Author Topic: Poems Written by Shailendra Joshi- शैलेन्द्र जोशी की कवितायें  (Read 43088 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi ऐसु की होरी मा चुनों की बयार चा
 
 कचि पकी टिचरी दारू अद्या पवा कु जुगाड़ चा
 
 एमपी बनण कू मेरु भी विचार चा
 
 क्वी कसर ना छूटो जीत मा इनी  की हार का द्वार पडू मी हार मिलुत बस जीत कू
 
 इलै ही सीदा सैणा  बीटी की दूर धारखाल तक मेरु परचार चा
 
 ऐसु की होरी मा चुनों की बयार चा
 
 ऐशु की होरी मया घोसोणों की लगली पिचकारी
 
 विकास कू लगलू रंग बस ऐशु की होरी मा
 
 मिते भी पता चा चलनि चा देश मा पैसो की तंगी
 
 तुम दिया भै बंधो मितै वोट तुम तै दैलु नोट
 
 अबरि होरी न कोरी होरी न गीली होरी होलि
 
 ना छोरी की अंगड़ी भीझे जाली ना गोरी की मुखड़ी लपोड़ी जाली
 
 ऐशु की होरी मा त बस राजनीती खेली जाली
 
 बागी दागी छोऊ मि रंग सैरा छिन मैंमा
 
 नि सताली चिन्ता नौकरी चाकरी बिजली पाणी की
 
 अगर दे देला मैते वोट कू दाना पाणी
 
 बात खरी  खरी होलि दिन चुनौ का छिन बात सिर्फ वोट की होलि
 
 ऐसु की होरी माँ चुनौ की बयार चा
 
 कचि पकी टिचरी दारू अद्या पवा कू जुगाड़ चा
 
 रचना शैलेन्द्र जोशी
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एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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फेसबुक उत्तराखंड ना घार ना बौण की
 लबार होंदी बस बाज़ार की
 ना प्रेम की ना माया की
 लबार होंदी बस मायाजाल की
 जोग कू चक्रचाल मा फंसी जांदा भला लोग
 हैका रुलै की मुल हैसदी लबार
 ना पलिया पार की ना गंगा पार की
 सिर्फ डमडमा क़िस्सों की होंदी लबार
 तेरी नी हवे सकदी मेरी नी ह्वे सकदी लबार
 कभि कैकी भि नी ह्वे सकदी लबार
 राड़ादी चिफला बाटो मा
 भला लोगो ते ठस लबार
 
 रचना शैलेन्द्र जोशी
ना घार ना बौण की लबार होंदी बस बाज़ार की ना प्रेम की ना माया की लबार होंदी बस मायाजाल की जोग कू चक्रचाल मा फंसी जांदा भला लोग हैका रुलै की मुल हैसदी लबार ना पलिया पार की ना गंगा पार की सिर्फ डमडमा क़िस्सों की होंदी लबार तेरी नी हवे सकदी मेरी नी ह्वे सकदी लबार कभि कैकी भि नी ह्वे सकदी लबार राड़ादी चिफला बाटो मा भला लोगो ते ठस लबार रचना शैलेन्द्र जोशी height=298

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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From - Shailendra Joshi उतराखण्ड राज का पैला मेडिकल कालेज की कथा सुणादू
 
 तुमतै ये मेडिकल कालेज की व्यथा बतादू
 
 सुणा भै टक लैगै की
 
 पन्द्रह हज़ार मा डोक्टर बनणा भली बात
 
 डोक्टर भंडी पैसा देकी भी नी टिकणा या कनी बात
 
 श्रीनगरा ये मेडिकल कालेज की महिमा चा हपार
 
 जरा सा भी होणा मनखी घमताघोर तो सीदा पोर दून मा
 
 हमन तो सुनयु छोऊ मेडिकल कालेज मा कना कना रोग होंदा दूर
 
 पर ये अस्पताल कू यनु चा दस्तूर
 
 खासी बुखार ,जच्चा बच्चा ,उल्टी दस्त हवे जन्दु जना तनी मा इलाज
 
 जोग मा चा अगर भारी रोग
 
 तो डाक्टर साब का गिचा माँ चा एक ही बात हवे जा रैफर देश का कै भला अस्पताल मा
 
 पौड़ी ,चमोली ,टिरी की आस
 
 यखा का हाल देखी जनता हवे जांदी निराश
 
 पैसा वाला त चल जांदा भैर कै बड़ा अस्पताल मा
 
 गोंऊ गोंउ की गरीब जनता इनी मरनी चा
 
 कसूर क्या यी चा युकू की ये पैदा हवेनि पाड़ मा
 
 पैसों का मायाजाल मा टिकणा नी डोक्टर
 
 जू आणा भी छन डॉक्टर ऊ निकलणा फर्जी मुन्ना भै फटीचर
 
 गरीबी का चक्रचाल मरणा छन लोग इख खालधार
 
 सरकार का यी सुप्न्यु प्रोजेकट मा
 
 स्वास्थ सुविधा भी एक सुप्न्यु रैगे
 
 रचना शैलेन्द्र जोशी
— with Mass Comm Srinagar and 28 others. Photo: उतराखण्ड राज का पैला मेडिकल कालेज की कथा सुणादू तुमतै ये मेडिकल कालेज की व्यथा बतादू सुणा भै टक लैगै की पन्द्रह हज़ार मा डोक्टर बनणा भली बात डोक्टर भंडी पैसा देकी भी नी टिकणा या कनी बात श्रीनगरा ये मेडिकल कालेज की महिमा चा हपार जरा सा भी होणा मनखी घमताघोर तो सीदा पोर दून मा हमन तो सुनयु छोऊ मेडिकल कालेज मा कना कना रोग होंदा दूर पर ये अस्पताल कू यनु चा दस्तूर खासी बुखार ,जच्चा बच्चा ,उल्टी दस्त हवे जन्दु जना तनी मा इलाज जोग मा चा अगर भारी रोग तो डाक्टर साब का गिचा माँ चा एक ही बात हवे जा रैफर देश का कै भला अस्पताल मा पौड़ी ,चमोली ,टिरी की आस यखा का हाल देखी जनता हवे जांदी निराश पैसा वाला त चल जांदा भैर कै बड़ा अस्पताल मा गोंऊ गोंउ की गरीब जनता इनी मरनी चा कसूर क्या यी चा युकू की ये पैदा हवेनि पाड़ मा पैसों का मायाजाल मा टिकणा नी डोक्टर जू आणा भी छन डॉक्टर ऊ निकलणा फर्जी मुन्ना भै फटीचर गरीबी का चक्रचाल मरणा छन लोग इख खालधार सरकार का यी सुप्न्यु प्रोजेकट मा स्वास्थ सुविधा भी एक सुप्न्यु रैगे रचना शैलेन्द्र जोशी height=403




एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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पाड़ की तू नारी चा
 फूल नी चिनगारी चा
 तलवार की धार चा
 तेज़ खुकरी चा भारी रणबाकुरी चा
 वीरागना तू वीरागना
 भाड़ो कू साहस चा त्वे मा वीरागना
 वीर मा की वीर च तू वीरागना
 नारी चा पर सब मा भारी चा वीरागना
 तीलू की वीरता की अन्वार त्वे मा वीरागना
 ज़ुल्म देखा नी सकदी तू वीरागना
 जुल्मियो कू नाश करी चैन पौँदी तू वीरागना
 रचना शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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हर एक सोच रहा है
 
  वो देख रही है तो किसको एक टक
 
 कही मुझे तो नहीं कही मुझे तो नहीं
 
 लड़किया मौहल्ले की हमारी सोच रही है
 
 ये देख रही है किसको
 
 कोई कहती  पढती है मेरे कालेज  मे
 
 कोई उस को देख हैऱा हो थी
 
 कोई उसको देख मुस्कुराती 
 
 कोई कहती  अपने को हूर समाझाती है
 
 कोई कहती  सुंदर है क्या इतनी
 
 कोई कहती सुंदर तो है ही
 
 पर सब लड़कियों प्रशन ये ही है देख किस को रही है
 
 लड़कियो की इस वार्तालाप के बीच मौहल्ले के और लड़के है अनुपस्थित
 
 है उपस्थति दर्ज हमारी  तो लड़की तो देखेगी  ही लड़के को
 
 रचना शैलेन्द्र जोशी

 

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