इक रात आँखा बुजेंदी दौं सुप्निया माँ द्येखी
मिल म्येरु सुख कु पहाड़ ,
जख बांद इक किसान छई , सारी -पुन्गडी माँ हर्याल छई
बुणों माँ बुरांश छया ,क्यारियों मा हिलांस छया
गौं -गौलियों मौल्यार छई ,धरम -करम समान छई
पंदेरियों माँ छुयांल छई , बाणी -ब्वोली माँ मिठास छई
इक रात आँखा बुजेंदी दौं सुप्निया माँ द्येखी
मिल म्येरु दुःख कु पहाड़ ,
जख माटा का ठेकदार छ्या , और ढुंगो का सोदागार छ्या
इतिहासों मा देव भूमि छई , अर पत्रों माँ डाम भूमि छई
नेतों कु भ्रस्टा चार छयो ,और बोतलों माँ बिक्णु पहाड़ छयो
रोजगार जख सपाट छयो ,अर पहाड़ कु ह्वोणु विनाश छयो
इक रात आँखा बुजेंदी दौं सुप्निया माँ द्येखी
मिल म्येरु खुद कु मरुँ खुदेड़ पहाड़ ,
जख बाला पण की समलौण छई ,स्कूलया छ्वरों की कथ्गेर छई
ध्याणियों का बगदा आँशु छ्या ,रैबसी बोड़ना का सांसा छ्या
दाना -स्याणु कु इकुलांस पराण छयो , बेटी -बुवारियों कु खेरी छई
पहाड़ यूँ द्येखा उदास छयो ,पहाड़ियों क खेरी कु सेह्भगि छयो
इक रात आँखा बुजेंदी दौं सुप्निया माँ द्येखी
मिल म्येरु रुन्देड पहाड़
जख बाँझ का कट्यां डाला छ्या ,बुरांश का पतझड़ी झाडा छ्या
पाणी का रीता नौला -धारा छ्या ,गाड -गद्निया विष सामान छई
उकाली जण डांडा उंदयरी जण ह्वैगेणि पहाड़ कि माटी म्येरी डैमो माँ समे ग्येणी
बूण -पहाड़ों माँ कनु बज्र पड़िगेणि , झणि -कुझाणि म्येरु पहाड़ निर्बीज ह्वेगेनी
update by-हिमाँशु पुरोहित सुमाईयां