कपलटंडा (धुमाकोट , पौड़ी गढ़वाल ) में स्व वैदराज बद्री दत्त मधवाल के मकान में खोली , तिबारी में काष्ठ कला अलंकरण, अंकन , लकड़ी नक्कासी [/size][/color]
Tibari House Wood Art in House of Kapal tanda , Pauri Garhwal
गढ़वाल, कुमाऊँ, उत्तराखंड, की भवन (तिबारी, निमदारी, जंगलादार मकान, बाखली , खोली , मोरी, कोटि बनाल ) में 'काठ कुर्याणौ ब्यूंत ' की काष्ठ कला अलंकरण, अंकन , लकड़ी नक्कासी- 308
संकलन - भीष्म कुकरेती
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धुमाकोट क्षेत्र से मकानों की सूचना अच्छी खासा संख्या मिली हैं। आज इसी क्रम में कपलटंडा (नैनीडांडा , धुमाकोट ) के स्व वैद्यराज बद्री दत्त मधवाल के विशेष मकान में खोली व तिबारी में काष्ठ कला अलंकरण, अंकन , लकड़ी नक्कासी पर चर्चा होगी।
कपल टंडा (धुमाकोट , पौड़ी गढ़वाल ) में स्व वैदराज बद्री दत्त मधवाल के मकान दुपुर , दुघर /तिभित्या है। मकान भव्य है व अब मकान का जीर्णोद्धार भी हो चुका है जो प्रशंसनीय कदम है।
मकान में काष्ठ कला अलंकरण, अंकन , लकड़ी नक्कासी विश्लेषण हेतु खोली व तिबारी पर टक्क लगानी होगी।
खोली (आंतरिक सीढ़ियों का प्रवेशद्वार ) तल मंजिल से पहली मंजिल तक है। खोली के दोनों ओर कलायुक्त सिंगाड़ / मुख्य स्तम्भ है। प्रत्येक मुख्य स्तम्भ छह छह उप स्तम्भों से निर्मित है। चार उप स्तम्भ आधार से ही प्राकृतिक कलायुक्त कडियों की शक्ल में हैं जिनमे सर्पिल पर्ण -गुल्म अंकन हुआ है। जबकि दो प्रकार के उप स्तम्भों में कला कुछ विशेष है। पहले प्रकार के घुंडीयुक्त उप स्तम्भ का आधार की घुंडी /कुम्भी उल्टे कमल दल से निर्मित हुयी है जिसके ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर सीधा कंडल अंकित है फिर एक ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर सीधा कमल दल है। यहां से स्तम्भ लौकी आकर का है व फिर सबसे कम मोटाई जगह उलटा कमल दल अंकित हुआ है जिसके ऊपर ड्यूल है ; ड्यूल के ऊपर सीधा कमल दल खिला है जिसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल है। यहां से कड़ी /स्तम्भ के ऊपर पर्ण -लता अंकन है व यह कड़ी सीधे ऊपर जाकर बाह्य मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष का स्तर बन जाती है। दूसरा घुंडी /कुम्भी नुमा उप स्तम्भ के आधार पर उल्टा कमल दल , दल व सीधा कमल दल प्रथम किस्म के घुंडीदार उप स्तम्भ जैसे ही अंकन हुआ है। अंतर् यह है कि दूसरे प्रकार के उप स्तम्भ में ऊपर कोई कमल दल नहीं है। बाहर के चार उप स्तम्भ ऊपर बाहर के मुरिन्ड का हिस्सा बनते हैं व अंदर के उप स्तम्भ अंदर वाले मुरिन्ड /मथिण्ड का हिस्सा बनते हैं। निचले मुरिन्ड /म्थिन्ड में ऊं की आकृति स्थापित है। दोनों मुरिन्ड /मथिण्ड के बीच एक चौखट आकृति है। इस चौखट आकृति के अंदर अर्ध चंद्र आकृति है जिसके अंदर चतुर्भुज लक्ष्मी देव आकृति स्थापित है। अर्ध चंद्र आकृति के बाह्य दोनों कोनों में एक एक सूरजमुखी नुमा फूल अंकित हुए हैं। खोली के मुरिन्डों के अगल बगल में तीन तीन दीवालगीर स्थापित हैं। आंतरिक दीवालगीर में हस्ती /हाथी अंकन हुआ है। बाह्य दीवालगीरों में ज्यामितीय कटान के गट्टे स्थापित है।
कपल टंडा (धुमाकोट , पौड़ी गढ़वाल ) में स्व वैदराज बद्री दत्त मधवाल के मकान में पहली मंजिल में भव्य तिबारी स्थापित है। तिबारी चार सिंगाड़ों /स्तम्भों की है। किनारे के स्तम्भ दीवार से पर्ण - गुल्म कला युक्त कड़ी से जुड़ते हैं। प्रत्येक स्तम्भ के आधार में उलटा कमल दल अंकन हुआ है जो कुम्भी निर्माण करता है। कुम्भी के ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर सीधा कमल दल है व यहां से स्तम्भ लौकी आकार ग्रहण क्र ऊपर चलता है जहाँ पर सबसे कम मोटाई है वहां उल्टा कमल दल अंकित है फिर ड्यूल है है व ड्यूल के ऊपर खिला कमल पुष्प है। खले कमल पुष्प से स्तम्भ दो भागों में विभाजित होता है। स्तम्भ सीधे थांत आकर ले मुरिन्ड से मिलता है। जहां से थांत बनता है वहां से अर्ध चाप निकलता है जो सामने के स्तम्भ के अर्ध चाप से मिल पूर्ण तोरणम बनता है। तोरणम तिपत्ति नुमा हैं व तोरणम के स्कन्धों के किनारे सूरजमुखी नुमा पुष्प अंकित हैं , स्कंध त्रिभुज में लता पर्ण अंकन भी हुआ है। मुरिन्ड /म्थिन्ड शीर्ष दो तीन चौखट कड़ियों से निर्मित हैं व प्रत्येक कड़ी में पत्तियों की आकृतियां अंकन हुआ है जो आकर्षण केंद्र हैं। स्तम्भों में आधार से मुरिन्ड तक flute - flit (उभार -गहराई ) जैसा अंकन हुआ है। छपरिका से शंकु नुमा आकृतियां लटक रही हैं।
कपल टंडा (धुमाकोट , पौड़ी गढ़वाल ) में स्व वैदराज बद्री दत्त मधवाल के मकान के शिल्पकार खाटली , वीरोंखाल के चमनलाल थे।
निष्कर्ष निकलता है कि कपल टंडा (धुमाकोट , पौड़ी गढ़वाल ) में स्व वैदराज बद्री दत्त मधवाल के भव्य मकान में प्राकृतिक , ज्यामितीय , मानवीय अलंकरण कला अंकन हुआ है। कला भव्य व आकर्षक है।
सूचना व फोटो आभार: विवेकानंद मधवाल , अध्यापक
यह लेख भवन कला संबंधित है . भौगोलिक स्थिति व मालिकाना जानकारी श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए सूचना दाता व संकलन कर्ता उत्तरदायी नही हैं .
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गढ़वाल, कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान ,बाखली , बाखई, कोटि बनाल ) काष्ठ कला अंकन नक्काशी श्रृंखला जारी रहेगी -
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