Shailendra Joshiposted
कवि की जनानी की पीड़ा (हास्या व्यंग )
दिन रात छिन कवि सम्मेलन मा
खाली चा आटू चौलो कनस्तर
कंनुक्वे चललू घर ग्रहस्थी को बेलन
अब तुमारा खोपड़ा चलाण पड्लू चकला बेलन
दिन रात कविता लिखणा मा मिस्या रैदिन
यखलू बांदर सी लग्या अंखारो मा
जरा बाल बच्चो तै पड़ा दी
भली माया की छवी लगादी
मितै सौत ह्वेगे तुमरी स्या गीत कविता
हेजी मी बोल्णु छोऊ भै का सौ खैकी अब भौत हवे गीत कविता
रचना शैलेन्द्र जोशी