Author Topic: From My Pen : कुछ मेरी कलम से....  (Read 26163 times)

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

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Re: From My Pen : कुछ मेरी कलम से....
« Reply #100 on: July 21, 2010, 10:54:29 AM »
                                           "तु क्यो पैसा-पैसा करती है?"

पैसे से भौतिकवादी सभी सुख और सुरक्षा हासिल की जा सकती है लेकिन यह आपको आनंदित खुशी खरीदकर नहीं दे सकता. पैसा और आपके बीच मे सबंध है सुरक्षा और आमदनी के बीच मे सबंध है लेकिन पैसा और खुशी के बीच मे कोई सबंध नही है. जीवन संतोष पर अगर आप खुद सोचोगे तो पाओगे की पैसे की जगह भौतिक सुख सुविधाओ तक ही है जब आपके पास भौतिक्तावादि सुविधाए संपुर्ण होती है तो सर्वागीण आनंद नही होता है मेरा यहा सर्वागीण आनंद का मतलब जीवन संतुष्टि से है न की स्वर्ग प्राप्ति से.
सुन्दर सिंह नेगी 21/07/2010.

सत्यदेव सिंह नेगी

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Re: From My Pen : कुछ मेरी कलम से....
« Reply #101 on: July 21, 2010, 11:07:07 AM »
जब ज्ञान की गंगा बह रही हो तब चुप रहने में ही भलाई है तभी तो ज्ञानी जन कहते हैं न ज्ञान झुक कर ही मिलता है तरल पदार्थ चढ़ते नहीं उतरते हैं

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

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Re: From My Pen : कुछ मेरी कलम से....
« Reply #102 on: July 31, 2010, 12:57:33 PM »
"मेरा जीवन मेरा अनुभव"

गर्त मे क्यो ढुड रहा हु मै जीवन,
जीवन तो खुद ही मेरा गर्त मे है.

ये सोचकर हर लमहां बाट रहा हु मै,
कि सायद मन का बोझ कुछ हल्का हो जाये.

मेरा हर हर्दय का घाव कहता है मुझसे,
मत छु मुझे, मे अभी हरा ही हु.

जिन्दगी सवाल करती है कितनी मिट्टी बाकी है तु,
मै उत्तर देता हु कि बस एक सावन आना और बाकी है.

अश्क हजार न हो पर एक हो तो वही सही,
काफी है एक ही अश्क,मेरी चिता बुझाने को.

सुन्दर सिंह नेगी 31-07-2010

सत्यदेव सिंह नेगी

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Re: From My Pen : कुछ मेरी कलम से....
« Reply #103 on: July 31, 2010, 02:40:40 PM »
वाह

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

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Re: From My Pen : कुछ मेरी कलम से....
« Reply #104 on: August 03, 2010, 03:25:56 PM »
                                      "मेरा जीवन मेरा अनुभव"
मेरा जीवन मेरा अनुभव मे आज कुछ मेरा प्यार का अनुभव पढै आशा है यह अनुभव आपको पसंद आयेगा.
मिलन और जुदाई ये प्यार के दो पहलु होते है पहले पहलु मे मिलन होता है जीसे हम खुशी-खुशी स्वीकार कर लेते है दुसरे पहलु मे जुदाई होती है जीसका हमे मिलन होने पर अहसास नही होता मिलन और जुदाई के बीच का जो अंतराल होता है वो प्यार होता है. प्यार होने का कारण एक होता है वह यह कि हमारे दिल एक दुसरे को मोह लेते है जिसके कारण हम एक दुसरे को प्यार करने लगते है.
लेकिन जुदाई के बहुत कारण होते है जैसे कोई किसी से परिस्थितीयो के अनुकूल न होने के काऱण जुदा होता है तो कोई नफरत हो जाने के कारण तो कोई तीसरे की दखल से एक और जो जुदाई होती है वह बहुत अनोखी होती है कुछ लोग न चाहते हुवे भी जुदा हो जाते है लेकिन न चाहते हुवे भी जो जुदा होते है यह जुदाई सबसे अनोखी इसलिए होती है क्योकी वो दिलो से जुदा नही होते क्यो है न अनोखी जुदाई.
प्यार मे हम तो दिवाने होते ही है दिल हमसे जायदा दिवाना होता है. प्यार मे हम तो पागल बन ही जाते है दिल हमसे जायदा पागल हो जाता है. लेकिन प्यार मे हमे बहना नही आता. भावनाऐं खुब बहती है. प्यार मे हम नही बहकते, हमे जुस्तजु बहका देती है. हम अपने हिसाब से प्यार की कद्र भी करते है पर प्यार उसे बहुत नही समझता सायद इसलिए की प्यार उससे भी कई गुना जायदा पवीत्र होता है.
तुम किसी से प्यार करते हो तो उसके मिलन पहलु मे होते हो सायद वह वक्त जुदाई के पहलु को देखने का नही होता. जब प्यार करने वाले एक दुसरे से जुदा होते है तो दोनो को ही जुदाई वक्त-वक्त पर काटती है लेकिन हर वक्त कुछ समय तक ही काटती है. जुदाई हमे दिल और दिमांग दोने से काटती है जब जुदाई हमे दोनो तरफ से काटती है तब हम खामोसीयों के दौर से गुजरते है. और वह दौर हमारे घुट-घुट के जीने का होता है. अपनी गलतीयो का एहसास भी हमे इसी दौर मे होता है इस खामोसीयो से भरे हुवे दौर को हम अपना दुख का दौर समझ के गुजार लेते है. इस जुदाई और खामोसी के बीच के अंतराल मे हमारा वह प्यार विलुप्त हो जाता है जीसका हमे प्रत्यक्ष आभास नही होता. यह सत्य है की प्यार कभी मरता नही, और कीसी की इंसानियत कभी भुली नही जाती हम किसी को याद करते है तो वह हम नही हमारा दिल याद करता है.
हम किसी की यादो को बचाकर नही रखते हमारा दिमांग सब कुछ बचा के रखता है जो समय- समय पर हमे याद दिलाते रहता है. हम हर समय हर किसी के पास नही होते या नही जा सकते पर हमारा मन हर समय हर किसी के पास होता है, जाता है लेकिन हम उसे अनदेखा महसुस करते है.
 
मेरा जीवन मेरा अनुभव
सुन्दर सिंह नेगी 01-08-2010.

Raje Singh Karakoti

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Some photos of magnificient uttrakhand
« Reply #105 on: August 03, 2010, 03:45:40 PM »
This a beautiful pics of Lohaghat
 

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

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Re: From My Pen : कुछ मेरी कलम से....
« Reply #106 on: August 05, 2010, 09:15:59 AM »
                  "मेरा जीवन मेरा अनुभव"
इंसान के पास धन लक्ष्मी की कमी हो तो आत्म दुख नही होता.
अगर जीवन मे इंसान के पास धैर्य की कमी हो तो दुख बढने लगते है.

सुन्दर सिंह नेगी 31-07-2010

सत्यदेव सिंह नेगी

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Re: From My Pen : कुछ मेरी कलम से....
« Reply #107 on: August 05, 2010, 10:06:25 AM »
परिस्थितियां शब्दों के मायने बदल देती हैं
वक़्त बदलने पर शक्लें आयने बदल देती हैं

dramanainital

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Re: From My Pen : कुछ मेरी कलम से....
« Reply #108 on: August 06, 2010, 08:06:44 AM »
This a beautiful pics of Lohaghat
 


bahut badhiya photo hai saab,aur post kijiyega.

Sunder Singh Negi/कुमाऊंनी

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Re: From My Pen : कुछ मेरी कलम से....
« Reply #109 on: August 06, 2010, 09:05:47 AM »
                               "मेरा जीवन मेरा अनुभव"

मेरा अनुभव कहता है कि हमे इंसान के रूपो के आंकने के बजाय इंसान के चरित्र आचरण सेवा सत्कार का आंकलन करना चाहिए.
जो जीवन को सुखमय बनाते है जहां पहले यानी बिते वक्त की बात बता रहा हु यानी आठवे नवै दशक के दौर मे हमारा समाज आचरण को महत्व देता था वही आज के दौर मे हमारा समाज कार, बगला, पैसे को महत्व देने लगा है.
 
मेरा जीवन मेरा अनुभव
सुन्दर सिंह नेगी 01-08-2010.

 

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