Shailendra Joshiसुना है बिकते है मुखटे बाज़ार मे हर किस्म के
हर गली मौहल्ले शहर दुकान पर
एतबार ना रहा चेहरे की किताब पर
ना अब इसे पढ ने का मन
ना इससे अब कुछ सुने का मन
ज़िन्दगी मे बोलना सुनना है जरुरी क्योंकी जीवन है जब तक
आप चेहरे के कारोबार से बच सकते नहीं
इस लिए इसे खरीद रहे है और मोड़ मे ठग रहे है
रचना शैलेन्द्र जोशी