Author Topic: Kumauni & Garhwali Poems by Various Poet-कुमाऊंनी-गढ़वाली कविताएं  (Read 382862 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ऐ भाना मेरी
ना भान कैर ऐ भाना मेरी
क्दगा हेरों मि ना कैर इन देरी
सुबेर भतेक खिल्यां फूल
देक अब कुम्ल्हाण लग्याँ छन
भौंर बी रास पि पैकी फूलों कु
अब यख भत्तेक दूर जाणा लग्याँ छन
ना भान कैर ऐ भाना मेरी
क्दगा हेरों मि ना कैर इन देरी
रात कु ऊ जून बि अब देक हैसण लग्युं च
जुगनू भी अन्धार मां ऐ ऐकी
देख कन तिम-तिमाणान लग्याँ छन
मि अपरा छैलु से पुछ्नु किले ह्वै ते अबैर
ना भान कैर ऐ भाना मेरी
क्दगा हेरों मि ना कैर इन देरी
बेन्सरी बेल अब आण ह्वालि
लाली आग्स मां फिर छैण ह्वालि
कली फिर फूल बणन को बेकरार च
जीकोडो मां मेर तू ऐली फिर बली आस च
ना भान कैर ऐ भाना मेरी
क्दगा हेरों मि ना कैर इन देरी
बालकृष्ण डी ध्यानी
देवभूमि बद्री-केदारनाथ
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ब्याली बोई मेर सुप्न्यूमा मा ऐई
ब्याली बोई मेर सुप्न्यूमा मा ऐई
बुकी मेर चौकटी पर पिके गैई
मि दगडी खूब छूईं लगैई
सिदा बाटों कन हिटन फिर सिकेगैई
कया तेर हल छन कया ब्यापार
कण छ हमरा नत नतनियूँ कु तेर सैर मां हाल
राखी पैल बेटा तू अपड़ो सेहत कु ख्याल
ब्वारी थे बोल्दी कैर ना ज्याद पैसों की दैल फ़ैल
चम चमकणय
दुनिया का सुपन्या तू जादा ना देखी
सादो अपड़ो जीबन राखी ई छैलु माया दोई बगत कि
आज तेर पास भौल फिर हैन्क पास
जिबान थे अपड़ो तू ना बणन देई ब्यापार
पहाड़ी छे तू कबि ना भूल तू ऐ बात
दे अपड़ा बेटा बेटीयुं थे अपड़ो पहड़ों कु संस्कार
अध् बोटो भोर भोरिकी असीस लेले छकै की
बुकी तेरी पीणु छो फिर तू नारज ना ह्वै
ब्याली बोई मेर सुप्न्यूमा मा ऐई.......
बालकृष्ण डी ध्यानी
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किले हुलि
किले हुलि
बैठी मांजी आज ऐ घघुति उदास
कैका बाना धैरी हुलि
इन हैरा भैरा डालियों मां आस
झम झम झम बर्खाणी
हुलि यूँ का आंख्युं मां बरसात
तीळ तीळ कैकी मौरनि हुलि
ऐ यखुली यखुली किले की दिन रात
बल्दू की घांडी बज्दी
घस्यारियों गीतों न ऐ दांडी
कैका हेर मां हुलि तांसि जीकोडी विंकी
किले हुलि यखुली तप्राणी
टुकड़ी टुकड़ी कु
जीकोडी को हेर नि च वींको क्वी ठौर
यखुली सोचणी कै बाना सजायूँ हुलु
हमुन ऐ अपड़ो घौर..... २
बालकृष्ण डी ध्यानी
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तेर घुटी
तेर घुटी कु पीणा
अब त मेरु मन करदु
तेर दगड इण जीणा
अब त मेरु मन करदु
वा क़्या तेर नत की बात
अब त मेरु मन करदु
कै दे मिथे स्वीकार अ
अब त मेरु मन करदु
झम झम प्रेम बरसात
अब त मेरु मन करदु
इन कोयड़ी लागे बारामास
अब त मेरु मन करदु
कैर ले मेसे बात इन दिन रात
अब त मेरु मन करदु
किले ह्वैगे ह्वैली ऐ संकुली रात
अब त मेरु मन करदु
कबिता मां तेरु पाठ
अब त मेरु मन करदु
दे दे तू मिथे अपडो साथ
अब त मेरु मन करदु
बालकृष्ण डी ध्यानी
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निंदी
ढुल ढुल कैकि
आंदि जांदी छे
मुंड थे झुल झुल कैकि
हिलांदी छे
कु हुलु निर्जक सियुं
गुर गुर करनु
नाक कु छिद्र कु बथों थे
सुर सुर करनु
कैथे ऐजाँदी
सिंकुली सुरक करि की
मिठा सुपनीयू ले जांदी
अंचल भौरि कि
कैथे याखुली याखुली
क्दगा तड़पादीं छे
पिछणे पिछणे अपडा
क्दगा दौड़ांदी छे
खेळ छन विंक
रति बेराती न्यारा न्यारा
कबि हसंदी रुलांदी
कबि खूब बचांदी छे
निंदी जबै
में पास आंदि जांदी छे
बालकृष्ण डी ध्यानी
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जिकुड़ि
जिकुड़ि धड़क धड़क कनि
क्वै कुंन आजा ..... २
झप झपिगे पराणी मेरी
कु लुक्यों ऐ मन का बाटा
जखन तखन सरग गिड़िके
स्यां स्यां (बिजुलि कु धागा) .... २
तड़क झड़क कन फरक कैगे
पाणी का ऐ धारा
रुणन झुणन बिजली बलिगे
उलरि (जिकोडी कु ऐ सांझ).......२
मन कदों कदों कख बिरदी छा.
अपडा मनमा ही लाटा
हिरे-हिरे की बथो आंदि
क्वी औरृ (क्वै की खबर लांदी) ....२
कनु कै ऐ अशांत जी
कन हुलु आज शान्ता
जिकुड़ि धड़क धड़क कनि
कै कुंन आजा ..... २
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कविता उत्तराखंड की बालकृष्ण डी ध्यानी
May 20 at 6:23pm ·
अब ना कैर अबेर
अब ना कैर अबेर
ह्वैगे छुचा ते थे अब भंडया देर
सिन्कोली कु तू धर ले बाटा
जब जबैर तिल खर्च्यां छन रुपया हजार
ऊ नारंगी की सीसी को तेल
रति बेरति गौं मां उन्कों मेल
ऊ च्फल्या उनदरू मां सब घैल
तेरो ही मच्युं ऐ देल फ़ैल
कन औरृ कबरी चलली ऐ रेल
देखा ऐ नेतों कु रच्यूं ऐ खेल
एक चीज को द्वि तीन बारी शिल्यानास
देखले बांदरून कु तू बी ऐ नाच
डम डम डमरू को आवाज
टक्कों कु हुनु कन हास
ऐ च क्या मेरु पहाड़ कु बिकास
उत्तराखंड की नि बुझनी प्यास
डैम बणग्या सारू पहाड़
बति नि बलनि अब बी मेरा घार
बैठ्यूं छु अपड़ो को सार
हेर बी मेरु ह्वैगे बेकार
हुनु छे चौषठ सुरंग कु द्वार
हे मान जामेरा देबता बद्री केदार
अब ना कैर अबेर
ह्वैगे छुचा ते थे अब भंडया देर
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ऐ भाना मेरी
ना भान कैर ऐ भाना मेरी
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दूर भतेकि
दूर भतेकि कैदे प्रणाम
हे बड़ोली दे दे मेरु तू ......सलाम
राजा कि गद्दी कैल छुड़ाण
वख जैकी कैल कैल चौंल बुकाण
सदनियों कु तुम छोड़ दिना
भौत म्वाट मनखीयों कु रुझान
दूर भतेकि कैदे प्रणाम
हे बड़ोली दे दे मेरु तू ......सलाम
अब नि ऐ सकदु मि तेर पास
क्वी नि रेग्यूं जब मेर आस पास
अब मिथे जी भोरिकी तेर याद आई
जब बोगीगे मेर खैर कमाई
दूर भतेकि कैदे प्रणाम
हे बड़ोली दे दे मेरु तू ......सलाम
छान,तिवारी,भूमडू ई कुड़ी
अब तक नि देक नि टूटी मेर खुंटी
मोअरी भतेक को मारलू हाक
सब चली गेनी अब देब्तों का पास
दूर भतेकि कैदे प्रणाम
हे बड़ोली दे दे मेरु तू ......सलाम
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Darsansingh Rawat
 
छुटि खेति पाती छट, जमि घास फुंगड़्यो म।
भैसी चरणी फांग्यो, नि रैंदी छनि जंगलो म।
कुछ मनरेगा की मार, टक बीपीएल कार्डो म।
सरकरि खैरातान भै, बैठाई मनख्यो थै डेरो म।
प्वड़ि मार पलायन की, यु बांझी फुंगड़्यो म।
नि रै गे आस्था अब,पुरखो की करीं मेहनत म।
बंझेणा गौं गल्याऊ, भै बुजुर्ग प्वड़्या सोच म।

 

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