जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
(लाल भुला ऊवाच.....)
दिल्ली वालों की खैरी और जून का मैना की गर्मी
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जून का मैना ,ब्वे कनक्वे रैणा ,,
मुण्डिली ताचाली ई ई ई ई ई ई ,,
दिन्न द्वफरी मा घामा की चड़क्ताल ,,
मुंड खज्जी लागाली ई ई ई ई ई ,,
जून का मैना ,ब्वे कनक्वे रैणा ,,
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घर फर नौना ,,,, पंखा हफराला ,,
अभागी मर्द अपीड़ी ड्युट्यू फर जाला ,,
झुलिडी रूझाली , गरमा को तपराट ,,
मुंड खज्जी लागाली ई ई ई ई ई ,,
जून का मैना ,ब्वे कनक्वे रैणा ,,
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दिन्नं भर ड्यूटी , सामबगत घार ,,
साब लोगों की डाँट , और कज्याणीकी मार ,,
मूछियालल , डामाली , आगि को भब्राट ,,
अगिन प्वाडाली ई ई ई ई ई ई ई ..
जून का मैना ,ब्वे कनक्वे रैणा ,,
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गरम हव्वा ,, साम बगत पौव्वा ,,
गढ़वाली व्हेकि ,इंग्लिश फुँकणा छौव्व्वा ,,
तन्नी आँखि रग्र्याली ,ई ई ई ई ई ई ई ई ..
अगिन प्वाडाली ई ई ई ई ई ई ई ..
जून का मैना ,ब्वे कनक्वे रैणा ,,
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जून का मैना ,ब्वे कनक्वे रैणा ,,
मुण्डिली ताचाली ई ई ई ई ई ई ,,
दिन्न द्वफरी मा घामा की चड़क्ताल ,,
मुंड खज्जी लागाली ई ई ई ई ई ,,
जून का मैना ,ब्वे कनक्वे रैणा
(कवि जिज्ञासू ऊवाच.....)
रुड़्यौं का दिन छन, कनुकै रण,
कपाळि तचलि,
द्वोफरी का घाम, की चड़क्कताळ,
भारी तीस लगलि,
रुड़्यौं का दिन छन, कनुकै रण.....
जनानि बिचारी, पंखा मा रलि,
अभागी मर्द, ड्यूट्यौं फर जाला,
घामन जळ्त पड़लि,
रुड़्यौं का दिन छन, कनुकै रण.....
दिनभर ड्यूटी, ब्याख्नि बग्त घौर,
साब की डाँट, जनानि की मार,
मुछाळान डामलि,
रुड़्यौं का दिन छन, कनुकै रण.....
गरम हव्वा, हात मा पव्वा,
नशा लगलु, अंग्रेजी फूक्लु,
तब आंखि रग्गर्यालि,
रुड़्यौं का दिन छन, कनुकै रण.....
निराश नि होणु, लाल भुला,
मर्दु की जिंदगी, यनि हि होन्दि,
ब्यो का दिन, हैंस्दु छ मर्द,
जनानि जिंदगी, भर रुऔन्दि......
-तेरु दिदा(जग्गू)
उर्फ जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासू
दिनांक 5/5/2017