कच्ची
(62)
म्वाड़ा म्वरीं यूँ शरब्यू का
कुछ भि पे जंदी सच्ची,
कलच्वणी, पिशाब, गौंत
सड़का जंदी समझी कच्ची,
कलत्याण, चर्याण, गौत्याण
गन्द-बास कुछ नि समझदा,
चट्ट बंद कै कि नकप्वड़ी
गटका जंदी ईं कच्ची।
(63)
पंचैत सचिव, ग्राम सेवक भैजि
पोस्टमास्टर, पोस्टमैन भि सच्ची,
म्यारा रोज का गैक छन
जो नकद लिजंदी कच्ची,
डाक्टर, मास्टर, चपड़सि, बाबु,
बिजली-पाणि वला भैजि,
यूँ खुण धरी रैन्द मेरि
अलग लुका कै कच्ची।
क्रमश.........