पंकज जी,
बहुत निराश होने वाली बात नही है, नयी पीढ़ी के लोग इस बारे में सचेत है। यहां तक कि दिल्ली जैसे महानगर में भी आपको पहाड़ी वाद्य की बैण्ड पार्टी मिल सकती है। हो सकता है कि उनमें उतनी मधुरता ना हो पर व्यवसायिकता तो हर जगह हावी रह्ती ही है। पिछले वर्ष जब मै अपने रिश्ते के भाई की शादी में दिल्ली गया था तो वहां पर आधुनिक बैण्ड के साथ ही ७ सदस्यों वाले पहाड़ी बैण्ड का भी एक दल था। मैने पता किया तो वे दिल्ली में शाहदरा से ही थे, इससे तो जाहिर होता है कि अभी भी लोगों का रुझान अपने पारंपरिक वाद्यों की ओर है।