Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 39839 times)

Bhishma Kukreti

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गोलचिना , रानीखेत में  एक होम  स्टे में  काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी

Traditional House Wood Carving Art in   Goluchina, ranikhet Nainital; 
 कुमाऊँ , गढ़वाल, हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन  ( बाखली  ,   तिबारी , निमदारी , जंगलादार  मकान ,  खोली  ,  कोटि बनाल   )  में  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की   काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी-  304
संकलन - भीष्म कुकरेती
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  प्रसन्नता होती है कि  कुछ मित्र अब  घरों को होम स्टे  में तब्दील हुए मकानों की भी सूचना भेज रहे हैं।  आज भी   रानीखेत में एक होम  स्टे में    काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी की विवेचना होगी।  इसमें दो राय नहीं कि मकान में तब्दीली हुयी है किंतु काष्ठ कला अलंकरण पारंपरिक स्थिति  में है।  मकान /होम स्टे दुपुर /दुघर है।  मकान के तल मंजिल में  काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी दृष्टि से कोई उल्लेखनीय संरचना नहीं है। 
  कला दृष्टि से गोलचिना , रानीखेत  के इस मकान में पहली मंजिल में खोली व छाजों /झरोखे महत्वपूर्ण हैं।
गोलचिना के होम स्टे  की खोली के दरवाजों में दोनों ओर  मुख्य स्तम्भों में दो तरह के उप सिंगाड़/स्तम्भ  युग्म हैं।  एक प्रकार के तीन  उप सिंगाड़  आधार से सीधे ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड  से मिल  मुरिन्ड के स्तर  बन जाते हैं। दूसरे  प्रकार के उप स्तम्भ के आधार में उल्टे कमल दल से कुम्भी निर्मित हुयी है , कुम्भी के ऊपर ड्यूल है जिसके  ऊपर ऊर्घ्वाकार कलम दल अंकन हुआ है।  यहां से स्तम्भ सीधे ऊपर मुरिन्ड से मिल उसका स्तर बन जाता है।  मुरिन्ड/मथिण्ड  में कुल 5 स्तर हैं।  मुरिन्ड /म्थिन्ड में देव आकृति स्थापित है व निम्न स्तर में तोरणम /मेहराब स्थापित है ।  मुरिन्ड /मथिण्ड  के ऊपर एक  गहरा चौखट है इस चौखट के ऊपर छप्परिका से नीचे लकड़ी के बेलन  नुमा आकृति लटक रहे हैं। 
 खोली के दोनों ओर  दो दो ओर  छाज /झरोखे हैं / दोनों झरोखों के मध्य के स्तम्भ आपस में मिल युग्म बनाते हैं।  दोनों छाजों के दोनों ओर तीन  तीन उप स्तम्भों से मुख्य स्तम्भ निर्मित हुए हैं।  प्रत्येक उप स्तम्भ के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प दल से  घट आकर ऊपरपन हुआ है , घट आकर के ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल अंकन हुआ है।  यहां से उप स्तम्भ लौकी आकर में सीधे ऊपर जाता है।  फिर जहां कम मोटाई है वह फिर से उल्टा कमल , ड्यूल व फिर सीधा कमल दल अंकन हुआ है। 
छाज/ झरोखा /ढुड्यार (छेद )  नीचे  सादा  है किंतु ऊपरी भाग में अंडाकार /मेहराब के कारण )  नुमा है।  छाजों  के मुरिन्ड में उतने ही स्तर हैं जितने उप स्तम्भ।   
निष्कर्ष निकलता है कि गोलचिना,  रानीखेत के प्रस्तुत  भव्य मकान (होम स्टे ) में  प्राकृतिक व ज्यामितीय कला अलंकरण अंकन हुआ है। 
सूचना  आभार: त्रिलोक सिंह लाड
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
  Traditional House Wood Carving Art in Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in Haldwani ,  Nainital;   Traditional House Wood Carving Art in  Ramnagar , Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in  Lalkuan , Nainital; 
नैनीताल में मकान , लकड़ी नक्काशी ; हल्द्वानी ,  नैनीताल में मकान , लकड़ी नक्काशी ; रामनगर  नैनीताल में मकान , लकड़ी नक्काशी ; लालकुंआ नैनीताल में मकान , लकड़ी नक्काशी ; 


Bhishma Kukreti

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गल्लागाँव  (चम्पावत )  के एक  जंगलेदार भवन (2 )  में  काष्ठ कला अलंकरण,  लकड़ी नक्कासी

Traditional House Wood carving Art of  Gallaganv (2) ,Champawat, Kumaun 
कुमाऊँ ,गढ़वाल,  हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन  ( बाखली  ,   तिबारी , निमदारी , जंगलादार  मकान ,  खोली  ,  कोटि बनाल   )  में  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की   काष्ठ कला अलंकरण,  लकड़ी नक्कासी- 305
 (केवल कला व लंकरण केंद्रित )
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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गल्लागांव ( चम्पावत )  से कुछ भंवनों की खबर मिली हैं जो काष्ठ कला अलंकरण,  लकड़ी नक्कासी हेतु बहुत महत्वपूर्ण दस्तावेज़ हैं।   प्रस्तुत मकान (भवन संख्या 2 )  एक जंगलादार मकान है।  मकान तिपुर (तल मंजिल + दो मंजिल ) व दुघर (तिभित्या ) मकान है। 
मकान के तल मंजिल में गौशाला व भंडार है व तीसरे मंजिल में सादे दरवाजे हैं।  ।  पहली मंजिल में दो ओर जंगला स्थापित है।  जंगले  में   दोनों ओर  दस दस स्तम्भ हैं।  स्तम्भ ज्यामितीय  विधि से चौखट  हैं।  स्तम्भ के आधार में व एक फिट ऊपर कड़ियाँ हैं। कड़ियों  XX XX  शैली के उप स्तम्भ स्थापित हैं।
 निष्कर्ष निकलता है    की  गल्लागांव  के प्रस्तुत मकान में लकड़ी नक्काशी कला दृष्टि  से केवल ज्यामितीय  अलंकरण मिलता है। 
सूचना व फोटो आभार :  वास्तु विद्वान् ,नक्श गुरु जय ठक्कर
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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Bakhali House wood Carving Art in  Champawat Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali  House wood Carving Art in  Lohaghat Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali , House wood Carving Art in  Poornagiri Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali , House wood Carving Art in Pati Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला, नक्कासी ;  चम्पावत    तहसील , चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला, नक्कासी ; लोहाघाट तहसील   चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला, नक्कासी ;    पूर्णगिरी तहसील ,    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला, नक्कासी ;   पटी तहसील    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला, नक्कासी ;   


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छंतरु (पिथौरागढ़ ) में मकान संख्या 1 में काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी[/color][/size]

   Traditional House Wood Carving Art  of Chhantaru ,  Dharchula   , Pithoragarh
गढ़वाल,  कुमाऊँ , हरिद्वार उत्तराखंड , हिमालय की भवन  ( बाखली  ,   तिबारी , निमदारी , जंगलादार  मकान ,  खोली  ,  कोटि बनाल   )  में 'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत' 
 काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी-  306
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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 जैसा कि यह लेखक पहले भी खुलासा कर चुका है  कि  जागरूक  व हितैषी मित्र फोटो तो भेज रहे हैं किंतु कई बार  मकान के मालिकाना  सूचना  नहे दे पते हैं।  ऐसे में गांव में मकान संख्या देकर काष्ठ कला पर चर्चा ही न्यायसंगत है। 
इसी क्रम में धारचूला में व्यांस घाटी   (पिथौरागढ़ )  के छंतरु  गाँव के पहले मकान के काष्ठ  कला , अलंकरण अंकन पर चर्चा होगी।   कुमाऊं दृष्टि से   मकान कुछ विशेष है।  मकान टीपुर , दुघर (तिभित्या =तीन दिवारें ) है।  लकड़ी कला दृष्टिकोण से मकान के तल मंजिल व पहली मंजिल पर ही टक्क लगानी होगी।  मकान का तल मंजिल विशेष ही कहा जायेगा कि  तल मंजिल में कमरों ( सामान्यतया -गौशाला  व भंडार )  के स्थान पर बरामदा है व मकान तल मंजिल में स्तम्भों पर टिका है।  अनुमान से स्तम्भ लकड़ी के ही लग रहे हैं।  स्तम्भ चौखट नुमा है व आठ या दस हैं। 
पहली मंजिल में बाखली कला नुमा छाज /झरोखे दृष्टिगोचर हो रहे हैं।   छाज या झरोखे सामने की ओर  हैं व बगल में भी।   टक्क  लगाने से लगता है कि  छाज /झरोखों के मुख्य स्तम्भ उप स्तम्भों के युग्म /जोड़ से ही निर्मित हैं व छाज  के ढुड्यार  (छेद  जैसे  े वृद्ध ब्रिध पेड़ो में होता है )  ऊपरी भाग म अंडाकार हैं व  निम्न भाग चौखट हैं।   
व्यांस घाटी के इस मकान का   यद्यपि  छाया चित्र पूर्ण तरह  स्पष्ट नहीं हैं  किंतु स्पष्ट है कि  मकान कुमाऊं दृष्टि से कुछ विशेष है कि  मकान की मंज़िलें तल मंजिलों के  स्तम्भों पर टिका है। इसमें रत्ती भर  भी भ्रम नहीं होता है कि   छाज /झरोखों में कुमाऊं की आम कला व  अंकन  हुआ है।   

सूचना व फोटो आभार:  संजय बिष्ट

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  बेरीनाग  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी ;  House wood Carving art in Pithoragarh  to be continued

 
 



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बरसुड़ी (द्वारीखाल, पौड़ी  )  में  कुकरेती परिवार  के ( 2 )  जंगलेदार  मकान  में काष्ठ कला अलंकरण अंकन,  लकड़ी नक्कासी

Traditional  House Wood Art in  Barsuri  ,  Dwarikhal , Pauri Garhwal   
  गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी ,  कोटि बनाल   ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन,  लकड़ी नक्कासी  -  307

 संकलन - भीष्म कुकरेती
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   बरसुड़ी  में अब तक तीन मकानों की सूचना मिली है।  स्व कलीराम कुकरेती के तिबारी की चर्चा पहले ही हो चुकी है। 
आज उत्तराखंड   में काष्ठ कला अलंकरण अंकन,  लकड़ी नक्कासी   श्रृंखला में  बरसुड़ी के राजेंद्र कुकरेती परिवार के  भव्य जंगलेदार  मकान में काष्ठ अंकन कला पर चर्चा होगी।  मकान  ढैपुर , दुघर /तिभित्या  है।  मकान के पहली मंजिल में जंगल बंधा है।  बरसुड़ी  में कुकरेती परिवार के मकान संख्या 2  के मकान के पहली मंजिल में सामने व बगल में जंगल स्थापित है।  बरसुड़ी  के कुकरेती परिवार के मकान संख्या  2  में सामने की ओर  के जंगल में  13  स्तम्भ हैं व बगल में आठ स्तम्भ हैं।  सभी स्तम्भ  ज्यामितीय कटान से कटे हैं व सादे स्तम्भ हैं।  आधार की कड़ी व एक फ़ीट ऊपर के कड़े के मध्य के उप स्तम्भ भी सादे हैं।
निष्कर्ष  निकलता है कि  बरसुड़ी  में कुकरेती परिवार के जंगले  के स्तम्भों व उप स्तम्भों  में ज्यामितीय कटान से ही कटान हुआ है।
सूचना व फोटो आभार : राजेंद्र कुकरेती
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्कासी   - 

Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal ;   Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, नक्कासी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; नैनी डांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; नक्कासी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; रिखणी खाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; जहरी खाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , नक्कासी ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; नक्कासी , भवन नक्कासी  नक्कासी


Bhishma Kukreti

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कपलटंडा (धुमाकोट , पौड़ी गढ़वाल ) में स्व   वैदराज बद्री दत्त मधवाल   के मकान में खोली , तिबारी में  काष्ठ कला अलंकरण, अंकन , लकड़ी नक्कासी [/size][/color]
 
 Tibari House Wood Art in House of   Kapal tanda , Pauri Garhwal       
गढ़वाल,  कुमाऊँ, उत्तराखंड, की भवन (तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान, बाखली , खोली  , मोरी, कोटि बनाल ) में 'काठ कुर्याणौ  ब्यूंत '  की   काष्ठ कला अलंकरण, अंकन , लकड़ी नक्कासी- 308
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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 धुमाकोट  क्षेत्र  से मकानों की सूचना अच्छी खासा संख्या मिली हैं।  आज इसी क्रम में  कपलटंडा  (नैनीडांडा , धुमाकोट )  के स्व वैद्यराज बद्री दत्त मधवाल  के विशेष मकान में  खोली व तिबारी में काष्ठ कला अलंकरण, अंकन , लकड़ी नक्कासी पर चर्चा होगी।
 कपल टंडा (धुमाकोट , पौड़ी गढ़वाल ) में स्व   वैदराज बद्री  दत्त मधवाल   के मकान दुपुर , दुघर /तिभित्या  है।  मकान भव्य है व अब मकान का जीर्णोद्धार भी हो चुका है जो  प्रशंसनीय कदम है। 
मकान में काष्ठ कला अलंकरण, अंकन , लकड़ी नक्कासी विश्लेषण हेतु खोली व तिबारी पर टक्क लगानी होगी। 
खोली  (आंतरिक सीढ़ियों का प्रवेशद्वार ) तल मंजिल से पहली मंजिल तक है।  खोली के दोनों ओर कलायुक्त  सिंगाड़ / मुख्य स्तम्भ है।  प्रत्येक मुख्य स्तम्भ छह छह उप स्तम्भों से निर्मित है।   चार उप स्तम्भ आधार से ही प्राकृतिक कलायुक्त कडियों की शक्ल में हैं जिनमे सर्पिल पर्ण -गुल्म अंकन हुआ है।  जबकि दो प्रकार के उप स्तम्भों में कला कुछ  विशेष है।  पहले प्रकार के घुंडीयुक्त  उप स्तम्भ का आधार  की घुंडी /कुम्भी उल्टे कमल दल से निर्मित हुयी है जिसके ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर सीधा कंडल अंकित है फिर एक ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर सीधा कमल दल है।  यहां से स्तम्भ लौकी आकर का है व फिर  सबसे कम मोटाई जगह उलटा कमल दल  अंकित हुआ है जिसके ऊपर ड्यूल है ; ड्यूल के ऊपर सीधा कमल दल खिला है जिसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल है।  यहां से कड़ी /स्तम्भ के ऊपर पर्ण -लता अंकन है व यह कड़ी सीधे ऊपर जाकर बाह्य मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष का स्तर बन जाती है।  दूसरा घुंडी /कुम्भी नुमा उप स्तम्भ  के आधार पर उल्टा कमल दल , दल व  सीधा कमल दल प्रथम किस्म के घुंडीदार उप स्तम्भ जैसे ही अंकन हुआ है।  अंतर् यह है कि दूसरे प्रकार के उप स्तम्भ में ऊपर कोई कमल दल नहीं है।    बाहर के चार उप स्तम्भ ऊपर बाहर के मुरिन्ड का हिस्सा बनते हैं व अंदर के उप स्तम्भ अंदर वाले मुरिन्ड /मथिण्ड  का हिस्सा बनते हैं।  निचले  मुरिन्ड /म्थिन्ड में ऊं  की आकृति स्थापित है।   दोनों मुरिन्ड /मथिण्ड के बीच एक चौखट आकृति है।  इस चौखट आकृति के अंदर  अर्ध चंद्र आकृति है जिसके अंदर चतुर्भुज  लक्ष्मी  देव आकृति स्थापित है।   अर्ध चंद्र आकृति के बाह्य  दोनों कोनों में एक एक सूरजमुखी नुमा फूल अंकित हुए हैं।  खोली के मुरिन्डों  के अगल बगल में तीन तीन दीवालगीर स्थापित हैं।  आंतरिक दीवालगीर में हस्ती /हाथी अंकन हुआ है।  बाह्य दीवालगीरों में ज्यामितीय कटान के गट्टे स्थापित है। 
 कपल टंडा (धुमाकोट , पौड़ी गढ़वाल ) में स्व   वैदराज बद्री  दत्त मधवाल   के मकान में पहली मंजिल में भव्य तिबारी स्थापित है।  तिबारी चार सिंगाड़ों /स्तम्भों की है।  किनारे के स्तम्भ दीवार से पर्ण - गुल्म कला युक्त कड़ी से जुड़ते हैं।  प्रत्येक स्तम्भ के आधार में उलटा कमल दल अंकन हुआ है जो कुम्भी निर्माण करता है।  कुम्भी के ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर सीधा कमल दल है व यहां से स्तम्भ लौकी आकार ग्रहण क्र ऊपर चलता है जहाँ पर सबसे कम मोटाई है वहां उल्टा कमल दल अंकित है फिर ड्यूल है है व ड्यूल के ऊपर खिला कमल पुष्प है।  खले कमल पुष्प से स्तम्भ दो भागों में विभाजित होता है।  स्तम्भ सीधे थांत आकर ले मुरिन्ड  से मिलता है।  जहां से थांत बनता है वहां से अर्ध चाप निकलता है जो सामने के स्तम्भ  के अर्ध चाप से मिल पूर्ण तोरणम बनता है।   तोरणम तिपत्ति नुमा हैं व तोरणम के स्कन्धों के किनारे सूरजमुखी नुमा पुष्प अंकित हैं , स्कंध त्रिभुज में लता पर्ण अंकन भी हुआ है।  मुरिन्ड /म्थिन्ड शीर्ष दो तीन चौखट कड़ियों से निर्मित हैं व प्रत्येक कड़ी में पत्तियों की आकृतियां अंकन हुआ है जो आकर्षण केंद्र हैं।   स्तम्भों में आधार से मुरिन्ड तक flute - flit   (उभार -गहराई ) जैसा अंकन हुआ है।  छपरिका से शंकु नुमा आकृतियां लटक रही हैं। 
 कपल टंडा (धुमाकोट , पौड़ी गढ़वाल ) में स्व   वैदराज बद्री  दत्त मधवाल   के मकान  के शिल्पकार खाटली , वीरोंखाल के   चमनलाल थे। 
निष्कर्ष निकलता है कि कपल टंडा (धुमाकोट , पौड़ी गढ़वाल ) में स्व   वैदराज बद्री  दत्त मधवाल   के  भव्य मकान  में  प्राकृतिक , ज्यामितीय ,  मानवीय अलंकरण कला अंकन हुआ है।  कला भव्य व आकर्षक है। 
सूचना व फोटो आभार: विवेकानंद मधवाल , अध्यापक
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 
Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal ;   Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, लकड़ी नक्काशी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; नैनीडांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; लकड़ी नक्काशी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; रिखणीखाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; जहरीखाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , लकड़ी नक्काशी ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   खम्भों  में  नक्काशी  , भवन नक्काशी  नक्काशी,  मकान की लकड़ी  में नक्श


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सीरी (कर्णप्रयाग , चमोली ) में  रावत परिवार के मकान में  काष्ठ कला अलंकरण अंकन, लकड़ी , नक्काशी

House Wood Carving Art  from   Seeri   , Chamoli   
 गढ़वाल,  कुमाऊं की भवन  (तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान, बाखली, खोली  , मोरी , कोटि बनाल) में 'काठ  कुर्याणौब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण अंकन, लकड़ी , नक्काशी-309 
(अलंकरण व कला पर केंद्रित ) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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 चमोली भवनों में  काष्ठ कला अलंकरण अंकन, लकड़ी , नक्काशी श्रृंखला में आज सीरी में स्व गुमान सिंह रावत व स्व. भोपाल सिंह रावत निर्मित मकान में  काष्ठ कला अलंकरण अंकन, लकड़ी , नक्काशी पर चर्चा होगी।  मकान पांच पीढ़ी पुरानी  अर्थात लगभग 100 वर्ष पुराना भवन है।
   सीरी (कर्णप्रयाग , चमोली ) में  रावत परिवार के मकान  दुपुर , दुघर है।   सीरी (कर्णप्रयाग , चमोली ) में  रावत परिवार के मकान   कुछ विशेष है जिसकी  मुख्य शैली गढ़वाली शैली का है किंतु   जिस पर कुमाऊं  शैली का प्रभाव भी है। 
  काष्ठ कला अलंकरण अंकन, लकड़ी , नक्काशी की दृष्टि से  सीरी (कर्णप्रयाग , चमोली ) के  रावत  परिवार  के मकान के  तल मंजिल पर खोली , खोली के बगल में दूसरे कमरे के सिंगाड़ों , पहली मंजिल में तिबारी व पहली मंजिल में छाज नुमा झरोखे की काष्ठ  कला पर ध्यान देना आवश्यक है। 
  सीरी (कर्णप्रयाग , चमोली ) के  रावत  परिवार  के मकान   में तल मंजिल पर भव्य खोली के चिन्ह  दृष्टिगोचर हो रहे हैं।  खोली (आंतरिक सीढ़ियों का प्रवेश द्वार )के दोनों और मुख्य सिंगाड़ /स्तम्भ काफी चौड़े है जो चमोली गढ़वाल की खोली शैली से कुछ विशेष लगते हैं।  एक ओर  के मुख्य सिंगाड़ के ऊपर कुछ अमूर्त तरह की मानवीय कृतियों का अंकन स्थापित हुआ है।  मुख्य स्तम्भ ऊपर जाकर मुरिन्ड /मथिण्ड का भाग बन जाते हैं।  मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष की चौखट  चौड़ी कड़ी के ऊपर देव आकृति स्थापित है।  ऊपर शीर्ष /मुरिन्ड /मथिण्ड  के बगल में ऊपर  छज्जे के आधार  से एक एक दीवालगीर स्थापित हैं।  दीवालगीर के निम्न भाग में गट्टिकाओं की आकृतियां निर्मि हैं तो सबसे ऊपर हाथी अंकन हुआ है।  हाथी बल , अच्छे भाग्य -सौकारगिरी व शगुन का प्रतीक होता है। छज्जे के आधार का के नीचे मुरिन्ड /मथिण्ड की और शंकु आकृतियां लटकी हैं।
 यल मंजिल में बी खोली के बगल के कमरे के सिंगाड़ /स्तम्भ कुम्भी नुमा हैं।  याने आधार में उल्टा कमल , ड्यूल व ऊपर सीधा कमल अंकन हुआ है। 
पहली मंजिल में चार स्तम्भी /तिख्वळया तिबारी है।  तिबारी का प्रत्येक स्तम्भ के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प दल अंकन है जिसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पदम् पुष्प दल अंकित है।  ऊपर स्तम्भ का एक भाग थांत आकृति बन मुरिन्ड /मथिण्ड  की कड़ियों से मिल जाता है।  ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड से थांत के ऊपर  दीवालगीर हैं; अनुमान लगता है कि दीवालगीर में हस्ती सूंड अंकित हुए हैं।
जहां से स्तम्भ थांत  आकृति धारण करता है वहीं से मेहराब अर्ध चाप भी शुरू होता है।  मेहराब का आंतरिक स्तर तिप्पत्ति नुमा है।  मेहराब के स्कंध त्रिभुजों में सूरजमुखी /बहुदलीय पुष्प अंकित हैं। 
 मकान के पहली मंजिल में तिबारी के बगल में कुछ दूर छाज /झरोखा आकृति का ढुड्यार (छेद ) है।  छाज के दोनों ओर  के मुख्त स्तम्भ उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित हैं।  स्तम्भ में लगभग  तल मंजिल के कमरे की सिंगाड़ के का जैसे  ही हैं।  छाज /झरोखे /ढुड्यार के ऊपरी भाग में कलायुक्त मेहराब /तोरणम है जो भव्य है।
 सीरी (कर्णप्रयाग ) के रावत परिवार के मकान में तल मंजिल में एक  आले  के किनारे व एक छेद  में भी काष्ठ अथवा पाषाण कला  दृष्टिगोचर होते है।
निष्कर्ष निकलता है कि सीरी में स्व गुमान सिंह रावत व  स्व भोपाल सिंह रावत निर्मित  मकान कला दृष्टि से भव्य है व कुछ विशेष भी है। पारम्परिक  मकान के काष्ठ  में ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण अंकन हुआ है।   
सूचना व फोटो आभार: उमेश रावत 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन , लकड़ी नक्काशी श्रंखला जारी   
   House Wood Carving Ornamentation from  Chamoli, Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation/ Art  from  Joshimath ,Chamoli garhwal , Uttarakhand ;  House Wood Carving Ornamentation from  Gairsain Chamoli garhwal , Uttarakhand ;     House Wood Carving Ornamentation from  Karnaprayag Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation from  Pokhari  Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,नक्काशी ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला, नक्काशी  ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला, नक्काशी , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला, नक्काशी श्रृंखला जारी  रहेगी


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कन्यास (उखीमठ , रुद्रप्रयाग ) में  स्व गोविन्द सिंह  नेगी  व बंधु  के भवन में काष्ठ कला अलंकरण अंकन, लकड़ी नक्काशी

Traditional House wood Carving Art of  Kanyas , Rudraprayag         : 
  गढ़वाल,  कुमाऊँ, उत्तराखंड की भवन  (तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान ) में 'काठ कुर्याणौ  ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण अंकन, लकड़ी नक्काशी- 310

 संकलन - भीष्म कुकरेती
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रुद्रप्रयाग व चमोली से काष्ठ कला विश्लेषण हेतु अच्छी संख्या में सूचनायें  मिलीं हैं।  आज इसी क्रम में स्व  त्रिलोक सिंह नेगी व बलबीर सिंह नेगी द्वारा निर्मित मकान  में काष्ठ कला अलंकरण अंकन, लकड़ी नक्काशी पर चर्चा की जाएगी। 
  स्व  त्रिलोक सिंह नेगी व बलबीर सिंह नेगी द्वारा निर्मित मकान , दुपुर दुघर मकान है।  मकान में काष्ठ  कला समझने हेतु मकान के तल मंजिल में खोली व पहली मंजिल में जंगले केस्तम्भों पर ध्यान देना होगा।
मकान की खोली तल मंजिल में है।  खोली का मुख्य स्तम्भ उप स्तम्भों के युग्म /जोड़ से निर्मित है। उप स्तम्भों  में रुद्रप्रयाग जनपद के खोलियों जैसी ही कला मिलती है। खोली के शीर्ष में मुरिन्ड।/मथिण्ड के चौखट में देव आकृति स्थापित है।
 पहली मंजिल में छज्जे की बाहरी छोर के ऊपर दस लकड़ी के गोल स्तम्भ /खाम है जो आधार से ऊपर छत के आधार की लकड़ी पट्टिकाओं से मिल जाते हैं।  स्तम्भों में ज्यामितीय कटान की कला अंकन हुयी है। मकान 30  वर्ष पुराना है तो मकान की लकड़ी में कटान व कला भी वर्तमान शैली के हैं।
   
सूचना व फोटो आभार:  पृथ्वी सिंह केदारखण्डी
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
 Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag    Garhwal  Uttarakhand , Himalaya   
  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों,, डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण , नक्काशी  श्रृंखला 
  गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली   ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन )  - 
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी , जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला, नक्काशी  ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग  में भवन काष्ठ कला अंकन, नक्काशी  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में द्वारों में नक्काशी ,  स्तम्भों  में नक्काशी

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उडार्सू  ( पलिगाड , जौनपुर , टिहरी ) के एक मकान में  काष्ठ  कला , अलकंरण , अंकन, लकड़ी नक्काशी

Traditional House Wood Carving Art of  ,Odarsu , Jaunpur  Tehri   
  गढ़वाल, कुमाऊं, देहरादून , हरिद्वार,भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली, खोली, मोरी , कोटि बनाल ) में काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' से  काष्ठ  कला , अलकंरण , अंकन, लकड़ी नक्काशी-  311     

संकलन - भीष्म कुकरेती 
जौनपुर क्षेत्र से शुरू से ही कलायुक्त भवनों की सूचना मिलती रही हैं।  आज उडार्सू  के एक भव्य मकान की तिबारी में कला , अलंकरण , अकन पर चर्चा होगी।  मकान दुपुर , दुघर है।  तिबारी पहली मंजिल में स्थापित है।  तिबारी छखम्या (स्तम्भ या सिंगाड ) व पंचख्वळया है।  प्रत्येक सिंगाड़ /स्तम्भ में एक समान कला अंकन  हुआ है।  प्रत्येक स्तम्भ  चौकोर पत्थर डॉळ के ऊपर स्थापित है।  स्तम्भ के आधार पर अधोगामी पद्म पुष्प अंकित हुआ है जो कुम्भी निर्माण करता है।  कुम्भी के ऊपर ड्यूल है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी पदम् पुष्प अंकन हुआ है।  सीधे कमल दल से स्रम्भ लौकी आकार ग्रहण कर ऊपर बढ़ता है।  जहाँ पर मोटाई म है वहां  पर उल्टा कमल दल है व उसके ऊपर ड्यूल है ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी कमल दल है व कमल दल के ऊपर चौकोर आधार है।   यहां से स्तम्भ एक ओर सीधा मुरिन्ड /शीर्ष कड़ी से मिलने थांत रुप  धारण करता है।  और दूसरी ओर  स्तम्भ से मेहराब का अर्ध चाप भी निकलता है।  अर्ध चाप सामने वाले स्तम्भ के अर्ध चाप से मिल पूर्ण चाप याने तोरणम निर्माण करता है।  थांत आकर के दोनों ओर स्तम्भ में प्राकृतिक जंजीर नुमा लता अंकन हुआ है।  तोरणम /मेहराब के स्कंध के त्रिभुज में    किनारे पर  सूरजमुखी पुष्प अंकन हुआ है व शेष स्थल में पुष्प पंखुड़ियां व पत्तियों  का अंकन हुआ है। 
शीर्ष कडिओं में प्राकृतिक व ज्यामितीय अलंकरण का मिश्रित अंकन हुआ है।  छत आधार से अर्ध पत्तियों का कटान लिए तोरण  पट्टिका है। 
स्तम्भ के ऊपर उभार व गड्ढे अंकन हुआ है।
 निष्कर्ष निकलता है कि उडार्सू  (जौनपुर टिहरी ) के चर्चित मकान में ज्यामितीय व प्राकृतिक काष्ठ कला अलंकरण हुआ है। 
 
  सूचना व फोटो आभार: नीरज कुकरेती   

यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटी  संभव है I 
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गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल     ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला , लकड़ी नकाशी   
घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , नक्काशी ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , नक्काशी ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखणी  तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , नक्काशी ;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ; House Wood carving Art from   Tehri; 

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मुखबा  (श्री  गंगा मूर्ति शीत  काल निवास  उत्तरकाशी  )   में  सेमवाल परिवार के  पारम्परिक  भवन (संख्या  - 1 ) में काष्ठ  कला, अलकंरण, अंकन,लकड़ी नक्काशी

Traditional House wood Carving Art in , Mukhba    Uttarkashi   
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में काठ,  कुर्याणौ  ब्यूंत'  काष्ठ  कला, अलकंरण, अंकन,लकड़ी नक्काशी - 312
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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मुखबा ,  गंगोत्री   धाम के तीर्थ पुरोहितों का गाँव है व   मां  गंगा  मूर्ति  का शीत  शालीन प्रवास स्थल भी है।  मुखबा  , मां  गंगा मूर्ति  प्रवास स्थल  हेतु ही प्रसिद्ध नहीं है अपितु  गंगोत्री  धाम पुरोहितों (सेमवाल )  के पारम्परिक भवनों के लिए भी प्रसिद्ध है।   मकानों में काष्ठ  कार्य हिम पात  के अनुसार ही रचे गए हैं।  मुखबा  से भी कई मकानों की सूचना मिली है  जिनकी  काष्ठ  शैली  व कला विशेष  हैं। 
आज इसी क्रम में  मुखबा में  गंगोत्री धाम  पुरोहित  रजत  सेमवाल परिवार   के प्रारम्परिक मकान में  काष्ठ  कला, अलकंरण, अंकन,लकड़ी नक्काशी  पर चर्चा होगी।
गंगोत्ररी धाम पुरोहित परिवार के रजत  सेमवाल  ने अपने  पारंपरिक भवनों के कुछ  चित्र भेजे हैं अत: इन्हें संख्या से ही पहचानना  होगा।  मुखबा के  भवन संख्या  1  भी विशेष भवन है।  मुखबा में  गंगोत्री धाम पुरोहित परिवार का यह भवन लकड़ी )देवदारु ) व पत्थरों से ही बना है और नक्श कला गुरु जय ठक्कर  अनुसार उत्तराखंड के सभी मकान कोटि बनाल  शैली के ही कहलाये जाएंगे ( क्योंकि पहाड़ों में छत आधार व मंजिल आधार में भी लकड़ी के तख्ते प्रयोग होते हैं )।प्रस्तुत भवन तो कोटि बनल तकनीक का उत्तम नमूना है।    मुखबा में  गंगोत्री धाम पुरोहित परिवार का यह भवन भी कोटि बनाल तकनीक /शैली का ही ही।  भवन तिपुर -दुखंड /तिभित्या  है।  तिभित्या का अर्थ होता है तीन भीत याने तीन दीवारें जो  दो खंड बनाते हैं  -भैर खंड व भितर खंड ( बाह्य खंड व भीतर   खंड )। 
भवन में काष्ठ कला व शैली समझने हेतु तीनों तलों में ध्यान देना आवश्यक है।   
गंगोत्तरी धाम पुरोहित सेमवाल परिवार के भवन (सं -१) तल  मंजिल में  बरांडा /  दलान है जो भंडार व गौशाला के  उपयोग में  आता है। तीनों मंजिलों में बरामदे है।   बरांडे के बाहर की किनारे पर आठ सिंगाड़ /स्तम्भों  वाले सात ख्वाळ  जिनके  उपर तोरणम/मेहराब बने हैं।  सिंगाड़/स्तम्भ के आधार में अधोगामी पद्म पुष्प दल से कुम्भी निर्मित है। कुम्भी के ऊपर तीन ड्यूल। हैं  ड्यूल के  ऊपर उर्घ्वगामी पदम पुष्प दल  आकृति अंकित हुयी है।  सीधे कमल पुष्प के ऊपर से सिंगाड़  का  आकार  लौकी नुमा (आधार पर मोटा व  सबसे ऊपर  सबसे कम मोटाई ) हो जाता है।  जहां सबसे कम मोटाई है वहां पर दल है व ड्यूल के ऊपर खिलता कमल फूल है व यहां से स्तम्भ ऊपर जाकर  मुरिन्ड /मथिण्ड  कड़ी से मिलता है।  यहीं से स्तम्भ से मेहराब का अर्ध चाप भी निकलता है जो सामने के स्तम्भ के अर्ध चाप से मिलकर पूर्ण तोरणम /मेहराब बनाता है।  शीर्ष कड़ी के ऊपर लघु स्तम्भ (जैसे कला युक्त पलंग के पाए )  जड़े हैं जो बी या पच्चीस की संख्या में होंगे। इन उप स्तम्भों के ऊपर एक  टिकाऊ कड़ी है व उस कड़ी ऊपर एक और कड़ी है जो पहली मंजिल का फर्श /धरातल भी बनती है। पहली मंजिल के इस धरातल की कड़ी के ऊपर उतने ही स्तम्भ हैं जितने यल मंजिल में हैं। स्तम्भों की  बनावट व कला शैली तल मंजिल के पूरी नकल है।  पहली मजिल के शीर्ष की कड़ी दूसरी मजिल के फर्श /धरातल की भी कड़ी है।  पहली  मंजिल के ऊपरी शीर्ष की कड़ी के ऊपर दो तीन और मजबूत कड़ी हैं।  ऊपरी कड़ी पर 15 से अधिक सिंगाड़ /स्तम्भ है व इन स्तम्भों/ तोरणमो  की  कला व बनावट   बिलकुल  तल व पहली मंजिल के स्तम्भों व तोरणम जैसे ही हैं। दूसरी मंजिल के  स्तम्भ मध्य ख्वाळों में आधार पर जंगला बंधा है व प्रत्येक जंगले में XI X  आकृति के जंगला  है।  दूसरी मंजिल की ऊपरी कड़ी भी बहुत मजबूत है जिसके ऊपर छत का आधार है।
मकान के पहले मंजिल के  स्तम्भ थांत  आकृति  के ऊपर पक्षी आकृति के दीवालगीर दृष्टिगोचर हो रहे हैं। 
 एक तरह से कह सकते हैं कि  पवित्र धाम मुखबा में गंगोत्री धाम के पुरोहित सेमवाल परिवार के मकान संख्या 1 में तल मंजिल , पहली मंजिल व दूसरी मंजिल में तिबारी हैं जिसके स्तम्भों में प्राकृतिक व मानवीय (पक्षी अंकन ) कला अलंकरण अंकन हुआ है।  भवन बहुत ही विशेष श्रेणी (Exclusive )  में गिना जायेगा।   
सूचना व फोटो आभार : रजत  सेमवाल
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020     
 Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of   Bhatwari , Uttarkashi Garhwal ,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Rajgarhi ,Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of  Dunda, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Chiniysaur, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   उत्तरकाशी मकान लकड़ी नक्कासी , भटवाडी मकान लकड़ी नक्कासी ,  रायगढी    उत्तरकाशी मकान लकड़ी नक्कासी , चिनियासौड़  उत्तरकाशी मकान लकड़ी नक्कासी   श्रृंखला जारी रहेगी

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कंताला   (Dehradun ) में  एक मकान में  काष्ठ  कला  अंकन  अलंकरण, लकड़ी नक्कासी

Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of  Kantala
गढ़वाल, उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार , बाखली  , कोटि बनाल , खोली , मोरी    ) में    काठ लछ्याणौ ,  कुर्याणौ पाड़ी  ब्यूंत'     काष्ठ अंकन लोक कला  अलंकरण, लकड़ी नक्कासी- 313
   
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 संकलन - भीष्म कुकरेती
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मसूरी -चम्बा  रोड पर स्थित  कंताला गांव  पारम्परिक मकानों  के लिए भाग्यशाली गांव है।  भवन काष्ठ कला श्रृंखला में  आज प्रस्तुत जंगलेदार  मकान में काष्ठ  कला  पर चर्चा होगी।  प्रस्तुत भवन ढैपुर  -दुखंड/दुघर  मकान है।   काष्ठ   कला दृष्टिकोण से मकान में जगंले पर ध्यान देना आवश्यक है। 
मकान के पहली मंजिल में जंगलेदार  संरचना   दस स्तम्भों से निर्मित है।  स्तम्भ  छज्जे  के आधार पर टिके  हैं व ऊपर छत आधार की कड़ी से मिले हैं।  स्तम्भ के आधार पर   आधार से चार फ़ीट  तक स्तम्भ  के दोनों और छिलपट्टी  लगे हैं जिससे स्तम्भ मोटा दीखते हैं।  छज्जे के दो फिट ऊंचाई में एक   कड़ी रेलिंग बनती है। रेलिंग कड़ी से सीधे गोल उप स्तम्भ जड़े हैं। 
कंताला के प्रस्तुत मकान में सब स्थलों में  ज्यामितीय कटान की ही कला दृष्टिगोचर होता है। 
सूचना व फोटो आभार :  नवीन  बडोला
यह लेख कला संबंधित है न कि  मिल्कियत संबंधी ,.  ये सूचनायें  श्रुति माध्यम से मिलती हैं अत:  भौगोलिक व  मिल्कियत  सूचना में व असलियत में अंतर हो सकता है जिसके लिए  संकलन कर्ता व  सूचना दाता  उत्तरदायी नही हैं .
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देहरादून , गढ़वाल में तिबारी , निमदारी , जंगलेदार, बाखली , कोटि बनाल  मकानों में काष्ठ कला , अलंकरण , नक्कासी  श्रृंखला जारी रहेगी
 Traditional House Wood Carving of Dehradun Garhwal , Uttarakhand , Himalaya  will be continued -
  House Wood Carving Ornamentation from Vikasnagar Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from Doiwala Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from Rishikesh  Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from  Chakrata Dehradun ;  House Wood Carving Ornamentation from  Kalsi Dehradun ;  चकराता , देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ;  डोईवाला देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ;  विकासनगर देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ; कालसी देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी ;  ऋषीकेश देहरादून में मकान में लकड़ी पर नक्कासी श्रृंखला जारी रहेगी 


 

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