Author Topic: Public Protest For Development - जिबड़ियो छाल्यो पड़ो विकास पुकारि-पुकारि  (Read 27427 times)

पंकज सिंह महर

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पिथौरागढ। तीन प्रतिशत आरक्षण के आधार पर विभिन्न विभागों में नियुक्ति प्रकिया शुरू नहीं होने से खिन्न विकलांगों ने फिर आंदोलन की राह पकड़ ली है। विकलांगों ने हिमालयन विकलांग जन कल्याण संस्था के बैनर तले जिला कार्यालय परिसर में धरना प्रदर्शन किया। विकलांगों ने शीघ्र रिक्त पदों में नियुक्ति नहीं किये जाने पर आंदोलन को उग्र करने की चेतावनी दे डाली है।

जिला कार्यालय परिसर में गुरुवार को हुये धरना प्रदर्शन के मौके पर आयोजित सभा में विकलांगों ने कहा कि प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री द्वारा छ: माह पूर्व दिया गया आश्वासन कोरा साबित हुआ है। आश्वासन को छ: माह बीतने के बाद ही खिन्न होकर उन्हे दुबारा आंदोलन के लिये बाध्य होना पड़ रहा है। प्रदर्शनकारी विकलांगों ने कहा कि यदि तीन दिनों के भीतर नियुक्ति को लेकर ठोस कार्रवाई शुरू नहीं की गयी तो 11 मई से क्रमिक अनशन शुरू कर दिया जायेगा। हिमालयन विकलांग जन कल्याण संस्था के अध्यक्ष सुनील प्रसाद ने आंदोलन को सफल बनाने के लिये सभी सदस्यों से जिला मुख्यालय पहुंचने का आह्वान किया। धरना प्रदर्शन में उपाध्यक्ष चंदन महरा, महासचिव किरन चंद, सचिव हेमपंत, गीता महरा, आशा, चन्द्रकला बोहरा, हेमा राणा, संतोषी बिष्ट, होशियार रौतेला, पंकज और देवानन्द आदि मौजूद थे।

पंकज सिंह महर

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तिलवाड़ा (रुद्रप्रयाग)। पेयजल मंत्री मातबर सिंह कंडारी के क्षेत्र में लोग एक-एक बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। ग्राम पंचायत तिलवाड़ा सहित समीपवर्ती गांवों में बढ़ती पेयजल समस्या का निराकरण न होने से आक्रोशित क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने दस जून को तिलवाड़ा मुख्य बाजार में राजमार्ग जाम की चेतावनी दी है।

राष्ट्रीय राजमार्ग से सटी ग्राम पंचायत तिलवाड़ा सहित समीपवर्ती गांव गीड़, भुतेर, मैठाड़ा व छतोली में विगत कई माह से पेयजल का भारी संकट है। जिसके चलते स्थानीय लोगों सहित मुख्य बाजार में रुकने वाले देश-विदेशी तीर्थ यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि क्षेत्रांतर्गत पेयजल की समस्या को देखते हुए पूर्व सरकार द्वारा पांजणा से तिलवाड़ा तक पेयजल योजना की गई थी, लेकिन विभागीय घोर लापरवाही से उक्त योजना का निर्माण अभी तक तिलवाड़ा एक किमी पीछे सुमाड़ी बाजार तक ही हो पाया है, जहां लोग योजना का पूरा लाभ उठा रहे है और तिलवाड़ा क्षेत्र की जनता को दर-दर भटकना पड़ रहा है। युवा कांग्रेस के जिला महामंत्री मान सिंह जगवाण, व्यापार संघ अध्यक्ष कमल सिंह, महामंत्री सुरेन्द्र दत्त सकलानी, पूर्ण सिंह कप्रवाण, बसपा के वरिष्ठ नेता विक्रम कंडारी सहित कई जनप्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि यदि शीघ्र पेयजल आपूर्ति बहाल नहीं की गई तो जनता आंदोलन शुरू कर देगी।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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In many reasons, the protest from people genuine but in some cases they just start protesting without any prime reasons.


तिलवाड़ा (रुद्रप्रयाग)। पेयजल मंत्री मातबर सिंह कंडारी के क्षेत्र में लोग एक-एक बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं। ग्राम पंचायत तिलवाड़ा सहित समीपवर्ती गांवों में बढ़ती पेयजल समस्या का निराकरण न होने से आक्रोशित क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों ने दस जून को तिलवाड़ा मुख्य बाजार में राजमार्ग जाम की चेतावनी दी है।

राष्ट्रीय राजमार्ग से सटी ग्राम पंचायत तिलवाड़ा सहित समीपवर्ती गांव गीड़, भुतेर, मैठाड़ा व छतोली में विगत कई माह से पेयजल का भारी संकट है। जिसके चलते स्थानीय लोगों सहित मुख्य बाजार में रुकने वाले देश-विदेशी तीर्थ यात्रियों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों का कहना है कि क्षेत्रांतर्गत पेयजल की समस्या को देखते हुए पूर्व सरकार द्वारा पांजणा से तिलवाड़ा तक पेयजल योजना की गई थी, लेकिन विभागीय घोर लापरवाही से उक्त योजना का निर्माण अभी तक तिलवाड़ा एक किमी पीछे सुमाड़ी बाजार तक ही हो पाया है, जहां लोग योजना का पूरा लाभ उठा रहे है और तिलवाड़ा क्षेत्र की जनता को दर-दर भटकना पड़ रहा है। युवा कांग्रेस के जिला महामंत्री मान सिंह जगवाण, व्यापार संघ अध्यक्ष कमल सिंह, महामंत्री सुरेन्द्र दत्त सकलानी, पूर्ण सिंह कप्रवाण, बसपा के वरिष्ठ नेता विक्रम कंडारी सहित कई जनप्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि यदि शीघ्र पेयजल आपूर्ति बहाल नहीं की गई तो जनता आंदोलन शुरू कर देगी।


पंकज सिंह महर

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ग्रामीणों ने कराया पावर हाउस का कार्य बंदMay 28, 11:37 pm

गोपेश्वर (चमोली)। हिम ऊर्जा कंपनी की मनमानी पर आक्रोशित ग्रामीणों ने बुधवार को बनाला स्थित परियोजना के पावर हाउस पर कार्य बंद कर प्रदर्शन किया। इस दौरान कंपनी अधिकारी द्वारा महिलाओं के साथ बदसलूकी भी सामने आई है। ग्रामीणों का कहना था कि वन अधिनियम को ताक पर रखकर हरे पेड़ों पर कंपनी द्वारा आरियां चलायी जा रही है, जिससे पर्यावरण को क्षति पहुंच रही है।

इससे पहले भी बनाला की महिलाएं कंपनी का कई बार विरोध कर चुकी हैं। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हिम ऊर्जा द्वारा जल विद्युत परियोजना की आड़ में स्थानीय जंगलों को समाप्त किया जा रहा है। यहां विद्युत परियोजना निर्माण के दौरान कई पेड़ों का अवैध पातन किया जा चुका है, जबकि कई पेड़ निर्माण के दौरान ही डोजर से मिट्टी पत्थर गिरने के बाद तबाह हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों को रोजगार के नाम पर भी कंपनी छल रही है। ग्रामीणों द्वारा पूर्व में इस मकसद से यहां परियोजना निर्माण के लिए जमीन दी गई थी कि स्थानीय बेरोजगार युवकों को कंपनी में रोजगार मिले, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है। खास बात यह है कि अधिकारियों की मनमानी के चलते इतने कम वेतन पर कार्य किया जा रहा है, जिससे किसी की रोजी-रोटी तक नहीं चल सकती। इतना ही नहीं मनमर्जी के मुताबिक कम वेतन पर ही जिले में निर्माणाधीन कंपनी की अन्य परियोजनाओं में यहां से मजदूरों को भेजा जा रहा है। प्रदर्शनकारियों का नेतृत्व कर रही महिला मंगल दल की ब्लाक अध्यक्षा भागीरथी पुरोहित का कहना है कि जब महिलाएं निर्माणाधीन कंपनी में कार्य बंद कराने गई तो कंपनी के एक अधिकारी ने उनके साथ बदसलूकी भी की जिस पर महिलाओं ने संबंधित अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की है।

पंकज सिंह महर

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सातशिलिंग-घाटीगाड़ पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त, लोग परेशानJun 16, 12:08 am

पिथौरागढ़। सड़क चौड़ीकरण से निकला मलवा बेतरतीब ढंग से फेंक दिये जाने के कारण सातशिलिंग-घाटीगाड़ पैदल मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया है। जिससे लोगों को खासी परेशानी उठानी पड़ रही है। क्षेत्रवासियों ने मार्ग की मरम्मत की मांग की है।

क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता शंकर चंद ने बताया कि हाल ही में घाटीगाड़ तक बनी सड़क का चौड़ीकरण किया गया था। चौड़ीकरण के लिए की गयी खुदाई से निकला मलबा घाटीगाड़-सातशिलिंग पैदल मार्ग पर फेंक दिया गया, जिससे मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया है। मार्ग टूट जाने से लोगों को चलने में खासी परेशानी उठानी पड़ रही है। उन्होंने बताया कि मलबा घास के मार्गो में भी फेंका गया है, जिससे घास दबकर बर्बाद हो गयी, इससे गांव में चारे का संकट पैदा हो गया है। उन्होंने बर्बाद हुई घास का मुआवजा और क्षतिग्रस्त मार्ग का पुनर्निर्माण कराये जाने की मांग की है।

पंकज सिंह महर

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जमरानी बांध निर्माण को लेकर प्रदर्शन

हल्द्वानी (नैनीताल)। जमरानी बांध परियोजना के निर्माण को लेकर मंगलवार को एक बार फिर जनसमूह सड़क पर उतर पड़ा। आक्रोशित लोगों ने रैली निकालकर एसडीएम कार्यालय पर सांकेतिक प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन एसडीएम को सौंपा। इन्होंने 30 दिन के भीतर सरकार से संतोषजनक जबाव मांगा है।

जमरानी बांध निर्माण को लेकर जमरानी बांध निर्माण संघर्ष समिति ने मंगलवार को महारैली के आयोजन की घोषणा की थी। रामलीला मैदान में सुबह से ही लोगों का आना शुरू हो गया। दोपहर 12 बजे भारी जनसमूह रैली के रूप में एसडीएम कार्यालय की ओर बढ़ा। इन लोगों ने कार्यालय पहुंचकर सांकेतिक प्रदर्शन किया। इस बीच एसडीएम प्रताप साह ने इनका ज्ञापन लिया। मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन में इन लोगों ने तराई-भावर की पेयजल समस्या को लेकर जमरानी बांध निर्माण की मांग पूरी करने की मांग की। संयोजक नवीन वर्मा व अशोक वाष्र्णेय ने कहा कि 35 साल से चल रही यह परियोजना केवल राजनीतिक इच्छा शक्ति के अभाव में अटकी पड़ी है। मुकेश तिवाड़ी व राम सिंह बसेड़ा ने कहा कि सरकारें चाहती तो परियोजना कब की पूरी हो चुकी होती, लेकिन सुविधा संपन्न रहने वाले लोगों को जनता की पेयजल समस्या दिखाई नहीं दे रही है। कांग्रेस महासचिव महेश शर्मा व प्रांतीय उद्योग व्यापार मंडल के महामंत्री राजीव अग्रवाल ने कहा कि भूमि में घटते जल स्तर के लिए अब जमरानी बांध ही एकमात्र विकल्प है, इसके अलावा जनता को कितना ही बड़ा आंदोलन करना पड़ेगा किया जायेगा। छात्रसंघ के पूर्व सचिव सुशील डूंगराकोटी व लक्ष्मण सिंह रजवार ने घोषणा करते हुए कहा कि आंदोलन थमने वाला नहीं है। सभासद अब्दुल समी और प्रमोद कोटलिया ने गांव-गांव अभी और जनजागरण करने पर बल दिया।

पंकज सिंह महर

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नई टिहरी (टिहरी गढ़वाल)। टिहरी बांध की झील से भूस्खलन प्रभावित नकोट गांव के ग्रामीणों ने पूर्ण विस्थापन की मांग को लेकर जिला मुख्यालय में प्रदर्शन कर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया है।

आज बारिश के बावजूद प्रतापनगर क्षेत्र के नकोट गांव के ग्रामीणों ने बड़ी संख्या में मुख्यालय पहुंच अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। इस दौरान उन्होंने शासन-प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की। ग्रामीणों का कहना है कि बांध की झील के चलते गांव में भू-धंसाव होने के साथ ही मकानों में भी दरारे आ गई है। बरसात में स्थिति और विकट हो सकती है। ग्रामीण लंबे समय से गांव को पूर्व विस्थापन की मांग करते आ रहे है। पूर्व में प्रशासन एवं पुनर्वास निदेशालय के अधिकारियों ने गांव का निरीक्षण कर गांव के पूर्ण विस्थापन की कार्यवाही का आश्वासन दिया मगर अभी तक इस ओर कोई पहल नहीं हो पाई। ग्राम प्रधान मोहन सिंह राणा ने कहा कि झील से गांव को भारी खतरा बना हुआ है, बावजूद इसके नकोट गांव को आंशिक डूब क्षेत्र में रखा गया है। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि समय रहते उनकी समस्याओं का समाधान न किया गया तो आंदोलन तेज किया जाएगा।

पंकज सिंह महर

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नई टिहरी (टिहरी गढ़वाल)। घुत्तू भिलंग में निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजना का कार्य देवलिंग के प्रभावित ग्रामीणों ने पूर्ण रूप से बंद कर दिया है, जबकि एक प्रभावित ग्रामीण परियोजना स्थल पर भूख हड़ताल में बैठ गया।

परियोजना अधिकारियों के ग्रामीणों की मांग पर गौर न किए जाने पर आक्रोशित ग्रामीणों ने आज परियोजना का कार्य बंद कर दिया तथा प्रभावित सूरत सिंह ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है। ग्रामीणों ने कहा कि जब तक उनकी सभी मांगे नहीं मानी जाती तब तक परियोजना का कार्य बंद रहेगा तथा अन्य लोग भी भूख हड़ताल शुरू कर देंगे। भिलंगना नदी पर पौलीफैक्स कम्पनी द्वारा बनाई जा रही 24 मेगावाट की जल विद्युत परियोजना की निर्माणाधीन टनलों में लगातार ब्लास्टिंग किए जाने से ग्रामीणों के मकानों पर लम्बे-लम्बी दरारे आ गई है। तथा गांव के आस-पास की प्राकृतिक जलस्त्रोत भी सूख गए है। ग्रामीणों का कहना है कि कम्पनी अनुबंध के अनुसार कार्य नहीं कर रही है, जबकि टनलों की खुदाई ग्रिल मशीनों से की जानी थी लेकिन उसके बदले लगातार ब्लास्टिंग की जा रही है, जिससे ग्रामीणों के मकानों को खतरा बना हुआ है। परियोजना स्थल पर भूख हड़ताल पर बैठे सूरत सिंह ने बताया कि ब्लास्टिंग के कारण जहां मकानों पर दरारे आई है, वहीं गांवों में पेयजल संकट भी गहरा गया है। उन्होंने बताया कि पूर्व में कम्पनी व प्रशासन को सूचित करने पर भी ग्रामीणों के किसी भी मांग पर अमल नहीं हो पाया है। प्रभावित ग्रामीण बचन सिंह, किशन सिंह, सरदार सिंह ने चेतावनी देते कहा कि यदि शीघ्र ही भू-सर्वेक्षण की रिपोर्ट ग्रामीणों को न बताई गई, पेयजल योजनाओं का पुनर्गठन, तथा क्षतिग्रस्त भवनों का मुआवजा नहीं दिया जाता है तो परियोजना का कार्य नहीं होने दिया जाएगा और अन्य लोग भी भूख हड़ताल के लिए बाध्य होंगे।

पंकज सिंह महर

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कोटेश्वर बांध परियोजना का कार्य ठप किया

कोटेश्वर बांध परियोजना के निर्माण में लगी भारत कंस्ट्रक्शन कम्पनी के मजदूरों ने परियोजना का कार्य ठप कर दिया है। मजदूर अपनी छंटनी की लिस्ट लगाये जाने से लामबंद हो गए हैं। कार्य बंद होने से परियोजना को करीब एक करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। परियोजना स्थल पर शांति व्यवस्था बनाए रखने को सीआईएसफ व पुलिस तैनात कर दी गई है। कंपनी के अधिकारी और स्थानीय प्रशासन समझौते में जुट गए हैं।

भारत कंट्रक्शन कम्पनी द्वारा कोटेश्वर में कार्यरत मजदूरों की छंटनी लिस्ट चस्पा करने के बाद मजदूर भड़क गए। उन्होंने परियोजना का कार्य बंद करवा दिया और धरने पर बैठ गए। कार्य बंद करने की सूचना मिलने पर सीआईएसएफ व पुलिस बल को मौके पर तैनात कर दिया गया है । कार्य बंद होने से परियोजना को करीब एक करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है और यदि शीघ्र कोई नतीजा नहीं निकलता है तो परियोजना को बड़ा घाटा उठाना पड़ सकता है। समझौते के लिए प्रशासन की कवायद भी तेज हो गई है। परियोजना अधिकारी एके श्रीवास्तव ने बताया कि कम्पनी का कार्य करीब-करीब पूर्ण हो चुका है। जिन लोगों के नाम छंटनी की लिस्ट में शामिल है वह न तो प्रभावित है और न ही स्थानीय। उधर, एसडीएम नरेन्द्रनगर दीप्ति सिंह ने बताया कि कम्पनी के साथ कर्मचारियों के समझौते के प्रयास किए जा रहे है। यदि कर्मचारी काम बंद रखते है तो प्रशासन सख्ती से निपटेगा।

पंकज सिंह महर

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असवालस्यूं पट्टी: विकास की दरकारAug 04, 11:45 pm

पौड़ी गढ़वाल। 'चलो गांव की ओर' यह नारा अब प्रखंड कल्जीखाल की असवालस्यूं पट्टी के बाशिंदों को रास नहीं आ रहा है और यहां के युवा 'कोटद्वार चलो रे' के एक सूत्रीय नारे के साथ शहर की ओर पलायन कर रहे हैं। कारण, आजादी के छह दशक व राज्य गठन के आठ साल गुजर जाने के बाद भी यह क्षेत्र मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं और यहां के बाशिंदे स्वयं को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे है।

मंडल मुख्यालय से सटे प्रखंड कल्जीखाल की 84 गांवों वाली असवालस्यूं पट्टी में आज तक विकास की एक किरण भी नहीं पहुंच पाई है। इस समूचे क्षेत्र में प्राथमिक से लेकर इंटरमीडिएट कालेजों में शिक्षकों का भारी अभाव है, नतीजतन यहां की शिक्षा व्यवस्था पटरी से उतर गई है। सबसे खस्ता हालत राजकीय इंटर कालेज साकिनखेत की है। यह विद्यालय गणित, अंग्रेजी समेत अन्य महत्वपूर्ण विषयों के शिक्षकों की कमी से जूझ रहा है। क्षेत्रवासियों द्वारा कई बार मौखिक व लिखित रूप से शिक्षकों की तैनाती की मांग किए जाने के बाद भी विद्यालय शिक्षकों की राह ताक रहा है। उच्च व तकनीकी शिक्षा की बात यहां के किशोरों के लिए एक सपने से ज्यादा कुछ नहीं है। ऐसे में आर्थिक रूप से संपन्न परिवार यहां रहना अभिशाप समझ रहे है और अपने नौनिहालों की गुणवत्तापरक शिक्षा-दीक्षा के लिए पलायन करना ही उचित समझ रहे हैं। क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाएं भी ऊंट के मुंह में जीरा ही साबित हो रही हैं। इक्का-दुक्का प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र महज खानापूर्ति का साधन बनकर रह गए है और ग्रामीणों को इलाज के लिए पौड़ी या कोटद्वार जाना पड़ता है। ऐसे में कई रोगी समुचित इलाज के अभाव में अकाल मौत के शिकार भी हो जाते है। यही नहीं, क्षेत्र के कई गांव आज भी सड़क सुविधाओं से महरूम है। ऐसा नहीं है कि यहां विकास के लिए पहल नहीं की गई हो, लेकिन विकासात्मक कार्यो पर लगे भ्रष्टाचार के ग्रहण ने यहां के बाशिंदों को निराश व हताश ही किया है। आलम यह है कि आज यहां सिर्फ गरीब तबकाही रहने का विवश है। चकबंदी प्रणेता गणेश सिंह यहां के विकास के प्रति काफी चिंतित है। उनका कहना है कि नेताओं द्वारा सिर्फ चुनाव के समय ही यहां की सुध ली जाती है और विकास के तमाम दावे धरे के धरे ही रह जाते है। हालांकि आसन्न त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव के मद्देनजर के क्षेत्र के विकास के लिए लोक-लुभावने वादों का पिटारा खुलने लगा है। ऐसे में यहां की जनता को फिर से क्षेत्र के विकास को लेकर एक आस जगी है, लेकिन उन्हें डर है कि कहीं इस बार भी वे ठग न लिए जाएं।

 

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