प्रवासी उत्तराखंडियों की पहली पसंद बनी ‘गैरसैंण’
सोशल नेटवर्किंग पर गूंजा राजधानी मुद्दा
• लखपत/दीपक बेंजवाल
रुद्रप्रयाग/अगस्त्यमुनि। उत्तराखंड की स्थायी राजधानी कहां बनाई जाए? इस पर लगभग 11 वर्षों से मंथन हो रहा है। आमजन से लेकर सियासी लोगों तक के लिए यह बहस का मुद्दा रहा है। यहां तक कि इसे चुनावी मुद्दा भी बनाया। आयोग का भी गठन किया गया। लेकिन सवाल अपनी जगह आज भी कायम है। स्थायी राजधानी - देहरादून, गैरसैंण, रामनगर, कालागढ़, या कोई अन्य। गांव के चौपाल से लेकर देहरादून में विधानसभा तक स्थायी राजधानी को लेकर हंगामा हुआ। इस मुद्दे के सहारे चुनावी वैतरणी पार करने वाले नेताओं ने भी दावे के साथ-साथ जोरदार बहस की लेकिन, समाधान निकालने में वह भी असफल रहे। अब इसका बीड़ा उठाया है प्रवासी उत्तराखंडियों ने और माध्यम बनाया है सोशल नेटवर्किंग को। उत्तराखंड की स्थायी राजधानी को लेकर आए दिन धरना प्रदर्शन होते रहते हैं।
अब इसे देशव्यापी मुद्दा बनाकर सरकार पर दबाव बनाने का जिम्मा उठाया है म्यार उत्तराखंड ग्रुप ने। यह ग्रुप फेसबुक, आरकुट ट्विटर और गूगल सरप्लस जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों का सहारा ले रहा है। इस ग्रुप से अब तक लगभग साढ़े आठ हजार प्रवासी उत्तराखंडी जुड़ चुके हैं।
सोशल नेटवर्किंग पर म्यार उत्तराखंड गु्रप से जुड़े विचारों और कमेंट्स पर गौर किया जाए तो अधिकतर का कहना है कि उत्तराखंड की राजधानी पहाड़ में ही हो। क्योंकि इस राज्य की परिकल्पना ही पहाड़ के विकास को ध्यान में रखकर की गई थी। इनमें से अधिकतर का रुझान गैरसैंण की ओर है। इसके अलावा भी कुछ ऐसे लोग हैं जो देहरादून, रामनगर और कालागढ़ के भी पक्ष में हैं।
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