दोस्तों
आज मै आप को अपने जीवन के ओ अनछुई हास्य क उस पल आप के साथ बाँटना चाहूँगा .... जो लगभग आज से ३० ३२ साल पहेले मेरे साथ घटी थी ..
" पहाड़ में सांस्क्रतिक कार्यकर्मो नाम पर अक्षर राम लीला ही एक येसा मंच ही हुआ करता था जो लोगो का मनोरजन करता आ रहा था ! मेरे अंदर के कलकार की सुरवात भी इसी मंच से हुयी .. यूँ कहना श्रये कर होगा रामलीला का मंच मेरे लिए तो ये किसी अन एस डी से कम नही क्यूँ की मेरे कला की पहले ट्रेनिंग यही से सुरू होती है ! आप की जानकारी लिए बता देना चाहूंगा कि मै एक बहुत अछा हास्य कलकार भी हूँ ! मेरा तब उपनाम था " खा माँ खा " जनता जितनी रामलीला देखने आती थी उतनी ही ओ सब मुझे सुनने और देखने भी आती थी ! जनता मुझे और मेरे आवाज़ से बड़ी वाकीफ थी ! हर एक के कान में मेरे आवाज़ बैठी हुयी थी !
तो किस्सा ये है जनाब , जो आदमी दसरथ का पाट खेल रहा था अचानक बीमार होगया ! सीन था राम कि बनवास जाने के बाद दसरथ बड़े दुखी होते है और राम राम कहकर अपने परान त्याग देते है ! उस समय उनकी तीनो रनिया उनके पास बैठकर विलाप करती है ! डारेक्टर साब के सामने बड़ी समस्या ये थी कौन खलेगा .. किसने कहा गौर जी , याने मै , बोले तो खा माँ खा ! डारेक्टर ने आओ देखा न ताओ , झट से कह्देया बिल्कुल सही ...मेरे पास आकर बोले देखो , इस सीन मै दसरथ लेटा है चेहरा तो देखी नही देगा ! तुम्हे तो केवल हाए राम .., हाए राम तो कहना है बस ! मैंने कहा सो तो टीक है लकिन लोग मेरे आवाज़ को पहिचानते है वो पचा नही पायेगे ! वो बोली ऐ सब मुझ पर छोड़ो ! मैंने कहा जैसे आप के मर्जी ... सीन तैयार हुया , मै दसरथ के वेश रूप मै आकर लेट गया और तीनो रनिया आकर बैठ गयी ! परदा खुला सीन सुरू हुआ मैंने जैसे ही हे राम
कहा ही था कि जनता मै खुसबुसाहट सुरु हो गयी जैसे मै हाए राम कहता जनता वैसे ही खी खी कर हसने लगती ! जनता से आवाज़ आने लगी " अबे ये तो खमा खा है " दसरथ कहा गया कहने के साथ हे जनता जोर जोर से हंसने लगी ! सारा पंडाल ठको से गुजने लगा !
बात यही खतम नही होती जो तीन रनिया थी उन सबने काची दब के पी राखी थी उनके मुह से काची शाराब बदबू मुझे साँस लेन मै दिखत कर रहे थी और रोते भी तो बिल्कुल मेरे मुह के पास आकर जब मुझे से साह नही गया मने एक रानी को धका देकर कहा , अबे ..., परे होकर रोना ! तेरे मुहसे इतनी बुरी बॉस आ रही कि साँस लेन भी मुस्किल होरही है ! ये देख कर जनता चिला उठी " अरे अरे देखो देखो ... दशरथ मरकर भी राने को मर रहा है " सब हंसते हंसते लोट पोअट हो रहे थे और बेचार डारेक्टर का मुह देखने लायक था ओ परदा गिराने का ईशारा करने मै लगा होया था !