संचार क्रान्ते संचार युग माँ जीवन इने चा
अब कु इ मायादार बोर्न माँ ने धिक् दू
अब कु इ गोंऊ गालो माँ प्यार ने करदू
क्या अब इ संगसार माँ कु प्यार ने करदू
प्यार न हो संगसार इन का भी ऊ वे सक दू
गन जमाना दीदा जब चढ़ गे चौ जीतू
बरना का प्यार माँ खैत
अब मायादार घर बाते के कर दा चाट
के जमाना छु भुला जब राइ दू छु दगडू कु गैलअब सब का मनन माँ हु वे गया मैल
चिल पेल भी चा , भीर भी चा दुने का इ मेला माँ
इन बट ने चा दीदा के ज़मना के बत्त कर न चा
फसबूक का ज़मना माँ बेराना भी अपना चा
गौ के छानी बैठे तुम कनेक्ट हु वे सक दा कई अमयरिका गोरे मैन दगडी
क्या बुन भुला ज़मना ज़मना के बात चा
संचार क्रान्ते संचार युग माँ जीवन इने चा
कविता शैलेन्द्र जोशी