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hum kyun nahi sikhate apne bacchon ka pahari

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Author Topic: Why Do We Hesitate in Speaking our Language? अपनी भाषा बोलने में क्यों शरमाते हम  (Read 43824 times)

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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kile ho daju ko hesitiyano aapun bhaasha me baat karan me???

ab je ku aali naa to uu to hesitiyalo balan me bechaar.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हमारी लिए नयी चुनौती ?

हम लोगो में बहुत से लोग अपनी भाषा बोलते है लेकिन अधिकतर लोग भाषा समझ सकते है लेकिन बोल नहीं सकते!

The main reason for this is that we people do not speak our language within the familiy and try to teach the our children.

The situation is :

   =  First Gegneration speaks their language
   = Second Generation can understand but can't speak because they listen their parent in speaking the language.
   = What about 3rd Generation ????????

It is clear that are serving our langauge for the third generation. The survival of our language is at stake.

We all must give a serious thought to this  and must teach our third generation our languages.


Devbhoomi,Uttarakhand

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प्रिय बंधुवो

आईये आज  से हम अपने लोगों के बीच अपनी   ही   प्यारी बोली में बोलें

अपणी बोली  बोलना कोई जुर्म नहीं है बल्कि  पुण्य है

अपनापन झलकता है   आदर  और आपसी  भाईचारा  बढ़ता है  विस्वास
  दोनों लोगों में  आपसी  बात करने में     तारतम्य  बना रहता  है और  साथ साथ  बार्तालाप की गोपनीयता  भी बनी रहती है
लेकिन बोले हमेशा मुस्कुरा के

उत्तरांचली बोली  में  न कोई  गर्मी है  और नहीं  कोई उदासी नहीं है

 सचमुच   ये तो  मन को खुश करने वाली बोली है

अपणी बोली  बोलने वाले की गरिमा  को दर्शाती   है 

दुसरे  की  बोली  नहीं आती है तो  कम से कम अपनी बोली में  तो  बोल ही सकते हैं न

तो फिर बेखटके  धढ़ा   धड  बोलें बोलें

कुमोनी  अपनी बोली में बोलें ... जबकि सुनने वाला गढ़वाली है तो वो भी अपनी खुद की बोली में उत्तर डे
दोनों लोगों को  दोनों भाषा  समझ में आती हैं

 
हमारे  मुल्क  के  मुहावरे  (औखाण )  भी  हमारी बोली को सुसज्जित करते हैं
 लोगों ने   CD   रखी हैं    और सुनते   भी  हैं  .लेकिन गुणगुनाते नहीं
और जब गुनगुनाने  लगेंगे   ...मुझे आशा ही नहीं अपितु पूर्ण विश्वाश हैं की
 तो फिर  दोनों बोलियों को आसानी से बोल   भी सकेंगे

तो  फिर    देर किस बात की  चलिए  आज से और अभी से  करें हम हमारी हमारी  "प्रेम दायिनी बोली"
 को बोलना  शुरू करें और  इसका  बेशकीमती  आनंद लें

रहिमन ऐसी बोली बोलिए .....
मन का अiपा खोय 
औरन को  शीतल  करे ....  और आप भी  शीतल  होय

हेम पन्त

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हमारे फोरम के सदस्य श्री भीष्म कुकरेती जी गढवाली भाषा के साथ-साथ अंग्रेजी और हिन्दी में भी सशक्त लेखन करते हैं. अपनी दुधबोली के लिये उनका लगाव इतना अधिक है कि उन्होंने अपने पुत्र के विवाह का निमन्त्रण पत्र भी गढवाली बोली में छपवाया.. 




एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Excellent.. .. Hat off for Kukreti ji.

Initiative like this are required to be taken.

हमारे फोरम के सदस्य श्री भीष्म कुकरेती जी गढवाली भाषा के साथ-साथ अंग्रेजी और हिन्दी में भी सशक्त लेखन करते हैं. अपनी दुधबोली के लिये उनका लगाव इतना अधिक है कि उन्होंने अपने पुत्र के विवाह का निमन्त्रण पत्र भी गढवाली बोली में छपवाया.. 





एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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This is a good initiative ..

बोली, भाषा रखती है समाज को जिन्दा

अल्मोड़ा : विख्यात अधिवक्ता, उत्तर प्रदेश विधानसभा में उपनेता रहे गोविन्द सिंह बिष्ट की स्मृति में कुमाऊंनी भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन पूर्व स्वास्थ्य मंत्री व राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के अध्यक्ष अजय भट्ट ने किया।

इस अवसर पर अपने संबोधन में श्री भट्ट ने कहा कि जिस महान व्यक्ति की स्मृति में भाषण प्रतियोगिता का आयोजन किया गया है वह मेरे प्रेरणास्रोत रहे हैं। कुमाऊंनी के ऐसे वक्ता थे कि उन्होंने हमेशा ही अपने पूरे राजनीतिक जीवन में कुमाऊंनी में ही भाषण दिया। उन्हीं की प्रेरणा से मैं स्वयं कुमाऊंनी में अपनी बात रखता हूं। श्री भट्ट ने कहा कि जितनी भी लोक बोलियां, लोक भाषाएं हैं, उनका सम्मान किए बिना समाज की उन्नति नहीं हो सकती।

श्री भट्ट ने कहा कि कोई भी समाज अपनी पहचान तब तक बनाए रख सकता है, जब तक वह अपनी बोली, भाषा, संस्कृति का आदर व उसमें रचा-बसा रहता है। जिस समाज की संस्कृति विलुप्त हो जाती है वह समाज भी जीवित नहीं रह सकता। इस कार्यक्रम की विशेषता यह थी कि सभी वक्ताओं ने कुमाऊंनी बोली में अपनी बात रखी। कुमाऊंनी भाषा साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति द्वारा आयोजित इस प्रतियोगिता का आयोजन अल्मोड़ा जिला सहकारी बैंक के सभागार में किया गया।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_6399723.html

दो वर्गो में आयोजित इस प्रतियोगिता में सीनियर वर्ग में नवजोत जोशी प्रथम, कु.दीपा सनवाल द्वितीय, दीप्ति रावत तृतीय स्थान पर रही। सांत्वना पुरस्कार नेहा जोशी को दिया गया। जूनियर वर्ग में पूजा परिहार प्रथम, भरत मेहरा द्वितीय, संगीता भाकुनी तृतीय, विजय जोशी को चतुर्थ पुरस्कार दिया गया। सभी विजेता प्रतिभागियों को मुख्य अतिथि अजय भट्ट ने पुरस्कार प्रदान किए। प्रतियोगिता में विभिन्न विद्यालयों के 30 छात्रों ने हिस्सेदारी की। अध्यक्षता पूर्व विधायक कु.रमा पंत ने की व संचालन गिरीश जोशी ने किया। समिति के सचिव हयात रावत ने सभी अतिथियों का आभार जताया।

ranbeer

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hello namaste my name is ranbeer, working in media.... i am newly member here, as i knew dayal ji is a one of the valuable member of this merapahad, can you give me their any mail id, i would like to have words with him on a important topic..............

dayal pandey/ दयाल पाण्डे

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Dear Ranbeer ji I am online my mail id is cudayal@gmail.com & moble no. is 9212692291, yes you can start the topic yourself this is your forum every member can start the topic, we are always here to help you and also can take help from our core team.
thank you
Dayal Pandey
9212692291
Email - cudayal@gmail.com
www.merapahad.com
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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There is need to promote to compaign this issue.

Parent can play a key role in this regard.


एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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भाषा के बचाई राखन ले एक बहुत ही ठुली समस्या छो!  उत्तराखंड भे बाहर रूनी वाल परदेशी के लीजी यो एक ठुल चुनौती छो!

आपुन बोली एव आपुन भाषा क प्रचार एव प्रसार क लीजी प्रयास जारी रखन चैनी!

  १) जब ले हम लोग आपुन में मिलुँनु एव बात करनू हमें आपुन बोली मा बात कारन क कोशिश कारन चै!

  २) लोक संगीत क मंचो में ली आपुन बोली क प्रचार एव प्रसार उन चै !


 

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