Author Topic: Joshimath,one of the four cardinal institutions, Adi Shankarachary,जोशीमठ  (Read 24802 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
joshimath ki ghasyaariyaan


Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
नरसिंह मंदिर,जोशीमठ




राजतरंगिणी के अनुसार 8वीं सदी में कश्मीर के राजा ललितादित्य मुक्तापीड़ द्वारा अपनी दिग्विजय यात्रा के दौरान प्राचीन नरसिंह मंदिर का निर्माण उग्र नरसिंह की पूजा के लिये हुआ जो विष्णु का नरसिंहावतार है। जिनका परंतु इसकी स्थापना से संबद्ध अन्य मत भी हैं।



 कुछ कहते हैं कि इसकी स्थापना पांडवों ने की थी, जब वे स्वर्गरोहिणी की अंतिम यात्रा पर थे। दूसरे मत के अनुसार इसकी स्थापना आदि गुरू शंकराचार्य ने की क्योंकि वे नरसिंह को अपना ईष्ट मानते थे।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
ट्रोटकाचार्य गुफा एवं ज्योतिर्मठ

स्वामी शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के कार्यालय एवं आवास में ज्योतिर्मठ के अंदर गुफा स्थित है। यही वह गुफा है जहां आदि शंकराचार्य के चार सबसे विद्वान एवं पसंदीदा शिष्यों में से एक ट्रोटका ने आराधाना की थी। आदि गुरू ने बाद में इन्हें ज्योतिर्मठ का प्रथम शंकराचार्य बना दिया।

मठ 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध में निर्मित हाल का मंदिर है। मूल मठ पहाड़ी के ऊपर है तथा शंकराचार्य नाम के एक दावेदार के नियंत्रण में है। जोशीमठ से 25 किलोमीटर दूर एक संस्कृत महाविद्यालय तथा भवन के अंदर एक आश्रम, मठ द्वारा चलाया जाता है।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
ज्योतेश्वर महादेव मंदिर

यह मंदिर कल्पवृक्ष के एक ओर स्थित है। कहा जाता है कि ज्ञान प्राप्ति के बाद आदि शंकराचार्य ने यहां के एक प्राचीन स्वयंभू शिवलिंग की पूजा की थी। यहां के गर्भगृह में पीढ़ियों से एक दीया (दीप) प्रज्वलित है।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
श्री विष्णु मंदिर

यह मंदिर धौली गंगा एवं अलकनंदा के संगम पर है जो बद्रीनाथ सड़क पर 10 किलोमीटर दूर पर नगरपालिका क्षेत्र के अंतर्गत है। यह अलकनंदा नदी पर अंतिम पंच प्रयागों में है।

कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना आदि शंकराचार्य ने तब की थी जब उन्हें एक स्वप्न आया कि भगवान विष्णु की एक अन्य प्रतिमा अलकनंदा नदी में तैर रही थी। इस मंदिर का प्रशासन बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के हाथों में है।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
वासुदेव एवं नवदूर्गा मंदिर जोशीमठ

नरसिंह मंदिर के सामने एक इतना ही प्राचीन एवं पवित्र मंदिर भगवान विष्णु के एक अवतार वासुदेव या भगवान कृष्ण को समर्पित है। मंदिर के पुजारी रघुनंद प्रसाद डिमरी के अनुसार मंदिर की मौखिक परंपरा 2200 वर्षों की है। पुरातात्विक स्रोत के अनुसार मंदिर का निर्माण 7-8वीं सदी के दौरान कत्यूरी राजाओं द्वारा किया गया।

संभवत: मंदिर आज की बजाय अधिक ऊंचा रहा होगा, जिसे अब वर्तमान ऊंचाई में हाल ही में पुनर्निर्मित किया गया है। परिसर के चारों कोनों में स्थित चार मंदिर इस तथ्य की पुष्टि करते हैं कि मंदिर का ढांचा अधिक ऊंचा रहा होगा।

प्रधान मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति उद्धव की मूर्ति कहलाती है, क्योंकि भगवान कृष्ण के मित्र उद्धव ने इसकी पूजा की थी। चतुर्भुज स्वरूप की यह सुंदर मूर्ति कला स्पष्टत: एक महान धरोहर है जो शंख, चक्र, गदा एवं पद्म धारण किये हुए है, पर उस परंपरागत क्रम में नहीं, जैसा वे होते हैं।

 गदा एवं चक्र का स्थान एक-दूसरे से बदल गया है। कहा जाता है कि ऐसा इसलिये किया गया है कि राजा को यह सूक्ष्म संदेश मिले कि ये चार तत्व के उद्देश्यों का अनुगमन करें तो, अपनी प्रजा उसे भगवान विष्णु की तरह मानेगी।

इसके थोड़ा पीछे बगल में भगवान कृष्ण के भाई बलराम की प्रतिमा है। समान रूप से गढ़ी मूर्ति के एक कंधे पर हल है तथा आधार पर गंधर्व एवं अप्सराएं हैं। गर्भगृह में बाद की प्रतिमाओं में लक्ष्मी-नारायण तथा राधा-कृष्ण शामिल हैं।

मंदिर की सीमा दीवार के साथ परिक्रमा मार्ग पर छोटे-छोटे मंदिर हैं जो गणेश, सूर्य, काली, भगवान शिव, भैरव, नवदुर्गा एवं गौरी-शंकर को समर्पित हैं। नवदुर्गा मंदिर का खास महत्व है। यह भारत के कुछ मंदिरों में से एक है, जहां देवी दुर्गा के नौ रूपों की प्रतिमाएं हैं।

 ये हैं, ब्राह्मणी, कमलेदुं, माधेश्वरी, कुमारी, वैष्णवी, वाराही, चैंद्री, चामुंडा तथा रूद्राणी। प्रतिमाएं मूर्तिगढ़न के सुंदर नमूने हैं तथा इस छोटे मंदिर में पीढ़ियों से प्रज्जवलित एक अखंड ज्योति है।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
धार्मिक महत्त्व से अलग, ज्योतेश्वर महादेव मंदिर नीति घाटी के प्रमुख केंद्र के रूप में सेवा करता है। यह नयी पहाड़ी स्थल की तरह विकसित हो रहा है जो आगे की यात्राओं का आधार स्थल बनता है, जिसकी अनेक संभावनाएं हैं। इनके अलावा पास ही कई प्राचीन मंदिर हैं।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1
तपोवन जोशीमठ



जोशीमठ से 15 किलोमीटर दूर नीति घाटी के मार्ग पर।जोशीमठ से तपोवन जाते हुए आप एक अधिक शांत घाटी में पहुंचते हैं, जहां हरे एवं पीले चबूतरी खेतों के अलावा द्रोणगिरि एवं भविष्य बद्री के पर्वतों का दृश्य है। तपोवन अपने गर्म कुड़ों एवं जलाशयों के लिये प्रसिद्ध है। यहां गुनगुने पानी का एक बड़ा जलाशय है जो वर्षभर गर्म जल में तैरने योग्य रहता है। अन्य दो, जल की झरनों की तरह हैं, जिनके चारों ओर सीढ़ियों द्वारा पहुंचने के रास्ते हैं।

एक पुरूषों के लिये है जो वास्तव में गर्म जल है तथा दूसरा महिलाओं के लिये है जहां पानी थोड़ा कम गर्म रहता है। कहा जाता है कि इन किसी भी जलाशय में स्नान करना स्वास्थ्य के लिये अच्छा होता है क्योंकि पानी में खनिज पर्याप्त मात्रा में होते हैं।



भगवान शिव एवं उनकी पत्नी पार्वती को समर्पित इन जलाशयों के निकट एक गौरी शंकर मंदिर है। माना जाता है कि भगवान शिव को पतिरूप में पाने के लिये इसी जगह पार्वती ने 6,0000 वर्षों तक तप किया था। उनके संकल्प की परीक्षा लेने भगवान शिव ने एक ब्राह्मण का रूप धारण किया।

उसने पार्वती को बताया कि उसका तप निरर्थक है, क्योंकि भगवान शिव 88,000 वर्षों से तप कर रहे हैं और वह उतना तप नहीं कर सकती। उसने यह भी बताया कि भगवान इन्द्र या विष्णु की तरह देने को भगवान शिव के पास कुछ भी नहीं है।

पार्वती ने परेशानी एवं क्रोध में तत्काल चले जाने को कहा। तब भगवान शिव असली रूप में आये और पार्वती से कहा कि उसकी तपस्या सफल हुई है और वह उनसे विवाह करेंगे। इसीलिये यह कहा जाता है कि जो कोई भी किसी इच्छा से इस मंदिर में पूजा करेंगे तो पार्वती की तरह उसकी इच्छा भी पूरी होगी।

Devbhoomi,Uttarakhand

  • MeraPahad Team
  • Hero Member
  • *****
  • Posts: 13,048
  • Karma: +59/-1

सलधर-गर्म झरना जोशीमठ

जोशीमठ से 18 किलोमीटर दूर एवं तपोवन से 3 किलोमीटर दूर।तपोवन से मात्र 3 किलोमीटर दूर आगे सड़क के दाहिने किनारे एक गर्म जल का स्रोत है, सलधर। यहां कि लाल मिट्टी से उबलते पानी का बुलबुला फूटता रहता है, जिसे छूआ भी नहीं जा सकता। गर्म झील के निकट का कीचड़ लोगों द्वारा ले जाया जाता है क्योंकि यह कई रोगों को ठीक कर देता है।

इस स्थान से संबंधित एक दिलचस्प कहावत है। कहा जाता है कि जब रावण (मेघनाद) के साथ युद्ध में घायल हो लक्ष्मण मरणासन्न अवस्था में थे, तब राम ने हिमालय से संजीवनी बूटी लाने के लिये हनुमान को भेजा जो लक्ष्मण को पूरी तरह स्वस्थ कर देता, जो संभवत: पुष्पों की घाटी होगी। इस बीच रावण ने एक भयंकर राक्षस कालनेमि को वहां भेज दिया, ताकि हनुमान उस बूटी को न ला पाएं।

कालनेमि ने रूप बदलकर तपोवन के निकट उन्हें देख लिया तथा उन्हें आस-पास के प्राकृतिक सौंदर्य में फंसाकर उन्हें उद्देश्य विमुख करने का प्रयास किया। हनुमान ने पास की एक शिला पर अपने वस्त्र रखकर, नदी में स्नान करने का निर्णय किया।

वह शिला एक शापग्रस्त सुंदर परी की थी, उसका उद्धार हो गया तथा उसने कालनेमि के बारे में हनुमान को बता दिया। हनुमान ने वहां कालनेभि को मार डाला और इसीलिये यहां का कीचड़ एवं जल रक्त की तरह लाल है।

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22