Author Topic: Garhwali Poems by Balkrishan D Dhyani-बालकृष्ण डी ध्यानी की कवितायें  (Read 447363 times)

devbhumi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 805
  • Karma: +0/-0
गीत मेरा

गीत मेरा बिराणा ह्वैगैनी
अपड़ी कथा वा अफि ही लगै गैनी
फुसलाई मिन वैथे फरकाई
हिरकाई मिल वैथे क्दगा ललचाई
बैठि बैठि की मिन वैथे खूभ समझाई
फिर बी ना मानी.......गीत मेरा .....

दुनिया की वैन सिकैसैरी कि
अपड़ी ही पीड़ा लेखी अपड़ी ही खैरी कि
लेखी कि वैळ अपड़ो उमाळ बौगयाई
जांदा जांदा वैल मैसे  ऊ भांड फुण्ड सरकाई
बोली बी ना बनि ना बनि मेरी अब बी भाषा
फिर बी ना मानी.......गीत मेरा .....

उकाळो का बाटों बस  ऊ यखलु हिट दा ग्याई
बिन्सरी बेल उठि कि उ गैर रुमक मां चप सैग्याई
थाकि बी ना लगि वै थे ना वैथे लगि जमैई
पैल पंगत बैठिक वैल सत पौण्याई खेई
अब ऊ ह्वैगयाई  अपड़ों से ही  हर्ची
फिर बी ना मानी.......गीत मेरा .....

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

devbhumi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 805
  • Karma: +0/-0
अतीत से

अतीत के   
कुछ गुमनाम से लम्हें
अचानक ही जब सामने आ जाते हैं   
इन आँखों को क्यों कर नम कर जाते हैं

अनकही सोच हो या
या हो एक वो भूली सी शुरुआत
धुँधला सा वो एक साया समाने उभारकर
वो पल भर में कंहा खो जाते हैं 

लम्हों से गिरा एक लम्हा था वो
या कोहरे में छुपा किसी का कोई अंतर्मन
मुक़द्दस है सफ़र इस जिंदगी में
वो फिर क्यों कर फिर शमिल हो जाते हैं

क्षितिज में उभरे प्रश्नो में उलझकर
विकास की दुनिया का बिखराव
कंही ना कंही इस मन के अनकहे शब्दों को
को उस अतीत के लहमों में खोजता होगा

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

devbhumi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 805
  • Karma: +0/-0
अब भी हारा नहीं हूँ मैं

अब भी हारा नहीं हूँ मैं
अकेला हूँ , बेसहार नहीं हूँ मैं

मौसम बदलता रहता है
पर ना बदला हूँ ना बदलूंगा मै

जानता हूँ कौन हूँ मै क्या हूँ मै
खामोश नहीं हूँ ,ना खामोश रहूंगा मैं

अभी तो बस घर से निकला हूँ मैं
अभी तो बहुत दूर तक जाना है मुझे

हाँ वक़्त मुझे शायद हारा देगा
पर अभी ज़िंदा हूँ मैं अपने को हारने नहीं दूंगा

मैं एक छोटे से गाँव से हूँ
मैं अपूर्ण नहीं हूं पर पूर्ण हूँ मैं

अब भी हारा नहीं हूँ मैं .......................

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

devbhumi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 805
  • Karma: +0/-0
बस बात

बस बात इतनी सी ही थी
तुम भी चुप  और मैं भी गुम
बस साथ इतना सा ही था

मैंने अपना हक़ माँगा था बस 
वो नाहक़ ही रूठ चला
बस बात इतनी सी ही थी

नई सुबह , नई  कहानी
छोटी सी बात  पर बात ना मानी
बस बात इतनी सी ही थी

देखकर के दर्द औरों का
एक आह निकलती है निकलती बस 
बस बात इतनी सी ही थी

बैठे  बैठे गुम हो जाता हूँ
अपने में अब मैं,अब तू निकल
बस बात इतनी सी ही थी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

devbhumi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 805
  • Karma: +0/-0
कन ऐ बात छ

ई ओं दिनों कि बात छ
जब हम दुईयां दगडी साथ साथ छ
कया दिन वा कया रति छे

बगता की दुई घड़ी जन
साथ साथ तुक तुक हिटदा रैणदा छन
हम तनि ही अब बी आस पास छन

तुम हम परि किलै कि
कनि कि बिशवास नि कना
टैम से हिटादा रयाँ तुम थे मि सुदि नि थगेनु

जीकोडी मां कैकु भार ना धैरी
जिंदगी बिगरैली छे तू छोड़ ना खैरी
बांदी ले गेड़ी इन ना मार फेरी

क्वी अपड़ा बिराण नि हुँदा
सैत्त्या पळ्यां गौर अजाणा नि हुँदा
माया की इन तू पौध जमै जा   

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

devbhumi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 805
  • Karma: +0/-0
वो अच्छे होते थे अब  बहुत

मेरे जज्बातों का तुम बस
इतना सा अब ख्याल रखना
हो सके तो मेरे खतों को अब
अपने आस पास ना साथ रखना

मेरी जिन्दगीं थी  तुम बस
उसमे दबी बंदगी थी  तुम मेरी
दृष्टिकोण छुपता भी जाता मेरा गर
नजरों की तेरी ना इनायत होती 

तेरी चुप्पी मेरे दर्द का सिर्फ
तेरा एक और नया शब्द ही तो  था
फ़िक्र तेरी आज भी करते है हम
बस जिक्र करने का अब हक ना रहा

उस शक्श से फ़क़त बस मुझे
इतना क्यों भरोसा हो गया था
वो मुझे परेशान करता रहा  तब भी अब भी
मुझ से मेरा चैन क्यों जाता रहा.

वो अच्छे होते थे अब  बहुत
अगर  वक्त अच्छा हो तो मेरा
वो  ही अपने बिछडे हम से
कभी हमारी जिंदगी हुआ करती  थी

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

devbhumi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 805
  • Karma: +0/-0
यादों के पंख लगा

यादों के पंख लगा
अपने सपनों को ले उड़ा
चले चल जाये हम कंहा
जंहा मिल जाये अपनी धरा 

चिठ्ठी आयी ले पंख लगा
संदेस क्या है तू दे बता
ऐसे नजरें ना चुरा
नयनों को नयनों से मिला

आज भी याद में तेरे
बीते मेरे अकेले सारे रैन बसेरे
उम्मीदों के समंदरों को
कैसे दे दूँ किनारे तू बता

एक सांझ प्रिये तेरी
यादों मे ठिठकी हुई मेरी
फड़फड़ाये समंदर पार करते हुये
कंहा मिलने आऊं ऐ तू बता

यादों के पंख लगा ...........

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

devbhumi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 805
  • Karma: +0/-0
प्रिय  बेटे आयुष बी. ध्यानी

तुम्हे क्या दूँ ऐसा
ये जीवन तुम्हारा मधुबन हो जाये
उलझे होंगे शब्द
वो तेरे सुलझ जाएँ 

बातें  इतनी हो तेरी लुभावन 
कन्हा की बांसुरी धुन है जितनी पावन 
सुध बिसराये आँखों की तेरी मधुशाल
आलिंगन मिल जाये तो मिल जाये छाया

भावना तेरी हो ऐसी हो निर्मल
कल कल बहती जाये बहती है जैसे धारा
गंगा सा मन तेरा हो निश्छल
हर साँस में घुली हो बस उसकी सुमिरन

फिर आज मैं  दूँ तुम को एक सुदर्शन
तन मन के पापों का करने सारा अंत
अज्ञान के तेरे दूर हो जाये सारे अँधेरे
सत्य ज्ञान में दिखे तुझे रोशनी के सितारे

ऐ शब्द तेरी प्रेरणा तेरी आवाज बन जाये
जीवन है एक कहानी बस मरुथल या मधुबन
आज मुझे तुम को बस कहना है इतना
जन्मदिन है तुम्हार,सच हो जाये हर सपना

पिताजी
बालकृष्ण डी. ध्यानी
 

devbhumi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 805
  • Karma: +0/-0
हर वक्ता को अब अपना तुम बनकर तो  देखो जी

हर वक्ता को अब अपना तुम बनकर तो  देखो जी
दुश्मन को भी एक बार अपना कह कर तो  देखो जी
किस को पता कौन किस बुरे वक्त में तुम्हारे काम आ जाये
खुशियों में ही नहीं वो तेरे दुःख में भी तेरे साथ आ जाये

हँसाने के लिए अपनों को मैं  उम्र भर रोया
जिंदगी में जंहा करना था आराम उस बोझ को ढोया
दूसरों पर हँसना आसान है अपने पर बहुत मुश्किल 
भावों को बस  अब समझो यूँ ना हो जाओ तुम बोझिल

आलोचना बहुत होती है जीवन में तुम प्रेमलता फैलाओ
कभी अपने से बांतें कर लो  कभी अपने को खूब समझाओ
दूसरों की गलती पर क्यों कर हम इतने नाराज हो जाते
कभी अपने को समुख रखकर अपने को खूब डांटा लगवो

छोटी-छोटी बातों में अब तुम आनंद को खोजना सीखो जी
भूखों को खिलाकर एक दिन अब तुम भूखा रहना सीखो जी
अनुभव हो ही जायेगा तुम को उनकी उन सारी तकलीफों से 
निस्वार्थ सेवा कर तुम परमात्मा को और करीब से देखलो जी
 
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

devbhumi

  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 805
  • Karma: +0/-0
ज़िंदा हूँ मै अभी अपने से

अपने से मैं अक्सर पूछ लेता हूँ
भीड़ में भी मै अपने को ढूंढ लेता हूँ

दर्पण के टुकड़े जो अपनों ने तोड़े थे
बस मैं अपने हाथों को जोड़ लेता हूँ

चाहत हर दरवाजे तक पहुँच ही जाती है
बिखरावपन ही एक नये सृजन की शक्ति है

प्रतिभा के लिए कंही कोई शर्त नहीं होती है
कंही हो छुपी तो एक रोज वो अवश्य दमकती है

चिंताओं,बोझ-ज़िंदगी तुम हो नहीं सकते
आखरी साँस बची है, ऐ ज़िंदगी तू हार नहीं सकती

देख मैंने एक और साँस अभी अभी ली है
ज़िंदा हूँ मै अभी अपने से
मेरी मौत हो नहीं सकती  ... ३

बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
http://balkrishna-dhyani.blogspot.in/search/
http://www.merapahadforum.com/
में पूर्व प्रकाशित -सर्वाधिकार सुरक्षित

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22