Author Topic: Exclusive Poems of many Poets-उत्तराखंड के कई कवियों ये विशिष्ट कविताये  (Read 30982 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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क्वन्ना पेट

by : Sain Singh Rawat

एक दिन/मिन अपणो छ्वटो/खूब मारी
पैली चपत/फेर मुक्का/वो दिख्यौत चम्पत
जख लुकि हो/ढूंडा ढूंड/बबरा पा°डा/खोˇा-खोˇा/डा°डा-डा°डा
कैको खाणू/कैको पेणू/द्वफरा घाम/अर मैना जेठ
भितर देखे त/वो क्वन्नाअ पेट।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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अन्वार
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डी०डी० सुन्दरियाल "शैलज"
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जून मुखड़ि नि रैइ
चकोर बन्दुक्यौंन् खैई
माया का गीत अब कैन गाणैइ कखन
हर्चि हैरि हरियाˇि
नि बरखौ सरग,
रूड़ि बणाग म्
डाˇि-बोटि फुकेइ
जेठ कि तपिनी मा
तम तचीं धर्ति वा
भिज्यां माटै महक अब त् पाणैइ कखन
बणु मां नि राइ बुरांस
गदिन्यंू हर्ची हिलांस
चौका तीरै अखौड़ा
कि डाˇि कटेइ
क∂फु बसदु न घुघती घुरान्दि कखी
प्रेम-रैबार अब कैन देणाइ कखन
डांडि-कांठि खरिड़ ह्वेन
घ्वीड़-मिरग नि रै,
न त पाख्यिूं मा ∂यूंˇी
दिखेन्दन कखी

तेरी उंठड़ियूं कि लाली
ल्हियां फूल वो?
अब त देखणै कखन अर ब्वलणैइ कखन
बोगिगे माटु अर
रैड़ि गैनि ढुंगा
फांगि लाल

घास च भीटांे फरैइ
सग्वड़ि पत्वड़ियूं म
मˇ़सौ जम्यूं च, भयौं !
हैरि भुज्जी म क्वदˇी अब खाणैइ कखन
नौनु सटिगीगे पोरू कु
साल स्यकुन्द
ऐंसु ब्वारि थैं भेज्याइ
वीं को बुबा,
गाैंउ म रैइगैनि द्वी-चार
बैरा मनिख
अब त छ्वीं बथ भि कैमा लगाणै कखन

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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निरसा बोल
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By : Sidhi विद्यार्थी

तेरा पैदा होणै बात
जाणिकै मन ∫वे छौ
खुशी मा होलेरू फुलेरू
तिन क्या समझण या°कू मोल
बेटा नि सुणौ निरसा बोल।
तू नी जाण सकदू
कनी पिड़ा ∫वे होली
हत्थी-खुट्टी छटकै तिन
बजै होल पेट मा ढोल
बेटा नि सुणौ निरसा बोल।
अपणू प्राण त्वे पर लगै
छूड़ी रोटी लूण गारी
अलणू अतेलू खै ज्यू मारी
मेरी खैरी खयी बुज्यों न धोल
बेटा नि सुणौ निरसा बोल।
ज्वानी मा रा°डा दिन कटनी
भूखू-प्यासू रै ब्रत रखनी
भली भली चीज कभी नि चखनी
मेरी बिपदा नि सकदू क्वी तोल
बेटा नि सुणौ निरसा बोल।
अपणा गिच्चा ग∂फा
तेरी जिबड़ी मा धारी
खट्टी-मिठ्ठी चट्ट गेड़ी मारी
मेरा लया°-सया° मा कड़वी न घोल
बेटा नि सुणौ निरसा बोल।

रात दिन कत्ती बक्त
तेरू गू-मूत पोछीं
अफू तींदा मा त्वे उबणा मा राखी
मा° कू कर्ज च अनमोल
बेटा नि सुणौ निर सा बोल।
तेरा बाना चखुड़ी बणी रयों
रात-बिरात दूध पिलै
पूरी नींद कबि नि सेयों
पैरे राखी दिन-रात रक्षा कू खोल
बेटा नि सुणौ निरसा बोल।
धाण धन्धा मा टक त्वे पर रौंदी छै
काया लखड़ा घास का बणू मा
जिकड़ी मेरी तेरा सिरणा रौंदी छै
मेरी ममता की गठड़ी न खोल
बेटा नि सुणौ निरसा बोल।
तन-मन लगै पढ़ी-लिखी ब्वारी लयों
ब्वारी दगड़ा बेटा फुर्र ∫वेगी
मेरी सोचीं मेरा मन मा रैगी
बिना बतया° कन ∫वेनी द्वी गोल
बेटा नि सुणौ निरसा बोल।
बुढ़ापा कू दगड़या क्वी नी च
यखुली कन रौलू चर्री कोण्यू° बीच
अरे तुमन भी रस्ता हिटण यी च
मनखी देह डोर पर नि छन जादा झोल
बेटा नि सुणौ निरसा बोल।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मूसा - मूसी

(By : Jas Pal Singh Rawat)

मूसू ब्वनू चा मूशी मूशी
अन्न न दाणी मुश्यालि खाली
बत्यरि रिटा-रिट कयाली
जख कि फा°ग्यू दुबलु जामो
कूड़ो की जगा होउ खन्द्वारी
जुगाड़ जखा होउ नी खाणो
वे बांजा गौंवा
पतानि राणों
चल मेरी मूसी बटै बाट
चल मेरा मूशा उठौ खाट।
मूशू बुनूचा मूशी मूशी
उत्तराखण्डो रा°सु लग्यूं चा
पार्लियामैंटम बिल जयूं चा
जबरि थई होलु निशा≈
तबरि थईं खौला बिशा≈
उत्तराखण्डौं होलु बिकास
सदनि थोड़ी कटण घास
हा° म्यारा मूसा बिसा खाट
हा° मेरी मूसी बणौं भात।
मूसी ब्वनीचा मूसा मूसा
पैली हथ मुक धुयाला
पार्लियामंेट की न्यूज सूण्याला
नयो राज्य मा क्य होलू
बिंगा-बिंगा कर्द बोला
हा° मेरी मूसी सूण बात


टीवी समिणी बिछौ खाट।
मूसू ब्वनू चा मूसी मूसी
जब नया राज्य बणलो
तब अपणो राज चललो
मुख्यमंत्री होलो मूसू
मंत्री बटे सन्तरी मूसू
पट्वरि कानून गो≈ मूसो
चपड़सि बी होलो मूसो
हा° मेरा मूशा क्य ब्वन बात
हा° मेरी मूशी करला ठाट।
हौरि क्य ह्वलो-
चौक तका ऐली मोटर
धुरपल्यूं मा हैलीकाप्टर
हथु हथु मा होलू सैलो
देशु विदेशु हलो हलो
दूर ∫वीई खैरि का दिन
दैंईं रिटाली अब मशीन
मुसी ब्वनीं चा मूसा मूसा
बन्द कैदे से टी० वी० बटण
रिंग लगीगे अब उठण
खून बि द्या अर लुटाई लाज
राज गदी मा ढडू बिराज
हे मेरी मूसी फुटिगे फटैं
फुरू पतैं मेरी कंुडˇि कतैं
फुर पतै मेरि कंुडˇि कतैं।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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उŸाराखण्ड की धै
Poet : Neeta Kukreti
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ये कुलैं का डाˇा, ये बांजा डाला,
ये बरांसा डाला
धै लगौणा छन,
एक ∫वे जावा, अगनै आवा
एक प्रश्न बणीगे उŸाराखण्ड,
यू उŸाराखण्ड कू सवाल नी च
तुम्हारी अस्मिता कू सवाल च
क्या तुम पर्वतवासी जर्जर छां
या तुम्हारी जड़ कमजोर छन
यांकी आजमाइस कू वक्त च
ये वक्त तुमन दिखै देण
कि तुम रयां छा बा°जों का डाˇों बीच
खईं च कुलै की ठंडी हवा
पल्या° छा कठोर चट्टानों मां
त चट्टान बणीक अपणी पहचाण दिखावा
आवा, आवा उŸाराखण्ड बणावा।।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दथुली

By : Beena Baijwal

घामन छˇयीं मुखड़ी
आगन भ्वरीं जिकुड़ी
बाच पैनी धार
दथुली एक हथ्यार।
कटदी खैरी का कांडा
छोपदी निठाणेंदा डांडा
पूसा घामै चार
दथुली सुखै अन्वार।
गुठ्यार खुणि घास
छुल्का लाखड़ा आग
गिरस्थ्यू साज संभाल
दथुली एक विचार।
दथुली होलि बेकार
सूखि जालि सार
उगटि जालु मौˇ़्यार
संस्कृति होलि मरधार।
पˇ्या यींकि धार
सल्या ये हत्यार
बीजि जलि धार
बचला गौं गुठ्यार।

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ज्वानी कु उमाल

Poet : सतेन्द्र चौहान

अपणिं यीं जल्मभूमि तैं
ये गढ़वाल तैं हम क्य दीणां छां
कुरगट्या, सिंपलाण्यां बाˇापन
अर, बच्यंू खुच्यूं
जल्मुं कु फुक्यंु दानु बुढ़ापु
ज्वानि कु मांड त्
दिल्ली बम्बै तैं पिलाणा छां।
जुट्ठा भांडा मठैकि
हडल्या चुस्यां आम सि बण्ंिाक
द्वी चार दिनौं कु
दग्ड़या का ब्यौ मा आणा छां।
कोटद्वार, Ωषिकेश मा उतरिक
सिगरेट सुलगैकि चश्मा पैरिकि
गुटका कु फंक्का मारी
फच्च-फच्च खिड़की बिटिन्
लोखुं का मंुड मा चुवाणा छां।
कंडक्टर पुछण लग्यंू कि
कख जाण भैजि ?
त् येक टिकट देणा
घुगत्याणिं खाˇ का
काचि हिन्दी फुकिक
अफू तैं अंग्रैज चिताणा छां।
अपणा घौर मा खयां का
भांडा नि उठौन्दा
इन भांडो को लेजा ! हे ब्वे
वबरा बिटि मंजुला धै लगौन्दा

अपणौं तै लाटा काला माणि क्
भै बैण्यों पर औड्र चलौणा छां।
ब्यो बरात्यों मा पेकी दारू
गरीब गुरबौं मा लगाणा सौकारू
झांझ मा बिकास कि चरचा
ल्वतग्यों कि दग्ड़ चिंतन
बोदा बल कि
जु नि ध्वा अपणु मुक
वू क्य द्यालु हैंका तैं सुख
रीत इन अंगˇती चलौणा छां

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बखर्वला

by : ओमप्रकाश सेमवाल

हे बखर्वˇा तों बखर्यूं बिजाˇ संगति बाघै कि डौर होयीं च
धितेणु नी खंद्वरों अर घ्वटˇों भितर लूक्यूं य
रात-बिर्त दिन मा जग्वाˇ भेरा लग्वठ्यों की आज अयीं च।
भूखि तीसि च्यनखी सब डौरन ल्याराणी
लुर-पुर बाखर्यूं दगड़ि, जखौ-तख डबखणी
सुणेणी च डुकुरताˇ ग्वर बाघै धतना धरीं च।
हे बखर्वला .....
बघ्यूˇन ह्वै सबूं की सान-बाच बंद
मिलि जुलि नि रौला त सदानि यनि असंद
पड़न वालि च सुणताˇ ग्वोट ज्यूंरै थमाˇि पˇ्ययी च,
हे बखर्वला .....
बखरूल दौखा ≈न ख्ट्टी द्वी ब्यˇी की
यख त सासा लग्यां फोकट मा कचम्वˇी की
अयां लेले बखर्यू समाˇ यो कि छौˇ पूज्ये सदानि उर्यी च
हे बखर्वला .....
कन बग्त छौ ख्यल्दा बंसुˇि बजौंदा छा
निसफिकरी हैंसि -खुसी बखर्याें चरौंदा छा
स्येयूं न रौ चेति जा बाघ मनख्या बाघ ह्वैगे हमरि अयीं च
हे बखर्वला .....

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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धीत

By : Dr Narendra Gauniyal

भूखा तैं ग∂फा
तिसˇा तैं पाणी
नांगा तैं लŸाा
घाम-पाणी से बचणौं
झोपड़ी
थोड़ी देरै शांति
फिर भ्रांति
काˇचÿ का दगड़ी
बढ़दी जांद धीत
थोड़ी देर लदोड़ी भोरे जांद
तीस मिट जांद
बदन ढके जांद
झोपड़ी मा घाम-पाणी से बचे जयेंद
पर फिर अशांति
फिर भ्रांति
आजौ शौक
भोˇ की जरूरत
जमनौं की रीत
जनम-जनम कब्बि नि पुरेंदी
मनखि की धीत।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ग़ज़ल

 उमेश चन्द्र सिंह रावत

 
अब बदल्यलीं मिन अपड़ी आ°खी,
त्यार आ°ख्य°ून अब दुन्या थैं द्यखणू° छौं।
घृणा, बैर, ईर्ष्या का कांडा अलझणा छन् जख झगुला पर्,
त्यार सहारा कु ट्यक्वा ले अब वख रस्ता बणाणू छौं।
मि नि लड़दु अब कै से बड़ु आदिम बणंना कू,
हर कैंथै अ°ग्वाˇ बोटि भिटिन्दु अब प्यार फैलाणू° छौं।
भंड्या डैर गौं बाटू° म अन्ध्यरू च बिरिड़ि नि जौ क्वी,
अफु थैं सुलगाणू छौं ज्ञानै फू°कल अब उज्यˇु घुरकाणू° छौं।
म्वरणां की डैर से खरीदणां छन् ग्वाˇा तोप
देशभक्तू° बटि सीखि लेऔं समर्पण अब जीणा आस बटणू° छौं।
धूˇ माटू म भ्वरेकी की भी नि खुजै सकीं परमात्मा वो लोग,
अपर वि वासैं आ°ख्यू मा वे थैं अब पलकों मा सजाणू° छौं।
सुण्यू° म्यारू कि प्यार म छोड़ि दिदीं दुन्या लोग,
कि दुन्या म रˇिणौं छौं अब हर दिल मा प्यार पैटाणू छौं।

 

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