Jai Prakash Dangwal
January 13 at 7:28pm ·
मेरी कलम से©jaiprakashdangwal:-
नाराजगी ठीक है लेकिन हर सफे से मेरा नाम मिटा देना ठीक नहीं,
आज तेरी किताब में अपना नाम ढूँढने लगा, तो कहीं मिला ही नहीं.
हर सफा जिसमें मेरा नाम था, उसे फाड़ कर फेंक दिया है तूने कहीं,
लेकिन एक सफा है, जिसमें कि आज भी, मेरा नाम है कहीं न कहीं.
तुम चाहो तो उसे भी फाड़ देना, वादा है मेरा मुझे कोई ऐतराज नहीं,
लेकिन शर्त ये है कि वह् सफा, ख़ुद तुझे ढूँढना होगा किताब में कहीं.
इस बहाने भूलकर भी मेरा नाम ढूँढने तक, तेरे जहन में रहूँगा कहीं,
नाराजगी होती है इस हद तक नहीं, नफरत भी छूट जाए पीछे कहीं.