Author Topic: Funny Incidents - हास्य घटनाये  (Read 94091 times)

Anubhav / अनुभव उपाध्याय

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #160 on: December 11, 2008, 04:53:15 PM »
Kya baat hai bechara to zindagi bhar pareshaan rahega is incident se :)

यह बात बहुत पहले की है, जब गावू मै बहुत गरीबी हुआ करती थी और लोगु के पास खाने को कुछ ज्यादा नही हुआ करता था, और बच्चू को भी कभी कभार ही अच्छा खाना मिला करता था...

हमारे गाव के पास मै ही एक मन्दिर है जयंती माता ka (ध्व्यज  मन्दिर), वहा पे शिवरात्रि के दिन मेला लगता है.  इस मन्दिर मै जाने के दिन वर्त (फास्ट) रखना जरुरी होता है. तो हमारे गाव से एक बच्चा इस मेले मै जा रहा था, दूसरे दिन फास्ट होने की वजह से पहली रात को उसे घर मै भरपूर खाना मिला . जो की नोर्मल्ली अभी भी होता है भाई कल वर्त है तो आज पेट भर खा ले वाली बात.  और वर्त वाले दिन वो सुबह शैच के लिए भी नही गया की पेट खली हो जाएगा तो भूख लगने लगेगी सोच के.
अब मन्दिर पंहुचा तो वहा बहुत भीड़ थी और दरसन करके मै बहुत टाइम लग गया, इस बीच वो अपनी लैटिन को रोक नही पाया और धोती मै ही थोड़ा बहुत निकल गया. फ़िर वो वो हिम्मत करके और जैसे तैसे रोक के खड़ा रहा और मन्दिर तक पंहुचा, तो पुजारी को बहुत बदबू आई तो पुजारी चिलाया की ये बदबू क्यों आ रही है... किसी के पैर मै लैटिन तो नही लगी है.. सब अपने पैर देखने लगे... तो पुजारी को पता चल गया की इस बच्चे ने तो धोती मै ही लैटिन कर रखी है...  और पुजारी ने बच्चे को धक्के मारते हुए कहा की " दूर जा मुल्या तो भट्टे  बास रैछ"   (बास = बदबू). भाई शाहब एक तो लैटिन का जोर उप्पर से पंडित का धक्का दोनु साथ मै बच्चा सम्भाल ना पाया और पूरी लैटिन धोती मै ही निकल आई और वैसे ही उसे घर तक आना पड़ा.  और उस बेचारे का नाम हमेशा के लिए हगवा पड़ गया

Lalit Mohan Pandey

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #161 on: December 11, 2008, 05:21:32 PM »
Ha anubhav da, Ab to wo kafi budde hai, per abhi bhi "Hagwa Budo" karke jane jate hai... ha ha ha....

Parashar Gaur

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #162 on: December 12, 2008, 03:06:10 AM »
दोस्तों
 आज मै आप को अपने जीवन के ओ अनछुई हास्य क उस पल आप के साथ बाँटना चाहूँगा .... जो लगभग आज से ३० ३२ साल पहेले  मेरे साथ घटी थी ..
" पहाड़ में सांस्क्रतिक कार्यकर्मो नाम पर अक्षर राम लीला ही एक येसा मंच ही हुआ करता था जो लोगो का मनोरजन करता आ रहा था !  मेरे अंदर के कलकार की सुरवात भी इसी मंच से हुयी .. यूँ कहना श्रये कर होगा  रामलीला का मंच मेरे लिए तो ये किसी अन एस डी से कम नही  क्यूँ की मेरे कला की पहले ट्रेनिंग यही से सुरू होती है !  आप की जानकारी लिए बता देना चाहूंगा कि मै एक बहुत अछा हास्य कलकार भी हूँ  ! मेरा तब उपनाम था "  खा माँ खा " जनता जितनी रामलीला देखने आती थी उतनी ही ओ सब मुझे सुनने और देखने भी आती थी !  जनता मुझे और मेरे आवाज़ से बड़ी वाकीफ थी ! हर एक के कान में मेरे आवाज़ बैठी हुयी थी !   

     तो किस्सा ये है जनाब ,  जो आदमी  दसरथ का पाट खेल रहा था अचानक बीमार होगया ! सीन था राम कि बनवास जाने के बाद दसरथ बड़े दुखी होते है और राम राम कहकर अपने परान त्याग देते है ! उस समय उनकी तीनो रनिया उनके पास बैठकर विलाप करती है ! डारेक्टर साब के सामने बड़ी समस्या ये थी कौन खलेगा .. किसने कहा गौर जी , याने मै , बोले तो खा माँ खा ! डारेक्टर ने आओ देखा न ताओ ,  झट  से कह्देया बिल्कुल सही ...मेरे पास आकर बोले देखो ,  इस सीन मै दसरथ लेटा है चेहरा तो देखी नही देगा !  तुम्हे तो केवल हाए राम .., हाए राम तो कहना है बस !  मैंने कहा सो तो टीक है लकिन लोग मेरे आवाज़ को पहिचानते है वो पचा नही पायेगे ! वो बोली ऐ सब मुझ पर छोड़ो ! मैंने कहा जैसे आप के मर्जी ... सीन तैयार हुया , मै दसरथ के वेश  रूप मै आकर लेट गया  और तीनो रनिया आकर बैठ गयी ! परदा खुला  सीन सुरू हुआ  मैंने जैसे ही हे राम
कहा ही था कि जनता मै खुसबुसाहट सुरु हो गयी जैसे मै हाए राम कहता जनता वैसे ही खी खी कर हसने लगती  !  जनता से आवाज़ आने लगी " अबे ये तो खमा खा है " दसरथ कहा गया कहने के साथ हे जनता  जोर जोर से हंसने लगी ! सारा पंडाल ठको से गुजने लगा !
     बात यही खतम नही होती जो तीन रनिया थी उन सबने काची दब के पी राखी थी उनके मुह से काची शाराब बदबू मुझे साँस लेन मै दिखत कर रहे थी और रोते भी तो बिल्कुल मेरे मुह के पास आकर जब मुझे से साह नही गया मने एक रानी को धका देकर कहा ,  अबे ..., परे होकर रोना ! तेरे मुहसे इतनी बुरी  बॉस आ रही कि साँस लेन भी मुस्किल होरही है !  ये देख कर जनता चिला उठी " अरे अरे  देखो देखो ... दशरथ मरकर भी राने को मर रहा है  " सब हंसते  हंसते लोट पोअट हो रहे थे और बेचार डारेक्टर का मुह देखने लायक था ओ परदा गिराने का ईशारा  करने मै लगा होया था !       
   

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #163 on: December 12, 2008, 10:06:51 AM »

Ha ha. ha.. Gaur Ji,

This is really interesting. such incidents happens during plays some time....

Hi hi.. but laughing one.

दोस्तों
 आज मै आप को अपने जीवन के ओ अनछुई हास्य क उस पल आप के साथ बाँटना चाहूँगा .... जो लगभग आज से ३० ३२ साल पहेले  मेरे साथ घटी थी ..
" पहाड़ में सांस्क्रतिक कार्यकर्मो नाम पर अक्षर राम लीला ही एक येसा मंच ही हुआ करता था जो लोगो का मनोरजन करता आ रहा था !  मेरे अंदर के कलकार की सुरवात भी इसी मंच से हुयी .. यूँ कहना श्रये कर होगा  रामलीला का मंच मेरे लिए तो ये किसी अन एस डी से कम नही  क्यूँ की मेरे कला की पहले ट्रेनिंग यही से सुरू होती है !  आप की जानकारी लिए बता देना चाहूंगा कि मै एक बहुत अछा हास्य कलकार भी हूँ  ! मेरा तब उपनाम था "  खा माँ खा " जनता जितनी रामलीला देखने आती थी उतनी ही ओ सब मुझे सुनने और देखने भी आती थी !  जनता मुझे और मेरे आवाज़ से बड़ी वाकीफ थी ! हर एक के कान में मेरे आवाज़ बैठी हुयी थी !   

     तो किस्सा ये है जनाब ,  जो आदमी  दसरथ का पाट खेल रहा था अचानक बीमार होगया ! सीन था राम कि बनवास जाने के बाद दसरथ बड़े दुखी होते है और राम राम कहकर अपने परान त्याग देते है ! उस समय उनकी तीनो रनिया उनके पास बैठकर विलाप करती है ! डारेक्टर साब के सामने बड़ी समस्या ये थी कौन खलेगा .. किसने कहा गौर जी , याने मै , बोले तो खा माँ खा ! डारेक्टर ने आओ देखा न ताओ ,  झट  से कह्देया बिल्कुल सही ...मेरे पास आकर बोले देखो ,  इस सीन मै दसरथ लेटा है चेहरा तो देखी नही देगा !  तुम्हे तो केवल हाए राम .., हाए राम तो कहना है बस !  मैंने कहा सो तो टीक है लकिन लोग मेरे आवाज़ को पहिचानते है वो पचा नही पायेगे ! वो बोली ऐ सब मुझ पर छोड़ो ! मैंने कहा जैसे आप के मर्जी ... सीन तैयार हुया , मै दसरथ के वेश  रूप मै आकर लेट गया  और तीनो रनिया आकर बैठ गयी ! परदा खुला  सीन सुरू हुआ  मैंने जैसे ही हे राम
कहा ही था कि जनता मै खुसबुसाहट सुरु हो गयी जैसे मै हाए राम कहता जनता वैसे ही खी खी कर हसने लगती  !  जनता से आवाज़ आने लगी " अबे ये तो खमा खा है " दसरथ कहा गया कहने के साथ हे जनता  जोर जोर से हंसने लगी ! सारा पंडाल ठको से गुजने लगा !
     बात यही खतम नही होती जो तीन रनिया थी उन सबने काची दब के पी राखी थी उनके मुह से काची शाराब बदबू मुझे साँस लेन मै दिखत कर रहे थी और रोते भी तो बिल्कुल मेरे मुह के पास आकर जब मुझे से साह नही गया मने एक रानी को धका देकर कहा ,  अबे ..., परे होकर रोना ! तेरे मुहसे इतनी बुरी  बॉस आ रही कि साँस लेन भी मुस्किल होरही है !  ये देख कर जनता चिला उठी " अरे अरे  देखो देखो ... दशरथ मरकर भी राने को मर रहा है  " सब हंसते  हंसते लोट पोअट हो रहे थे और बेचार डारेक्टर का मुह देखने लायक था ओ परदा गिराने का ईशारा  करने मै लगा होया था !       
  


Rajen

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #164 on: December 12, 2008, 10:06:57 AM »
बहुत खूब गुरूजीs.   :D ;D :D

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #165 on: December 12, 2008, 10:53:55 AM »

मुझे बचपन में याद !

हमारे एक कारीगर होता है जो सीमेंट प्लास्तेरिंग का काम करता था ! उसकी खासियत थे की अगर उसे खाना खाते वक्त किसी ने कुछ प्रशन कर दिया तो वह बिना कुछ कहे खाना छोड़ कर चला जाता था !

हम देख रहे थे की यह दिन वह किसी के यह पर खाना खा रहा था, उसी समय किसी उसे हाल चाल पुछा वह तुरुन्त खाना छोड़ कर साथ साफ़ करने लगा और बाद मे उसे जवाब देने लगा मे ठीक हूँ. !


Lalit Mohan Pandey

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #166 on: December 13, 2008, 05:56:04 PM »
HA HA HA... USNE GUSSA BHI KHANE MAI NIKALA.. chalo khud hi bhookha mara hoga.... aesa hi kuch mujhe bhi yaad aa raha hai.. Ek bache ko uske ma bap kisi bhi bat pe dat lagate to wo gussa khana chod deta, ek din kisi ne usko kaha are bhai kha le.. to kahta hai " aaj mai khana ki bilkul na khu... mai aaj iza babu ki rakhodi gadi diyulo" (rakhodi =  bahut paresan karna)

खीमसिंह रावत

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #167 on: December 31, 2008, 03:15:48 PM »
दोस्तों
 मै दसरथ के वेश  रूप मै आकर लेट गया  और तीनो रनिया आकर बैठ गयी ! परदा खुला  सीन सुरू हुआ  मैंने जैसे ही हे राम कहा ही था कि जनता मै खुसबुसाहट सुरु हो गयी जैसे मै हाए राम कहता जनता वैसे ही खी खी कर हसने लगती  !  जनता से आवाज़ आने लगी " अबे ये तो खमा खा है " दसरथ कहा गया कहने के साथ हे जनता  जोर जोर से हंसने लगी ! सारा पंडाल ठको से गुजने लगा !
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good

Lalit Mohan Pandey

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #168 on: January 16, 2009, 05:50:54 PM »
रामलीला की एक बात मुझे भी याद आ रही है...
हमारे यहाँ (कनालीछीना) मै रामलीला हो रही थी, सीता का रोल एक छोटा सा बच्चा कर रहा था ( सीता का रोल ज्यादातर छोटे बच्चू से करवाया जाता था क्युकी उनकी आवाज पतली होती है ), उस दिन के प्ले मै हनुमान को अशोक वाटिका जाना था, तो हनुमान के खाने के लिए पेड़ मै जलेबी और केले लगा दिए जाते है (क्युकी हनुमान सीता माता से फल खाने की अनुमति मिलने के बाद फल खता है इसलिए उसके लिए पहले से जलेबी और केले पेड़ पे लगा दिए जाते है), अब जो बच्चा सीता का रोल कर रहा था, वो पहले ही जलेबी मागने लगा, लेकिन जलेबी कम थी इसलिए उसको बोला गया की रुक जा रामलीला ख़तम होने के बाद तू ही खायेगा ये सब, ये सब बोल के उसको मनाया गया.
अब हुआ क्या की हनुमान पेड़ मै चड़कर जलेबी और केले खाने लगा तो बच्चे (जो सीता का रोल कर रहा था ) को लगा की उसके लिए कुछ नही बच्चने वाला. तो वो धीरे से कहने लगा "ऐ दानी दा मै स ले दे त" "ऐ दानी दा मै स ले दे त" (दानी जो हनुमान का रोल कर रहा था उसका नाम था), जब एक दो बार कहने मै नही दिया तो वो जोर से कहने लगा.. "ऐ सप्पे जन खाए ला..मै खिन ले बचाए"  .. लेकिन दानी भी कहा मानाने वाला था उसको भी जलेबी सायद ज्यादा ही पसंद थी... खाए जाए..  अब बच्चे को लगा की उसके लिए कुछ नही बचने वाला... और चिल्लाते और रोते हुए खड़े हो कर बोला.. "मै न करनू यो सीता को रोल.. मै थे के रखिथ्यु की तो खिन बच्चुला तई खाले लास्ट मै .. सब दानी दा ले खा सकी हलियन" .. और ये कहते हुए उसने साडी उतार दियी और पेड़ पे चड़ने लगा.. इस आस मै की सायद एक दो तो मिल ही जाए...

ऐसी घटनाये जब भी याद आती है तो बचपन बहुत याद आता है... ऐसा हुआ करता था हमारा बचपन.  कितनी मासूमियत हुआ करती थी.. हनुमान को भी दानी दा , दानी दा बोल रहा था (जबकि ख़ुद सीता बना था )

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Re: हास्य घटनाये - FUNNY INCIDENTS !!
« Reply #169 on: January 16, 2009, 07:29:07 PM »

Pandey Ji,

Bachpan ki shararate bhooli ni jaati.. 

रामलीला की एक बात मुझे भी याद आ रही है...
हमारे यहाँ (कनालीछीना) मै रामलीला हो रही थी, सीता का रोल एक छोटा सा बच्चा कर रहा था ( सीता का रोल ज्यादातर छोटे बच्चू से करवाया जाता था क्युकी उनकी आवाज पतली होती है ), उस दिन के प्ले मै हनुमान को अशोक वाटिका जाना था, तो हनुमान के खाने के लिए पेड़ मै जलेबी और केले लगा दिए जाते है (क्युकी हनुमान सीता माता से फल खाने की अनुमति मिलने के बाद फल खता है इसलिए उसके लिए पहले से जलेबी और केले पेड़ पे लगा दिए जाते है), अब जो बच्चा सीता का रोल कर रहा था, वो पहले ही जलेबी मागने लगा, लेकिन जलेबी कम थी इसलिए उसको बोला गया की रुक जा रामलीला ख़तम होने के बाद तू ही खायेगा ये सब, ये सब बोल के उसको मनाया गया.
अब हुआ क्या की हनुमान पेड़ मै चड़कर जलेबी और केले खाने लगा तो बच्चे (जो सीता का रोल कर रहा था ) को लगा की उसके लिए कुछ नही बच्चने वाला. तो वो धीरे से कहने लगा "ऐ दानी दा मै स ले दे त" "ऐ दानी दा मै स ले दे त" (दानी जो हनुमान का रोल कर रहा था उसका नाम था), जब एक दो बार कहने मै नही दिया तो वो जोर से कहने लगा.. "ऐ सप्पे जन खाए ला..मै खिन ले बचाए"  .. लेकिन दानी भी कहा मानाने वाला था उसको भी जलेबी सायद ज्यादा ही पसंद थी... खाए जाए..  अब बच्चे को लगा की उसके लिए कुछ नही बचने वाला... और चिल्लाते और रोते हुए खड़े हो कर बोला.. "मै न करनू यो सीता को रोल.. मै थे के रखिथ्यु की तो खिन बच्चुला तई खाले लास्ट मै .. सब दानी दा ले खा सकी हलियन" .. और ये कहते हुए उसने साडी उतार दियी और पेड़ पे चड़ने लगा.. इस आस मै की सायद एक दो तो मिल ही जाए...

ऐसी घटनाये जब भी याद आती है तो बचपन बहुत याद आता है... ऐसा हुआ करता था हमारा बचपन.  कितनी मासूमियत हुआ करती थी.. हनुमान को भी दानी दा , दानी दा बोल रहा था (जबकि ख़ुद सीता बना था )

 

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