Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 234003 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
कब्र
 
 टूटे मोहब्बत की तक़दीर बनाता हों
 गुजरे जमाने का फलसफां मै सुनता हों
 
 गुरबातै कब्र पर एक चादर चढ़ दिया
 कब्र को मेरी तुने एक माजर बना दिया
 
 सोच सुकन मिलेगा मुझ को जंहा छोड़कर
 मेरे इस हजूम मे तुने मेला लागा दिया
 
 रुकसातै बेवफाई मे वफ़ा दिल तुडकर
 दिया जला कर उसे रोशन करा दिया
 
 फकीर चोला विरानो की खाक छनता था  कभी
 फकत अब यंहा उसके लिये हाथ उठाता है कोइ
 
 आसुँ की सीस्कीयाँ सुनाई देती थी जंह
 वफ़ाये मोहबत की खुशीयाँ नजर आती वहां
 
 टूटे मोहब्बत की तक़दीर बनाता हों
 गुजरे जमाने का फलसफां मै सुनता हों
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
 मेरा ब्लोग्स
 http:// balkrishna_dhyani.blogspot.com
 मै पूर्व प्रकाशीत हैं -सर्वाधिकार सुरक्षीत

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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
माँ मेरी माँ
 
 आटा पानी रोटी
 माँ की है ये कहानी
 आप सब को सुनानी
 माँ की है ये कहानी
 माँ मेरी माँ
 
 आटा को सहलाया
 पानी से नहलाया
 हाथों से गुंजा मुझे
 रोटी के काबिल बनया
 माँ मेरी माँ
 
 बेलन पलटा आटा
 माँ का सहारा पाया
 दो हथेली बीच गोला मुझे बनया
 पलटा मै रख कर बेलन फिर चलाया
 माँ मेरी माँ
 
 गोल जब मै बना ऐसे
 माँ का चेहरा मुस्कुराया
 उस मुस्कान देखाकर
 दिल मेरा भर आया 
 माँ मेरी माँ
 
 चूल्हा तवा आगा
 का संग भी मैने पाया
 माँ के हाथों से उठकर
 तवे पर भी बुहत सुख पाया 
 माँ मेरी माँ
 
 जब रोटी बना पका मै
 माँ कहकर ही बुलाया
 माँ की सुरत को खुदा मेरे
 मैने उस रोटी मै ही पाया
 माँ मेरी माँ
 
 जब भी रोटी बनाता
 माँ की याद आजाती 
 बीते दिन बुलाता हों
 ये आंखें भीग जाती है
 माँ मेरी माँ
 
 आटा पानी रोटी
 माँ की है ये कहानी
 आप सब को सुनानी
 माँ की है ये कहानी
 माँ मेरी माँ
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
अश्रु
 
 अश्रु धाऊन येते कुठोण
 डोळ्या भवती जमले कुठोण
 कालजात कांटा रुतला कुठोण 
 मणतला धीर सुटला कुठोण 
 अति वेगात अति वेगात येते कुठोण  ना ......
 
 दुःख आसो सुख येते कुठोण
 ऐकंतात येते का असरूण
 हथ्च्या कोंडीत घेते भरूण
 मीठीत प्रेमच्या येते सरूण
 अति वेगात अति वेगात येते कुठोण  ना ......
 
 समजले माला णा समझे णा तुला
 डोक्याचा कैमीकल लोच्या झला
 रसायनीक मिश्रण च बोम्बा झाला
 येवड सगणु अश्रु कुठोण येते सोपा झाला
 अति वेगात अति वेगात येते कुठोण  ना ......
 
 कल्पनेच्या  अभावत  तोटा झाला
 कवितातले तारा तुटले आणी धोखा झाला
 कोरया पन्ना वर स्याही चे ठेम पडले
 अश्रुणेच आज घसे कोरडे कैले
 अति वेगात अति वेगात येते कुठोण  ना ......
 
 अश्रु धाऊन येते कुठोण
 डोळ्या भवती जमले कुठोण
 कालजात कांटा रुतला कुठोण 
 मणतला धीर सुटला कुठोण 
 अति वेगात अति वेगात येते कुठोण  ना
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
बुत
 
 बुत
 बना हो मै
 देखो
 कैसा ताना मै
 समझो
 ना समझा मै
 क्यों
 बुत
 बना हो  मै
 
 खेत
 मै खड़ा मै
 चौरहे
 पर पड़ा मै
 निर्जीव
 सड़ा हो मै
 क्यों
 बुत
 बना हो  मै
 
 नोकरी
 वो सरकारी
 आरक्षण
 से दबा हो मै
 दब दबके
 वंही पडा हो मै   
 क्यों
 बुत
 बना हो  मै
 
 सीख
 मीली मुझको
 बिलकुल
 सीख ना पाया मै
 जीवन तुझ से
 क्या पाया मै
 क्यों
 बुत
 बना हो  मै
 
 बुत
 बना हो मै
 देखो
 कैसा ताना मै
 समझो
 ना समझा मै
 क्यों
 बुत
 बना हो  मै
 
 
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व भूमि बद्री-केदार नाथ
टेहरी डैम पासा बैठ्युछु आजा
 तब आयी एक आवाज
 मीथै को वहलो ध्यै लगाणु  आज
 आवाज कखक बह्टैक आयी आज
 लगी  अपरू सा वी बात 
 मील आवाज दयाई
 को छे रै भगायण
 
 मी छु
 एक आवाज आयी
 झील भटैक .... मी छु टेहरी
 
 लीवां  सुणा टेहरी मै दागड़ मील क्या बचाई   ............
 
 को ध्यै लगाणु लगाणु आज .....
 
 टेहरी ध्यै लगाणी लगाणी आज
 हे बाब गढ़वाल तिल भी ना दे  मेरु साथ
 झील माँ लुकी टेहरी  बचाणी आज
 आणी छे क्या तुम थै भी अब मेरी याद   
 उजड़ी टेहरी ध्यै लगाणी लगाणी आज
 
 बच्च्युं छुं पाणी का भीतर भी आज
 कंण छुटालू ये भगवती तेरु साथ
 डुब्याँ छन यख बस तुम्हरी छाप
 ईस्ट देबतों को मीली माँ गंगा को साथ
 उजड़ी टेहरी ध्यै लगाणी लगाणी आज
 
 नयी टेहरी मा रैहकी बिसरीगै मेरु साथ
 आणी वहाली क्या याद तुम थै वो प्रभात
 खैरी विपदा अब भी क्या तुम्हर साथ
 घार घार मा बत्ती बलैग्या क्या आज
 उजड़ी टेहरी ध्यै लगाणी लगाणी आज
 
 प्रगती की टेहरी मा मील क्या गति
 पल्याँण  का समस्या क्या हल व्हैग्या
 लोगो का मेरा क्या जीवन सुधर गै
 मेरा गढ़वाल को राजधानी क्या मीलगे
 उजड़ी टेहरी ध्यै लगाणी लगाणी आज
 
 टेहरी ध्यै लगाणी लगाणी आज
 हे बाब गढ़वाल तिल भी ना दे  मेरु साथ
 झील माँ लुकी टेहरी  बचाणी आज
 आणी छे क्या तुम थै भी अब मेरी याद   
 उजड़ी टेहरी ध्यै लगाणी लगाणी आज
 
 मी उजड़ी डूबी को प्रश्नों थै ?णी उत्तर छों
 आप सजन थै मालोम होलो तर उत्तर दयावा धन्यवाद 
 उजड़ी टेहरी ध्यै लगाणी लगाणी आज
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
बाबा की छुईं सुण आजा
 
 झण क्या वहाई बात भुलोंह  झण क्या वहाई बात
 अबैर अबैर सवेर व्हाई अब व्हाई  राता
 कुल्हाण लुकयां बिरला कुकारा बिलण गुहसयां मुसाआ
 सरू गढ़ खाली व्ह्यांयां युन्की यख रजा 
 झण क्या वहाई बात  भुलोंह  ............२
 
 चाखल पखाल उडी गैण घोल छोडी की आज
 कूड़ा मा कंडा पड्यां सुन्घलों मा ताला
 बिछु मकडी को जालु फैलु टूटी तिबारी आजा 
 घसा मा अब लुक्याँ छन कला सर्प आजा
 झण क्या वहाई बात  भुलोंह  ............२ 
 
 दूर दूर सड़की सड़की गैण त्यूं डणडीयूँ पारा   
 जंगला को बघा राजा पुंहछगै गाम मा आजा 
 बच्ची छे जो खेती आज बन्दोरों सुन्घरों पास 
 जंगलात को  खता सै ग्याई जंगला को  नाशा
 झण क्या वहाई बात  भुलोंह  ............२   
   
 बैठयाछन सब हाथ मा हाथ धरी कब होलो  प्रभात 
 खैरी विपदा बता दै  कंण वहलो तेरु नाशा 
 धैया लगा की सुणले रै बेटा तू मेरु आजा बाता
 पल्याँन एक बच्च्युं मार्ग नीच जरा गढ़वाल की सोच आजा
 झण क्या वहाई बात  भुलोंह  ............२ 
 
 झण क्या वहाई बात  भुलोंह  झण क्या वहाई बात
 अबैर अबैर सवेर व्हाई अब व्हाई  राता
 कुल्हाण लुकयां बिरला कुकारा बिलण मा गुहसयां मुसाआ
 सरू गढ़ खाली व्ह्यांयांण युन्की यख रजा 
 झण क्या वहाई बात  भुलोंह  ............४
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
मीथै बुलाणु
 
 आणी छे  ये आवाज ये पहाड़ो मा
 को होलो ये मीथै बुलाणु ये पहाड़ो मा
 
 सड़की ये हेर लगादी ये पहाड़ो मा
 बाटा उकालु ये उन्दारू ये पहाड़ो मा
 
 सुवा भैनै ये घसा को जांदी ये पहड़ो मा
 पीछणे पीछणे ये गुअडी येजांदी ये पहड़ो मा 
 
 दीदा रणसिंगा ये बंसी बाजा ये  पहाड़ो मा
 नेगी जी का गीतों का ये दादा धुन लगा ये पहड़ो मा
 
 पंतेदार मा ये पणहरी पानी को जांदी ये पहाड़ो मा
 पैर की पैजण ये कंण बजाणदी ये पहाड़ो मा
 
 बुअडी ये क्या छे तु चूल्हों पकन्दी ये पहाड़ो मा
 छुच चूल्हों मा ये काफ्लू मी पकाणु ये पहाड़ो मा 
 
 छकुली ये मेर बकुली तो सैजा ये पहाड़ो मा
 रात होग्याई ये नींदी आई अन्ख्यों मा ये पहाड़ो मा
 
 दूर छों मी ये मजबुर छों मी ये पहडा मेरा
 ना हीट पाई ये उकाला उन्दरा ये पहाडा मेरा
 
 तु आणु छे याद मीथै ये पहाडा मेरा
 तेरु दगडी ये जुडी हर छुंयीं ये गढ़वाल मेरा
 
 आणी छे  ये आवाज ये पहाड़ो मा
 को होलो ये मीथै बुलाणु ये पहाड़ो मा
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ मेरु झोल
 
 ये मेरु झोल रै
 मै दगडी चल
 तूच मेरु गेलु 
 मै दगडी चल 
 
 जख भी जोंला 
 दगडी दगडी जोंला 
 गीत खैरी का 
 दगडी लागोंला 
 ये मेरु झोल रै
 
 तै बीण यकुली 
 मी  कण कै रयुलो
 दोई साथी सुख-दुःख का 
 आपी मा लागुन्ला 
 ये मेरु झोल रै
 
 गीच ना खोली 
 तो कुछ ना बोली 
 साथ हीटले मेरा 
 ना इन दुओंड़ी
 ये मेरु झोल रै
 
 रूस  ना मै से 
 ये मेरा झोल
 तु रूस गै मैसै 
 मै कै दगड बुलोलों   
 ये मेरु झोल रै
 
 ये मेरु झोल्ह रै
 मै दगडी चल
 तूच मेरु गेलु 
 मै दगडी चल 
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
बोई
 
 बोई मेरी
 तु ना रोयी
 बाबा परदेश
 यकुली तु ये  गढ़ देश
 बोई मेरी ......................
 
 बोई मेरी
 केले छे उदास
 आणी वहाली ते थै
 बोई भै भैणु की याद
 चों डाणडीयूँ पार 
 बोई मेरी ......................
 
 बोई मेरी
 खैरी विपदा
 गढ़ भग्या
 बेटी ब्वारी साथ
 दीण रात
 बोई मेरी ......................
 
 बोई मेरी
 दो भुली दो भाई
 दादा दादीजी भी साथ
 कंण पाली हम थै
 तिल बीण बाबजी घार
 बोई मेरी ......................
 
 बोई मेरी
 वो पहाड़ों का बारमास
 कंण के गैण उकाली उंदार
 मया लगई तिल हर बार
 जेकोडी मेरी बस तेरु साथ   
 बोई मेरी ......................
 
 बोई
 बोई मेरी
 तु ना रोयी
 बाबा परदेश
 यकुली तु ये  गढ़ देश
 बोई मेरी ......................
 
 बालकृष्ण डी ध्यानी
 देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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देव भूमि बद्री-केदार नाथ
गढ़ मा मोबायल
 
 चिठ्ठी पत्री सब भुली गैण
 इ मेल थै अब सब बिसरी गैण
 मोबायल को आयु फैशण
 नुँना नुँनी का अब ये बाणगै गैहण   
 चिठ्ठी पत्री सब भुली गैण
 
 मोबायल मा बाजु जब रिंग
 जीकोडी करण लगी ट्रिंग ट्रिंग 
 इंटर कॉलैज छोरा बोल्दीन
 हेल्लो बबली तिल मेरी बाण
 चिठ्ठी पत्री सब भुली गैण
 
 बेटी ब्वारी भी अब लाग्यां छिण
 मोबायल दगडी सबका सब भीड़ा छिण
 बोऔड़ की नींद हर्ची बुऔडी मोबायल लायी रुपया खर्ची
 गामा गामा बजण छण रिंग दगडी नाचण छन
 चिठ्ठी पत्री सब भुली गैण
 
 गढ़ मा कणु चमत्कार होग्याई
 मेर पहाडा मा बेटी ब्वारी हस्ग्याई
 मोबायल तेरु उपकार होग्याई
 मेरा पहाडा मोबायल मोबायल होग्याई
 चिठ्ठी पत्री सब भुली गैण
 
 चिठ्ठी पत्री सब भुली गैण
 इ मेल थै अब सब बिसरी गैण
 मोबायल को आयु फैशण
 नुँना नुँनी का अब ये बाणगै गैहण   
 चिठ्ठी पत्री सब भुली गैण
 
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