Author Topic: Funny Incidents - हास्य घटनाये  (Read 93798 times)

पंकज सिंह महर

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Re: Funny Incidents - हास्य घटनाये
« Reply #210 on: September 30, 2009, 04:06:04 PM »
चन्दन दा के भी किस्से ही ठैरे, एक बार पानी :D को लेकर उनमें और भवन दा (रावण के पात्र) में कुछ अनबन हो गई, भुवन दा अच्छी सर्विस में थे, तो अफोर्ड कर लेते थे। चन्दन दा की पोस्ट उनके बराबर की नहीं थी। सो उन्होंने इसकी खीझ ऐसे उतारी-
विभीषण को जब रावण लात मारता है, तो विभीषण की एक चौपाई है-
"तेरा अभिमान जाता रहेगा....भ्राता"
चन्दन दा ने इसे इस तरह से उस साल गाया
"तेरा अभिमान जाता रहेगा..भुवन दा।"

अगले साल से भुवन दा ने तौबा कर ली कि कुछ हो जाये चन्दन दा से कुछ नहीं कहेंगे।

Lalit Mohan Pandey

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Re: Funny Incidents - हास्य घटनाये
« Reply #211 on: October 07, 2009, 04:13:30 PM »
रामलीला की बात से मुझे भी एक किस्सा याद आता है, कनालीछीना की रामलीला का.
विस्वामित्र मुनि का पाठ और लक्षिमन का पाठ बाप बेटे कर रहे थे.
परसुराम और लक्षिमन संवाद चल रहा था, तो बीच बीच मै विस्वामित्र मुनि बीच बचाव करने आते है. २-४ बार ऐसा होने के बाद... परसुराम जी गुस्से से बोले...मै इस फरसे से इस दुष्ट बालक का सर धड से अलग कर दूंगा.  भाईसाहब इतने मै बाप का अपने बेटे के लिए प्रेम जाग पड़ा क्युकी विस्वामित्र मुनि का और लक्षिमन का पाठ बाप बेटे कर रहे थे. और विस्वामित्र जी बोलो "कसके करछे देखाछु मै ले, ते मेरा चय्लाको खोरो धड है अलग, की समझी रखिच तुले, उथेली है समझुन रयु, अरे उ त नान नन्तिनो छो, तू त कर धे सरम, खा खा बेरी बुडी सकिरिच्छ, लड़नाकी कैलात पर पला गाव भते या पुजिरीच (actually parausram ka role karne wala doosre gav ka rahne wala tha) " [ कैसे करता है तू मेरे लड़के का सर धड से अलग मै भी देखता हु, क्या समझ रखा है तुने उस समय से समझा रहा हु,  अरे वो तो छोटा बच्चा है तू तो कुछ सरम कर, खा खा के बुड्डा हो गया है लकिन लड़ने के लिए दुसरे गाव से यहाँ आया है] 
उस दिन का लक्षिमन परसुराम संवाद विस्वामित्र -परसुराम सवाद मै बदल गया.   
वैसे इसमें रहस्य है की ये गलती से हुआ था या फिर जानभूझ कर किया गया था,
 

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: Funny Incidents - हास्य घटनाये
« Reply #212 on: October 07, 2009, 04:25:28 PM »

Hi hi hi.. ha.. ha. daju.

I have also heard many such incidents related to Ramleela in pahad

रामलीला की बात से मुझे भी एक किस्सा याद आता है, कनालीछीना की रामलीला का.
विस्वामित्र मुनि का पाठ और लक्षिमन का पाठ बाप बेटे कर रहे थे.
परसुराम और लक्षिमन संवाद चल रहा था, तो बीच बीच मै विस्वामित्र मुनि बीच बचाव करने आते है. २-४ बार ऐसा होने के बाद... परसुराम जी गुस्से से बोले...मै इस फरसे से इस दुष्ट बालक का सर धड से अलग कर दूंगा.  भाईसाहब इतने मै बाप का अपने बेटे के लिए प्रेम जाग पड़ा क्युकी विस्वामित्र मुनि का और लक्षिमन का पाठ बाप बेटे कर रहे थे. और विस्वामित्र जी बोलो "कसके करछे देखाछु मै ले, ते मेरा चय्लाको खोरो धड है अलग, की समझी रखिच तुले, उथेली है समझुन रयु, अरे उ त नान नन्तिनो छो, तू त कर धे सरम, खा खा बेरी बुडी सकिरिच्छ, लड़नाकी कैलात पर पला गाव भते या पुजिरीच (actually parausram ka role karne wala doosre gav ka rahne wala tha) " [ कैसे करता है तू मेरे लड़के का सर धड से अलग मै भी देखता हु, क्या समझ रखा है तुने उस समय से समझा रहा हु,  अरे वो तो छोटा बच्चा है तू तो कुछ सरम कर, खा खा के बुड्डा हो गया है लकिन लड़ने के लिए दुसरे गाव से यहाँ आया है] 
उस दिन का लक्षिमन परसुराम संवाद विस्वामित्र -परसुराम सवाद मै बदल गया.   
वैसे इसमें रहस्य है की ये गलती से हुआ था या फिर जानभूझ कर किया गया था,
 

Risky Pathak

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Re: Funny Incidents - हास्य घटनाये
« Reply #213 on: October 09, 2009, 11:41:08 AM »
अभी मेरे १ सहकर्मी शैलेन्द्र बिष्ट ने चाय के दौरान अपने कॉलेज में घटी घटना सुनाई|

सुनिए उनकी जबानी:

बात ५-६ साल पहले कुमाऊं इंजीनियरिंग कॉलेज, द्वाराहाट की है| मै तब फर्स्ट इयर में था| रामलीला के दिनों की बात है| उन दिनों पास के गाँव में रामलीला का आयोजन था| हमारे साथ के लोग दारु पी के रामलीला देखने चले गये| उनमे से किसी को हनुमान की एक्टिंग पसंद नहीं आई तो, हमारे साथ के कुछ लोगो ने हनुमान को स्टेज से उतार दिया और उसकी पिटाई करने लगे| उसके बाद गाँव वालों ने उन छात्रो की बहुत धुनाई की|

Lalit Mohan Pandey

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Re: Funny Incidents - हास्य घटनाये
« Reply #214 on: October 12, 2009, 11:03:22 AM »
आराम करो

एक मित्र मिले, बोले, "लाला, तुम किस चक्की का खाते हो?
इस डेढ़ छँटाक के राशन में भी तोंद बढ़ाए जाते हो।
क्या रक्खा है माँस बढ़ाने में, मनहूस, अक्ल से काम करो।
संक्रान्ति-काल की बेला है, मर मिटो, जगत में नाम करो।"
हम बोले, "रहने दो लेक्चर, पुरुषों को मत बदनाम करो।
इस दौड़-धूप में क्या रक्खा, आराम करो, आराम करो।

आराम ज़िन्दगी की कुंजी, इससे न तपेदिक होती है।
आराम सुधा की एक बूंद, तन का दुबलापन खोती है।
आराम शब्द में 'राम' छिपा जो भव-बंधन को खोता है।
आराम शब्द का ज्ञाता तो विरला ही योगी होता है।
इसलिए तुम्हें समझाता हूँ, मेरे अनुभव से काम करो।
ये जीवन, यौवन क्षणभंगुर, आराम करो, आराम करो।

यदि करना ही कुछ पड़ जाए तो अधिक न तुम उत्पात करो।
अपने घर में बैठे-बैठे बस लंबी-लंबी बात करो।
करने-धरने में क्या रक्खा जो रक्खा बात बनाने में।
जो ओठ हिलाने में रस है, वह कभी न हाथ हिलाने में।
तुम मुझसे पूछो बतलाऊँ -- है मज़ा मूर्ख कहलाने में।
जीवन-जागृति में क्या रक्खा जो रक्खा है सो जाने में।

मैं यही सोचकर पास अक्ल के, कम ही जाया करता हूँ।
जो बुद्धिमान जन होते हैं, उनसे कतराया करता हूँ।
दीए जलने के पहले ही घर में आ जाया करता हूँ।
जो मिलता है, खा लेता हूँ, चुपके सो जाया करता हूँ।
मेरी गीता में लिखा हुआ -- सच्चे योगी जो होते हैं,
वे कम-से-कम बारह घंटे तो बेफ़िक्री से सोते हैं।

अदवायन खिंची खाट में जो पड़ते ही आनंद आता है।
वह सात स्वर्ग, अपवर्ग, मोक्ष से भी ऊँचा उठ जाता है।
जब 'सुख की नींद' कढ़ा तकिया, इस सर के नीचे आता है,
तो सच कहता हूँ इस सर में, इंजन जैसा लग जाता है।
मैं मेल ट्रेन हो जाता हूँ, बुद्धि भी फक-फक करती है।
भावों का रश हो जाता है, कविता सब उमड़ी पड़ती है।

मैं औरों की तो नहीं, बात पहले अपनी ही लेता हूँ।
मैं पड़ा खाट पर बूटों को ऊँटों की उपमा देता हूँ।
मैं खटरागी हूँ मुझको तो खटिया में गीत फूटते हैं।
छत की कड़ियाँ गिनते-गिनते छंदों के बंध टूटते हैं।
मैं इसीलिए तो कहता हूँ मेरे अनुभव से काम करो।
यह खाट बिछा लो आँगन में, लेटो, बैठो, आराम करो।

Lalit Mohan Pandey

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Re: Funny Incidents - हास्य घटनाये
« Reply #215 on: December 11, 2009, 02:45:56 PM »
संता के घर लडकी ने जनम लिया
बंता: जब लडकी बड़ी होगी तो लड़के इसे छेड़ेंगे
संता: मैंने इसका इन्तजाम कर लिए है
बंता: क्या किया
संता: लडकी का नाम दीदी रख दिया ह!

Isase pata chalta hai there is a solution for every problem...

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: Funny Incidents - हास्य घटनाये
« Reply #216 on: December 11, 2009, 03:07:10 PM »

Quite funny.

Lalit ji..


धनेश कोठारी

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Re: Funny Incidents - हास्य घटनाये
« Reply #217 on: January 16, 2010, 09:34:50 PM »
शुक्रवार १६/०१/२०१० तड़के ही डा. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने सपत्‍नीक हर की पैड़ी पहुंचकर गोता लगाया और निकल लिए, इस दौरान उन्हें कुछ को छोड़ किसी ने उन्हें नहीं पहचाना। वे बिलकुल सादे गेटप में वहां आये थे। वे प्रसन्न भी थे कि भीड़ में पहचाने नहीं गये।
तो, इस वाकये के बाद उनके मन ने कहना चाहा होगा कि, ‘पहचान कौन?’
मगर
हाये रे दुनिया!
इस चेहरे को तुने 
सिर्फ जाना है,
माना है,
लेकिन पहचाना नहीं।
अब तक !!

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: Funny Incidents - हास्य घटनाये
« Reply #218 on: January 16, 2010, 09:43:05 PM »
Dinesh JI.

Excellent ... Ha ha.

शुक्रवार १६/०१/२०१० तड़के ही डा. रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने सपत्‍नीक हर की पैड़ी पहुंचकर गोता लगाया और निकल लिए, इस दौरान उन्हें कुछ को छोड़ किसी ने उन्हें नहीं पहचाना। वे बिलकुल सादे गेटप में वहां आये थे। वे प्रसन्न भी थे कि भीड़ में पहचाने नहीं गये।
तो, इस वाकये के बाद उनके मन ने कहना चाहा होगा कि, ‘पहचान कौन?’
मगर
हाये रे दुनिया!
इस चेहरे को तुने 
सिर्फ जाना है,
माना है,
लेकिन पहचाना नहीं।
अब तक !!


Devbhoomi,Uttarakhand

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Re: Funny Incidents - हास्य घटनाये
« Reply #219 on: January 17, 2010, 11:40:29 PM »
DINESH JI GRATE APKA BHI JABAAB NAHI KEEP IT UP

 

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