Author Topic: जय प्रकाश डंगवाल-उत्तराखंड के लेखक JaiPrakashDangwal,An Author from Uttarakhand  (Read 25600 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
 

मेरी कलम से©Jai Prakash Dangwal:-
खुशी ढूँढ़ने से मिलती है, कभी कभी इंतज़ार में और कभी मिलन में,
ख़ुशबू फूल खिलने पर ही मिलती है, कभी गमले में, कभी बगिया में.
प्रणय अनुभूति, कोयल की कू कू में मिलती है, या भ्रमर के गुंजन में,
शांति, चंचल मन के ठहराव में मिलती है, या किसी हसीं मुस्कान में.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
 

As I feel: One should not compromise in life with self respect, understanding and with principles and one must not trust any relationship when lie starts reflecting in that.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
 

मेरी कलम से©Jai Prakash Dangwal:-
कभी कभी फैसले लेने मुश्किल होते हैं लेकिन सही समय पर फैसले लेने, बेहत्तर होते हैं,
हम अपने आपको, बेहत्तर समझते हैं, लेकिन कोई और आपसे बहुत बेहत्तर हो सकते हैं.
समझदारी इसी में है, कि ऐसे वक्त में, समझदार लोग समझदारी से किनारा कर लेते हैं,
और दूसरों की बेहतरी के लिए, दूसरे के लिए, शांत भाव से अपना स्थान रिक्त कर देते हैं.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
April 8 at 6:05am · Edited ·

मेरी कलम से©Jai Prakash Dangwal:-

मैं टूटा हुआ सपना हूँ फिर भी किसी का अपना हूँ,
अक‍सर लोग टूटी चीजों को फेंक कर भूल जाते हैं.
मैं टूटे हुए सपनो को, बड़े ही ऐतिहात से रखता हूँ,
क्योंकि वे मेरे हसीं ख्वाब के अहम् हिस्सा होते हैं.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
April 7 at 7:50am · Edited ·

मेरी कलम से©Jai Prakash Dangwal:-

आज की सुबह, मुझे एक अजब सा, अह्सास हुआ, और गज़ब का सकूं मिला है,
दर्द मुस्कुरा रहा है, आँसू हंस रहा है और मेरे दिल में कोई गिला शिकवा नहीं है.
दुःख और खुशी की भाव तरंगें हृदय में खूब हिलोरें मार रही हैं और मैं निष्प्रभ हूँ,
संवेदनशीलता लुप्त हो गई है, कलम खामोश हो गई है, मैं खुश हूँ हतप्रभ: नहीं हूँ.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
April 4 at 10:25pm · Edited ·

मेरी कलम से©Jai Prakash Dangwal:-

एक सुंदर स्वप्न के पीछे भागने से, कहीं बेहत्तर है अलमस्त हक़ीक़त के साथ जियें,
जिंदगी अपनी है, अपने हिसाब से जियें, झूट का सहारा क्यों लें? सच के साथ जियें.
सम्भल कर, चलने की जरूरत है, असल और नकल बहुत हैं यहाँ पहचानने के लिये,
कोई भी क्यों न हो फरेब से बच कर चलें, सच बड़ी ताकत है संतोष से जीने के लिये.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
April 3 at 6:00am · Edited ·

मेरी कलम से©Jai Prakash Dangwal:-
खुशी ढूँढ़ने से मिलती है, कभी कभी इंतज़ार में और कभी मिलन में,
ख़ुशबू फूल खिलने पर ही मिलती है, कभी गमले में, कभी बगिया में.
प्रणय अनुभूति, कोयल की कू कू में मिलती है, या भ्रमर के गुंजन में,
शांति, चंचल मन के ठहराव में मिलती है, या किसी हसीं मुस्कान में.

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Jai Prakash Dangwal
April 2 at 6:54pm · Edited ·

मेरी कलम से©Jai Prakash Dangwal:-

संबंधों का मधुर बने रहना, भावनाऑ के अविरल मर्मस्पर्शी प्रवाह से बना रहता है,
संबंधों में कटुता का आना, भावनाऑ के अविरल प्रवाह में, ठहराव से बना रहता है.
ऐसे में आरोपों और प्रत्यारोपों से संबंधों का मधुर बने रहना मुश्किल होता जाता है,
एक दूसरे की गलतियाँ भूल जाना बेहतर है, इससे आपकी छवि में, निखार आता है.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Jai Prakash Dangwal
April 2 at 1:10pm · Edited ·

मेरी कलम से©Jai Prakash Dangwal:-
कभी कभी फैसले लेने मुश्किल होते हैं लेकिन सही समय पर फैसले लेने, बेहत्तर होते हैं,
हम अपने आपको, बेहत्तर समझते हैं, लेकिन कोई और आपसे बहुत बेहत्तर हो सकते हैं.
समझदारी इसी में है, कि ऐसे वक्त में, समझदार लोग समझदारी से किनारा कर लेते हैं,
और दूसरों की बेहतरी के लिए, दूसरे के लिए, शांत भाव से अपना स्थान रिक्त कर देते हैं.

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Jai Prakash Dangwal
April 2 at 8:58am ·

मेरी कलम से©Jai Prakash Dangwal:-

दिल तोड़कर किसी का तुम्हारा उस पर गुस्सा दिखाने का क्या मतलब है,
तुम्हें तो इसकी ख़बर भी नहीं है कि दिल टूटते ही वह् कब का मर चुका है.

 

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