Author Topic: Election 2012 in Uttarakhand Vs Development-उत्तराखंड में चुनाव २०११ बनाम विकास  (Read 42889 times)

राजेश जोशी/rajesh.joshee

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भ्रष्टाचार मिटाने के नाम पर धरना, आन्दोलन या अनशन की नौटंकी करके अन्ना हजारे को कोई पुरस्कार जरुर मिल सकता है पर इस देश से भ्रष्टाचार दूर नही हो सकता है।  २०१२ के चुनावों में भी वही होगा जो नेगी जी कि पिछली एलबमे के गीत के बोल हैं "हाथन व्हिस्की पिलायी, फूलन पिलायी रम"।  नेताओं गालियां देके क्या होगा जब हम अपने स्वार्थवश ऎसे लोगों को चुनते है।  आज इस देश में ऎसा कौन है जो भ्र्ष्ट नही है।  जिसे भ्रष्टाचार का मौका नही मिला वही दूसरे को कोसता रह्ता है, जब उसे मौका मिलता है तो वह भी उसी लाईन पर जाता है।
इस देश में भ्रष्टाचार मिटाना है तो हर नागरिक को अपने चरित्र को सुधारना होगा।  जब तक हमारे देश के हर नागरिक का चारित्रिक उत्थान नही होगा, भ्रष्टाचार मौजूद रहेगा।  यह किसी नेता, वकील, पुलिसवाले, अधिकारी, जज या व्यापारी के भ्रष्ट होने का प्रश्न नही है।  भ्रष्टाचार हर भारतीय के चरित्र का हिस्सा बन चुका है चाहे वह किसी वर्ग, धर्म या जाति को हो।  भ्रष्टाचार मिटाना है तो अपने चरित्र को सुधारना होगा और उसे इतना मजबूत करना होगा कि हम बिना भ्रष्टाचार के आगे बढ़ सकें।  किसी को गलियां देके कोसके और किसी का कार्टून बनाके भ्रष्टाचार दूर करने का सपना देखना हम छोड़ दें तो अच्छा है।
हर आदमी खुद या तो भ्रष्टाचार कर रहा है या उसमें भागीदारी कर रहा है, जब तक मेरा काम हो रहा है तो मैं ईमानदार और मेरा काम नही हुआ तो दूसरा भ्रष्टाचारी।  चाहे २०१२ का चुनाव हो या उससे अगला चुनाव भ्रष्टाचारी ही चुने जायेंगे क्योंकि हम जैसे भ्रष्टाचारी ही उन्हें चुनेंगे।  भ्रष्टाचार हमारे चरित्र में है नाकि किसी नेता, जज, वकील या पुलिसवाले में।  अगर सही स्वच्छ प्रशासन चाहिये तो पहले हर नागरिक का चारित्रिक विकास जरुरी है।

विनोद सिंह गढ़िया

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भ्रष्टाचार मिटाने के नाम पर धरना, आन्दोलन या अनशन की नौटंकी करके अन्ना हजारे को कोई पुरस्कार जरुर मिल सकता है पर इस देश से भ्रष्टाचार दूर नही हो सकता है।  २०१२ के चुनावों में भी वही होगा जो नेगी जी कि पिछली एलबमे के गीत के बोल हैं "हाथन व्हिस्की पिलायी, फूलन पिलायी रम"।  नेताओं गालियां देके क्या होगा जब हम अपने स्वार्थवश ऎसे लोगों को चुनते है।  आज इस देश में ऎसा कौन है जो भ्र्ष्ट नही है।  जिसे भ्रष्टाचार का मौका नही मिला वही दूसरे को कोसता रह्ता है, जब उसे मौका मिलता है तो वह भी उसी लाईन पर जाता है।
इस देश में भ्रष्टाचार मिटाना है तो हर नागरिक को अपने चरित्र को सुधारना होगा।  जब तक हमारे देश के हर नागरिक का चारित्रिक उत्थान नही होगा, भ्रष्टाचार मौजूद रहेगा।  यह किसी नेता, वकील, पुलिसवाले, अधिकारी, जज या व्यापारी के भ्रष्ट होने का प्रश्न नही है।  भ्रष्टाचार हर भारतीय के चरित्र का हिस्सा बन चुका है चाहे वह किसी वर्ग, धर्म या जाति को हो।  भ्रष्टाचार मिटाना है तो अपने चरित्र को सुधारना होगा और उसे इतना मजबूत करना होगा कि हम बिना भ्रष्टाचार के आगे बढ़ सकें।  किसी को गलियां देके कोसके और किसी का कार्टून बनाके भ्रष्टाचार दूर करने का सपना देखना हम छोड़ दें तो अच्छा है।
हर आदमी खुद या तो भ्रष्टाचार कर रहा है या उसमें भागीदारी कर रहा है, जब तक मेरा काम हो रहा है तो मैं ईमानदार और मेरा काम नही हुआ तो दूसरा भ्रष्टाचारी।  चाहे २०१२ का चुनाव हो या उससे अगला चुनाव भ्रष्टाचारी ही चुने जायेंगे क्योंकि हम जैसे भ्रष्टाचारी ही उन्हें चुनेंगे।  भ्रष्टाचार हमारे चरित्र में है नाकि किसी नेता, जज, वकील या पुलिसवाले में।  अगर सही स्वच्छ प्रशासन चाहिये तो पहले हर नागरिक का चारित्रिक विकास जरुरी है।

जोशी जी मैं आपकी बातों से पूर्णतया सहमत हूँ।
जैसा कि आपने कहा "देश में भ्रष्टाचार मिटाना है तो अपने चरित्र को सुधारना होगा और उसे इतना मजबूत करना होगा कि हम बिना भ्रष्टाचार के आगे बढ़ सकें।"
जब तक मैं और भारत का प्रत्येक नागरिक उपरोक्त बात को अमल में नहीं लायेंगे; तब तक इस देश की एक ज्वलन्त समस्या 'भ्रष्टाचार' को कभी खत्म नहीं किया जा सकता है, चाहे हम कितनी भी कोशिशें क्यों न कर लें।
अतः भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने चरित्र को सुधारना होगा। तभी एक भ्रष्टाचार मुक्त देश की कल्पना की जा सकती है।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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The condition of village in Uttarakhand is like this.. .. They have mission for wining election not the development ?


वीरान होते गांव
Jul 24, 12:25 am
बताएं

जनगणना निदेशालय द्वारा जारी किए गए उत्तराखंड में जनगनणना के नए आंकड़े इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि राज्य के गांव वीरान और शहर आबाद हो रहे हैं। जनगणना का यह ट्रेंड साबित कर रहा है कि उत्तराखंड के गांव पलायन की चपेट में हैं। खासकर सीमांत क्षेत्र के गांवों में यह ट्रेंड ज्यादा देखा जा रहा है। यह बहुत संवेदनशील और संकट की स्थिति है। दो देशों की सीमा से लगे उत्तराखंड में नेपाल से हुई संधि की वजह से दोनों देशों के बीच आने-जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। नेपाल की आबादी किस तरह उत्तराखंड के गांवों में पसर रही है, इस तरफ किसी का ध्यान नहीं है। दूसरी तरफ चीन की सीमा से लगे गांवों में गृह मंत्रालय से लेकर सुरक्षा तंत्र से जुड़े लोग लंबे समय से चीनी अतिक्रमण की बात कर रहे हैं। चीन की विस्तारवादी नीति से सभी वाकिफ हैं। माना जा रहा है कि चीन सीमा से लगे गांवों में चीन अतिक्रमण कर अपने देश की सीमा को उत्तराखंड के अंदर तक बढ़ा सकता है। इतने गंभीर मसले को लेकर गंभीरता से नहीं सोचा जाना चिंताजनक है। अब जनगणना के नवीनतम आंकड़े यह प्रमाणित कर रहे हैं कि शहरी क्षेत्रों में बढ़ते दबाव की वजह से वहां नागरिक सुविधाओं का टोटा होने लगा है। शहरों में अतिक्रमण की बाढ़ के लिए भी यही ट्रेंड जिम्मेदार माना जा रहा है। यह समस्या राज्य में लगातार बढ़ती चली जा रही है। इन आंकड़ों में एक महत्वपूर्ण बात यह भी सामने आ रही है कि उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की संख्या 2001 की तुलना में कम हो रही है, जबकि शहरी क्षेत्रों में थोड़ा बढ़ी है। इसके बावजूद राज्य के सात पर्वतीय जिले महिला बहुल हैं। इन जिलों में प्रति हजार पुरुषों पर उनसे अधिक महिलाएं हैं। इसलिए उत्तराखंड के इन जिलों को आज भी मातृ प्रधान होने का गौरव हासिल है। जनगणना का यह अनंतिम आकलन है। अभी पूरे आंकड़े आने बाकी हैं। ये आंकड़े कई तरह के संकेत कर रहे हैं। अब जरूरत इन संकेतों को समझने और राज्य और देश हित में इसके अनुसार कदम उठाने की है। उत्तराखंड में राज्य गठन के बाद तेजी से पर्वतीय जिलों से पलायन हुआ है और इसके मूल में पर्वतीय जिलों में जन सुविधाओं का भारी कमी होना मुख्य कारण रहा। यदि ऐसा ही चलता रहा तो एक दिन पर्वतीय जिलों के गांव केवल नाम के ही रह जाएंगे और इन गांवों में आबादी के नाम पर गिनती के लोग रह जाएंगे और इसके लिए पूरी तरह नीति निर्धारकों को ही जिम्मेदार माना जाएगा।

[स्थानीय संपादकीय: उत्तराखंड]

(Dainik Jagran)


Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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Dear friends.

Now time has come. There should be a third party rule in Uttarakhand. First of all, capital should be moved to gairsain at the earliest.

The hills still seems to be neglected development point of view. The formation behind the new uttarakhand state was fast developmnet of hill areas like Himanchal, J&K, Normal hilly state.


Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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Capital issue is not a Election Agenda for BJP & Congress in Uttarakhand. ?

why so ?


Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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Suna hai Chunav ke madhya Najar TPS rawat phir party badalne jaa rahe hai ?


Devbhoomi,Uttarakhand

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बडे़ जोखिम हैं इस राह में
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यूं तो जिले में पिछले दिनों की बारिश ने सभी मोटर मार्गो का हालत बद्तर कर दी है, लेकिन टिहरी-घनसाली मोटर मार्ग पर आवागमन इन दिनों काफी मुश्किल भरा साबित हो रहा है। विभिन्न जगहों पर जहां सड़क धंस रही है वहीं गडोलिया से पिलखी तक विभाग के आठ करोड़ खर्च करने के बाद भी हालत सुधरने के बजाए और खराब हो गए हैं। इस मार्ग पर सफर करना किसी खतरे से कम नहीं रह गया है।

उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों हुई बारिश से जिले के लगभग सभी लिंक मार्ग समेत मुख्य मार्ग जगह-जगह बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए थे। मरम्मत न होने के चलते इन पर सफर करना अब मुश्किल भरा काम साबित हो रहा है। मलबा पत्थर आने से जहां विभिन्न मार्ग अभी तक भी बंद हैं और कहीं-कहीं किसी तरह से विभाग ने मार्ग आवागमन के खोले हैं वहीं जिले का प्रमुख मार्ग टिहरी-घनसाली पर चलना सबसे खतरनाक बना हुआ है। इस मार्ग पर जीरो ब्रिज से लेकर गडोलिया तक सड़क जगह-जगह लगातार धंस रही है। अन्य मार्गो के मामले में ऐसी स्थिति नहीं है। मार्ग के इस भाग पर लगातार सड़क धंसने से इस पर ऐसे में चलना खतरे से खाली नहीं है। यह मार्ग सिर्फ घनसाली को जोड़ने वाला नहीं है बल्कि श्रीनगर व देवप्रयाग को भी यह मुख्यालय से जोड़ता है। दूसरी ओर इस मार्ग पर गडोलिया से पिलखी तक लोनिवि द्वारा आठ करोड़ खर्च करने के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं आया है। या यूं कहें कि पहले से अब मार्ग की स्थिति ज्यादा खराब हो गई है।

http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_8161828.html

Himalayan Warrior /पहाड़ी योद्धा

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Our Leaders should feel shame while asking for vote since they have not done any development in their rsepective constituncies.

The development pace is very very slow in Uttarakhand specially hill areas but Govt claims to be the No1 state of India.

I don't know how ?


Mahi Mehta

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On which basis, we people are going to vote ?


 

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