Author Topic: Folk Songs & Dance Of Uttarakhand - उत्तराखण्ड के लोक नृत्य एवं लोक गीत  (Read 76150 times)

Devbhoomi,Uttarakhand

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धुरंग एवं धुरिंगः

भूटिया जनजाति के लोगों के मुख्य नृत्य धुरंग एवं धुरिंग है जिसका प्रदर्शन मृत्यु के अवसर पर किया जाता है। इस नृत्य का उद्देश्य मृत व्यक्ति की आत्मा को विमुक्त करना जिसके बारे में यह विश्वास है कि आत्मा एक बकरी या अन्य पशु के शरीर में निवास करती है। यह नृत्य हिमाचल प्रदेश के पशुनृत्य या नागालैन्ड के आखेट नृत्य के समान है।

Devbhoomi,Uttarakhand

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लांगविर नुल्याः

यह एक कलाबाजी नृत्य है जो पुरुषों द्वारा निष्पादित किया जाता है। कलाबाज नर्तक खम्भे के शीर्षक पर चढ जाता है तथा शीर्ष पर अपने पेट को स्वयं संतुलित करता है।

खम्भे के नीचे वाधकारों का एक समूह ढोल एवं दमाना बजाता है जबकि खम्भे के शीर्ष पर नर्तक अपने हाथ पैरों से अनेकों करतब दिखाता हुआ घूमता है। यह लोकनृत्य टिहरी गढ़वाल क्षेत्र में काफी लोकप्रिय है।

Devbhoomi,Uttarakhand

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हेम पन्त

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Jhora, झोड़ा (सामूहिक नृत्य)


Rajneesh

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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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बग्डवाल नृत्य

गुप्तकाशी (रुद्रप्रयाग),

मदद्महेश्वर घाटी के सुदूरवर्ती गांव रांसी में विगत सात नंवबर से बग्ड़वाल नृत्य का आयोजन किया जा रहा है, जिसे देखने के लिए भारी संख्या में क्षेत्रीय लोगों की भीड़ उमड़ रही है।

पौराणिक रीति-रिवाजों को सहेजे हुए रांसी गांव वर्षो से समय-समय पर धार्मिक, सांस्कृतिक एवं पौराणिक कार्यक्रमों का आयोजन करता KIYA JAATA है। क्षेत्र के सभी पंच एवं क्षेत्रीय जनता सुख, समृद्धि, शांति एवं विश्व कल्याण के लिए पौराणिक संस्कृति से जुड़े बग्डवाल नृत्य का आयोजन करते हैं।

पारंपरिक वाद्य यंत्रों की थाप पर बग्डवाल नृत्य होता है, जिसमें बग्डवाल के पश्वा के शरीर में देवता अवतरित होते हैं और नृत्य करते हैं। इसे देखने के लिए रोजना सैकड़ों की संख्या में क्षेत्रीय लोगों का तांता लग रहा है।

हेम पन्त

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झोड़ा या खेल : Folk Songs & Dance Of Uttarakhand
« Reply #106 on: December 16, 2010, 06:08:32 AM »
पिथौरागढ में "झोड़े" को "खेल" लगाना कहा जाता है.. ग्रामीण इलाकों में यह परम्परा अभी भी प्रचलन में है.. इस सामूहिक नृत्य और गायन में पुरुष और स्त्रियां वृत्ताकार होकर लयबद्ध पद चालन करते हैं...

KHEL FROM PITHORAGARH


Devbhoomi,Uttarakhand

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लोकगीत व नृत्य दे गए सार्थक संदेश


 

   नई टिहरी, जागरण कार्यालय: महिला समाख्या टिहरी गढ़वाल की ओर माटी से मंच तक आयोजित दो दिवसीय कार्यक्रम रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के बीच शुक्रवार को सम्पन्न हो गया। अंतिम दिन महिलाओं द्वारा पारम्परिक वेशभूषा में प्रस्तुत बाजूबंद गीत व नृत्य आकर्षण का केन्द्र रहा। वहीं मांगल गीतों के जरिए महिलाओं के अधिकारों की मांग भी की गई।



नगरपालिका प्रेक्षागृह में सम्पन्न हुए कार्यक्रम में टिहरी, उत्तरकाशी, पौड़ी से आई महिलाओं ने अलग-अलग विद्याओं में जहां अपनी प्रतिभा का परिचय दिया, वहीं इन गीतों और नृत्य के माध्यम से समाज को भी सार्थक संदेश दिया। बाजूबंद व लामण गीत से ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं के कष्ट और पीड़ा को भी उजागार किया गया।



कार्यक्रम में दूर-दराज क्षेत्रों से आई महिलाओं ने जिस सहज अंदाज में अपने हुनर का प्रदर्शन किया उससे साफ है कि पहाड़ की रीढ़ मानी जाने वाली महिलाओं को यदि अवसर प्रदान किया जाए तो किसी भी क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा सकती हैं। महिलाओं के पारम्परिक व संदेश देने वाले गीतों को लोगों द्वारा काफी सराहा गया। यही नहीं इससे गांव से दूर रहने वाले युवा-युवतियों को अपनी पौराणिक संस्कृति से रूबरू होने का अवसर भी मिला है। पौड़ी की टीम का चौंफला नृत्य भी काफी सराहा गया। कार्यक्रम को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग नगरपालिका के प्रेक्षागृह में पहुंचे।


 इस अवसर पर श्रीनगर विवि के डॉ. डीआर पुरोहित ने कहा कि महिला समाख्या की यह नई पहल निश्चित रूप से रंग लाएगी जो महिलाओं में प्रेरणा का काम करेगी। इस अवसर पर नई टिहरी महिला समाख्या की प्रभारी गीता डबराल, जोत सिंह बिष्ट, गीता गैरोला, महीपाल नेगी, कमल जोशी आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ.नागेन्द्र जगूड़ी ने किया।
    Dainik jagran

Bhishma Kukreti

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Garhwali Folk Literature
                                            The Secret of Rakhwali
                                               Bhishma Kukreti
Rakhwali is very common concept of removing Fear oriented problem of human being and domestic animals in Garhwal and Kumaun . Rakhwali is Nath sect literature and nath sect came first in Jaunsar Babar area in six th century .
 Rakhwali means the mantra of Rakh (ashes) . Lord Shiva and Goddess Parvati showed the rakh and told its importance to the world. The Originator of Nath Sect , one of the greatest philosopher and Gorakhpanthi Karmkandi sage Gorakh started putting Rakh Teeka for protection of his disciples and their relatives
 Rakhwali Mantra is a sound, syllable , word, group of words related to Nad of Gorakh philosophy
 Rakhwali have many Mantras created by Gorakhpanthis and are the means of Auto-Suggestion Therapy .

                                    रौष्वाळी/ रख्वाळी
 ओम नमो बभूत  , माता बभूत  , पिता बभूत 
बभूत तीन लोक तारणि
 ओम नमो बभूत  , माता बभूत  , पिता बभूत 
सब दोष की निवारणी 
इश्वरंन   औणी गौजलि छाणी
अनंत सिद्धों ने मस्तक चढ़ावणी 
चढ़े बभूत नि पड़े हाउ
रक्छा करे आतम विश्वासी गुरु गोर्क राउ
जरे जरे धरेतरी फले, धरेतरी मात गायत्री चरे ,
सुषे सुषे अगनि मुख जले
सया बभूत नौनाथ प्रपूत चढ़े
सया बभूत हंसदा कमल को चढ़े
तिर्तिया बभूत तीन लोक कूं चढ़े
चतुर्थी बभूत चार वेदूं कूं चढ़े
चढ़े पंचमे बभूत पंचदेव कूं चढ़े
हँसान दिखे तुमारु नाऊँ   
आप गुरु दाता तारो, ज्ञान खड्ग ल़े काल मारो
औंदी डैनकणी    द्यालों पातळ
दूष नाचे , सुष बैठे बस कुंवार किकरे माया   
इस पिंड की अमर कया
अमर पिरथवी बजूर की काया 
घर घर गोरख वै कर सिद्धि काया निर्मल निधि
सोल कला स पिंड वाला घट पिंडक गोरक रखवाला
अमर दूदी पीवे   घोर घटे पिंड रखले गोरखवीर
Meaning of This Rakhwali
Oum , I bow to vibhuti  (reverend Ash) mother vibhuti, father vibhuti, protector of all three universe.
Oum , I bow to vibhuti  (reverend Ash) mother vibhuti, father vibhuti, the eradicator of all illnesses and weaknesses
God created you, the accomplished sages put you on their forehead after seiving/puring the ash
Putting this auspicious ash, you don’t feel any kind of fear, the confidence Guru Gurakhnath protects them
By its uses, always, the green earth prosperous, caws graze the grass the remained of fire is put on th forehead of accomplished saints.
The same auspicious ash is offered on the  feet of saints, the auspicious  ash is offered to three worlds , auspicious ash is offered to four Vedas, The auspicious ash is offered to five deities. This auspicious ash makes human being as good as immortal. This auspicious ash makes a man strong as Bjra. This auspicious ash kills and sent the dakini to Patal
This auspicious ash is full of sixteen arts and blessing of Grouchier (Guru gorakhnath)
Rakhwali refrence: Abodh Bandhu Bahuguna , Dhunyal
Copyright @ Bhishma Kukreti , bckukreti@gmail.com
 
 
 
 
 
 
 

 
 


Regards
Bhishma Kukreti
The Expert of Pratiyogita Dharma

 

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