Poll

Do you feel that the Capital of Uttarakhand should be shifted Gairsain ?

Yes
97 (70.8%)
No
26 (19%)
Yes But at later stage
9 (6.6%)
Can't say
5 (3.6%)

Total Members Voted: 136

Voting closed: March 21, 2024, 12:04:57 PM

Author Topic: Should Gairsain Be Capital? - क्या उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण होनी चाहिए?  (Read 194425 times)

पंकज सिंह महर

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गैरसैंण को राजधानी बनाने के लिये भूगोल और विग्यान पर आधारित मेरे विचार
नोट- इस विचार में गलती भी हो सकती है, क्योंकि इसे एक अल्प शिक्षित व्यक्ति लिख रहा है।

उत्तराखण्ड की राजधानी अभी देहरादून है, जो कि पहाड़ों से नीचे घाटी में है, जिस कारण प्रदेश सरकारें जो विकास की गंगायें बहा रही हैं (समाचार पत्रों के विग्यापन, इलेक्ट्रानिक मीडिया में चल रहे विग्यापनों के अनुसार) वह पहाड़ों तक नहीं पहुंच पा रही है। क्योंकि देहरादून से जो विकास की गंगा सरकार बगाती है वो मैदानी एरिया में थोड़ा-थोड़ा सरक पाती है और देहरादून, हरिद्वार, उधम सिंह नगर और नैनीताल के कुछ हिस्सों तक ही उस विकास का पानी पहुंच पाता है।
        अब भाई बात भी सही ठैरी, अब पानी नीचे से ऊपर को तो जायेगा नहीं, अब सरकार बडी़ मुश्किल से कर्जा मांग-मूंग करके गंगा बहा दे रही है, अब पहाड़ में इस गंगा का पानी पहुंचाने के लिये सरकार पम्पिंग योजना कैसे बनाये। यह तो प्रकृति का नियम ठेरा कि कोई चीज नीचे से ऊपर की ओर नहीं जा सकती। गलती पहाड़ में रह रहे लोगों की है, और वहां से खाली बर्तन के तले का पानी दिखा-दिखा कर कोस रहे हो कि विकास की गंगा के कुछ छींटे हमारी ओर ले फेंको, सरकार बिचारी क्या करे, जिस दिन से सत्ता आयी, उस दिन से ले चुनाव, दे चुनाव। कभी ददा रिसा जाता है, कभी भाया रिसा के दिल्ली चला जाता है। इनको सम्भालें कि तुम्हारे यहां पानी नहीं आ रहा उसको देखें। पहले तो अपने भाया-ददा को देखना होगा, हैलीकाप्टर में विकास की गंगा का पानी भर-भर कर इन रिसाये ददाओं-भुलाओं के घर तक भी पहुंचाना ठेरा। भई! कुसीं रहेगी तो तुमको भी देख सकेंगे ना, किसी दिन।
        अब मोरी में रहने वाले कह रहे हैं कि देहरादून में डामर वाली अच्छी-खासी सड़क पर दोबारा डामर पोत रहे हो और हमारे यहां आज तक डामर नहीं हुआ, एक बार कर दो। अरे भाई! किसने कहा तुम्हारे पुरखों से कि ऊंच्चा डाणा में जा के बैठो, हैं! अब ये पानी कसिके पहुंचाये तुम्हारे यहां।
        मेरा तो सरकार से, नीति नियंताओं से अनुरोध है कि इस प्रदेश की राजधानी पहाड पर ही यानी गैरसैंण में बना दे, ताकि वहां से विकास की गाड़ का पानी थोड़ा पहाड़ों पर भी जा सके और कुछ छींटे ऊपर तक भी पहुंच सकें, नीचे तो वह अपने आप आ ही जायेगा।


sahi baat bubu

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Uttarakhand is the first State of India whose Capital is in plain area. Other hill state like Himanchal, J&K, Sikkim and Eastern state have their capitals in hill areas only. That is why these states have made good progress.

Uttarakhand Govt is just not bothered about shifting the capital. People of Uttarakhand have face many difficulties in following up their regular matters with the Govt.

For example, people of Pithoragrah, Bageshwar havs Delhi near than the Dehradoon.

Pata nahi ne neta log is mukh ke vote magne jaate hai wahan par.

पंकज सिंह महर

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इससे ज्यादा शर्मनाक और हास्यास्पद क्या हो सकता है कि ९ साल में तीन सरकारें स्थाई राजधानी का फैसला तक नहीं कर पाईं और एक पहाड़ी राज्य की राजधानी मैदानी क्षेत्र में?

कहते-कहते मुंह थक गये.............सरकारों के कान पर जूं नहीं रेंगी, तर्क देते है कि गैरसैंण में पानी नहीं है, अरे भाई तो पानी की व्यवस्था करो ना! कुछ करने इच्छा शक्ति होनी चाहिये और इस मामले में राजनीति की नहीं दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ फैसला लेने की जरुरत है।

हुक्का बू

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गैरसैंण को राजधानी बनाने के लिये भूगोल और विग्यान पर आधारित मेरे विचार
नोट- इस विचार में गलती भी हो सकती है, क्योंकि इसे एक अल्प शिक्षित व्यक्ति लिख रहा है।

उत्तराखण्ड की राजधानी अभी देहरादून है, जो कि पहाड़ों से नीचे घाटी में है, जिस कारण प्रदेश सरकारें जो विकास की गंगायें बहा रही हैं (समाचार पत्रों के विग्यापन, इलेक्ट्रानिक मीडिया में चल रहे विग्यापनों के अनुसार) वह पहाड़ों तक नहीं पहुंच पा रही है। क्योंकि देहरादून से जो विकास की गंगा सरकार बगाती है वो मैदानी एरिया में थोड़ा-थोड़ा सरक पाती है और देहरादून, हरिद्वार, उधम सिंह नगर और नैनीताल के कुछ हिस्सों तक ही उस विकास का पानी पहुंच पाता है।
        अब भाई बात भी सही ठैरी, अब पानी नीचे से ऊपर को तो जायेगा नहीं, अब सरकार बडी़ मुश्किल से कर्जा मांग-मूंग करके गंगा बहा दे रही है, अब पहाड़ में इस गंगा का पानी पहुंचाने के लिये सरकार पम्पिंग योजना कैसे बनाये। यह तो प्रकृति का नियम ठेरा कि कोई चीज नीचे से ऊपर की ओर नहीं जा सकती। गलती पहाड़ में रह रहे लोगों की है, और वहां से खाली बर्तन के तले का पानी दिखा-दिखा कर कोस रहे हो कि विकास की गंगा के कुछ छींटे हमारी ओर ले फेंको, सरकार बिचारी क्या करे, जिस दिन से सत्ता आयी, उस दिन से ले चुनाव, दे चुनाव। कभी ददा रिसा जाता है, कभी भाया रिसा के दिल्ली चला जाता है। इनको सम्भालें कि तुम्हारे यहां पानी नहीं आ रहा उसको देखें। पहले तो अपने भाया-ददा को देखना होगा, हैलीकाप्टर में विकास की गंगा का पानी भर-भर कर इन रिसाये ददाओं-भुलाओं के घर तक भी पहुंचाना ठेरा। भई! कुसीं रहेगी तो तुमको भी देख सकेंगे ना, किसी दिन।
        अब मोरी में रहने वाले कह रहे हैं कि देहरादून में डामर वाली अच्छी-खासी सड़क पर दोबारा डामर पोत रहे हो और हमारे यहां आज तक डामर नहीं हुआ, एक बार कर दो। अरे भाई! किसने कहा तुम्हारे पुरखों से कि ऊंच्चा डाणा में जा के बैठो, हैं! अब ये पानी कसिके पहुंचाये तुम्हारे यहां।
        मेरा तो सरकार से, नीति नियंताओं से अनुरोध है कि इस प्रदेश की राजधानी पहाड पर ही यानी गैरसैंण में बना दे, ताकि वहां से विकास की गाड़ का पानी थोड़ा पहाड़ों पर भी जा सके और कुछ छींटे ऊपर तक भी पहुंच सकें, नीचे तो वह अपने आप आ ही जायेगा।



मैंले त पैली यो कोछ, आब आज भटी नय्या संवत्सर लागी गौ, नाम ले "शुभकृत" छू धैं, पैं ये संवत्सर में कै शुभ कृत्य हूंछै उत्तराखण्ड लिजी....? हे नंदा देवी माता, हे गोल्ज्यू, हे पंचनाम द्याप्तो, हे उत्तराखण्ड का भूमिया देवता, हे महाराज बद्री-केदार ज्य़ू, जागेशर-बागनाथ ज्य़ू......इन पड़ी नेताओं का मुख में थ्वाड़ पानी का छींटा दियो, थ्वाड़ इननकै मति दियो, अक्ल दियो..........ये साल राजधानी गैरसैंण पुजा दियो, भगवान-नारान...........।

dayal pandey

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Gaidsain Rajdhani banane se na kewal sohuliyat hogi balki ek Tourist place bhi develope ho jayega, Gaidsain Rajdhani to banani hi chahiye

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Pandey Ji,

After formation of Uttarakhand state, this is one of long oustadning issues which is not only related to development of hill areas but this is a issue of sentiment for who those who scarified thier lives for this.

But these corrupt politicians are just not moving a bit on this issue. The commision took 8 hrs to prepapre the report and it seems it will take 8 more yrs to the Govt to declare the findings of the Dixit Aayog.

Do we need another agitiation for Capital also ?  I believe so.  Then keep the name this state as "Aandolan State" because day by day there is agitation by people for their basic amenities in every corner of the state.



Gaidsain Rajdhani banane se na kewal sohuliyat hogi balki ek Tourist place bhi develope ho jayega, Gaidsain Rajdhani to banani hi chahiye

पंकज सिंह महर

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देहरादून: सूचनाधिकार कानून के सहारे बहुप्रतीक्षित राजधानी चयन आयोग का पिटारा आज खुल सकता है। आज इस मामले में सूचना आयोग में सुनवाई होनी है। आयोग इस मामले में अफसरों पर जुर्माना भी ठोक सकता है। आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक हुई तो इससे सूबे का सियासी माहौल भी गरमाने के आसार हैं। मालूम हो कि काशीपुर निवासी अधिवक्ता नदीमुद्दीन ने सूचनाधिकार के तहत स्थायी राजधानी के चयन के लिए बने एक सदस्यीय जस्टिस वीरेंद्र दीक्षित आयोग की रिपोर्ट की मांग की है। मामला राज्य सूचना आयोग में आने पर आयोग दो बार सामान्य प्रशासन विभाग को आदेश दे चुका है कि वह 9 अप्रैल से पहले आयोग की रिपोर्ट को सूचना कानून की स्वप्रकटन की धारा के तहत सार्वजनिक दस्तावेज के रूप में सरकार की वेबसाइट पर अपलोड करे और नदीमुद्दीन को उसकी मुफ्त प्रति मुहैया कराए।

हेम पन्त

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Government to upload the Dixit report on the website within 2 weeks
« Reply #197 on: April 14, 2009, 12:05:53 PM »
सूचना आयोग के डर से ही सही लेकिन अब शायद जल्द ही दीक्षित आयोग की रिपोर्ट जनता के सामने होगी. यह रिपोर्ट आगामी लोकसभा के चुनावों को प्रभावित भी कर सकती है.

Dehradun , Apr 10 The Chief Information Commissioner (CIC) R S Tolia has imposed a fine of Rs 75,000 on the Uttarakhand government for not making public the Virendra Dixit Report on the permanent capital under the RTI.

While a fine of Rs 25,000 was imposed on the general administration, Rs 50,000 was slapped on the Information officer of the general administration in this regard, official sources said here today.

While imposing the fine, Tolia directed the government to upload the Dixit report on the government website within two weeks.

The move by Tolia has put the government under the bind as it was dithering on the issue.

The order of Tolia came after Nasimuddin, an advocate, sought the report under the RTI. After alleged refusal by the state government, Nasimuddin approached the CIC for relief.

Source : http://www.indopia.in/India-usa-uk-news/latest-news/546104/National/1/20/1

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Let us hope for some early response from Govt side on this long outstanding issue of UK.

सूचना आयोग के डर से ही सही लेकिन अब शायद जल्द ही दीक्षित आयोग की रिपोर्ट जनता के सामने होगी. यह रिपोर्ट आगामी लोकसभा के चुनावों को प्रभावित भी कर सकती है.

Dehradun , Apr 10 The Chief Information Commissioner (CIC) R S Tolia has imposed a fine of Rs 75,000 on the Uttarakhand government for not making public the Virendra Dixit Report on the permanent capital under the RTI.

While a fine of Rs 25,000 was imposed on the general administration, Rs 50,000 was slapped on the Information officer of the general administration in this regard, official sources said here today.

While imposing the fine, Tolia directed the government to upload the Dixit report on the government website within two weeks.

The move by Tolia has put the government under the bind as it was dithering on the issue.

The order of Tolia came after Nasimuddin, an advocate, sought the report under the RTI. After alleged refusal by the state government, Nasimuddin approached the CIC for relief.

Source : http://www.indopia.in/India-usa-uk-news/latest-news/546104/National/1/20/1

Devbhoomi,Uttarakhand

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दोस्तों आप सभी के बिचार पड़े बहुत अच्छा लगा, लेकिन राजधानी कहीं भी हो क्या फरक पड़ता है कोई विकास की किरण तो नजर नहीं आती हैं उत्तराखंड की तरफ, राजधानी मैं तो कहता हूँ की उन गणों मैं होनी चाहिए जहाँ आजतक न तो बिजली है और ना ही लोगों के लिए पीने का पानी हैं और मुझे लगता है कि अगर उत्तराखंड कि सरकार अगर ऐसे ही चलती रही तो सायदही कभी उन गावों मैं बिजली और पानी होगा !
जय उत्तराखंड

 

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