Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 39591 times)

Bhishma Kukreti

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1946  के रानीखेत  बजार प्रवेश द्वार में मकान संख्या 1  में   काष्ठ कला, अंकन  अलंकरण, लकड़ी नक्काशी  1

   Traditional House Wood Carving Art in Ranikhet ,  Nainital; 
 कुमाऊँ , गढ़वाल, हरिद्वार उत्तराखंड ,  के भवन  ( बाखली  ,   तिबारी , निमदारी , जंगलादार  मकान ,  खोली  ,  कोटि बनाल   )  में  'काठ   कुर्याणौ  ब्यूंत' की   काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, लकड़ी नक्काशी- 314
संकलन - भीष्म कुकरेती
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जागरूक मित्र  इस लेखक की श्रृंखला से अति प्रभावित होकर कई प्रकार से सहायता कर रहे हैं सहयोग कर रहे हैं।  ऐसे ही रानीखेत बजार प्रवेश द्वार की एक छाया चित्र  की सूचना मिली जो इस श्रृंखला हेतु बहुत ही महत्वपूर्ण है व उत्तराखंड के पहाड़ों में गृह वास्तु व नगर वास्तु विकास की खोज खबर देने में सक्षम है।
प्रस्तुत फोटो में दो  मकान हैं जो  काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, लकड़ी नक्काशी हेतु महत्वपूर्ण है।  आज सामने से दिख रहे दाएं ओर के मकान की काष्ठ कला पर चर्चा होगी। प्रवेश द्वार के दाहनी ओर  का मकान तिपुर या ढैपुर शैली का है व ढलवां छत वाला मकान है।  छत चद्दर  की है.। तल मंजिल के  बरामदे  में शायद दूध या कुछ अन्य वस्तु बिक रही है।  बरामदे की  एक  दीवार चौखट स्तम्भ से बनी है।   पहली मंजिल में लकड़ी नक्काशी /कला दृष्टि से दो स्थल महत्वपूर्ण है -
पहला -  तल मंजिल के बरामदे के ऊपर का बरामदा नुमा संरचना को खिड़कियों व  खड़कयों के झरोखों को आकर्षक ज्यामितीय कलायुक्त  तख्तों से या दरवाजों से ढका गया है। दूसरा - पहली मंजिल में ढके बरामदे से सटा एक अन्य  खुला बरामदा है।  खुले बरामदे में बाहर की और जंगल रेलिंग है।  दो फिट की रेलिंग के मध्य XX नुमा उप स्तम्भ या जंगले हैं।  रेलिंग के भीतरी ओर स्तम्भ हैं जो आकर्षक हैं व स्तम्भ नीचे लौकी नुमा संरचना के हैं याने नीचे गोल मोटे व ऊपर कम गोल।
ढैपुर  के लकड़ी में कौन से प्रकार ली काष्ठ  कला हुयी है इस फोटो से पता लगाना मुश्किल है।
मकान में पहाड़ी अथवा कुमाऊं शैली की काष्ठ  कला दर्शनीय नहीं है अर्थात मकान ब्रिटिश अधिकारियों ने निर्मित किया या मकान निर्माण में ब्रिटिश प्रभाव पूर्णतया हार्वी रहा।
मकान में केवल ज्यामितीय कटान की कला , अलंकरण ही दृष्टिगोचर हो रहा है।  संभवतया यह मकान दर्शाता है कि किस तरह कुमाऊं भवन कला ब्रिटिश कला से प्रभावित हुयी। 
सूचना- प्रगति चौहान ,  फोटो आभार:  आर्किव (Old Indian Photos 1940s )
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
  Traditional House Wood Carving Art in Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in Haldwani ,  Nainital;   Traditional House Wood Carving Art in  Ramnagar , Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in  Lalkuan , Nainital; 
नैनीताल में मकान , लकड़ी नक्काशी ; हल्द्वानी ,  नैनीताल में मकान , लकड़ी नक्काशी ; रामनगर  नैनीताल में मकान , लकड़ी नक्काशी ; लालकुंआ नैनीताल में मकान , लकड़ी नक्काशी ;

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माझली (अल्मोड़ा ) के एक भवन में काष्ठ कला अलंकरण
Traditional House Wood Carving art of , Almora , Kumaon
 
कुमाऊँ , गढ़वाल, हरिद्वार उत्तराखंड , के भवन  ( बाखली  ,   तिबारी , निमदारी , जंगलादार  मकान,  खोली,  ,  कोटि बनाल   )   में   'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला अंकन  अलंकरण,लकड़ी पर  नक्काशी-  315
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 पारम्परिक  वास्तु (Vernacular Archetechture )  की दृष्टि में अल्मोड़ा जनपद  बहुत  भाग्यशाली है।  आज  कुमाऊं के माझली  गांव के एक पारम्परिक  भवन में काष्ठ कला ,  अंकन , अलंकरण पर चर्चा होगी। प्रस्तुत भवन दुपुर (तल+1 ) , दुखंड /तिभित्या मकान है।  मकान का जीर्णोद्धार संभवतया  गृह -वास /होम  स्टे  हेतु हुआ है क्योंकि  तल मंजिल में कमरे मानवीय वास के लिए तैयार कर दिए गए हैं। 
माझली  के प्रस्तुत मकान में  काष्ठ कला  अंकन समझने हेतु तल मंजिल  से पहली मंजिल तक गयी खोली , पहली मंजिल में दो छाजों /झरोखों व दोनोमंज़िलों में छोटी छोटी मोरियों /खिड़कियों  में काष्ठ अंकन पर ध्यान देना होगा।
माझली  के इस मकान की खोली  (आंतरिक सीढ़ी  ) तल मंजिल से पहली मंजिल तक गयी है।  खोली के दोनों ओर  तीन तीन उप स्तम्भों  के युग्म /जोड़ से निर्मित मुख्य  सिंगाड़ स्तम्भ हैं।  उप स्तम्भों के आधार में अधोगामी  पद्म पुष्प अंकन से कुम्भी निर्मित हुयी है जिसके ऊपर  ड्यूल है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प अंकित है।   यहां से  उप स्तम्भ सीधे  हो ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड से मिल जाते और मुरिन्ड के स्तर  बन  जाते हैं।  खोली के मुरिन्ड के निम्न तल  के ऊपर देव आकृति स्थापित है। 
 पहली मंजिल में खोली के दोनों ओर  एक एक छाजों /ढुड्यार/छेद /झरोखे से निर्मित छाज  हैं।   छाजों  के मुख्य स्तम्भ तीन तीन उप स्तम्भों से निर्मित हैं।  छाजों के उप स्तम्भों में लगभग वही कला अंकन हुआ है जो खोली के उप स्तम्भों में हुआ है।  छाजों के उप स्तम्भों में कुम्भी , कमल का दुहराव दृष्टिगोचर होते हैं।
इस भवन की विशेषता है कि खोली व छाजों के मुरिन्ड /शीर्ष में कोई तोरणम /मेहराब /arch  निर्मित नहीं हुआ है
हो रहा है।  छाज में आधार के रेलिंग में जंगले पर  बेलन नुमा उप स्तम्भ स्थापित हैं। 
तल मंजिल व पहली मंजिल में तेन तीन से अधिक मोरी /लघु खिड़कियां हैं खिड़कियों के दरवाजों में  बेल बूटों का अंकन दृष्टिगोचर हो रहे हैं।  मोरियों के ऊपर काठ का तोरणम व उसके ऊपर मिट्टी -पत्थर का तोरणम निर्मित हुए हैं।  काठ तोरणम के ऊपर बेल बूटों का अंकन हुआ है।
निष्कर्ष निकलता है माझली  के प्रस्तुत मकान में प्राकृतिक व ज्यामितीय कटान का अलंकन हुआ है।
सूचना व फोटो आभार :   जगदीश तिवारी
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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Traditional House Wood Carving art of , Kumaon ;गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली, कोटि  बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन, लकड़ी पर नक्काशी   
अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भिकयासैनण , अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  रानीखेत   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भनोली   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सोमेश्वर  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; द्वारहाट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; चखुटिया  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  जैंती  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सल्ट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;


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 अद्वैत्य आश्रम  (चम्पावत )  भवन में  काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, लकड़ी नक्कासी

Traditional House Wood carving Art of  Champawat, Kumaun 
कुमाऊँ ,गढ़वाल,  हरिद्वार उत्तराखंड  के भवन  ( बाखली,  तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान ,  खोली ,कोटि बनाल   )  में  'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत 'की  काष्ठ कला अंकन , अलंकरण, लकड़ी नक्कासी-316
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 लोहाघाट (चम्पावत )  में अद्वैत्य आश्रम  मायावती  प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है।  आश्रम का भवन नई शैली व ब्रिटिश शैली  से  प्रभावित भवन है।   आश्रम भवन  दुपुर है व बहुखंडी  लगता है।   भवन में इस श्रृंखला हेतु काष्ठ कला  दृष्टि से   पहली मंजिल में ध्यान देना  आवश्यक है।
 आश्रम भवन के पहली मंजिल में दो विभाग हैं।  मध्य में  बरामदे को  कांच युक्त दरवाजों से ढका गया है।  दरवाजों में आम ज्यामितीय कटान  कला  दृष्टिगोचर  हो रही है।  जबकि मध्य भाग के दोनों  ओर अगल -बगल  व दूसरी  और  में  बरांडे  खुले हैं व छज्जे के किनारे से  चार चार स्तम्भ हैं याने कुल बढ़ स्तम्भ है।  ये स्तम्भ छज्जे से ऊपर जाकर ऊपरी कड़ियों से मिल जाते हैं।  सभी स्तम्भ साधारण चौखट आकर का कला के स्तम्भ हैं।   स्तम्भों के आधार में दो स्तम्भों के मध्य दो ढाई फिट तक रेलिंग कड़ी है।  दो रेलिंग कड़ियों के मध्य XI X  जंगले  निर्मित हैं। 
निष्कर्ष  निकालना सरल है कि  अद्वैत आश्रम , मायावती , लोहाघाट  के भवन में लकड़ी का उत्तम कार्य हुआ है किंतु  सभी  स्थलों में ज्यामितीय कटान से ज्यामितीय आकर निर्मित हुए हैं जैसे कड़ियाँ व स्तम्भ चौकोर /रेक्टैंगुलर  आकृति में स्थापित हैं।   
सूचना व फोटो आभार : उमेश चमोला
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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Bakhali House wood Carving Art in  Champawat Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali  House wood Carving Art in  Lohaghat Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali , House wood Carving Art in  Poornagiri Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  Bakhali , House wood Carving Art in Pati Tehsil ,  Champawat, Uttarakhand;  चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला, नक्कासी ;  चम्पावत    तहसील , चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला, नक्कासी ; लोहाघाट तहसील   चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला, नक्कासी ;    पूर्णगिरी तहसील ,    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला, नक्कासी ;   पटी तहसील    चम्पावत , उत्तराखंड में भवन काष्ठ कला, नक्कासी

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गोगिना (बागेश्वर) के  एक  मकान  के छाज में   काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी

Tradiitoanal  House wood Carving Art in Bageshwar , Uttarakhand
कुमाऊँ , गढ़वाल, हरिद्वार उत्तराखंड, के भवन  ( बाखली  ,   तिबारी , निमदारी, जंगलादार  मकान,खोली, कोटि बनाल) में 'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण, लकड़ी नक्काशी-317 
संकलन - भीष्म कुकरेती
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 बागेश्वर से  कई  मकानों की सूचना  मिल रही है जिनमे  उत्तम प्रकार की काष्ठ कला स्थापित है।  ऐसी ही सूचना गोगिना (बागेश्वर ) के एक मकान के छाज  (झरोखा , ढुड्यार ) की सुचना मिली है जिसमें काष्ठ  कला  विद्यमान है। 
छाज में दो  ढुड्यार (छेद ) हैं जिसके  एक ओर  उप स्तम्भों के युग्म /  जोड़ से मुख्य स्तम्भ हैं।  दोनों ढुड्यार  के मध्य वाले  मुख्य स्तम्भ    में तीन उप स्तम्भ हैं एक एक  किनारे पर व मध्य में मोटा उप स्तम्भ।    कला दृष्टि से सभी सातों स्तम्भों में कला   एक सामान है। केवल आकार में अंतर् हो सकता है।
स्तम्भों के  सभी आधार  चौखट हैं।   चौखट आधारों के ऊपर के चौखट अंदर  सांप जैसी  आकृति अंकित हुयी है।  इस चौखट आकृति के ऊपर  एक घड़ा नुमा आकृति है जिसके आधार में ड्यूल है फिर घड़े के मध्य   प्राकृतिक लकीरों की कला अंकन है।  इस चौखट आकृति के ऊपर पत्तियों  की  व अंडाकार  पुष्प जैसी आकृति अंकित है।    इस अंडाकार  आकृति व पट्टी आकृति के ऊपर  से स्तम्भ सीधे चौखट हो ऊपर  शीर्ष /मुरिन्ड /मथिण्ड  से मिल उसका स्तर  बन जाते हैं।  मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष चौखट है। 
निष्कर्ष निकलता है कि  बागेश्वर के गोगिना के एक मकान के छाज  के स्तम्भों में अति उत्तम प्रकार  की कला अंकन हुआ है।   सूक्ष्म अंकन की जितनी प्रशंसा  की जाय उतना कम ही है। 
 फोटो आभार: अमित शाह
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  .  भौगोलिक  व मालिकाना    सूचना    श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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 कांडा तहसील , बागेश्वर में परंपरागत मकानों में लकड़ी नक्काशी (काष्ठकला अंकन ) ;   गरुड़, बागेश्वर में परंपरागत मकानों में लकड़ी नक्काशी (काष्ठकला अंकन ) ; कपकोट ,  बागेश्वर में परंपरागत मकानों में लकड़ी नक्काशी (काष्ठकला अंकन )


Bhishma Kukreti

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गंगोलीहाट  (, पिथौरागढ़ ) में पंत परिवार के भव्य भवन में  काष्ठ कला अलंकरण , अंकन

   Traditional House Wood Carving Art  i of  Chitgal , Gangolihat , Pithoragarh
गढ़वाल,कुमाऊँ, उत्तराखंड, के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,जंगलादार  मकान, खोली, कोटि बनाल   )  में 'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण अंकन  लकड़ी नक्काशी-318   
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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पिथौरागढ़ से मित्रों की सहायता से भव्य काष्ठ  कला युक्त भवनों की अच्छी  संख्या  में सूचना  मिलती जा रही हैं।   इसी श्रृंखला में आज चिटगल  (गंगोलोहाट ) पिथौरागढ़ में पंत परिवार के भव्य भवन (बाखली ) में काष्ठ कला , अलंकरण अंकन पर चर्चा होगी।
चिटगल  में पंत परिवार  का भवन  दुपुर व दुखंड भवन है।  चिटगल में  पंत  परिवार के भवन में लकड़ी नक्कासी विश्लेषण हेतु निम्न भागों में ध्यान आवश्यक है -
पंत परिवार के भवन में तल मंज़िल में  दो खोलियों में काष्ठ कला अंकन
चिटगल में पंत परिवार के भवन में  पहली मंजिल में चार छाजों /झरोखों /ढुड्यारों  में काष्ठ  कला अंकन
भवन में तल मंजिल में कमरों के स्तम्भों में कला व दरवाजों में  व खिड़कियों में काष्ठ कला अंकन  पर ध्यान।
  भव्य भवन में तल मंजिल में दो दो खोली (आंतरिक सीढ़ी प्रवेश द्वार )  हैं।  खोली तल मंज़िल से  पहली मंज़िल  तक पहुंची हैं। 
खोली भव्य खोली हैं।  प्रत्येक  खोली के दोनों ओर  चार चार उपस्तम्भों /उप सिंगाड़ों  के युग्म /जोड़ से मुख्य स्तम्भ निर्मित हुए हैं।  सभी  तीन उप स्तम्भों के  आधार में  घुंडी /घट /कुम्भी नुमा आकृतियां अंकित हैं।  कमल दल के घट आकृतियों के बीच ड्यूल आकृति अंकन स्थापित हैं।  तीन घट आकृतियों के बाद सिंगाड़ /स्तम्भ सीधे हो ऊपर  चौखट शीर्ष /मुरिन्ड  की एक एक परत /स्तर बन जाते हैं।  चौखट मुरिन्ड /शीर्ष के अंदरूनी भाग में मेहराब /तोरणम  स्थापित हैं।   चौखट मुरिन्ड  /शीर्ष के ऊपर दूसरा आकर्षक  अर्ध चाप या तोरणम स्थापित है।  इस  अर्ध चाप में  पद्मासन स्थित एक चतुर्भुज  देव मूर्ति बिराजमान है।  खोली के सिंगाड़   के  दाएं -बाएं सन्निकट  आकर्षक   पाषाण  आकृतियां हैं व   खोलियों के ऊपरी तोरणम /अर्ध चाप के ऊपर भी  चित्तार्शक पाषाण  आकृति स्थापित हैं। 
  चित्र में प्रस्तुत पंत भवन में  पहली मंजिल में चार चार जोड़ी छाज /झरोखे /गवाक्ष  स्थापित हैं।  प्रत्येक  गवाक्ष /छाज/ढुड्यार युग्म  में ही हैं।   प्रत्येक गवाक्ष /छाज /झरोखे के मुख्य स्तम्भ  उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित हैं।  छाज /गवाक्ष के उप स्तम्भ में कला अंकन बिलकुल   खोली के उप स्तम्भों की कला की प्रतिकृति: हैं।  अर्थात उप स्तम्भों में  आधार पर घुंडी /घट /कुम्भी आकृतियां सजी हैं व फिर उप स्तम्भ ऊपर जाकर मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष का भाग बन जाते हैं।  गवाक्ष के आंतरिक भाग में ऊपर तोरणम /अर्ध चाप निर्मित हैं।  गवाक्ष  दरवाजों या ढकने के निम्न भाग में तख्ते पर बोतल नुमा आकृतियां अंकित हैं जो आकर्षक छवि निर्मित करते हैं।
भवन के अन्य कमरों के सिंगाड़ों /स्तम्भों में भी   आधार पर घुंडी /कुम्भी आकृति मिलती है।  खिड़कियों में व दरवाजों में शत प्रतिशत ज्यामितीय विधि  से ही  कटान हुआ है।
निष्कर्ष  निकलता है कि   चिटगल  (गंगोलीहाट , पिथौरागढ़ ) में परंत परिवार के भवन मकान में  ज्यामितीय , प्राकृतिक  व मानवीय अलंकरण कला अंकन हुआ है।  भवन काष्ठ व पाषाण कला की दृष्टि से उत्तम श्रेणी का है।  संभवतया अब यह भवन होम स्टे में परिवर्तित ह गया होगा।
 सूचना व फोटो आभार:  भुवनेश जोशी (My Pithoragarh )
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . ) भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी, बाखली कला   ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के बाखली वाले  मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  बेरीनाग  पिथोरागढ़  के बाखली वाले मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी ;  House wood Carving  of Bakhali art in Pithoragarh  to be continued


Bhishma Kukreti

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  बरसुड़ी  ( लंगूर , पौड़ी ) में दुर्गादत्त कुकरेती परिवार के जंगले दार मकान में काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्कासी

Traditional House Wood Art in  Barsuri, Langur , Pauri Garhwal   
लंगूर ,  गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली  , खोली  , मोरी ,  कोटि बनाल   )  में काष्ठ कला अलंकरण अंकन, नक्कासी  - 319

 संकलन - भीष्म कुकरेती
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  बरसुड़ी   के प्रस्तुत मकान की प्राथमिक सूचना बरसुड़ी  के राजेंद्र  कुकरेती ने भेजी  और   संगीता ने  सूचना दी कि यह मकान दुर्गा दत्त कुकरेती का है। मकान   दुपुर  दुखंड है व पहली मंजिल में  अलिंद /बरामदे (छज्जा   स्थापित  है और अलिंद पर ही जंगला बंधा है।    जंगल सामने व  बाएं ओर में भी जंगल बंधा है।  जंगल में  सामने आठ  स्तम्भ हैं व बगल में भी  छह स्तम्भ दृष्टिगोचर हो रहे हैं। 
स्तम्भ सीधे हैं व ज्यामितीय कटान से ही निर्मित हैं। 
मकान में व जंगल में  अन्य कोई विशेष काष्ठ कला अलंकरण के चिन्ह नहीं मिलते हैं।  अत: कहा  जा सकता है कि  दुर्गा दत्त कुकरेती के मकान में  ज्यामितीय कटान से ही कला दृष्टिगोचर होता है। 
फोटो आभार: राजेंद्र कुकरेती
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्कासी   - 

Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal ;   Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, नक्कासी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; नैनी डांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; नक्कासी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; रिखणी खाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; जहरी खाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला , नक्कासी ; यमकेश्वर  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्कासी ; नक्कासी , भवन नक्कासी  नक्कासी


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  नौडियल (क़ळजीखाळ  , पौड़ी ) में एक  भव्य  व विशेष मकान में   काष्ठ कला अलंकरण, अंकन , लकड़ी नक्कासी

Tibari House Wood Art in  a House of   Naudiyal ,  Kaljikhal  , Pauri Garhwal       
गढ़वाल, कुमाऊँ, उत्तराखंड, की भवन (तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान ,बाखली , खोली   मोरी,  कोटि बनाल ) में 'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण, अंकन , लकड़ी नक्कासी- 320   
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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 अब तक के सर्वेक्षण से प्रमाणित होता है कि   पौड़ी गढ़वाल में अधिकतर तिबारियों में इकजसिपन /समानता मिलती है किन्तु अन्य जनपदों में प्रत्येक तिबारी कुछ विशेष ही होती हैं।  आज नौडियल (कळजी खाळ , पौड़ी ) के एक मकान की विशेष तिबारी  व खोली पर चर्चा होगी। 
मकान अभी  अवदालित / जर्जर  अवस्था में हैं (संभ्वतया जीर्णोद्धार की अवस्था में है )  I  मकान दुपुर -दुखंड / दुघर है और  मकान की पहली मंजिल में छज्जा भी पौड़ी गढ़वाल जैसे ही चौड़ा है। 
तल मंजिल में सुसज्जित व ठोस खोळी  है।  खोली के  सिंगाड़  /स्तम्भ   छायाचित्र में  स्पष्ट  दृष्टिगोचर नहीं हो रहे हैं।  तथापि  नौडियाल गाँव  (कल्जीखाल ) के इस भवन   में तल मंजिल पर खोली का मुरिन्ड स्पष्ट है।  मुरिन्ड की कड़ियाँ  चौखट  हैं।  मुरिन्ड /मथिण्ड / शीर्ष  में अंदर की ओर  चौखट आकृति का मेहराब या  तोरणम  जो विशेष है।  खोली के मुरिन्ड /मथिण्ड  के दाएं बाएं ओर  दीवालगीर  के स्पष्ट चिन्ह मिलते हैं जो द्योत्तक है कि  दीवालगीर में हाथी  , कोई पक्षी गर्दन अवश्य रही होगी (अधिकतर यही पाया गया ) I
  नौडियल गाँव (कल्जीखाल ) के प्रस्तुत मकान के पहली मंजिल में तिबारी  स्थापित है।  तिबारी  छह स्तम्भों व ख्वाळों की है।  तिबारी  उच्च रूप ही नहीं भिन्न  विशेष भी  है।  प्रत्येक सिंगाड़ /स्तम्भ इकजनि /समान ही हैं।  सिंगाड़ /स्तम्भ  पाषाण देहरी    पर पत्थर के चौकोर डौळ  ऊपर स्थित है।   स्तम्भ के आधार में उल्टे कमल दल अंकन से कुम्भी (घट रूप ) निर्मित हुआ है।  कुम्भी के ऊपर ड्यूल अंकन है व ड्यूल के ऊपर सीधा कमल दल अंकित है।  सीधे कमल दल के ऊपर स्तम्भ लौकी कार ले ऊपर चढ़ता है।  जहां पर स्तम्भ की मोटाई सबसे कम है वहां पर उल्टा कमल फूल अंकन है व इसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर  उर्घ्वगामी कमल फूल  है।  यहां से स्तम्भ  ऊपर की ओर  थांत  (cricket  bat blade ) आकर ग्रहण कर ऊपर  चौखट ठोस कड़ी के मुरिन्ड  से मिल जाता है।  जहां से स्तम्भ थांत  आकर लेता वहीं से स्तम्भ से  अर्ध चाप भी अवतरित होते हैं जो सामने वाले स्तम्भ से मिलकर तोरणम आकृति निर्मित करते हैं।  तोरणम तिपत्ति  ( Trefoil )  भव्य दीखते हैं।  तोरणम के स्कंध त्रिभुजों में किनारों में एक एक सूर्यमुखी पुष्प अंकित हैं।   ऐसा लगता है कि  थांत  आकृति ऊपर भव्य कलयुक्त दीवालगीर रहा होगा। 
स्तम्भों में आधार से लेकर ऊपर तक  गहराई- उठान  रेखाओं  (flute -flitted ) का अंकन हुआ है। 
 मकान की एक अन्य विशेषता है कि  प्रत्येक ख्वाळ  में  नीचे चौखट तख्ते लगे हैं  व ऊपर तोरणम में  छाज नुमा /गवाक्ष आकृतियां अंकित हैं।  ये गवाक्ष आकृतियां मकान को भव्य बनाने में योगदान देते हैं। 
 निष्कर्ष निकलता है कि  नौडियल गांव के इस मकान में ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण अंकन हुआ है।  मकान भव्य है। 
सूचना व फोटो आभार:प्रदीप नौडियाल
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी


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कनखुड़ा  (काब नारायणबगड़ , चमोली )  में चंद्रमणि  नैनवाल के भवन   में  काष्ठ कला  अलंकरण अंकन, लकड़ी , नक्काशी

   House Wood Carving Art  from  Kankhuda , Narayanbagar , Chamoli   
 गढ़वाल, कुमाऊं की भवन (तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान, बाखली  , खोली  , मोरी , कोटि बनाल ) में  'काठ  कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला  अलंकरण अंकन, लकड़ी , नक्काशी- 321
(अलंकरण व कला पर केंद्रित ) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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   चमोली जनपद से कई विशेष  काष्ट  कला युक्त भवनों की सूचना  लगातार मिलती रही है।  इसी क्रम में  आज   काब -नारायण बगड़  के कनखुड़ा  में चंद्र मणि नैनवाल  के भवन  में काष्ठ कला अंकन पर चर्चा की जाएगी। 
    कनखुड़ा  (काब नारायणबगड़ , चमोली )  में चंद्रमणि  नैनवाल का  भवन   दुपुर है दुखंड /दुघर है।  काष्ठ कला दृष्टि से  भवन में तल मंजिल  में दोनों कमरों के सिंगाड़ , तल मंजिल से पहली मंजिल तक खोली  व पहली मंजिल में दो  झरोखेनुमा कमरों के दरवाजों के सिंगाड़ों /स्तम्भों पर ध्यान लगाना पड़ेगा। 
 कनखुड़ा  (काब नारायणबगड़ , चमोली )  में चंद्रमणि  नैनवाल का  भवन  विशेष है कि  तल मंजिल के साधारण कमरों के सिगाड़ों /स्तम्भों में  काष्ठ कला अंकन हुआ है।   दरवाजों के मुख्य सिंगाड़ /स्तम्भ  तीन तीन  उप स्तम्भों  से निर्मित हैं।  उप स्तम्भों के आधार में घुंडियां /कुम्भी अंकित हैं।  घुंडियों के ऊपर स्तम्भ सीधे  ऊपर मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष से मिलकर मुरिन्ड के स्तर बन जाते हैं।  मुरिन्ड चौखट हैं। प्रत्येक मुरिन्ड में एक एक धातु  की देव मूर्ति लगी है।
  खोली तल मंजिल से पहली  अट्ट: / क्षौम: /मंजिल तक  गयी है।  खोली के दोनों ओर  मुख्य सिंगाड़ /स्तम्भ हैं व प्रत्येक मुख्य सिंगाड़  7 उप सिंगाड़ों  से निर्मित हैं।  काष्ठ  कला दृष्टि से , प्रत्येक उप स्तम्भ  दुसरे उप स्तम्भ से विशेष है।  तीन सिंगाड़  आधार से ऊपर मुरिन्ड स्तर तक सीधे    हैं।  इन स्तम्भों में कड़ी लड़ियों  (जंजीर ) का अंकन हुआ है।  एक स्तम्भ  में आधार व मुरिंद मिलन से कुछ नीचे का  अंकन इस प्रकार है - आधार में अधोगामी पद्म पुष्प दल , उलटे पदम् पुष्प के ऊपर ड्यूल ( ring  type wooden plate ) व ड्यूल के ऊपर  उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल अंकन हुआ है।  उप्पर कमल दल से स्तम्भ सीधे हो जा मुरिन्ड से मिल उसका स्तर बन जाते हैं।  एक स्तम्भ में ऊपरी भाग तो जंजीर नुमा अंकन हुआ है किन्तु आधार में हिंगोड़ /हॉकी के आधार वाले ब्लेड नुमा अंकन हुआ है।  सभी उप स्तम्भों से मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष बना है जो चौखट नुमा है।   मुरिन्ड /म्थिन्ड में एक देव मूर्ति स्थापित है। 
 खोली मुरिन्ड/मथिण्ड /शीर्ष  के ऊपर  एक चौखट आकृति स्थापित है जिसमे चार से अधिक पुष्प अंकित हुए हैं।   मुरिन्ड /म्थिन्ड के दोनों ओर  दीवालगीर स्थापित हैं।   इन दो दीवालगीरों  के ऊपर  दो दो हाथी के अगर भाग स्थापित हैं जो शक्ति के प्रतीक हैं।  इन सब संरचनाओं के ऊपर खोली की काष्ठ छप्परिका कड़ी है।
 ऊपरी पुर /अट्ट:/मंजिल  में दो दो  कमरे हैं।  इन  कक्षों  के   द्वारों के उप स्तम्भों में काष्ठ कला उसी तरह अंकित हुयी है जैसे खोली के विशेष  उप स्तम्भ में (कमल दल अंकन ) हुआ है।  एक कक्ष द्वारों के मुरिन्ड /म्थिन्ड /शीर्ष  के स्तर भी उप स्तम्भों से निर्मित  हैं।  एक स्तर  पर कुछ विशेष अंकन हुआ है  .
  कनखुड़ा  (काब नारायणबगड़ , चमोली )  में चंद्रमणि  नैनवाल का  भवन   कला दृष्टि से उत्तम कोटि का है।  भवन में प्राकृतिक , ज्यामितीय व मानवीय अलंकरण अंकन हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार:नंदन भट्ट 
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन , लकड़ी नक्काशी श्रंखला जारी   
   House Wood Carving Ornamentation from  Chamoli, Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation/ Art  from  Joshimath ,Chamoli garhwal , Uttarakhand ;  House Wood Carving Ornamentation from  Gairsain Chamoli garhwal , Uttarakhand ;     House Wood Carving Ornamentation from  Karnaprayag Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation from  Pokhari  Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,नक्काशी ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला, नक्काशी  ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला, नक्काशी , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला, नक्काशी श्रृंखला जारी  रहेगी

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उनियाणा (उखीमठ , रुद्रप्रयाग ) में गणेश विद्यालय भवन में पहाड़ी शैली का काष्ठ कला अंकन ,  अलंकरण

Traditional House wood Carving Art of Uniyana , Ukhimath  Rudraprayag         : 
  गढ़वाल,  कुमाऊँ, उत्तराखंड की भवन  (तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान ) में 'काठ कुर्याणौ  ब्यूंत' की काष्ठ -कला अंकन, अलंकरण- 322 

 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 रुद्रप्रयाग से  काष्ठ युक्त भवनों की अच्छी संख्या में सूचना मिल रही है।  इसी क्रम में आज उनियाणा (उखीमठ , रुद्रप्रयाग ) के गणेश विद्यालय  में काष्ठ अंकन , अलंकरण पर चर्चा होगी।  विद्यालय दुपुर -दुघर ही लगता है।  मकान के पहले  पर  दो दो युग्म में कक्ष दृष्टिगोचर हो रहे हैं यानी कुल चार द्वार व  छह  मुख्य स्तम्भ / सिंगाड हैं।   दो कक्षों के मध्य वाला सिंगाड़  दोनों द्वारों के सिंगाड़  के युग्म से निर्मित हैं।  मुख्य सिंगाड़ /स्तम्भ  दो उप स्तम्भों के युग्म से निर्मित होने से मोटा दीखता है। मुख्य स्तम्भ /सिंगाड़  के नीचे दो उप स्तम्भों  के आधार के कमल दलों के अंकन से निर्मित कुम्भी हैं जो घुंडी नुमा दर्शनीय होते हैं।  शेष में स्तम्भ /सिंगाड़  व मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष चौखट रूप में हैं।      शेष स्थलों में  काष्ठ कला ज्यामितीय कटान की ही है।
 निष्कर्ष निकलता है कि उनियाणा (उखीमठ , रुद्रप्रयाग ) के गणेश विद्यालय  भवन   में पद्म पुष्प से निर्मित कुम्भी /घुंडी के अतिरिक्त    शेष स्थलों में ज्यामितीय कटान का अंकन दृष्टिगोचर होता है। 
सूचना व फोटो आभार:  सदा नंद 
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
 Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag    Garhwal  Uttarakhand , Himalaya   
  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण , नक्काशी  श्रृंखला 
  गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली   ) काष्ठ अंकन लोक कला ( तिबारी अंकन )  - 
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी , जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला, नक्काशी  ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग  में भवन काष्ठ कला अंकन, नक्काशी  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में द्वारों में नक्काशी ,  स्तम्भों  में नक्काशी


Bhishma Kukreti

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जसपुर ( भटवाड़ी , गंगोत्री क्षेत्र उत्तरकाशी )  के एक मकान में   काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन

Traditional House wood Carving Art in ,   Uttarkashi   
गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार मकान , बाखली  , खोली  , कोटि बनाल )  में काठ कुर्याणौ ब्यूंत'  काष्ठ  कला,  अलकंरण- अंकन- 324
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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  धीरे धीरे मित्रों से   काष्ठ  कला युक्त मकानों  के दुर्लभ  चित्र भी मिल रहे हैं।  कुछ मकानों के स्वामित्व की पूरी सूचना मिल रही है कुछ की नहीं।  ऐसे ही एक सूचना आधार पर  जसपुर ( गंगोत्री निकट , भटवाड़ी , उत्तरकाशी ) के एक पारम्परिक  भवन  में काष्ठ कला , अलंकरण , अंकन पर चर्चा की जायेगी।  मकान की संरचना व , संरचना शैली व  काष्ठ अंकन कला का सरलतम रूप  पर दृष्टि पात करने से  स्पष्ट  लगता है कि  भवन कम से कम  लगभग 200  वर्ष पहले निर्मित हुआ होगा। 
भवन दुपुर , दुखंड है व  संरचना शैली  में उत्तरकाशी  के भवनों का प्राथमिक काल  का ही है।  ऐसे भवन हरसिल , नेलांग , जाड़ंग , मुखवा आदि में अब भी मिलते हैं व उत्तरी पूर्व हिमचाल में भी ऐसे भवन मिलते हैं।  नीति ,  से भी इसी  भाँति  के सरलतम रूपी संरचना वाले भवनों की सूची मिली है।  कहा जा सकता कि  उच्च हिमपात वाले क्षेत्रों में इस भांति  के भवन शैली  सामान्य  थी।   
प्रस्तुत भवन  शुण्डाकार याने पिरामिड आकर में है।  भूतल में भवन के बाहर वाले बरांडे में छह  सीधे सरल कला युक्त स्तम्भ हैं।  एक ख्वाळ (दो स्तम्भों के मध्य स्थल )  को पटलों (तख्तों ) से ढका गया है।  स्तम्भ एक सुडौल कड़ी (मुरिन्ड /मथिण्ड
दक्षिण गढ़वाल में बौळ ी ) से मिलते हैं। बौळी  /कड़ी के ऊपर पहले थल का  फर्श है जो काष्ठ  का ही बना था।  पहले तल के ऊपर  ढलवां छत के काष्ठ  आधार  भी  लम्ब व /ऊर्घ्व / समानांतर /पड़े कड़ियों से निर्मित हैं।  इसमें कोई  भ्रम नहीं होना चाहिए  कि  सम्पूर्ण भवन कोटि -बनाल शैली व कला  से निर्मित हुआ है।
निष्कर्ष निकलता है कि  जसपुर (भटवाड़ी , उत्तरकाशी ) का  प्रस्तुत भवन  शैली  में आदि ब्रिटिश या उत्तर पंवार वंश राज्य काल का है व कला दृष्टि से ज्यामितीय कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।  अंकन नहीं है किन्तु काष्ठ संरचना इस प्रकार है  कि भवन आज भी दर्शनीय है। 
सूचना व फोटो आभार : नंदन  सिंह सजवाण
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत हेतु . भौगोलिक ,  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020     
 Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of   Bhatwari , Uttarkashi Garhwal ,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Rajgarhi ,Uttarkashi ,  ) ,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakkhali,  Mori) of  Dunda, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   Traditional House Wood Carving Art (Tibari, Nimdari, Bakhali,  Mori) of  Chiniysaur, Uttarkashi ,  Garhwal ,  Uttarakhand ;   उत्तरकाशी मकान लकड़ी नक्कासी , भटवाडी मकान लकड़ी नक्कासी ,  रायगढी    उत्तरकाशी मकान लकड़ी नक्कासी , चिनियासौड़  उत्तरकाशी मकान लकड़ी नक्कासी   श्रृंखला जारी रहेगी


 

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