Jai Prakash Dangwal
October 16 at 7:11pm ·
मेरी कलम से ©जय प्रकाश डंगवाल:-
न जाने क्यों, जिनसे हम बेइंतहां नफरत करते हैं,
बेवजह आकर न जाने क्यों, हमें परेशान करते हैं.
ख़ुद से, न खुदा से डरते हैं, सुना है, बेवफ़ा होते हैं,
तेरे हो या मेरे खुदा हर गुनाह का इंसाफ करते हैं.
उसे तुझे न मुझे, कुछ बताने की, जरूरत होती है,
उसके पास ...सबके दस्तावेज की किताब होती है,
मेरी खवाइस नहीं, खुदा तुझे बेवफ़ाई की सजा दे,
बस बेगुनाही का फ़ैसला, खुदा मेरे हक में सुना दे...