Author Topic: Poems Written by Shailendra Joshi- शैलेन्द्र जोशी की कवितायें  (Read 44056 times)

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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ज से जाती
ज से जोशी
ज से जॉनसन
ज से जफार
ज से जिन्दगी
जिन्दगी सभी ज
एक ही है
बस ब्रांड अलग़
प्रोडक्ट एक है
वो प्रोडक्ट हम मानव है ।। शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मायादार अपणा सुवा देखी देवी दर्शन भि कर सक्दन यनु प्रयोग मेरी कलम बिटि ऐसु का नौराता मा यी रचना मेरी सब्भी मायादारो तै समर्पित चा
देवीकु रूप साकछात भगबती स्वरुप
मनखीयों मा त नि देखी इन्न नौनी
द्यब्तो का मुल्क बिटि ऐ होली स्या छोरी
दरशन विका रूप देखी होदन
सब्भी नौ देवियों का
कभि दिख्दी विका रूप मा शैलपुत्री
कभि दिख्दी विका रूप मा बरमचारणी
कभि दिख्दी विका रूप मा कुस्कमंडका
कभि दिख्दी विका रूप मा स्कंदमाता
कभि दिख्दी विका रूप मा कत्यानी
कभि दिख्दी विका रूप मा कालरात्रि
कभि दिख्दी विका रूप मा महागौरी
कभि दिख्दी विका रूप मा सिद्धधातरी
इन्ना रूपवान गौरा तै
कु शिब होलू दुनि मा
भग्यान छन जौका घौर जल्मी
देबी कु यनु रूप ...................................... शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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आज उतराखंडी फिल्म तरीका कुसुम चौहान जी और भगवान चंद जी लघु फिल्म देखी हिमालयन न्यूज़ पर उनके शानदार अभिनय और मार्मिक विषय को देख ये कविता तैयार हो गयी है
घाम मा जनानो की छु लगणी च हे दीदी
दिल्ली ब्वारी दिल्ली मा खप सक्दीन
अगर मजबूरी मा उत्तराखंड ऐगिन त
दिल्ली का ही गीत गांदीन
वी फर कैकु अड़ायु नि लगदु
बस गिच्चा एक छवी चा
मम्मीजी iam वर्किंग वोमन
मि आप जनु बैकवर्ड नि छो
अपणा अगने पिछने
सब्भु तै गवाणया समझदिन
अफु तै इत्गा मोर्डेन समझदिन
कबि किटी पार्टी त कभि ब्यूटीपार्लर खुटी रंदीन
स्येंदी दा बि लिपस्टिक पतोडी स्येदीन
म्येरा छोरा तै बि उत्तराखंड मा आकाल छो पडियु
ज्यू ब्वारी निहोणया दिल्ली मा खुजे
चला फण्डफुका दीदी भूलियो हौर छवी लांदा
दिल्ली ब्वारियु तै दिल्ली छोड़ा
अर घाम तापा ..............................................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
September 14 ·
तन के कसीदे पढ़ कर लेगे
तारीफ कही आशिक तुम्हारे
मैने तो मन की सुन्दरता देख
गीत रचे तुम्हारे...........................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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Shailendra Joshi
September 11 ·
दाल मैंगी चौल सस्तु
इन्नी बक्की बात
हूँण राली
वू दिन दूर नि अब
दाल भात से दूर हवे जाली................शैलेन्द्र जोशी

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
December 15 at 8:47am · New Delhi ·
गीतकार....
कल्‍पना मा डूबिक लिख्‍दु छ गीत,
गितांग की होन्‍दि छ जय जयकार,
पौन्‍दु छ गीत लगैक माया उपहार,
जांदु छ सात समुदर का पार,
गीतकार रै जांदु तन्‍नि,
पर मनखि यनु गौर कतै नि करदा,
कैन लिखि होलु,
कुतग्‍याळि लगौण्‍यां गीत,
जै सुणिक नि भरेन्‍दि धीत.......
चल रुपा बुरांस का फूल बणि जौला......श्री महेशानन्‍द गौड़ जी(1962)
तू होलि बीरा ऊंचि ऊंचि डांड्यौ मा......श्री जीत सिंह नेगी जी
चांद चकोरी मुखड़ि गोरी.................जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु
कविमन कू कबलाट(जगमोहन सिंह जयाड़ा जिज्ञासु)
दिनांक 15.12.2015

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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मुख्यमंत्री जी का महल
May 13, 2011 at 4:29pm
हे उत्तराखंडवासी....तेरा उत्तराखंड तुझे मिला.....जो माँगा था मिल गया....अब तेरे सारे दुःख दर्द दूर हो जायेंगे....लेकिन याद रखना....ये सत्य नहीं है.....तू भटकता ही रहेगा....उत्तराखंड से दूर....न घर का...न घाट का.....गाँव में तेरा पैत्रिक घर है....वो टूट जायेगा....तेरे दिल की तरह....एक दिन तेरा मन...अपने गाँव जाने का नहीं करेगा......कहाँ रहेगा टूटे घर में..जिस शहर में है...वहीँ का होकर तू मरेगा..उत्तराखंड का मुख्यमंत्री उत्तराखंड में राज करेगा...जो चाहेगा...सब मिलेगा.....देख ये मुख्यमंत्री जी का महल....... तुझे क्या मिला?.....उत्तराखंड बनने से.......... ये कवि जगमोहन सिंह जयाड़ा "जिज्ञासु" की कल्पना नहीं...यथार्थ है.....जो आज तक नहीं लौट सका जन्मभूमि की ओर.....चाहकर भी...उत्तराखंड बनने के बाद...उत्तराखंड राज्य बनने की उमंग अब नहीं रही...फिर भी जन्मभूमि तुझे नमन.....

एम.एस. मेहता /M S Mehta 9910532720

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"हिटो हो भैजी चलो रै भुला "
हिटो हो भैजी चलो रै भुला, उत्तराखंड देखि औंला।
म्यारु पहाड़, देव भूमि, पित्र भूमि कू शीश नवौंला।।

उत्तराखंड पौंछण से पैलि, रामपुर तिराया मा जौंला। जौं कि ज्यान से मीली राज, वूं भै भैण्यूं याद ल्योंला।।
हिटो हो भैजी चलो रै भुला..........

घार बूण राजि रखी,भौन देवी मा घांडि बजौंला।
कुलदेवों का थान मा छ्वारो द्यू धुपणु कैरि औंला।।
हिटो हो भैजी चलो रै भुला..........

चकबंदी कू जोर चलणू, गणेशु काका थैं सारु द्यूंला।
नै क्यारि सजीं काका की, क्यार्यूं मा पाणी चारि औंला
हिटो हो भैजी चलो रै भुला..........

क्यार्यूं मा हर्यालि आली, फुंगडी सबि अवाद ह्वैली।
ग्वीणि बांदर सुगंर भाजला, सैरि सारि खैंदि ह्वैली।
हिटो हो भैजी चलो रै भुला.........

बांजि फुंगडि यख वख, वाडा मींडा देखि औंला।
सरक्यां वाडा सै कैरिक, रळक्यां भीड़ा धैरि औंला।।
हिटो हो भैजी चलो रै भुला......

तिबरी डंडेळि कूड़ि तेरी,छनुडी बांजि समाळि औंला
हे भैजी! ब्वाडा का टैम जनि,वूं थै ई सजैक औंला।।
हिटो हो भैजी चलो रै भुला.........

वगत कु क्य बुन रै भुला, वां से पैलि समळि जौंला।
आणु जाणु लग्यूं रालु, गौं गळ्या पछ्याणि ल्योंला।
हिटो हो भैजी चलो रै भुला..........
नै क्यारि -नई पौध, new generation.
सर्वाधिकार सुरक्षित @दर्शनसिंह रावत "पडखंडाई "
दिनांक 20/11/2015

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मी ह्युंद कुयेडी सि लौंकीगे छो
विका बुबा आंखम जाला सी
अर सट भित्र गुस ग्यो घारम
खौं बाग बणी छो कुयेडीम भैर
भित्र पौचदू पौचदू बिरालु हवे ग्यो
पर वि लोलीन कते नि माणी
कुकुर समझी लत्ती मार
भैर करदे मैकू यी ठण्डम
भैर खड़ा विकाबुबा जिन पूछी कुछे रे
भित्र कनुक्वे पौची
मिल बोली इत्गा कुयेडी लगी च
भित्र कुछ भी चीज पौच सकदी
अबे जन भि पौची तू छे कुछ
मिल बोली तुमरी छोरी मायदार
इत्गा सुणी वुकू हार्टबिट बढ़गी
कमीना लोला रुक जरा खबरदार निर्भे मौका ....................शैलेन्द्र जोशी

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क्या कन्न मैकू त सुखी रै माया विकी..................................शैलेन्द्र जोशी
लरतरी रसिली जलेबी मा बिझी माया विकी
क्या कन्न मैकू त सुखी रै माया विकी
गलोडीयों मा भुकीयों पुचकार भरी माया रै विकी
क्या कन्न मैकू त सुखी रै माया विकी
छुयो मा छु रै गिच्ची मा मीठी इन्नी माया रै विकी
क्या कन्न मैकू त सुखी रै माया विकी
अतोल समोदर पाणींन भरी माया विकी
क्या कन्न मैकू त सुखी रै माया विकी
हैसदा फूलो सी भरी माया रै विकी
क्या कन्न मैकू त सुखी रै माया विकी
रेगिस्तान मा दुब्लू हैर्यली आस जमी माया विकी
क्या कन्न मैकू त सुखी रै माया विकी..................................शैलेन्द्र जोशी

 

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