स्वर - श्री नरेन्द्र सिंह नेगी
ॐ प्रभात को पर्व जाग , गोऊ स्वरुप पृथ्वी जाग ,
धर्म स्वरूपी धागा जाग , उदंकारी काठा जाग ,
भांग भक्की गरुड़ जाग ,
शत्रु लोक जाग , इंद्र लोक जाग ,
मेघ लोक जाग.........
सूर्य लोक जाग, चंद्र लोक जाग ,
तारा लोक जाग ,पवन लोक जाग ,
ब्रह्मा का वेद जाग, गौरी का गणेश जाग.
हरो -भरो संसार जाग,
जीव जाग - जीवन जाग,
शेर समुद्र जाग ,दुदी समुद्र जाग ,
खारी समुद्र जाग. खेराई समुद्र जाग,
घोर समुद्र जाग , अघोर समुद्र जाग ,
प्रचंड समुद्र जाग, स्वेतबंद रामेश्वर जाग..........
हियु हिवालो जाग, पाणी पयालो जाग,
पाला बैजनाथ जाग,धोली देव प्रयाग जाग ,
हरी को हरिद्वार जाग ,कशी विश्वनाथ जाग ,
बूढा केदार जाग, ढोला शम्भू नाथ जाग.......
काली कुमोऊ जाग, चोपडा चोथान जाग
खटिम को निम्न्नी जाग ,शोवन की घाटी जाग ....................