Author Topic: जय प्रकाश डंगवाल-उत्तराखंड के लेखक JaiPrakashDangwal,An Author from Uttarakhand  (Read 25581 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
April 2 at 6:46am · Edited ·

मेरी कलम से©Jai Prakash Dangwal:-

इश्के मजाजी को जिस दिन से, इश्के हक़ीक़ी में बदल दिया है हमने
उस दिन से, मुझे तुम में खुदा और खुदा में तुम नजर आने लगी हो,
कोई मुहब्बत का मारा जब मुझसे अपनी मुहब्बत का पता पूछता है,
तरस खाके मैं उसे उसकी महबूबा का नहीं खुदा का पता बता देता हूँ.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
5 hrs ·

मेरी कलम से ©जय प्रकाश डंगवाल:-
बड़े प्रेम से शब्दो को, भावनाऑ की डोर में, पिरोना सीखा है,
मत शक़ कर मेरी निहत पे, मुहब्बत का राग गाना सीखा है.
गैरों के दिलों को भी मेरी भावांजली ने, गहराई तक छुआ है,
यह झूठा बहाना, मत बना कि तुम्हारे दिल को नहीं छुआ है,
नफरत को तो, जीवन भर कभी दामन छूने भी नहीं दिया है,
शब्दों को गीत में संगीत में प्रेम से प्रेम की डोर में पिरोया है.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
October 17 at 8:52pm

मेरी कलम से ©जय प्रकाश डंगवाल:-
इस सोच में भीं, मुझको बड़ा आनन्द आता है.
मन के, अनेकों रूप होते हैं, एक रूप यह भी है.
जे.पी. कटोरा लेकर भीख का, घूमें सरे बाज़ार,
भिक्षा मांगे सबसे प्रेम की, और माँगें बारम्बार.
हर के, दो मतलब हैं, सबसे और शिव से भी है.
कुछ आप भिक्षा देदें प्रेम की और कुछ हर देदें,
तो भिखारी की तो मौजा ही मौजा हो जायेंगी,
कुछेक ऐसे कंजूस हैं, मांगो प्रेम नफ्ररत देते हैं,
भिखारी को जो मिले लेकर सबको दुआ देते हैं

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
October 16 at 7:11pm ·

मेरी कलम से ©जय प्रकाश डंगवाल:-
न जाने क्यों, जिनसे हम बेइंतहां नफरत करते हैं,
बेवजह आकर न जाने क्यों, हमें परेशान करते हैं.
ख़ुद से, न खुदा से डरते हैं, सुना है, बेवफ़ा होते हैं,
तेरे हो या मेरे खुदा हर गुनाह का इंसाफ करते हैं.
उसे तुझे न मुझे, कुछ बताने की, जरूरत होती है,
उसके पास ...सबके दस्तावेज की किताब होती है,
मेरी खवाइस नहीं, खुदा तुझे बेवफ़ाई की सजा दे,
बस बेगुनाही का फ़ैसला, खुदा मेरे हक में सुना दे...

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
October 15 at 8:00pm · Edited ·

मेरी कलम से ©जय प्रकाश डंगवाल:-
जब अपनों का दर्द, आँखों में छलकता है, तो खुद कॉ दर्द होता है,
आौर जब दर्द शब्दों में फूटता है तो हृदय का हर कोना दहलता है.
जब मेरे दिल का टुकड़ा तड़फता है उसपे रहम क्यों नहीं करता है,
रहम करता है रहीम है, नहीं तो तेरा ये बंदा तुझे बेरहम कहता है.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
October 13 at 12:12pm · Edited ·

मेरी कलम से ©जय प्रकाश डंगवाल:-
माँ के प्रति, अनुपम प्रेम से, गद गद, मन से,
माँ नव दुर्गा से, पुलकित मन से, यह प्रार्थना,
सपरिवार मित्रगण पे मा का आशीर्वाद बरसे,
आप सब तक पहुंचे नवरात्रि की शुभ कमाना.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
October 9 at 4:57pm · Edited ·

मेरी कलम से ©जय प्रकाश डंगवाल:-
अगर किसी के मन को ठेस पहुंचाने का गुनाह किया है, तो बेशक़ गुनहगार हूँ,
मगर ख़ुद गुनाह किया हो और मुझपे झूठि तोहमत लगाईं जाए तो बेगुनाह हूँ.
मजे की बात यह है कि, आजकल गुनहगार छुटे घूमते हैं, बेगुनाह जेल जाते हैं,
माफ कर हिमाकत, यहाँ पे ज़िबह करने वाला तेरा बंदा जिबही गुमनाम होते हैं

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
October 3 at 8:35am ·

मेरी कलम से..... मेरी विद्रोही भावना में साई स्तुति
सब कुछ, दिया है तूने मुझे, मैं फिर भी, खुश नहीं हूँ,
मैं अपनी नजर से अपनी मेहनत का फल आंकता हूँ.
तू ,गलत हो नहीं सकता साई! शायद मैँ ही गलत हूँ.
तुझे पूजा है फिर शिकायत तुझसे न तो किससे करूँ?

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
September 29 at 10:07pm · Edited ·

शुभ रात्रि प्रिय मित्रो.
मेरी कलम से ©जय प्रकाश डंगवाल:
जजबातों को जाहिर नहीं करना जजबातों को दफन करने के जैसा ही होता है,
जजबातों को खामोशी में दफन करना मोहब्बत को दफन करना जैसा होता है.
तेरी खामोशी से, जो इलजांमात उसने तुझ पर लगाये, वह् सब साबित हो गए,
अब, लाख सफाई दे, कोई फायदा नहीं, उसके सब इल्ज़ाम सच साबित हो गए.
उसे सकूँ है, वह् बावफा साबित हो गया है, और आप? बेवफ़ा साबित हो गए हैं,
मुहब्बत के ज़ख्म, वफा के मरहम से भर जाते हैं, बेवफा के ज़ख्म, हरे रहते हैं.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
September 28 at 6:54am ·

Good morning my dear friends!
Magic of my love From my pen and heart © Jai Prakash Dangwal:-

When I was roaming in desert I felt my throat was dry and choking. There was darkness in my eyes and around me. I felt my end was close to me.
I called you dear, I saw a glimpse of your face and smile in my memory and the miracle happened. My thirst quenched, darkness disappeared and colorful lights of life appeared to me. I knew, this was the magic of my love.

 

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