Author Topic: REMARKABLE ACHIEVEMENTS BY UTTARAKHANDI - उत्तराखंड के लोगों की उपलब्धियाँ  (Read 76842 times)

पंकज सिंह महर

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कुआलालंपुर/ नई दिल्ली. ग्रामीण समुदायों के विकास में उल्लेखनीय योगदान करने वाले प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता दीप जोशी को सोमवार को पांच अन्य लोगों के साथ 2009 के प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। इस पुरस्कार को एशिया का नोबेल पुरस्कार माना जाता है।

रेमन मैग्सेसे अवार्ड फाउंडेशन ने अपने मुख्यालय मनीला से जारी प्रेस विज्ञप्ति में ‘ग्रामीण समुदायों के परिवर्तनात्मक विकास में दिल और दिमाग को प्रभावी ढंग से समन्वित कर भारत में एनजीओ आंदोलन में पेशेवराना प्रवृत्ति लाने के लिए जोशी के दृष्टिकोण तथा नेतृत्व’ की सराहना की है।

जोशी (62) ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि यह पुरस्कार किसी व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि ग्रामीण आबादी के विकास संबंधी विचार के लिए है। ग्रामीण इलाकों में जाने और उनके कल्याण में लगने के लिए हमें शिक्षित लोगों की जरूरत है।

अन्य नामित हस्तियां

जोशी के अलावा एचआईवी/ एड्स से लड़ने के लिए जेनेरिक ड्रग्स विकसित करने में जुटे थाई शोधकर्ता कृष्णा क्राइसिंतू, म्यांमार में मानवाधिकार व पर्यावरण संबंधी समस्याओं से जूझने वाले का सॉ वा, चीन में जल प्रदूषण पर पहला सार्वजनिक डाटाबेस शुरू करने वाले मा जुन तथा युन्नान प्रांत में एक बांध परियोजना से प्रभावित समुदायों के मददगार चैरिटी समूह के संस्थापक यू झियाओगांग तथा फिलीपींस के पर्यावरणवादी वकील एंतोनियो ऑपोसा जूनियर को भी फिलीपींस के लोकप्रिय दिवंगत राष्ट्रपति के नाम पर स्थापित पुरस्कार के लिए चुना गया है। इन सभी को 31 अगस्त को मनीला में होने वाले समारोह में सम्मानित किया जाएगा।

दीप जोशी पर एक नजर

दीप जोशी प्रोफेशनल असिस्टेंस फॉर डेवलपमेंट एक्शन (प्रदान) के सह संस्थापक हैं। फिलहाल वे ग्रामीण गरीबों के लिए कार्यरत तथा स्व सहायता समूहों को आगे बढ़ाने में जुटे एनजीओ के स्वतंत्र सलाहकार हैं। वे मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) तथा स्लोन स्कूल, एमआईटी से मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री हासिल कर चुके हैं। उन्होंने सिस्टम्स रिसर्च इंस्टीट्यूट और फोर्ड फाउंडेशन के साथ काम किया है तथा ग्रामीण विकास व आजीविका प्रोत्साहन में करीब 30 वर्षे का अनुभव है। वे सरकार को गरीबी उन्मूलन रणनीति में भी सलाह देते हैं।

क्या है प्रदान?

प्रदान की स्थापना 1983 में दिल्ली में हुई थी। इस एनजीओ से जुड़े पेशेवर सदस्यों के दल देश के 3,044 गांवों में 1,12,000 से अधिक परिवारों के बीच कार्यरत हैं। प्रदान का कॉपरेरेट कार्यालय दिल्ली में स्थित है। इसके दलों के कार्यालय- मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, असम, बिहार, झारखंड, उड़ीसा तथा पश्चिम बंगाल में हैं।


for more details pl. visit-  http://merapahad.com/deep-joshi-gets-ramon-magsaysay-award/

KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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We feel proud that Sh Deep joshi ji is belongs to Uttarakhand and also feel great that He is uncle of Sh Nitin Joshi. Nitin is a most active member of our Creative Uttarakhand & Myor Uttarakhand team and he is also a Moderator of myor pahad which is available on orkut.

Pankaj da, Thanks for giving this great information to us.

Jai Uttarakhand


कुआलालंपुर/ नई दिल्ली. ग्रामीण समुदायों के विकास में उल्लेखनीय योगदान करने वाले प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता दीप जोशी को सोमवार को पांच अन्य लोगों के साथ 2009 के प्रतिष्ठित रेमन मैग्सेसे पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। इस पुरस्कार को एशिया का नोबेल पुरस्कार माना जाता है।

रेमन मैग्सेसे अवार्ड फाउंडेशन ने अपने मुख्यालय मनीला से जारी प्रेस विज्ञप्ति में ‘ग्रामीण समुदायों के परिवर्तनात्मक विकास में दिल और दिमाग को प्रभावी ढंग से समन्वित कर भारत में एनजीओ आंदोलन में पेशेवराना प्रवृत्ति लाने के लिए जोशी के दृष्टिकोण तथा नेतृत्व’ की सराहना की है।

जोशी (62) ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि यह पुरस्कार किसी व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि ग्रामीण आबादी के विकास संबंधी विचार के लिए है। ग्रामीण इलाकों में जाने और उनके कल्याण में लगने के लिए हमें शिक्षित लोगों की जरूरत है।

अन्य नामित हस्तियां

जोशी के अलावा एचआईवी/ एड्स से लड़ने के लिए जेनेरिक ड्रग्स विकसित करने में जुटे थाई शोधकर्ता कृष्णा क्राइसिंतू, म्यांमार में मानवाधिकार व पर्यावरण संबंधी समस्याओं से जूझने वाले का सॉ वा, चीन में जल प्रदूषण पर पहला सार्वजनिक डाटाबेस शुरू करने वाले मा जुन तथा युन्नान प्रांत में एक बांध परियोजना से प्रभावित समुदायों के मददगार चैरिटी समूह के संस्थापक यू झियाओगांग तथा फिलीपींस के पर्यावरणवादी वकील एंतोनियो ऑपोसा जूनियर को भी फिलीपींस के लोकप्रिय दिवंगत राष्ट्रपति के नाम पर स्थापित पुरस्कार के लिए चुना गया है। इन सभी को 31 अगस्त को मनीला में होने वाले समारोह में सम्मानित किया जाएगा।

दीप जोशी पर एक नजर

दीप जोशी प्रोफेशनल असिस्टेंस फॉर डेवलपमेंट एक्शन (प्रदान) के सह संस्थापक हैं। फिलहाल वे ग्रामीण गरीबों के लिए कार्यरत तथा स्व सहायता समूहों को आगे बढ़ाने में जुटे एनजीओ के स्वतंत्र सलाहकार हैं। वे मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) तथा स्लोन स्कूल, एमआईटी से मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री हासिल कर चुके हैं। उन्होंने सिस्टम्स रिसर्च इंस्टीट्यूट और फोर्ड फाउंडेशन के साथ काम किया है तथा ग्रामीण विकास व आजीविका प्रोत्साहन में करीब 30 वर्षे का अनुभव है। वे सरकार को गरीबी उन्मूलन रणनीति में भी सलाह देते हैं।

क्या है प्रदान?

प्रदान की स्थापना 1983 में दिल्ली में हुई थी। इस एनजीओ से जुड़े पेशेवर सदस्यों के दल देश के 3,044 गांवों में 1,12,000 से अधिक परिवारों के बीच कार्यरत हैं। प्रदान का कॉपरेरेट कार्यालय दिल्ली में स्थित है। इसके दलों के कार्यालय- मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, असम, बिहार, झारखंड, उड़ीसा तथा पश्चिम बंगाल में हैं।


Devbhoomi,Uttarakhand

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KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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Sh. Tara Dutt Pandey ji (ADHEER) ko unke samajeek/Development karyo ke liye US president ne E-mail bejkar prasansha ki.....




KAILASH PANDEY/THET PAHADI

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Tough time never lost but tough peoples do it....

JAI UTTARAKHAND



हेम पन्त

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Berinag awaits its fiery Deep!
« Reply #175 on: August 08, 2009, 05:05:19 PM »
Source : www.tribuneindia.com

By BD Kasniyal

Pithoragarh, August 6
The tiny village of Garhtir in Berinag subdivision of Pitthoragarh is in celebration mode with son of the soil Deep Joshi having awarded the Ramon Magsaysay Award for Community Development. The award is considered the Nobel Prize of Asia.

Joshi has been awarded for community development work done by his NGO ‘Pradan’ during the past 30 years. After Chandi Parsad Bhatt, Joshi is the second person from Uttarakhand to receive the award.

Deep is an alumnus of Motilal Nehru Engineering College, Allahabad, and the Massachusetts Institute of Technology, USA. Despite a close relationship with Narayana Murthy of the Infosys, he opted for community work, refusing several attractive job offers on his return from the USA 30 years ago.

“I was inspired by a doctor couple working in remote areas of Maharashtra and felt that only a qualified person could usher in change in rural India,” said Joshi over the phone from his home at Gurgaon.

Today, he works with a team of 300 professionals in more than 3,000 villages of the country.“During my childhood, all seven of us, my siblings and me, would travel 10 km from our village to the school at Berinag,” he recalled.

Said Saroj Oza, his younger sister: “He featured on the merit list in high school examination and passed the intermediate exam from Narayan Nagar in Didihat. He bagged the gold medal at Motilal Nehru Engineering College, Allahabad, and became a lecturer there.

“He was ever ready to work. He would cut grass for domestic cattle,” she said with obvious pride.


After his post-graduation and MBA from the USA, Joshi worked with the Ford Foundation in New Delhi and then formed his ‘Pradan’ which formulated pilot projects for community development in tribal areas.

Joshi worked in tribal areas of Jharkhand, Chhattisgarh, Orissa, West Bengal, Bihar and Madhya Pradesh. Asked why he chose working for tribesmen, he said that almost the entire tribal population in India lived in abject poverty. The government had not been able to do justice to them in the past 60 years.

‘Pradan’ tried to eliminate middlemen from employment schemes for tribesmen.

Originally from Galli Mohalla of Almora, Joshi’s grandfather Ram Dutt Joshi, a patwari during the British days, settled in Berinag.

“He intends to come to the village in September to celebrate his achievement with the villagers,” said Bhagwati Parshad, his elder brother who lives in Berinag.

‘Pradan’ volunteers work among small farmers in agriculture, poultry and horticulture.

“Our model of poultry has been successful in Hoshangabad district of Madhya Pradesh,” said Joshi.

“In Uttarakhand, the condition of soil, water and land needs to be utilised according to the needs of rural folk. Only then, can the lot of hill people can be improved and the problem of migration solved.”

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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लक्ष्मी प्रसाद नौटियाल स्मृति पुरस्कार पांडे कोSep 16, 10:56 pmबताएं
 
उत्तरकाशी। प्रसिद्ध कवि और अनुवादक अशोक पांडे को वर्ष 2009 के लक्ष्मी प्रसाद नौटियाल स्मृति पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। यह पुरस्कार श्री पांडे को उनके लेखकीय कार्यो की उच्च गुणवत्ता को दृष्टिगत रखते हुए प्रदान किया जा रहा है। इससे पूर्व यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रसिद्ध इतिहासविद् पद्मश्री डा. शेखर पाठक, निर्देशक श्रीश डोभाल, चित्रकार बी मोहन नेगी, साहित्यकार डा. गोविंद चातक, पत्रकार राजेंद्र धस्माना को प्रदान किया जा चुका है।

पुरस्कार समिति के अध्यक्ष पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी ने बताया कि यह सम्मान प्रतिवर्ष उत्तराखंड की किसी विशिष्ट रचनात्मक प्रतिभा को प्रदान किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस पुरस्कार का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड की रचनात्मक प्रतिभाओं की पहचान को प्रतिष्ठा देना और साहित्य तथा कला के प्रति जागरूकता को बढ़ाना है। वर्ष 2009 के लिए पुरस्कार पाने वाले कवि अशोक पांडे हल्दुआ अल्मोड़ा के निवासी हैं और संप्रति हल्द्वानी में रहते हैं। इनका जन्म 29 नवंबर 1966 को उत्तरकाशी में हुआ। श्री पांडे की कविताएं हिंदी की उत्कृष्ट पत्रिकाओं में प्रकाशित की गई हैं। एक कविता संग्रह के साथ 25 अनुदित का प्रकाशन श्री पांडे के नाम है। गौरतलब है कि यह सम्मान प्रसिद्ध समाजसेवी, पत्रकार, गरीबों के अधिवक्ता स्व. लक्ष्मी प्रसाद नौटियाल की स्मृति में प्रतिवर्ष उनके जन्मदिन 22 अक्टूबर को उत्तरकाशी में प्रदान किया जाता है। पुरस्कार समिति के सचिव मदन मोहन बिजल्वाण ने उम्मीद जताई कि हर बार की तरह इस बार भी प्रदेश और देश के बुद्धिजीवी सम्मान समारोह में उत्तरकाशी अवश्य पहुंचेंगे। उन्होंने बताया कि सम्मान समारोह के साथ मीडिया के सेल्फ सेंसर पर सेमिनार 22 अक्टूबर को आयोजित किया जाएगा।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5795223.html

Mukul

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dEEP jOSHI JI KO SAMAN MILANA HUM SABHI KAI LIYA GURV KI BAAT HAI...
ASHA HAI KI AAJ KA YUVA UNKAI BATAYEE HUA RASTE KA ANUKARNA KERNAI KA PRAYAS KAREGA...
HEY UTTARKAHND KI BHU TU MAHAN HAI..
JAI UTTRAKHAND JAI BAHRAT..

Devbhoomi,Uttarakhand

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लक्ष्मी प्रसाद नौटियाल स्मृति पुरस्कार पांडे को

उत्तरकाशी। प्रसिद्ध कवि और अनुवादक अशोक पांडे को वर्ष 2009 के लक्ष्मी प्रसाद नौटियाल स्मृति पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। यह पुरस्कार श्री पांडे को उनके लेखकीय कार्यो की उच्च गुणवत्ता को दृष्टिगत रखते हुए प्रदान किया जा रहा है।

 इससे पूर्व यह प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रसिद्ध इतिहासविद् पद्मश्री डा. शेखर पाठक, निर्देशक श्रीश डोभाल, चित्रकार बी मोहन नेगी, साहित्यकार डा. गोविंद चातक, पत्रकार राजेंद्र धस्माना को प्रदान किया जा चुका है।

पुरस्कार समिति के अध्यक्ष पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी ने बताया कि यह सम्मान प्रतिवर्ष उत्तराखंड की किसी विशिष्ट रचनात्मक प्रतिभा को प्रदान किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस पुरस्कार का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड की रचनात्मक प्रतिभाओं की पहचान को प्रतिष्ठा देना और साहित्य तथा कला के प्रति जागरूकता को बढ़ाना है।

 वर्ष 2009 के लिए पुरस्कार पाने वाले कवि अशोक पांडे हल्दुआ अल्मोड़ा के निवासी हैं और संप्रति हल्द्वानी में रहते हैं। इनका जन्म 29 नवंबर 1966 को उत्तरकाशी में हुआ। श्री पांडे की कविताएं हिंदी की उत्कृष्ट पत्रिकाओं में प्रकाशित की गई हैं। एक कविता संग्रह के साथ 25 अनुदित का प्रकाशन श्री पांडे के नाम है।

गौरतलब है कि यह सम्मान प्रसिद्ध समाजसेवी, पत्रकार, गरीबों के अधिवक्ता स्व. लक्ष्मी प्रसाद नौटियाल की स्मृति में प्रतिवर्ष उनके जन्मदिन 22 अक्टूबर को उत्तरकाशी में प्रदान किया जाता है।

 पुरस्कार समिति के सचिव मदन मोहन बिजल्वाण ने उम्मीद जताई कि हर बार की तरह इस बार भी प्रदेश और देश के बुद्धिजीवी सम्मान समारोह में उत्तरकाशी अवश्य पहुंचेंगे। उन्होंने बताया कि सम्मान समारोह के साथ मीडिया के सेल्फ सेंसर पर सेमिनार 22 अक्टूबर को आयोजित किया जाएगा।

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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नाम रोशन किया शुचि ने

अल्मोड़ा: इस वर्ष की सीडीएस परीक्षा में देशभर के 157 कैडेट्स में सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाली अल्मोड़ा की शुचि दुर्गापाल ने यहां के गौरवमयी इतिहास में एक और पन्ना जोड़ दिया है।

नगर के समीपवर्ती ग्राम दुगालखोला के जीएस दुर्गापाल की पुत्री शुचि दुर्गापाल को थल सेनाध्यक्ष दीपक कपूर ने चेन्नई में आयोजित पासिंग आउट परेड में प्रशस्ति पत्र के साथ गोल्ड मेडल प्रदान किया। शुचि के पिता जीएस दुर्गापाल सहायक कृषि अधिकारी के पद पर कार्यरत है। मां बीएसएनएल में सेवारत है। शुचि की इंटरमीडिएट तक की शिक्षा सेंट मैरी कान्वेंट नैनीताल में हुई। बीएस-सी गार्डन सिटी कालेज बंगलौर से किया।

2008 में एमएस-सी बायोटक्नोलोजी वैल्लूर में अध्ययनरत रहते हुए सीडीएस की प्रवेश परीक्षा पास की। 11 महीने की ओटीए चेन्नई में ट्रेनिंग के बाद 19 सितंबर को भारतीय सैन्य अधिकारी होने का गौरव मिला। शुचि की उपलब्धि से उसके परिजन ही नहीं जिला व प्रदेश गौरव का अनुभव कर रहा है। यह अल्मोड़ा नगर का इतिहास रहा है कि यहां की मेधा सेना के सर्वोच्च पद में भी आसीन हुई है। जिनमें सबसे पहला नाम थल सेनाध्यक्ष बीसी जोशी का है। इसी प्रकार राजनीति, साहित्य, खेल, रंगमंच, शिक्षा के क्षेत्र में अल्मोड़ा को गौरव हासिल है।


http://in.jagran.yahoo.com/news/local/uttranchal/4_5_5818369.html

 

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