By- Bal Krishna D Dhayni.
जी की तिस
खुदैडी खुद लगाणदी
प्रीती का रीत बातणदी
ऋतू आणदी ऋतू जाणदी
पह्ड़ा चोमस बीत जाँणदी
खुदैडी खुद लगाणदी........
कोयेडी यख लोक्याँली
माया अब धोंप्यान्ली
चों डंडा पुअरा देख जी
जीकोडी अब लोंप्यान्ली
खुदैडी खुद लगाणदी.........
हंश्ली धगुली पोंछी
बाजूबंद नथुली मुरकुला
गुलबंद माँगा टीका स्वामी
सभी अब संभाली धैर्यली
खुदैडी खुद लगाणदी.........
उखली उरकली अब
मुशालूँ मार सैर्यली
तपता तवों चुल्ह्नाण
रोटी दगडी हाथ सेखाली
खुदैडी खुद लगाणदी.........
टिप टिप पडदा
यूँ अन्ख्युं का पाणी नै
रोंल्युं का गद्न्य भोर्याली
माया मेरी परदेश पहुंचादी
खुदैडी खुद लगाणदी.........
घुघूती हीलंषा
देख पहाडमा क्ख्क
बुरंस प्युओंली
अब छुपी मेर तिस
खुदैडी खुद लगाणदी.........
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
मेरा ब्लोग्स
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