Author Topic: House Wood carving Art /Ornamentation Uttarakhand ; उत्तराखंड में भवन काष्ठ कल  (Read 39816 times)

Bhishma Kukreti

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मख्ती (चकराता , देहरादून ) में दो भवनों  में काष्ठ   कला अंकन - अलंकरण
  Traditional House wood Carving Art of  Makhti  , Dehradun   
 गढ़वाल,कुमाऊँ,उत्तराखंड,भवन  (तिबारी,निमदारी, जंगलादार  मकान,बाखली,खोली,छाज  कोटि बनाल ) 'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अंकन - अलंकरण-325 
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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जौनसार बाबर (देहरादून )  से अच्छी संख्या में पारम्परिक भवनों की सूचना मिल रही हैं।  बहुत से मित्र जौनसार पर्यटक रूप में जाते हैं तो फोटो सुचना मिल पति है किंतु स्वामित्व की सूचना उत्तरकाशी , जौनसार , उत्तरी चमोली व पूर्वी पिथौरागढ़  से नहीं मिल पाती है।  ऐसे  पर्यटक अजय चौहान ने  मख्ती (चकराता देहरादून )  से दो  भवनों की सुचना दी है जो  संरचना में  लगभग  सामान हैं।   मख्ती  का प्रस्तुत  भवन कोटि बनाल शैली से निर्मित भवनों का उत्तम उदाहरण है।  भवन  संभवतः तिपुर या  साढ़े तीन पुर है।  भवन जौनसार व पश्चिम उत्तरकाशी  व पूर्वी हिमाचल के आदि भवन शैली का भी उदाहरण प्रस्तुत करता है।  भवन  कुछ कुछ शुण्डाकार  या पिरामिड  शैली में है।   नीति घाटी में भी इस प्रकार के भवनों की सूचना मिली है व कुछ  भवनों की चर्चा  हो भी चुकी है
भवन के भू तल तल की  दीवार  पूरी भांति कोटि बनाल शैली को दर्शा रहा है।  मार्ग की ओर  में भूतल में बरांडा  के  तट से पहले तल तक गोल गोल  स्तम्भ खड़े हैं।  भवन के पहले तल में दीवार मिट्टी -पत्थर  के स्थान पर  काष्ठ  तख्ते /पट्टियों  से निर्मित हुए हैं।   पहले तल में रेल डिब्बों जैसे कमरे निर्मित हैं। 
 निष्कर्ष निकलता है कि  मख्ती  के प्रस्तुत  दोनों भवनो मे कोटि बनाल तकनीक से निर्मित  हुए हैं व दोनों भवनों में कुर्याण /अंकन कला नहीं दिखती अपितु  ज्यामितीय कटान से सभी काष्ठ  कार्य दिखे हैं। 
सूचना व फोटो आभार:   अजय चौहान
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
  Traditional House wood Carving Art of   Dehradun,    Garhwal Uttarakhand, Himalaya   to be continued 
ऋषिकेश , देहरादून के मकानों में लकड़ी नक्काशी ;  देहरादून तहसील देहरादून के मकानों में लकड़ी नक्काशी ;   विकासनगर  देहरादून के मकानों में लकड़ी नक्काशी ;   डोईवाला    देहरादून के मकानों में लकड़ी नक्काशी ;  जौनसार ,  देहरादून के मकानों में लकड़ी नक्काशी


Bhishma Kukreti

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1946   के रानीखेत  में  भवन संख्या दो में  काष्ठ कला  अलंकरण, अंकन
   Traditional House Wood Carving Art in Nainital; 
 कुमाऊँ, गढ़वाल, उत्तराखंड ,  की भवन  ( बाखली, तिबारी,निमदारी,जंगलादार  मकान,खोली, कोटिबनाल   )  में 'काठ   कुर्याणौ  ब्यूंत' की काष्ठ कला  अलंकरण, अंकन - 326   
संकलन - भीष्म कुकरेती
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भवन संबंधी  सूचनाएं  अब  कई प्रकार  से मिल रही हैं।
पिछले भाग में रानीखेत के एक मकान  में काष्ठ  कला अंकन पर चर्चा हुयी थी।  आज 1946  के छायाचित्र  के दूसरे भवन के काष्ठ  अंकन अलंकरण  पर चर्चा होगी।
भवन ढैपुर -दुखंड -तिखंड  है।  भवन के पहले तल पर  बरामदा है व दस से अधिक स्तम्भ ऊपर की ओर  स्थापित हुए हैं।  दो स्तम्भों के मध्य ख्वाळ / झरोखे निर्मित हैं।  कुछ  ख्वाळ   खुले हैं व  शेष झरोखे काष्ठ पट्टिकाओं  से ढके हैं।
छायाचित्र से स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है कि  भवन में काष्ठ कार्य ज्यामितीय अंकन  हुआ है व कहीं भी प्राकृतिक व मानवीय अलंकरण नहीं हुआ है। 
भवन भविष्य में उत्तराखंड में भवन निर्माण शैली के क्रमगत  इतिहास समझने में  महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा .
सूचना व फोटो आभार: -------archive Indian  photo
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
  Traditional House Wood Carving Art in Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in Haldwani ,  Nainital;   Traditional House Wood Carving Art in  Ramnagar , Nainital;  Traditional House Wood Carving Art in  Lalkuan , Nainital; 
नैनीताल में मकान , लकड़ी नक्काशी ; हल्द्वानी ,  नैनीताल में मकान , लकड़ी नक्काशी ; रामनगर  नैनीताल में मकान , लकड़ी नक्काशी ; लालकुंआ नैनीताल में मकान , लकड़ी नक्काशी ; 

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लाला  बाजार अल्मोड़ा के एक  भवन के   छाजों / झरोखों/गवाक्षः   में काष्ठ  कला  अंकन , अलंकरण

Traditional House Wood Carving art of  a  house  in  Lala  Bazar Almora , Kumaon
 
कुमाऊँ ,गढ़वाल, उत्तराखंड  के भवन ( बाखली ,तिबारी, निमदारी ,जंगलादार  मकान  खोली,  कोटि बनाल )  में   'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत'  की काष्ठ कला  अंकन , अलंकरण,-  327
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 अल्मोड़ा से सूचनाएं मिली हैं कि  अल्मोड़ा के प्राचीन व्यापारिक  वीथी /गली में अभी परंपरागत   भवन  उपस्थित हैं।   प्रस्तुत भवन के पहले तल  (फस्ट स्टोरी ) में भी परंपरागत भवन के छाज स्पष्ट दृष्टिगोचर हो रहे है।  आज अल्मोड़ा के लाला बाजार  के एक भवन के पहले तल  में छाज /झरोखों  की काष्ठ  कला अंकन पर चर्चा होगी।
प्रस्तुत व्यापारिक भवन तिपुर (तल +2 ) शैली में है व कई खंडों व वाला भवन है।   भ्यूं /भू तल में भवन की संरचना चित्र में  दृष्टिगोचर नहीं हो रहा है।  कला अंकन दृष्टि से पहले तल के  छाजों  व दूसरे  तल के छाजों  में काष्ठ कला    उल्लेखनीय है। 
लाला बाजार   के प्रस्तुत   भवन के पहले तल  के  छाजो के दोनों ओर  आकर्षक स्तम्भ /सिंगाड़  हैं।  प्रत्येक  स्तम्भ  के आधार में अधोगामी (उल्टे )  कमल पुष्प  से कुम्भी निर्मित हुयी हैं।  कुम्भी के ऊपर ड्यूल  है जिसके ऊपर  उर्घ्वगामी (सुल्टे ) पद्म पुष्प दल अंकन हुआ है , उर्घ्वगामी  पद्म पुष्प  दल  के ऊपर पुनः  उर्घ्वगामी  पद्म  पुष्प  अंकित है।  यहां से स्तम्भ लौकी आकर ग्रहण कर ऊपर बढ़ता है।  जहां स्तम्भ की मोटाई सबसे  लघुतम स्तर पर हैं वहां अधोगामी पद्म पुष्प दल अंकन प्रकट होता है जिसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी   पद्म  पुष्प अंकित है।  यहां से स्तम्भ ऊपर की ओर  थांत (क्रिकेट बैट ब्लेड ( आकार ले बढ़ता है।  यहीं से स्तम्भ से  छाज  /झरोखे  का ऊपरी भाग का  तोरणम  का अर्ध चाप भी निकलता है।   . यह
अर्ध चाप  विरोधी स्तम्भ से निकलने वाले अर्ध चाप से मिलकर  तोरणम निर्माण करता है।   थांत के दांयें व बांये भाग में  आकर्षक कला अंकन हुआ है।  तोरणम या चाप के स्कन्धों में भी प्राकृतिक कला अंकन हुआ है।  कला दृष्टि से  तोरणम का स्कंध भाग भी आकर्षक है।
कुछ छाजों /झरोखों /गवाक्ष:  के आधार पर  सीधे  पटलों /तख्तों   से नहीं ढके हैं किन्तु   इस तख्ते  पर उप स्तम्भ जैसे अंकन हुआ है।  इस भाग के तख्ते में  जाल नुमा अंकन  हुआ है। 
दूसरे  तल के सभी  छाजों /गवाक्षों:  में इसी भांति सामान कला अंकन हुआ है।
 निष्कर्ष निकलता की लाला बजार अल्मोड़ा के एक भवन में ज्यामितीय व प्राकृतिक अलंकरण से काष्ठ  अंकन हुआ है व भवन की कला वर्तमान में भी आकर्षक है। 
सूचना व फोटो आभार :  बलवंत सिंह  (FB )

यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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Traditional House Wood Carving art of , Kumaon ;गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली, कोटि  बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन, लकड़ी पर नक्काशी   
अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भिकयासैनण , अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  रानीखेत   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; भनोली   अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सोमेश्वर  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; द्वारहाट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; चखुटिया  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;  जैंती  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ; सल्ट  अल्मोड़ा में  बाखली  काष्ठ कला ;


Bhishma Kukreti

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गोगिना  (बागेश्वर)  में एक होम स्टे की   काष्ठ कला अलंकरण, अंकन

Tradiitoanal  House wood Carving Art in Bageshwar
कुमाऊँ , गढ़वाल, उत्तराखंड के भवन(बाखली, तिबारी,निमदारी,जंगलेदार,मकान, खोली,कोटि बनाल)  में 'काठ कुर्याणौ' ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण, अंकन- 329
संकलन - भीष्म कुकरेती
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 इस  भवन काष्ठ  कला अंकन श्रृंखला  की विशेषता है कि  पाठक इस  में कई प्रकार से भाग ले रहे हैं।  कई  बार पाठक छायाचित्र भेज देते हैं किंतु स्वामित्व व भौगोलिक वृतांत नही प्रेषित करते हैं।   आज  का प्रस्तुत भवन भव्य है व होम स्टे है।  भौगोलिक व स्वामित्व की सूचना अधूरी  है। 
गोगिना (बागेश्वर )  के दुपुर , दुखंड भवन में काष्ठ अंकन  अध्ययन हेतु  दो छाजों व एक खोली  में  ध्यान देना होगा.  भ्यूंतल /भूतल के कक्षों  व खिड़कियों में केवल ज्यामितीय कटान की कला अंकित हुयी है।
भवन की खोली (आंतरिक सीढ़ी  का प्रवेश द्वार )  भ्युत्ल से पहले तल तक पंहुची है।  खोली के सिंगाड़ों  का कटान केवल ज्यामितीय कटान से ही हुआ है।  खोली में ऊपर शीर्ष /मुरिन्ड /म्थिन्ड में तोरणम /arch /चाप  है जो अर्ध गोलाई लिए है। 
 इसी तरह  खोली के दोनों ओर  स्थित दो दो छाज /गवाक्ष:  हैं जिनके सिंगाड़  ज्यामितीय कटान से  निर्मित  हैं।  चरों छाजों /गवाक्षों /झरोखों के शीर्ष /मुरिन्ड /मथिण्ड में चाप /मेहराब / तोरणम हैं।  सभी तोरणम सादे कला युक्त हैं।  कोई विशेष अंकन दृष्टिगोचे नहीं होता है।
निष्कर्ष निकलता है कि  गोगिना (बागेश्वर ) के एक होम स्टे में  ज्यामितीय कटान से ही कला अंकन हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार: प्रदीप मेहता
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  .  भौगोलिक  व मालिकाना    सूचना    श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
 कांडा तहसील , बागेश्वर में परंपरागत मकानों में   काष्ठकला अंकन  ;   गरुड़, बागेश्वर में परंपरागत मकानों में काष्ठकला अंकन  ; कपकोट ,  बागेश्वर में परंपरागत मकानों में काष्ठकला अंकन )

Bhishma Kukreti

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जाखनी (  गंगोलीहाट , पिथौरागढ़ ) के उप्रेती भवन में उच्च स्तरीय काष्ठ कला , अलंकरण अंकन  

   Traditional House Wood Carving Art  iof Jakhani , Gangolihat  , Pithoragarh
गढ़वाल,कुमाऊँ,उत्तराखंड, के भवनों ( बाखली,तिबारी , निमदारी,जंगलेदार  मकान,खोली,कोटि बना  )  में 'काठ  कुर्याणौ  ब्यूंत' की  काष्ठ कला अलंकरण अंकन - 330 
 संकलन - भीष्म कुकरेती 
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 पिथौरागढ़  के   विभिन्न क्षेत्रों से  काष्ठ कला अंकनयुक्त भवनों की अच्छी संख्या  में सूचना मिल रही है।  आज गंगोलीहाट के जाखनी  में उप्रेती परिवार के एक भवन  की काष्ठ कला अंकन पर चर्चा होगी। 
जाखनी (गंगोलीहाट )  के उप्रेती परिवार का भवन तिपुर (भूतल +2 ) , दुखंड है व भव्य प्रकार का है।   भवन पुराना भी लगता है।   
  काष्ठ कला अंकन दृष्टि से भवन के भ्यूंतल (ground floor )  में खोली व पहले तल के छाज  आधार शहतीर।  पहले तल पर  तीन छाजों /गवाक्षों /झरोखों , दूसरे  तल में  छाजों/गवाक्षों /झरोखों  पर काष्ठ अंकन ध्यान दिया जाएगा। 
  जाखनी (गंगोलीहाट , पिथौरागढ़ ) के उप्रेती भवन में   भूतल / भ्यूंतल की खोली (आंतरिक सीढ़ियों  हेतु प्रवेश द्वार )  भ्यूं तल  से लेकर ऊपर  दूसरे तल के छज्जे तक गई है।  खोली के मुख्य स्तम्भ सिंगाड़ चार उप सिंगाड़ों / स्तम्भों  के युग्म से निर्मित हैं।  चरों उप स्तम्भों से ही मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष के  अलग अलग स्तर  निर्माण करते हैं।   तीन उप स्तम्भ कला अंकन में एक समन है व एक उप स्तम्भ  में आधार के तुरंत पश्चात ऊपर तक प्राकृतिक अलंकरण से अंकित है।  इस उप स्तम्भ में पुष्प , लता का अंकन हुआ है।  अन्य तीन स्तम्भों का आधार  घट /कुम्भी आकर अंकित है।  घट /कुम्भी के ऊपर ड्यूल है,  पुनः ड्यूल है , इसके ऊपर घट है व पुनः  पुनः उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल   अंकिं हुआ है।  ऊपरी उर्घ्वगामी पद्म पुष्प  से सभी उप सिंगाड़ों /स्तम्भों  में पुष्प , लता का अंकन शुरू होता   जो   स्तर में  दृष्टिगोचर होता है।  सबसे आंतरिक उप स्तम्भ ऊपर जाकर मुरिन्ड का स्तर न निर्मित हो अपितु तोरणम/मेहराब  निर्मित करता है।  तोरणम त्रिपत्र /तिपत्ति  नुमा है।  तोरणम /चाप /मेहराब  के स्कंध के  ऊपरी किनारे    पुष्प अंकित हैं।
 खोली के मुरिन्ड /शीर्ष  के ऊपर एक शगुन की आकृति स्थापित की गयी है।
खोली के ऊपर एक चौकोर आयताकार काष्ठ आकृति  (शहतीर ) है जिस पर चार चौखट /वर्गाकार चौखट हैं  . कुल छह चौखट हैं और प्रत्येक चौखट में देव आकृति अंकित हुयी है।  सभी देव बहुभुजीय हैं।  एक देव तो  अवश्य  पद्मसन   स्थित गणपति  ,  व दूसरे बहुभुजीय हनुमान हैं।    खोली के ऊपर चौखट   बौळी / वासा /शहतीर  के ऊपर  भी छप्परिका  के आधार की सुडौल , आयताकार कड़ी है।  कड़ी दासों पर स्थित  हैं।  दास व कड़ी में अंकन हुआ है।
   पहले तल में एक व दूसरे तल में  दो एकल छाज (अकेले एक छह /झरोखा ) व पहले तल व दूसरे तल में एक एक  एक युग्मिक  छाज /झरोखे स्थापित हैं।   उप स्तम्भों  में कला की दृष्टि से सभी उपस्तम्भों में एक सामान कला अंकन हुआ है।  केवल ऊपरी तल के मध्य युग्म छाज के मध्य के उप स्तम्भ का अंकन कला कुछ विशेष है।
 आधार में सभी  उप स्तम्भों की कला एक सामान ही है यथा खोली के उप स्तम्भ आधारों में है।  आधार पर  अधोगामी पद्म पुष्प अंकन हुआ है जिसके ऊपर ड्यूल है , ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प अंकित है।  उर्घ्वगामी पद्म पुष्प के ऊपर पुनः ड्यूल है व पुनः पद्म पुष्प घट रूप निर्मित करता है।  यहीं से स्तम्भ कुछ कुछ लौकी रूप धारण करता है व ऊपर लौकी लता आकर लेलेता है।  लगता है जैसे लता पत्तीनुमा पुष्प बन गयी हो या फर्न /लिंगुड़  का ऊपरी भाग हो ।   
 छज्जों के किनारे के लगभग सभी उप स्तम्भों यही कला है।   ऊपरी  तल (second  floor ) के  दो छज्जों /गवाक्षों    में  कला अंकन  अन्य उप स्तम्भों के  समान ही  है किंतु  ऊपरी पद्म पुष्प द्वारा निर्मित घट के ऊपर चरों उप स्तम्भ मिल जाते हैं व इस  काष्ठ आकृति के ऊपर  नीचे से लौकी/ लम्बोतर घट  आकृति अंकित है जिस पर पत्तियां अंकित हैं  और इस  घट सर के ऊपर ऊपर से अधोगामी लौकी आकृति मिलती  है।   
दोनों तलों के छाजों /गवाक्षों में ऊपर  आंतरिक स्तम्भों से चाप /तोरणम निर्मित होते हैं।  तोरणम /मेहराब तिपत्ति नुमा  हैं। 
 सभी छाजों /ग्वाखों के निम्न तल में  छिद्र तख्तों से ढके हैं।  पहले तल के तख्तों  में कोई अंकन नहीं हुए हैं वे सपाट हैं।  जबकि दूसरे तल  के छज्जों के तल तख्तों में आकर्षक अंकन हुआ है।  एकल चाजों के निम्न तख्तों में पद्म  पुष्प का जाल नुमा अंकन हुआ है।  दूसरे तल के एक तख्ते में पद्म पुष्प जाल अंकन हुआ है तो दूसरे तख्ते में एक श नाड़ी के  पीपल के पत्ते का अंकन हुआ है व पत्ते ऊपर सिरे से फूल के दल निकले हैं।
पहले तल में मध्य युग्म छाजों  के आधार में चौखट बौळी/ शहतीर  है जिसमे अंदर की ओर के चौखट में लता गुल्म अंकन हुआ है। 
निष्कर्ष निकलता  है कि   जाखनी (गंगोलीहाट , पिथौरागढ़ ) के उप्रेती भवन में ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय  काष्ठ अलकंरण  अंकन हुआ है. इसमें किसी को भी संदेह नहीं होना चाहिए कि  प्रस्तुत  जाखनी (गंगोलीहाट , पिथौरागढ़ ) के उप्रेती भवन मेंकाष्ठ कला सूक्ष्म अंकन हुआ है जिसे कुमाऊं के प्रसिद्ध काष्ठ  शिल्पी  स्व गंगा राम 'लेखनी ' अंकन कहा करते थे तो इस अंकन को गढ़वाल के प्रसिद्ध काष्ठ शिल्पी गल्ला सिंह  नेगी काठ कुर्याण ब्यूंत कहा करते थे। 
सूचना व फोटो आभार: जगदीश चंद्र
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी।  . भौगोलिक मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: नाम /नामों में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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 कैलाश यात्रा मार्ग   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी, बाखली कला   ;  धारचूला  पिथोरागढ़  के बाखली वाले  मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  डीडीहाट   पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी;   गोंगोलीहाट  पिथोरागढ़  के मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी  ;  बेरीनाग  पिथोरागढ़  के बाखली वाले मकानों में लकड़ी पर   कला युक्त  नक्काशी ;  House wood Carving  of Bakhali art in Pithoragarh  to be continued


Bhishma Kukreti

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खैंडुड़ी (ढांगू , द्वारीखाल , पौड़ी गढ़वाल ) में आनंद सिंह रावत के  तिबारियुक्त भवन में काष्ठ कला अलंकरण  उत्कीर्ण   , अंकन
Traditional House wood Carving Art of  Khainduri , Dwarikhal Pauri  Garhwal   
  गढ़वाल, कुमाऊँ,उत्तराखंड की भवन (तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान,बाखली,खोली,कोटिबनाल  ) काष्ठ कला अलंकरण अंकन- 331
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 ढांगू से तिबारियों की सूचना  मिलती रहती है।  आज खैंडुड़ी (ढांगू , द्वारीखाल , पौड़ी गढ़वाल ) में आनंद सिंह रावत के  तिबारियुक्त भवन में काष्ठ कला अलंकरण  उत्कीर्ण   , अंकन पर चर्चा होगी। खैंडुड़ी (ढांगू , द्वारीखाल , पौड़ी गढ़वाल ) में आनंद सिंह रावत का भवन दुपुर , दुखंड /दुघर है।  काष्ठ कला चर्चा विवरण हेतु भवन के पहले तल पर स्थापित तिबारी में काष्ठ कला पर चर्चा होगी।
  खैंडुड़ी (ढांगू , द्वारीखाल , पौड़ी गढ़वाल ) में  आनंद सिंह रावत के भवन की तिबारी में चार सिंगाड़ /स्तम्भ हैं जो तीन ख्वाळ  निर्मित करते है।  खैंडुड़ी के आनंद सिंह रावत के भवन तिबारी के प्रत्येक सिंगाड़ /स्तम्भ के आधार पर अधोगामी पद्म पुष्प दल से कुम्भी निर्मित है व कुम्भी के ऊपर सूक्ष्म ड्यूल है व इसके ऊपर उर्घ्वगामी पदम् पुष्प दल उत्कीर्ण हुआ है।  ऊपरी पद्म पुष्प से निर्मित कुम्भी के ऊपर से स्तम्भ चौखट आकार ले ऊपर शीर्ष/मुरिन्ड /मथिण्ड  की कड़ी से मिल जाते हैं। ऊपरी कमल पुष्प से चौकोर स्तम्भ में पुष्प , लता व पर्ण अंकन हुआ है।  शीर्ष /मुरिन्ड की कड़ी में भी इसी प्रकार की प्राकृतिक अलंकरण उत्कीर्ण हुआ है। 
निष्कर्ष निकलता है कि  खैंडुड़ी (ढांगू , द्वारीखाल , पौड़ी गढ़वाल ) में आनंद सिंह रावत के  तिबारियुक्त भवन में प्राकृतिक व ज्यामितीय कला अलंकरण उत्कीर्ण हुआ है। 
सूचना व फोटो आभार: विवेकानंद जखमोला 
यह लेख  भवन  कला,  नक्काशी संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:   वस्तुस्थिति में अंतर      हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
  दक्षिण पश्चिम  गढ़वाल (ढांगू , उदयपुर ,  डबराल स्यूं  अजमेर ,  लंगूर , शीला पट्टियां )   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलियों  ,खोली , कोटि बनाल  में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण,   श्रृंखला 


Bhishma Kukreti

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घीड़ी  ( पौड़ी  गढ़वाल ) में राजेंद्र कुकरेती के भवन में काष्ठ कला

घीड़ी  (बणेलस्यूं , पौड़ी गढ़वाल ) में राजेंद्र कुकरेती के भवन में काष्ठ कला अलंकरण, अंकन 
    Tibari House Wood Art in House of  Ghiri  , BANELSYUN   , Pauri Garhwal       
गढ़वाल, कुमाऊँ, उत्तराखंड,की भवन (तिबारी,निमदारी,जंगलादार मकान,,बाखली,खोली , मोरी, कोटि बनाल ) में 'काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण, अंकन -332
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती   
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आश्चर्य है कि बणेलस्यूं  जैसे पट्टी अथवा निकटस्थ पट्टी मनियारस्यूं से अभी तक एक भवन की सूचना मिली है जिसमे तिबारी है।  प्रस्तुत है घीड़ी ( बणेलस्यूं , पौड़ी गढ़वाल)  में राजेंद्र कुकरेती  के भवन में तिबारी स्तम्भ में  काठ   कुर्याणौ   ब्यूंत '  की  काष्ठ कला अलंकरण, अंकन का वृतांत। 
सूचना अनुसार   घीड़ी के राजेंद्र  कुकरेती  के  तिबारी युक्त भवन  ढैपुर , दुखंड /दुघर है।  पहले तल पर तिबारी है।   तिबारी में चार सिंगाड़ /स्तम्भ है जो तीन ख्वाळ निर्मित करते हैं।  स्तम्भ के आधार पर अधोगामी (उल्टा ) पद्म पुष्प दल से कुम्भी निर्मित हुयी है , कुम्भी के ऊपर घट पेट के आकर की भांति ड्यूल है।  ड्यूल के ऊपर उत्घ्वागामी  (सीधा ) पद्म  दल उभर कर आया है।  स्तम्भ यहां से लौकी आकर ले लेता है।  जहां पर  मोटाई कम से कम है वहां पुनः अधोगामी पदम् दल अंकित है जिसके ऊपर ड्यूल है व   ऊपर उर्घ्वगामी पद्म पुष्प दल है।  तिबारी में मुरिन्ड में तोरणम (मेहराब ) भी है।   
स्तम्भ के ऊपर   पत्तों वाली /फर्न  आकार का अंकन हुआ है।     
निष्कर्ष  निकलता  है कि  घीड़ी  (बणेलस्यूं , पौड़ी गढ़वाल ) में राजेंद्र कुकरेती के भवन में  प्राकृतिक व ज्यामितीय काष्ठ  कला अनकंरण अंकन हुआ है।   
सूचना व फोटो आभार: मीनाक्षी भारद्वाज
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है . भौगोलिक स्थिति व  मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत: यथास्थिति में अंतर हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान ,बाखली ,  बाखई, कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन नक्काशी श्रृंखला  जारी रहेगी   - 
 
Tibari House Wood Art in Kot , Pauri Garhwal ; Tibari House Wood Art in Pauri block Pauri Garhwal ;   Tibari House Wood Art in Pabo, Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Kaljikhal Pauri Garhwal ;  Tibari House Wood Art in Thalisain , Pauri Garhwal ;   द्वारीखाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला, लकड़ी नक्काशी  ;बीरों खाल ,  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; नैनीडांडा  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; लकड़ी नक्काशी पोखरा   पौड़ी  गढवाल पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; रिखणीखाळ  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ; जहरीखाल  पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली , भवन काष्ठ  कला नक्काशी ;  दुग्गड्डा   पौड़ी  गढवाल में तिबारी,  खोली


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      सैनिक ग्राम (देवाल , चमोली गढ़वाल ) में  सोबन सिंह , केदार सिंह व धन सिंह के भवन में  काष्ठ कला  अलंकरण अंकन 
   House Wood Carving Art  from  Sainik Gram   , Chamoli   
 गढ़वाल,  कुमाऊं की भवन (तिबारी, निमदारी, जंगलादार  मकान, बाखली  , खोली  , मोरी , कोटि बनाल ) में  'काठ  कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला  अलंकरण अंकन, - 333
(अलंकरण व कला पर केंद्रित) 
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती     
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चमोली से अच्छी संख्या में भवनों की सूचना मिल रही हैं।  आज सैनिक ग्राम (देवाल , चमोली गढ़वाल ) में  सोबन सिंह , केदार सिंह व धन सिंह के भवन में  काष्ठ कला  अलंकरण अंकन पर चर्चा होगी। सैनिक ग्राम (देवाल , चमोली गढ़वाल ) में  सोबन सिंह , केदार सिंह व धन सिंह का भवन दुपुर , दुखंड /दुघर है।  ऐसा प्रतीत होता है प्रस्तुत भवन  होम स्टे में परिवर्तित हो गया है। 
  सैनिक ग्राम (देवाल , चमोली गढ़वाल ) में  सोबन सिंह , केदार सिंह व धन सिंह के भवन में काष्ठ कला विश्लेषण करने हेतु  भ्यूं तल (भू तल )  में खोलियों व  , पहले तल   के कक्षों व  वातायन  (खिड़की )  के द्वारों में काष्ठ कला व पहले तल में वातायनों  windos ) में काष्ठ कला अंकन  पर ध्यान दिया जायेगा।
 कक्षों , वातायनों ( मोरी  खिड़की )  के द्वारों में केवल ज्यामितीय कला अंकन ( Gepmetrical carving  ornamentation ) पाया गया हैं। 
  सैनिक ग्राम (देवाल , चमोली गढ़वाल ) में  सोबन सिंह , केदार सिंह व धन सिंह  के भवन में  अन्य  कला पक्ष केवल  खोलियों (आंतरिक सीढ़ियों हेतु प्रवेश द्वार )  में  दृष्टिगोचर हो रहा है।
 दोनों खोलियों में मुख्य स्तम्भ उप स्तम्भों के युग्म /जोड़ से निर्मित हुए हैं। 
खोली के दोनों  उप स्तम्भ  आधार तक एक सामान हैं।  केवल खोलियों  के  प्रत्येक मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष   में कला पक्ष  विशेष हैं। 
प्रत्येक उप स्तम्भ के आधार में  अधोगामी पद्म पुष्प दल से कुम्भी निर्मित है , कुम्भी के  ऊपर ड्यूल है जिसके ऊपर उर्घ्वगामी पद्म  पुष्प दल है जिसके ऊपर ड्यूल , पुनः  ड्यूल है पुनः अधोगामी पद्म पुष्प अंकन व ड्यूल और अंत में उर्घ्वगामी (सीधा ) पद्म  पुष्प है।  यहां से  उप स्तम्भ सीधे हो ऊपर   खोली का मुरिन्ड स्तर निर्मित हो जाते हैं।   यहां से उप स्तम्भों के ऊपर  रस्सी नुमा   व  लता पर्ण  का अंकन हुआ है।
  प्रत्येक खोली के  मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष के  एक चौखट में विशेष काष्ठ  अंकन दृष्टिगोचर होते हैं।  एक खोली के मुरिन्ड चौखट में  देव आकर जैसे चतुर्भुज हनुमान , गणेश व एक अन्य देव आकृति अंकन हुआ है।  दूसरे खोली मुरिन्ड  चौखट में  दोनों कुंआरों में हाथी ऊपर हाथी  व मध्य में  तीन देव आकर अंकित हुए हैं। 
निष्कर्ष निकलता है कि  सैनिक ग्राम (देवाल , चमोली गढ़वाल ) में  सोबन सिंह , केदार सिंह व धन सिंह  के भवन में   ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय कला , अलंकरण अंकन हुआ है।
फोटो आभार: विक्रम सिंह रावत
सूचना - चन्द्र प्रकाश कुरियाल   
यह लेख  भवन  कला संबंधित  है न कि मिल्कियत  संबंधी  . मालिकाना   जानकारी  श्रुति से मिलती है अत:  वस्तु स्थिति में  अंतर   हो सकता है जिसके लिए  सूचना  दाता व  संकलन कर्ता  उत्तरदायी  नही हैं .
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गढ़वाल,  कुमाऊँ , उत्तराखंड , हिमालय की भवन  (तिबारी, निमदारी , जंगलादार  मकान , बाखली , मोरी , खोली,  कोटि बनाल  ) काष्ठ  कला अंकन ,   श्रंखला जारी   
   House Wood Carving Ornamentation from  Chamoli, Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation/ Art  from  Joshimath ,Chamoli garhwal , Uttarakhand ;  House Wood Carving Ornamentation from  Gairsain Chamoli garhwal , Uttarakhand ;     House Wood Carving Ornamentation from  Karnaprayag Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   House Wood Carving Ornamentation from  Pokhari  Chamoli garhwal , Uttarakhand ;   कर्णप्रयाग में  भवन काष्ठ कला,   ;  गपेश्वर में  भवन काष्ठ कला,  ;  नीति,   घाटी में भवन काष्ठ  कला,    ; जोशीमठ में भवन काष्ठ कला,   , पोखरी -गैरसैण  में भवन काष्ठ कला,   श्रृंखला जारी  रहेगी


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 जखोली (तल्ला मवाण रुद्रप्रयाग  गढ़वाल )  में राणा कुल के भव्य भवन में  विशेष काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन

Traditional House wood Carving Art of Jakholi, Talla Mawan , Rudraprayag       
  गढ़वाल, कुमाऊँ,उत्तराखंड की भवन (तिबारी, निमदारी, बाखली , जंगलादार  मकान ) में 'काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ कला अलंकरण, उत्कीर्णन  अंकन   334
 
 संकलन - भीष्म कुकरेती
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 सोसल मीडिया में कभी कभी शीघ्रता के चलते सूचना दाता  का नाम  टंकण शेष रह जाता है।  मैं इसका अपराधी हूँ।  ऐसे ही मुझे  जखोली  में  थोकदार या सामंत राणा कुल  के भव्य भवन की सूचना मिली किन्तु  सूचना दाता  व जिनका इस भवन पर  वर्तमान में स्वामित्व  है की सूचना टंकण न कर सका। 
  जखोली (तल्ला मवाण रुद्रप्रयाग  गढ़वाल )  में राणा कुल के भव्य भवन  के बारे में वर्तमान वारिस ने अपने मां श्री को सूचना प्रेषित करते  लिखा है कि   प्रस्तुत भवन  250  वर्ष पुराना है व  सामंत स्व त्रिलोक सिंह राणा इस भवन के जनक थे व यहां टिहरी रज्जा का  कारागृह भी विद्यमान था।   पहले भवन में संभवतया  चार तिबार   /तिबारियां थीं जो वर्तमान में दो तिबारियों में  सिमट गयी हैं।  यदि   कारागृह विद्यमान था तो अवश्य ही मुख्य द्वार पर पहले तल में टेकरी /बुर्ज/छज्जा   भी होना चाहिए था।   प्रस्तुत  राणा कुल भवन  को कभी बंगला कोठी के नाम से जाना जाता था व   वर्तमान में  ऐतिहासिक भव्य भवन  विशेष (exclusive )  है व भव्य  भवन दुपुर , दुघर /दुखंड है।  कला दृष्टि से भूतल /भ्यूंतल (उबर ) में  दो दो खोलियों व एक  कक्षों के द्वारों व पहले तल में  दो दो तिबारियों में काष्ठ उत्कीर्णन पर ध्यान देना होगा। 
जखोली के राणा कुल के भव्य भवन के भूतल में तीन कक्ष  दृष्टिगोचर हो रहे हैं किन्तु वास्तव में  एक खोली (आंतरिक सीढ़ियों हेतु प्रवेश द्वार )  थीं व दो कक्ष हैं    खोली के मुख्य  सिंगाड़   आयताकार उप सिंगाड़ों /स्तम्भों व आधार में कुम्भी /घट / घुंडी नुमा उप  सिंगाड़  के युग्म /जोड़ से निर्मित हुए हैं।  घुंडी नुमा स्तम्भ के आधार में उल्टा कमल दल अंकन हुआ है , इसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर उर्घ्वगामी /सीधा पद्म पुष्प दल है।  पद्म पुष्प दल घुंडी। घट /कुम्भी आकर   निर्माण  करते हैं।  खोली  शीर्ष /मुरिन्ड /मथिण्ड  के दाएं -बाएं दीवालगीर हैं और निश्चित ही पहले  दीवालगीरों में हाथी , पक्षी  ग्रीह्वा   व पुष्प नलिका रहे होंगे। 
 भूतल तल में दो कक्षों में  द्वारों पर काष्ठ  सिंगाड़ /स्तम्भ नहीं हैं किंतु  मुरिन्ड /मथिण्ड /शीर्ष में तोरणम /चाप निर्मित हुआ है।  तोरणम /चाप के दांयें व बांयें  भाग में डेवलगीर के चिन्ह अभी तक दृष्टिगोचर हो रहे हैं।  भवन के भूतल के क्षण /खोली के शीर्ष में देव मूर्ति  स्थापना  के भी चिन्ह विद्यमान हैं। 
 सामंत राणा कुल के  भव्य भवन के पहले तल में  दो  तिबारियां स्थापित हुयी हैं और सूचना अनुसार पहले चार तिबारियां थीं।   वर्तमान में तिबारी   भव्य है व तिबारी के स्तम्भ  विशेष व भव्यतम श्रेणी में आते हैं।   तिबारी के ऐसे स्तम्भ दुर्लभ ही पाए गए हैं।  तिबारियां एक सामान हैं।  दोनों तिबारियां चार चार मुख्य सिंगाड़ों /स्तम्भों से निर्मित हैं।  जखोली में राणा कुल के भवन की तिबारी के   प्रत्येक मुख्य  स्तम्भ /सिंगाड़  चार चार उप स्तम्भों के युग्म /जोड़ से निर्मित हुए हैं। 
प्रत्येक उप स्तम्भ  का आधार की कुम्भी   (घट पेट  आकृति ) का निर्माण  अधोगामी पद्म पुष्प दल के उत्कीर्णन से हुआ है।  कुम्भी के ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर  उर्घ्वगामी पद्म  पुष्प  निर्मित है जिसके ऊपर से उप स्तम्भ लौकी आकार धारण  करता है।  जहाँ उप स्तम्भ की मोटाई सबसे कम है वहां  उल्टा कमल दल उत्कीर्णित है जिसके ऊपर ड्यूल है व ड्यूल के ऊपर  खिला कमल पुष्प है।  यहां से  दो उप स्तम्भों से थांत आकृति उभरती है।  दूसरी ओर  अर्ध चाप उभरता है जो सामने के उप स्तम्भ के अर्ध चाप से मिल पूरा तोरणम /चाप /arch  निर्माण करता है।  तोरणम में उत्कीर्ण कला  के चीन शेष हैं किंतु स्पष्ट   नहीं हैं।   उप स्तम्भों के चाप /तोरणम ऊपर मुरिन्ड के चौखट कड़ी से मिलते हैं  . मुरिन्ड /मथिण्ड  की चौखट  सुडौल कड़ी  में  चित्रांकन अवश्य ही हुआ है जो छायाचित्र में स्पष्ट नहीं है। 
निष्कर्ष निकलना सरल है कि  राणा कुल के भव्य भवन में ज्यामितीय , प्राकृतिक व मानवीय  अलंकृत कला उत्कीर्णन  हुआ है।
 ध्यान दें -
सूचनादाता जो वर्तमान में भवन के भागीदार हैं ने अपने मां श्री (जिन्होंने मुझे सूचना दी  कि  प्रस्तुत भवन 250  वर्ष प्राचीन है व टिहरी के सामंत की है व टिहरी  राजा का कारागृह है।    यदि इस भवन में टिहरी राजा का कारागृह था तो यह भवन 250  वर्ष प्राचीन होने में संदेह होता है।  टिहरी राज्य की स्थापना 1815 -16  में हुआ।
 सूचनादाता ने अपने मामा श्री को सुचना दी कि  अब भवन में कोई नहीं रहता है व मैठाणा  देवी के ठौ  में प्रतिदिन पूजा होती है।   
सूचना व फोटो आभार:   परम मित्र
  * यह आलेख भवन कला संबंधी है न कि मिल्कियत संबंधी, भौगोलिक स्तिथि संबंधी।  भौगोलिक व मिलकियत की सूचना श्रुति से मिली है अत: अंतर  के लिए सूचना दाता व  संकलन  कर्ता उत्तरदायी नही हैं . 
  Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020   
  रुद्रप्रयाग , गढवाल   तिबारियों , निमदारियों , डंड्यळियों, बाखलीयों   ,खोली, कोटि बनाल )   में काष्ठ उत्कीर्णन कला /अलंकरण ,
Traditional House Wood Carving Art (Tibari) of Garhwal , Uttarakhand , Himalaya ; Traditional House wood Carving Art of  Rudraprayag  Tehsil, Rudraprayag    Garhwal   Traditional House wood Carving Art of  Ukhimath Rudraprayag.   Garhwal;  Traditional House wood Carving Art of  Jakholi, Rudraprayag  , Garhwal, नक्काशी , जखोली , रुद्रप्रयाग में भवन काष्ठ कला,   ; उखीमठ , रुद्रप्रयाग  में भवन काष्ठ कला अंकन,  उत्कीर्णन  , खिड़कियों में नक्काशी , रुद्रप्रयाग में दरवाज़ों में उत्कीर्णन  , रुद्रप्रयाग में द्वारों में  उत्कीर्णन  श्रृंखला आगे निरंतर चलती रहेंगी


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श्रीकोट क्षेत्र (टिहरी गढ़वाल )  से  जंगलेदार भवन संख्या 4  में काष्ठ  कला , अलकंरण , उत्कीर्णन, अंकन

Traditional House Wood Carving Art of  Shrikot , Tehri   
  गढ़वाल, कुमाऊँ, देहरादून, उत्तराखंड भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी , बाखली, खोली, मोरी, कोटिबनाल   ) में ' काठ कुर्याणौ ब्यूंत' की काष्ठ  कला , अलकंरण , उत्कीर्णन, अंकन,-335     

संकलन - भीष्म कुकरेती 
  पयार्वरण मित्र बिलेश्वर झल्डियाल   ने श्रीकोट से कई भवनों की सूचना भिजवाई है।   इसी क्रम में श्रीकोट (टिहरी )  के भवन संख्या 4  में  काष्ठ कला , अलकंरण , उत्कीर्णन, अंक पर चर्चा होगी।
श्रीकोट क्षेत्र (टिहरी ) का प्रस्तुत भवन दुपुर , दुघर /दुखंड है। भवन में पत्थर का छज्जा नहीं है।    भवन के पहले तल में काष्ठ जंगला स्थापित किया गया है।  जंगला काष्ठ छज्जे पर टिका है।  जंगले में आठ स्तम्भ हैं जो सीधे चौखट आकार में  हैं।  डेढ़ फुट के ऊपर काष्ठ  कड़ी (रेलिंग ) है। निम्न तल कड़ी व एक फिट ऊपर  के रेलिंग मध्य उप स्तम्भ हैं। उप स्तम्भ भी सपाट व ज्यामितीय कटान से निर्मित हुए हैं। स्तम्भ के ऊपरी कड़ी भी ज्यामितीय कटान से निर्मित हुयी है जो चौखट नुमा है।   

  सूचना व फोटो आभार:  लखीराम , माध्यम-बिलेश्वर झल्डियाल     
यह आलेख कला संबंधित है , मिलकियत संबंधी नही है I   भौगोलिक स्तिथि और व भागीदारों  के नामों में त्रुटि   संभव है I 
Copyright @ Bhishma Kukreti, 2020
गढ़वाल, कुमाऊं , देहरादून , हरिद्वार ,  उत्तराखंड  , हिमालय की भवन  (तिबारी, जंगलेदार निमदारी  , बाखली , खोली , मोरी कोटि बनाल     ) काष्ठ  कला  , अलकंरण , अंकन लोक कला  घनसाली तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला  ;  टिहरी तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला , ;   धनौल्टी,   टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, लकड़ी नक्काशी ;   जाखणी  तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला  ;   प्रताप  नगर तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, नक्काशी ;   देव प्रयाग    तहसील  टिहरी गढवाल  में  भवन काष्ठ कला, ; House Wood carving Art from   Tehri; 


 

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