Author Topic: Shri 1008 Mool Narayan Story - भगवान् मूल नारायण (नंदा देवी के भतीजे) की कथा  (Read 96930 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0


THIS IS ENTRACE GATE PHOTO OF MOOL ARAYAN JI TEMPLE AT JARTI.




THIS IS THE PHOTO INSIDE THE TEMPLE.


sanjupahari

  • Sr. Member
  • ****
  • Posts: 278
  • Karma: +9/-0
Thanks a lot mehta jew,,,awesome info, extra-awesome pics indeed...jai hoo tumeri.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0



मुझे एक बहुत पुरानी .. चाचरी याद आ रही है जो की मूल नारायण जी पर बनाया गया है !

शिखर भनार मासी क फूल
देवी चढ़उन मासी क फूल ..

शिखर मे मूल नारायण जी का मन्दिर, भनार मे बजैण जी का मन्दिर... !

मासी एक दुर्लभ फूल मासी का फूल जी कि शिखर जैसे ऊँचे जगह पर मिलता है जिसे धूप बनने मे भी इस्तेमाल किया जाता है !

Risky Pathak

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,502
  • Karma: +51/-0
Mehta jee +1 Karma....

These Places u reffer are very very near to my village...

pushpa rawat

  • Newbie
  • *
  • Posts: 10
  • Karma: +0/-0
mehta ji golu devta ki kathayein bhi shaamil kijiye plz.
Jai golu devta.........

Risky Pathak

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,502
  • Karma: +51/-0
Pushpaa Jee.... Ye Goljyu Ki Khaani ka link hai...
http://www.merapahad.com/forum/index.php/topic,330.0.html

and Yhaa Bhi 1 Brief Story....
http://www.merapahad.com/forum/index.php/topic,84.75.html

mehta ji golu devta ki kathayein bhi shaamil kijiye plz.
Jai golu devta.........


quote : M S Mehta.

Puspa Ji, we have already started this.

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0


भगवान् मूल नारायण जी ने शिखर पर कई बार चमत्कार देखाए है !

एक बार किसी आदमी की कथा (पूजा पाठ) शिखर पर थी लेकिन कुछ लोग वहाँ सब्जी घर से ले आना भूल गए ! अब कहाँ जाए शिखर जैसी जगह से दुकान तो बहुत दूर यह बिल्कुल असंभव था की ठीक समय पर वहाँ सब्जी उपलब्ध हो लेकिन कुछ लोग शिखर के जंगल की ओर गए उन्होंने ने पाया की वहाँ पर बहुत सारे मूली और एनी सब्जियां उनको मिल गए ! लेकिन दूसरी बार जब गए तो वहाँ उन्हें कुछ भी नही मिला !

यह सब भगवान् मूल नारायण जी का ही चमत्कार था !

Risky Pathak

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 2,502
  • Karma: +51/-0
अभी २६-२७ मई  को शिखर मे किसी  की कथा थी| उस कथा मे कोई सूतक वाला पहुँच गया था| लोगों ने देखा की जो बीवर से पानी लाते है वो सूख गया है| उसमें पानी की एक बूँद भी नही थी| शिखर मे पास मे  अन्यत्र कही पानी नही है| तो उन लोगो को २-३ की मी नीचे जाकर पानी लाना पडा|

और अगले दिन बीवर मे भरपूर मात्रा मे पानी उपलब्ध था|

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 40,912
  • Karma: +76/-0

भगवान् मूल नारायण जी का एक और चमत्कार

एक बार हमारे गाव की तरफ़ जून के महीने मे काफ़ी देर तक वारीश नही हुए. ! भगवान् मूल नारायण के मन्दिर मे एक यज्ञ का आयोजन हो रहा था !  एक आदमी रोते हुए और नंगे पाव वहां आया और कहने लगा कि इस मन्दिर मे मूल नारायण है कि नही "हम वारिश के बिना बहुत परेशान है और हमारी खेत सूख गए !

वह भगवान् के अस्थितातव को ललकारता रहा ! दूर -२ तक कोई बादल आसमान मे नही थे! देखते -२ शाम को भारी वारिश हो गयी ! यह पूर्ण रूप से भगवान् का चमत्कार था !

दुसरे दिन यह आदमी फिर से मन्दिर आया और भगवान् के धन्यवाद करने लगा परन्तु इस वारिश से भी वह थोड़ा संतुष्ट नही था, उसने कहा " भगवान् देने मे दिया परन्तु थोड़ा कम है" उस दिन फिर से और जोर कि वारिश हो गयी . लोगो के चपल और कई चीजे मन्दिर के वाहर बह कर दूर चली गयी !

पंकज सिंह महर

  • Core Team
  • Hero Member
  • *******
  • Posts: 7,401
  • Karma: +83/-0
श्री त्रिलोक चन्द्र भट्ट द्वारा लिखित "उत्तरांचल के देवालय" में भी इसका वर्णन है, जो आपके सम्मुख प्रस्तुत है-

शिखर मन्दिर-

बागेश्वर-बेरीनाग मार्ग पर धरमघर के लगभग १० कि०मी० की दूरी पर शिखर पर्वत पर भगवान मूलनारायण का प्राचीन मंदिर है। इसी को शिखर मन्दिर भी कहा जाता है, जनश्रुति के अनुसार भगवती नन्दा ने भगवान मूलनारायण से हिमालय में नन्दादेवी की चोटी पर निवास करने का आग्रह किया। उनके आग्रह पर नारायण को वह स्थान पसन्द आ गया। शिखर से कुछ दूरी पर एक गुफा में शीतल जल का स्रोत है, जहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। जनश्रुति के अनुसार एक बार नन्दा देवी इस जल स्रोत को देखने के लिये गई थी। जब वह लौट कर शिखर पर पहुंची तो मूल नारायण अदृश्य हो चुके थे। काफी खोजने के बाद जब उन्हें मूल नारायण नहीं मिले तो उन्होंने रुष्ट होकर श्राप दिया कि आज के बाद न तो हमारी-तुम्हारी मुलाकात होगी और न ही हिमालय में तुम्हारा निवास होगा, तुम यहीं शिखर में ही रहोगे। इसके बाद क्रोधित नन्दा नन्दाघूंघटी वापस चली गई।

     एक अन्य जन्श्रुति है कि मालूशाही की प्रेमिका राजुला का पिता सुनपत शौक अपनी भेड़-बकरियों को लेकर इस पर्वत पर रुका हुआ था। यहा के मनोहारे दृश्य से मोहित सुनपत भगवान के ध्याने में लीन हो गया। इसी अवस्था में उसे दैविक आदेश हुआ कि वह तुरन्त अपने देश लौट जाये। जब उसकी तन्द्रा टूटी तो उसने देखा कि जहां उसकी बकरियों के करबोझे रखे थे, वहां पर अब शिला की आकृति बन गई है और बकरियां गायब हैं। आनन-फानन में वह अपने घर के लिये चल पड़ा, लेकिन घर पहुंच के उसके आश्चर्य का ठिकाना न रहा कि बकरियां उससे पहले ही घर पहुंच गई थी और उनके पीठ पर लदे करबोझे मुल्यवान रत्न और सोने से भरे हुये थे।
       सन १९८१-८२ में जनता के सहयोग से मंदिर का जीर्णोद्धार कर इसे भव्य रुप प्रदान कर यहां भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करवाई गई है। इस मंदिर से पुजारी धामी लोग हैं और गौखुरी के पन्त परम्परागत रुप से कथा वाचन करते हैं।

 

Sitemap 1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22