हमारी द्वि बोलीयों कु लोप होन्दा जाणु च रे
*ये भै बन्धो *
*म्यारा पर्वतीय नौनिहालों** *
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*ये भूलौ ....ये बेटो .... , ...*
*अपना आपस माँ जब भी वार्तालाप करदां ता अप्नि भाषा बोली कु प्रयोग कारा
रे...*
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***ये बेटो ...* *हमारी बोली कु लोप होन्दा जाणु च रे*
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*ये नौनो ... हमारी बोली कु लोप होन्दा जाणु च रे*
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*ये संसार माँ क्वी भी "जाती" अपनी बोली का भरोसा ही जिन्दा रै
सकदी .... *
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*बिना बोली का मनिख्यों की पछ्याण नि च और अप्नि पछ्याण का वास्ता "बोली" कु
जिंदु रेणु ज़रूरी च *
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आप्णि बोली थैं जिंदु रख्णु पोढ़दू.. ....
जै की बोली भाषा माँ जतना भी मिठास ह्वेइली वीं बोली का लोगु की उतना ही
इज्ज़त हवेली
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*हमारू यु प्रयास...हर दिन.. हर पल.. रेणु चैयंदु की हम वार्तालाप अपनी
सीधी सरल बोली माँ करां..*
*गद्वोली आदिम गद्वोली माँ और कुमाओं आदिम कुमाओं बोली माँ बोल्यां.. *
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*हमारी द्वि भाषा गड्वाली अर्र कुमैयाँ सब्बी लोगो की समझ माँ आसानी से
एई जांदी थोडा बहुत प्रयास कर्ना से बोलाणु भी एई जालू *
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*यु द्वि बोली उत्तराँचल की ही ता छीन और यु माँ मामूली फर्क च..*
*शुरू शुर माँ थोड़ा सी दिक्कत महसूस जरूर होली लेकिन एक द्वि बगत बोलान चालान
से वू भी जरूर आसानी ह्वेई जाली
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*यु मेरु विश्वास च.. *
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*ता भूलों और नौनियालो आज बीटी.... ना ना अब्बी बीटी....यु भलु काम शुरू कैरी
दीयो
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*और हाँ एक बात और विशेष च की हमारी भाषा माँ जख एक मिठास च ताखी वेई माँ
अपना विचार की सरलता, सौम्यता और साथ ही साथ गोपनीयता भी ...*
*जरा एक बोला ता सही ..फ़िर देखो कतना मिठास महसूस होंदी कत्गा अछू
लगदु और कत्गा आनंद औंदु