मेले का लोक गीत
सिलगडी को पाला चाला चमना , गिन खेलुन्याँ गड़ो , झलक्या जोवन |
तैं होये हिसालु तोपों , चमना , मैं उडन्या चड़ो, झलक्या जोवन |
बासमती रोपन्यां सेरो , चमना , श्यामगिरी रोपन्या ,झलक्या जोवन |
म्यारा सुवा का दंतपाटी , चमना , मोत्यूं कसा छना ,झलक्या जोवन |
सैबौं को सवारी घोड़ो , चमना , पानि पिछौ गंग को ,झलक्या जोवन |
तै खिन बिलौज ल्यूंलो , चमना , असमानी रंग को , झलक्या जोवन |
आपुं त रै
जानी धुरा , चमना , देवी की मूरत ,झलक्या जोवन |
छै मैना में देख्या द्याला , चमना , कसि भैछ सुरत ,झलक्या जोवन |
त्वे तसौ सिगारा हारा , चमना , कती है ल्ये रैछ ,झलक्या जोवन |
मैं ली आयो उनां नावा , चमना , म्यारा दादी का छ ,झलक्या जोवन |
बार पाट बतीस गजा , चमना , रानी को घागरो ,झलक्या जोवन |
सबै को मानीख होयै , चमना , बली को बाकरी , झलक्या जोवन |
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(कुमाऊँ का लोक साहित्य से )