलेगा जब अमेरिकी फौज स्वदेश वापसी कर लेगी. भारतीय सेना से मिलने वाली सीख उसे अपने देश में आतंकवाद से जूझने में मदद देगी. जनरल भंडारी का कहना है कि अफगानिस्तान सेना की मजबूती भारत के लिए फायदेमंद है.
अलकायदा और तालिबान के लड़ाकों पर सही तरीके से नियंत्रण नहीं हो पाया तो अमरीकी (नाटो) सेनाओं की वापसी के बाद वे भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने की कोशिश करेंगे. ऐसे में उन पर नियंत्रण के लिए अफगान सेना को मजबूत होना आवश्यक है. हालांकि भारत अफगानिस्तान को सड़क, शिक्षा व पुलिस सहित कुछ अन्य क्षेत्रों में सहयोग कर रहा है, लेकिन फौजी सहयोग की रूपरेखा पहली बार बन रही है.


http://www.samaylive.com/regional-news-in-hindi/uttarakhand-news-in-hindi/107080/indian-army-garhwal-rifles-afghan-forces-training.html


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Kumaon Regiment

Gallantry Award Winners  Pre Independence
 
Military Cross (MC)
1. A-1701 Capt LC Lind
2. A-1158 T/Maj FW Mac D Quigley
3. EC-1211 T/Maj AL Fowler
4. EC-134 Capt Umrao Singh
5 IC-60 Capt Balbir Singh
6. IC-335 Capt GS Parab
7. IEC-1577 Capt R Khathing M.D.F
8. 15405 IO Sub Mahinder Singh
9. 35212 IO Sub Har Singh
10 50532 IO Sub Rup Singh
11. 197060 IO Jem Kabul Singh
12. 14265 IO Sub Khazan Singh
13. 41946 IO Jem Nar Singh
14. IEC-340 T/Maj Regihald Stephen Noronha
15. 21675 IO Sub Harak Singh
16. 51249 Jem Balbir Singh
17. 10969 IO Sub Ishwar Singh
18. 44834 IO Jem Raghunath Singh (FFR)
George Cross
1. AI-985 T/Maj Seagrim, DSO, MME
2. 19709 IO Sub Mata Din

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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From - http://indianarmy.nic.in/Site/

C.B.C Additional Command of Division of Said Most Excellent Order
 
1. 8952 T/Brig WL Bloyd MC IA
2. IA-953 T/Brig J Moffatt, OBE
3. AI-890 T/Brig JFR Farman, DSO
C.I.F. Companion of the Said Most Eminent Order  
1. AI-433 T/Maj Gen Frank Hollomby S Kenner
O.B.E. Additional Officer of the Military division of the Said Most Excellent Order  
1. AI-905 A/Brig ER Page
2. AI-906 Lt Col Herbert Lawrence Skill
3. AI-144 Lt Col DG Ryan
4. AI-912 T/Lt Col Joseph Graham Trotter
Distinguished Service Order (DSO)  
1. AI-882 T / Lt Col G Bertram Faulder
2. AI-985 T/Maj HP Seagrim, GC, MBE
3.   T/Brig GGC Bull, OBE , IA
4. AI-487 T/Brig JB Mac Donald, OBE
5 AI-944 T/Brig KS Thimayya, DSO
Additional Members of Military Division of Said Most Excellent Order
1. AI-945 T/Maj HP Seagrim
2. IEC-1577 T/Capt R Kathing
3. AI-148 A/Maj Kunwar Bahadur Singh
4. IEC-1150 Capt Hussain Bon Gnon
5 EC-600 A/Maj WN While
6. IEC-1155 Capt Ibrahim Bin Ismile
7. 45738 IO Sub Sadhu Singh

 

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