Author Topic: Exclusive Poems of many Poets-उत्तराखंड के कई कवियों ये विशिष्ट कविताये  (Read 30978 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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सरकारि तेरैं कु भात

हे छोरा किलै नि होणू टोटकू पार घंटी बजिगि
इसकूल कि
खाणू किलै नि छ देणि
भात न पकाई मिन अबि
इसकूलमि खै
पकण लग्यंू पार
ज बे जा मार फरबट्टी
फंडु भात लग खा इसकूलम
पढ़ौड़ लिखौड़ त छा नि मास्टर्याणौन
ए दिदि
क्य छा जी होर बोल्णा सुबेरि
क्य नि सकि बल
मास्टर्याणिन लिखिक?
ए लठ्यालि क्य छ... बल!
ए छोरि सिंगार....सिंगार
कनि पड़ि स्य जू तिन लिखि नि सकि
बै... तनि मास्टर्याणौ छै त
हमि छां खूब
क्वी हमरा घास-पातम
नि निकालि सकदू मीन-मेख
सुदि लेणि छन तनखा?
हम तैं बोलू क्वी घास काटणक
बोला कैकि पोंगड़ी कन छ बांजि
फंडै बैठ बे...
छ्वीं न यख
क्य ∫वे बे...
साला कू खोपरू द्यौलू फोड़िक
अबे द्वी बैठा फंडै साले भाटड़ा
मुक त कबि धोंदू नि
आंखा सि छन भर्यां पागन
अर भिंडि बण्यां बामण।
क्य होंदु छुयांन
तेरू बुबा बि मास्टर
मेरू बुबा बि मास्टर
अर तैकू बुबा बि मास्टर
सब्बि बराबर छन।
कैका थौकला परै लगि लात
अर तब्बि..... खच्चाक
ल्या फुटिगि खोपरि
लगिगि खोपरा उंद पणद्यारि
इसकूलम पड़ै लिखै क बदला
बैठिगि पंचैत
यख देखा यू फोड़ियालि
मेरा छोरा कु बरमंड
बांजा पड्यान त्यंूकू सरकारि भात।
किलै मारि बे ढूंग्गू
तैन मेरू थौकलू छ्वीं
हां भै स्यू फुंडै नि बैठि सकदू छौ
किलै बैठण छौ बैन फुंडै
तुम परै सपचरू बैठिगि छुयांन
खस्या बामण
सबुन जाणि तुमुन हथकड्यौं परै
मि परदान छौं गौं कु
तब नि बोल्यान कि
यनि अमिथ्या करियालि
अपणा छोरौं तैं समझै रक्खा
सरकारि तेरैं कु भात

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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इण्टर नेशलन अफेयर  आशीष सुन्दरियाल  वा मि सणिसीधा सुहाग का सेज मा मिलेअर/ इन स्टेज मा मिलेजब इराक अर अमेरिका कीलडै़ चलणी छैसद्दामा बान सोचिमितैं त सर्रा रात निन्द नि अैअर वाबिचारि बुश-बुश करदा करदाझणि कबारि स्येगे।बिण्डि दिनु बाद हम ये सदमा सेभैर आ सकवा°/ अरसुपन्यों तै बिटोˇीअरमानों तै टटोˇीफेर डिसाण तक ल्हवॉत तबारि कण्ड्याणकि कारगिल मासीमापार बटे गोलाबारीशुरु ∫वेगेसिणु त दूर मिन खाणु तक भि नि खैअर वापरदेश बटि पैट्यांघौर आण वˇा स्वामीजी की सि जग्वाˇकर्नी रै।इनी छुटपुट घटनाओं को दौर सदानि चलणु रैअर जब अरमान अफगानिस्तानसुपन्या श्रीलंका ∫वेगिनजिन्दगी जनि कश्मीर समस्या सि ∫वेगेत मजबूर ∫वेकिहम तै अपणी इण्टरनेशनलaसोच छ्वडण प्वाड़अर खुद से एक लडै़ लड़ण प्वाड़हमन् सोचि कि/आंतक कीयीं दुन्य से दूर चली जौंलाअर अपणो एक अलग हि संसार बसौला।पर जनि भोˇ सुबेरहमारि जाणै तΠयारि छै कि/ आजब्यखुनि इजराइल अरफिलिस्तीन जनहमारी अपणा आपस मा हिझड़प ∫वेगेअर सरी प्लानिंगधरीं कि धरीं रैगे।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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द्वी भडुलि
  सुखदेव ‘दर्द’

चुलि पर काचा लखड़ु का धुंआ तैं
कठुˇि न फुकदा-फुकदा जब
खिज्झ सि उठिग्ये ∫वैली त्वे
तबर्याें लगि ग्ये द्वी भडुˇि।
आ°खि भ्वरीं उगड़ी रै ग्यैं
सर्र सम्हˇण लगिग्ये तू मैकू
पसर्येणी ५ेली उठिणी सर्र
बैं छोड़ि कि ल्वटिलि फुंजिदि
जाणी ५ेली बैं आ°खि
अर दैंणी छोड़ि कि फटुलि
तबर्याें लगि ग्ये द्वी भडुˇि।
कंदुड़यों देलि कुतग्याˇि
आ°ख्यों हि आ°ख्यों मा तब तू
द्यखणि ५लि मेरि ईं मुखुड़ि
धु°आ रोˇ मा बादˇौं पुटिगि
जूनि कि जनि ५ेली टुकुड़ि
तबर्याें लगि ग्ये द्वी भडुˇि।
तवा मा र्वट्टि फुकेंणी ५ेली
चुलिंदΣ बि रंगुणु बणि ग्ये ५ेली
गै कनै वा धुंआ कि खिज्झ अब
कनै गै वा लद्वड़ि कि भूख
त्यारा सौं मी बि बिंगैगी
तबर्याें तेरि द्वी भडुˇि।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दादी अर लालटेन
  दिनेश बिजल्वाण 
===========

आज फेर चलिगे बिजुलि
आज फेर भैर अैगे लालटेन
अन्ध्यांरा से भैर
अन्ध्यांरा भजौण तैं।
अज सबि बच्योणा छन
क्वी गूंगो नी
किलेकि/समणि टीबी नी।
दादी सुणाणी च अपणा जमाना कि छ्वीं
सब्बि सुणणा छन
जन द्यखदन अपणो प्रिय धारावाहिक
सब्यों मा टैम चा/कैबि जल्दी नी।
दादी सुणाणी च
कनु गुठ्यार मा कट्ठु ५े जांदो छौ गौं
खेल-खेल मा
थड़्या-चौंफला मा थिरकदो छौ पहाड़
राति को मुक उज्यˇो ५े जांदो छौ
गीतू का छ्वायों न।
ल्या बिजुलि बि अैगे
यो क्या च हूणो?
वेको भोल इम्त्यान च
वूंन द∂तर जाण सुबेर
नौनि को कोलेज
रैगे बस दादी अर लालटेन....।
दादी अपणो का जाण से बैचेन
लालटेन बिजुलि का औण से
भलु च कबि कबि चलि जा बिजुलि
स्वचदि दादी/अर
कौंपदा हाथुन मुझोंद लालटेन।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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दुन्या

साधोसिंह नेगी


ईं दुन्या का मेला मा,
सुधि फुक्यंा ठेला मां,
कैन बूति कैन बाई
अर क्वी, धाण कैरि गे
खेलियूं मां मिसैकि हमतैं
सट्ट-वो लीगीं थौला मा°,
गौड़ि- भैंसी हमरि लैन्दी,
वू°थै घ्यू कि कमोˇि चैन्दी,
कट्वा कुक्कुरू° घ्यू खवैकि,
हम बैठ्या° छौं छैला मा।।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ऐगिन अब सब च्वर यपुन बी  जगदम्बा प्रसाद चमोला  ढुंगु डाल, कुछ लाठू बतेण्डू कर धध्यो ल्वखु धौ मार तपुन बी।जु दिल्ली अर लखनौं मां छा, सी ऐगिन अब सब च्वर यपुन बी।गौ बण्यां गर्त गरीब यखा कै मु जा व्यर्थ बतौणौं तैंभूखा तैं नी भरत यपुन अर नांगा गात लुकौण तैंमुर्दा बणिन मनस्वोच यपुन, क्वैं रे नी हाथ उठौणों तैंसरकार च ब्वनि यौं कम्प्यूटर दयौण सिखौंणौं तैंयन छन देसा नीति नियोजन छोड़ स्वयम खुद द्यौख तपुन बीदिल्ली अर लखन≈ मां छा, सी ऐगिन अब सब परच्यौत यपुन बीढुंगु डाल, दिल्ली अर लखनौं मां छा, सी ऐगिनं अब सब च्वर यपुन बीचुस्यां जन छा झौड़ जु पैली बै, नेता बन्या छा लखनौ रैं तैमोटा मस्त मलनग पड्यां सी, अब सब देहरादून मां ऐ तैंऐगीन पैली क्वैं, अब औणा क्वै ऐ ते नजर लगौण छिनय कै तैं कार मिलिन कुरस्युं दड़ी क्वैं अब लाल्द चुवौणा छिनक्वै बी हो कै बी पार्टियों, सब अपडू वक्त बणौणा छनक्वै गग्गू बणिन अजगर जन, क्वै कितला गात तड़योणा छिनहपरा तपरी मद मस्त बण्यां यी, जगु-जगु आग लगौणा छिनस्वार्थ का झूठा कौल्दा पैथर, यख सब दगडू पुरौण्यां छिनहमरी कन्ध्यों मा ऐच चड़यां, अर हमरै मुंड मां वार कना छिनउल्लवा पठा त हम तुम छन, जू यौं की जय जयकार कना छिनछैगिन गिह् गरूड़ गग्गू य, ऐगिन बोक्सा बिराट तपुन बीगिरगिट गौं-गौं तक पौंचिन, अब ह्वेगिन भूत पिचास यपुन बीदिल्ली अर लखनौं मां छा, सी ऐगिनं अब सब च्वर यपुन बी।मार काट हो हल्ला तमसु यी, भुखी जनता रूवौणों तैंसी कुछ बी करी सकदन आखिर, खुद तैं सर्वाेंच्च बतौंणों तैंबाना अर बेकूब बतौणा, तौं मू हर इस्टाइल छिनसी अपरा स्वार्थ का खातिर हक्का तैं रौण रूवौंणा माहिर छिनसी बीकी और बिकै सकदन, खुद कुरसी अपरी बचौणों तैं सी कुशल वाध्य कलाकार छन हंक्का तै नाच नचौणांेख्वल द्वार अ जग्गो छूल्लु तो द्यौख छज्जा बिन संकति तपुन बीदिल्ली अर लखनौं मां छा, सी ऐगिनं अब सब च्वर यपुन बीह्वैगिन पद परमोशन ऐथर, गोबर छा जू रेत बण्यां यबजरी छा सी सीमेंट बण्यां, जू पत्थर छा सब टेक बण्यां यजू कखडयूं का छा चोर, यपुन सी आज शसक्त डकैत बण्यां यायन परिवर्तन ह्वैगी विकासौ डरख्वा आज लठैत बण्यां यय आग लगी यन बजर पड़ी, जू छा वी सब परचेत बण्यां यजू छ्वीं लांणौ तैयार नी छा सी टौव्ला आज टिकैत बण्यां यब्वन कैन अब यौं तैं कुछ बी, बुह्जिीव सब प्रेत बण्यां यस्यौरा स्वगौड़ा सब बंजर ह्वैगीन रंगड़ धंगड़ खेत बण्या यधर्म शक्ति का साथ जू छा सी अब सब नाम मेट बण्यां याजाैं पर अफू विश्वास नी छौ सी लावा लसकर सेठ बण्यां यजौंकू कुछ मनस्वौब नी छौ सी गद्वरा शंख पठैत बण्यां यजौं मुख धौव्णैं बी होश नी छै सी बौल्दया आज सचेत बण्यां यलम्बा कुरता ध्वत्ता नेता यन जन मेट बण्यां यजू मनखियौं मां बी गणैदा नी छा सी गड़गौरव अभिलेख बण्यां यपड़ी फरक बरबाद बण्यी य, ह्वेगी बात सब खाक यपुन बीह्वेगीन जीवन जनतु जीव सब मन्खी नी रै मनख्यात तपुन बीजु दिल्ली अर लखनौ मां छा, सी ऐगिन अब सब च्वर यपुन बीपुरूष बणिन यख नेता नपोडू कुछ औरत यख उसताद बणी छिनछौड़ी मुख मरियादा घर की दार्वा टेण्डर डल्द लगी छिनहाल क्यवा होला ये गढ़वाल ज सृष्टि शकल बेकार ह्वेयी चमा जननी जगदम्बा ज अब दारू बिकौण त्यार ह्वयीं चमा° छै शान लाज गढ़वाले दूधौ सत अधिकार च जौं तैदूधा बदला दारू पिलौंणी चल हठ अब धिक्कार छ तौं तैबणी हमरु प्रदेश अलग पर धरती परदूषित ह्वैग्येजू छौ चोरी कन्नू लखनौं मा आज उबैं हमरै य ऐ ग्येखबरदार बण होशियार गौ गल्दू बचो घर द्यौख अपुडू बीजु दिल्ली अर लखन≈ मां छा, सी मैडम ऐगिन आज यपुन बी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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रंग

  देवेश जोशी 


लाल पिंगˇा हैरा नीला
काˇा अर सुखैला
बनि-बनि का रंग छन
दुनिया मा
पर विज्ञान पढ़यां लोग ब्वलदन
कैक् क्वी रंग
होंद ही नी छ
सैरा रंग त् उज्याˇा मां हांेदा
उज्याˇा का जै जंग थैं हम
सोखी-पचै नी सकदा
अपणा भैरा खोˇा मां
वै ही रंग का दिख्येंदा
तब त्-
जु दिखेंद् जथगा सुखैल् भैर बिटीन
मन को उथगै काˇू होलू
अर जु दिखैंदू जथगा ईमानदार
वो होण चैंद महा-बेमान।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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भ्रम

 पारेश्वर गौड़ 
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किलै कि लोक-ल्वख्वा पैथर लगी
बणी जैंदिन पिछलग्यु
जबकि ≈°थैं पता भि च ?
कि वो केवल ढंडास बधाणा का आलावा
कुछ नि कैर सकदा!
फिर भि, म्यारा मुल्क का लोक
खुज्याण छन बाटा...... बो भि ग्वरबट्टौं मा !
छैं च वंू पर गंध साहित्य अर इतिहास की
पर, फिर भि उलटाणा छन पन्ना, पोथि साहित्य की
बगत बगत समझयी-
आम बबूल थैं बुतणा छन
रस्स का लोभि, अब्त हडेलौं खुणि भि तर्सणा छन
मिटलो वूंको कब यो भ्रम
छुटलो कब एको फंदा!
येथैं तुणणो भि त चैंद-सहास, हाड-मास।
जब तैं मेरी सांस रैलि चनी
द्यखणू रौलु क्या
जु लुंचणा छन वूंकि हडक्यू° को मासू
कभि न कभि त आलो वू°मा सा°सू!
हडक्यू° से लुचुण मासू
लटलौं कि खैंचाताणी अब नि सईंदी।
तब, मीली कि उमड़ला नर कांकाल
नर भक्षियों पर झपटला बणी कि गिध!
भूक अर भुकमरी से परेशान
म्यारा मुल्का का नर कंकाल
तब, कारला हड़ताˇ
हम तैं जीणु कु हक चैंद
विकास अर उन्नति को बाटो
अब अलग चैंद।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पहाड़

साधोसिंह नेगी
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रौड़िगे मेरू पहाड,
क्यΣ कुमौ क्याΣ गढ़वाˇ,
जैकु बोलि कि, टेक लगांदी
वैन पैली मारि फाˇ,
खाणि की पठाˇ छै वा,
धूरी मा पुजेंदि छै ज्वा,
पहाड़ै आस छै ज्वा,
दानि आख्यू° कि - भ्वाˇ छै ज्वा।
डाड्यू° बटी रौड़ि दौड़ि,
बणिगै गाडै गंगलोड़ि
पौंछिकी देवाˇु मां,
कणाणी च खुट्टौं ताˇ
क्यΣ कुमौ क्यΣ गढ़वाˇ।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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कंगस्या से

 मुरली दीवान 
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नारि अपड़ु चरित्र निर्माण करू
समाजिक काम करू, धांण करू
तीलु रौतेलि सी नारि, रामि बौरोंण सी ब्वारी
मुल्क मा° अपड़ि अलग पछ्याण करू
गौरा देबि अर बछेन्द्रिपाल जन बंड़ीकि आज
बार-बार नयु कीर्तिमान चैंन्दू
जख दया-धरम-करम-संस्कार पैदा होन्दा
मींतै सो बगिचा सो बग्वान चैन्दू
आज त आंतकवाद बड़ीं भुला
वोडा-वोडा पर विबाद बड़ी भुला
द्वी झड़ों का बीच द्वी भयों की राजी-खुशि मा
जिन्दगी भर कु मवाद पड़ी भुला
आज तु नि चैन्दु आज भगतसिंग चैन्दु भुला
आज वी पवित्र बलिदान चैन्दू
जख दया-धरम-करम संस्कार पैदा होन्दा
मीं तैं सो बगीचा सो बग्वान चैन्दा।

 

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