कच्ची
(43)
दिन मा प्रवचन दीक्षा
रात मा शुरू हुन्दी सच्ची,
गीत, गजल, शेर सुणन्दी
पेकी ह्वीस्की, शेम्पेन सच्ची,
चेला-चपाटों का मुंड नवया
भक्त खुट्टों मा लमलेट रंदी,
आशिर्वाद दीन्द लालु चून्द
तौं गुरुजी कि लंगोट भि कच्ची।
(44)
नै-नै जग्गा शिविर लग्दी
नै-नै भक्त बणदी सच्ची,
क्वी कुंडलिनी जागृत करान्द
क्वी कुंडली बणवान्द सच्ची,
भक्त भावुक भौत हुन्दी
प्रवचन सूणी-सूणि की,
रात-दिन गुरुजी कि सेवा मा
लगीं रैन्द भक्ति पक्की-कच्ची।
(45)
नेताजि जीतीं चुनौ मा
भट्टी गौं-गौं खोली सच्ची,
उदघाटन कु दिन बटीं
सबथै एक-एक अध्या सच्ची,
तब बटि भट्टी सुलगणी छीं
कभि निमझण्या, कभि घबघ्याट कैकि,
व भट्टी उत्गै पक्की चा
जत्गा जादा चुवाणी कच्ची।
क्रमश........